कॉलेज से अपने स्नात्क होने से पूर्व के वर्ष में अमान्डा का दृष्टिकोण इस पृथ्वी के प्रति एक मसीही विश्वासी की ज़िम्मेदारी को लेकर बदलने लगा। उस समय तक अमान्डा की धारणा रही थी कि प्रभु यीशु के साथ उसके संबंध का पृथ्वी के पर्यावरण के प्रति उसकी ज़िम्मेदारी से कुछ लेना-देना नहीं है। लेकिन अमान्डा ने इस विषय पर पुनःविचार करना तब आरंभ किया जब उसके सामने यह प्रश्न रखा गया कि एक मसिही विश्वासी का इस पृथ्वी की देखरेख तथा संभाल में क्या योगदान हो सकता है - विशेषकर उन लोगों के संदर्भ में जो सबसे ज़रुरतमन्द हैं और अनेक ऐसे संसाधानों से वंचित हैं जिनकी अनेक उन्नत देशों में बरबादी या दुरुपयोग हो रहा है।
अमान्डा ने पहचाना कि इस सुन्दर संसार के प्रति, जिसे हमारे परमेश्वर पिता ने बना कर हमें दिया है, एक भण्डारीपन है। इस संसार की सभी वस्तुओं और इसके लोगों के प्रति हमारी देखभाल और संभाल परमेश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा को प्रगट करता है। यह बात परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए दो सिद्धांतों पर आधारित है।
पहला सिद्धांत यह कि पृथ्वी परमेश्वर की है (भजन 24:1-2)। भजनकार ने परमेश्वर की इस सृष्टि के लिए और उसके स्वामित्व के लिए प्रशंसा करी - आकाशमण्डल, पृथ्वी और उन में का सब कुछ परमेश्वर का ही है, उसी ने सब कुछ को सृजा है। इन सब पर परमेश्वर का प्रभुत्व है (भजन 93:1-2) और वह इन सबकी परवाह तथा देखभाल करता है (मत्ती 6:26-30)।
दूसरा सिद्धांत यह कि परमेश्वर ने इस पृथ्वी की देखरेख का दायित्व मनुष्य को सौंपा है (उत्पत्ति 1:26-28), और इस दायित्व में लोगों के प्रति ज़िम्मेदारी (रोमियों 15:2) और प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी (लैव्यवस्था 25:2-5, 11; नीतिवचन 12:10) दोनों ही आ जाते हैं।
हम मसीही विश्वासियों को कभी इस तथ्य को नज़रन्दाज़ नहीं करना चाहिए कि यह सृष्टि हमारे परमेश्वर पिता की है। इस सृष्टि की देखभाल और परवाह कर के हम अपने पिता के प्रति अपने प्रेम और आदर को प्रगट करते हैं। - मार्विन विलियम्स
सृष्टि के साथ दुर्व्यवहार सृष्टिकर्ता का अपमान है।
पृथ्वी और जो कुछ उस में है यहोवा ही का है; जगत और उस में निवास करने वाले भी। - भजन 24:1
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:26-31
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं:
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू 22-24
- लूका 3