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शनिवार, 22 जनवरी 2011

ऊंचा नाम करने की लालसा

एक साहसी व्यक्ति ने शिकागो शहर में स्थित १,४५४ फुट उंची स्टील और कांच से बनी इमारत ’सीयर्स टावर” पर उसकी बाहरी सतह पर से चढ़कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसे करने के लिये उसे ५० पौंड वज़न चढ़ाई की सामग्री ढोनी पड़ी और ४० किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से चलती हवा का सामना करके भी स्थिर रहना पड़ा। जब तक वह इमारत के शिखर पर पहुंचा, उसका नाम चारों ओर फैल चुका था। लेकिन शिखर पर पहुंचते ही पुलिस ने उसे पकड़ कर अनुचित व्यवहार तथा दूसरे की सम्पत्ति में बिना आज्ञा घुसने और नुकसान पहुंचने के अपराध में पकड़ कर जेल में डाल दिया। उसकी ख्याति कुछ ही पल की थी।

इस घटना ने मुझे बाइबल में उत्पत्ति ११ अध्याय में वर्णित लोगों की याद दिलाई जिन्होंने बेबल की मीनार बनाना आरंभ किया। उन बलवाई लोगों ने अपना नाम ऊंचा करने की ठान रखी थी। वह मीनार प्रतीक थी उनकी महत्वकांक्षाओं और परमेश्वर के विरुद्ध एक जुट होने की। उन्होंने ठाना था कि "...आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बात करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।" (उत्पत्ति ११:४) लेकिन परमेश्वर ने उनके स्वार्थी और परमेश्वर विरोधी इरादे सफल नहीं होने दिये। उसने उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दी जिससे उनका आपसी संबंध टुट गया और मीनार का बनना रुक गया।

कई बार मसीही विश्वासी भी अपना नाम ऊंचा करने की महत्वकांक्षा में पड़कर अपने जीवन में से परमेश्वर को उसके उचित स्थान से उतार देते हैं। ऐसा तब होता है जब वे परमेश्वर से अपना ध्यान खींच कर, अपनी सामर्थ पर भरोसा करके अपने व्यवसाय, अपनी धार्मिकता या समाज में अपना स्थान बनाने में संलगन हो जाएं और परमेश्वर के कार्यों को नज़रंदाज़ कर दें। यदि एक विश्ववासी के जीवन में परमेश्वर आदर नहीं पाएगा, तो उसका स्वयं का भी आदर जाता रहेगा।

सदा ध्यान रखिये, जब जब आप अपने जीवन में परमेश्वर को ऊंचा उठाएंगे, वह भी आपको संसार में ऊंचा करेगा; और यदि आपके जीवन में परमेश्वर का सम्मान नहीं रहेगा, तो परमेश्वर द्वारा संसार में आपका सम्मान भी जाता रहेगा। - मार्ट डी हॉन


यदि ऊंचा उठना चाहते हैं तो झुकना और नम्र होना सीखिये।

फिर उन्होंने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बात करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े। - उत्पत्ति ११:४


बाइबल पाठ: उत्पत्ति ११:१-९

सारी पृथ्वी पर एक ही भाषा, और एक ही बोली थी।
उस समय लोग पूर्व की और चलते चलते शिनार देश में एक मैदान पाकर उस में बस गए।
तब वे आपस में कहने लगे, कि आओ हम ईंटें बना बना के भली भांति आग में पकाएं, और उन्होंने पत्थर के स्थान में ईंट से, और चूने के स्थान में मिट्टी के गारे से काम लिया।
फिर उन्होंने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बात करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।
जब लोग नगर और गुम्मट बनाने लगे तब इन्हें देखने के लिये यहोवा उतर आया।
और यहोवा ने कहा, मैं क्या देखता हूं, कि सब एक ही दल के हैं और भाषा भी उन सब की एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम भी आरम्भ किया; और अब जितना वे करने का यत्न करेंगे, उस में से कुछ उनके लिये अनहोना न होगा।
इसलिये आओ, हम उतर के उनकी भाषा में बड़ी गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें।
इस प्रकार यहोवा ने उनको, वहां से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड़ दिया।
इस कारण उस नगर का नाम बाबुल पड़ा क्योंकि सारी पृथ्वी की भाषा में जो गड़बड़ी है, सो यहोवा ने वहीं डाली, और वहीं से यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ४-६
  • मत्ती १४:२२-३६