स्मुरना के इलाके के बिशप पॉलीकार्प (ई० 59-155) को, उनके मसीही विश्वास और प्रचार के कारण रोमी अधिकारियों ने बन्धक बना लिया और उन से कहा कि यदि वे कैद से मुक्त होना चाहते हैं तो मसीह यीशु को कोसें और उसकी निन्दा करें। पॉलीकार्प का उत्तर था, "छियासी वर्षों से मैं उसकी सेवा करता आया हूँ, और उसने आज तक कभी मेरी कोई हानि नहीं की है। मैं अपने मुक्तिदाता राजा की निन्दा कैसे कर सकता हूँ?" रोमी अधिकारी ने धमकी दी, "यदि तू अपनी मनशा नहीं बदलेगा तो तुझे आग के हवाले कर दिया जाएगा।" पॉलीकार्प अपने निर्णय पर अडिग रहा, और उसे लठ्ठे से बांधकर आग के हवाले कर दिया गया जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
इससे सदियों पहले, तीन जवानों - शदरक, मीशक और अबदनेगो को भी परमेश्वर पर अपने विश्वास के कारण ऐसी ही परिस्थिति का सामना करना पड़ा था। उन्होंने भी राजा नबूकदनेस्सर द्वारा जारी राजा की प्रतिमा के आगे गिरने और उसकी उपासना करने की आज्ञा की अवहेलना की थी क्योंकि वे अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखते थे और केवल उसी की उपासना करते थे। राजा नबूकदनेस्सर ने उनके सामने विकल्प रखा, या तो मेरी प्रतिमा की उपासना स्वीकार करो अथवा आग के भट्टे में झोंके जानो को तैयार हो जाओ। उन तीनों जवानों का राजा को उत्तर था, "...हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता। हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है। परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत करेंगे" (दानिय्येल 3:16-18)। उन तीनों को आग के भट्टे में झोंक दिया गया परन्तु आग उन तीनों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकी; जब उन्हें भट्टे से बाहर निकाला गया तो ना तो उनके कपड़े या बाल झुलसे थे और ना ही उनमें आग की कोई गन्ध थी।
एक ही परमेश्वर के प्रति एक समान विश्वास के लिए एक समान दण्ड, किन्तु दो भिन्न परिणाम - एक आग से जल कर मर गया तो दूसरे आग से अछूते बाहर आ गए। मसीही विश्वास के इन दिग्गजों की गवाही सिखाती है कि मसीही विश्वास में परमेश्वर पर विश्वास का तात्पर्य केवल परमेश्वर की क्षमताओं अथवा हर बात में इच्छित परिणामों की आशा पर विश्वास ही नहीं है वरन सच्चे विश्वास का अर्थ है, चाहे परमेश्वर परिस्थिति से छुड़ाए या ना छुड़ाए, उसपर अडिग अविचिलित विश्वास बनाए रखना। परिस्थिति का अन्जाम चाहे कुछ भी हो, परमेश्वर परमेश्वर ही है और हर बात के लिए अन्तिम निर्णय उसी का है। हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य अपने विश्वास को बनाए रखना है - केवल परिस्थितियों के अनुकूल परिणामों के अनुसार नहीं, वरन, सदा सर्वदा। - एलबर्ट ली
जीवन कठिन है, पर परमेश्वर भला है - हर समय और हर बात में।
स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। - इब्रानियों 11:35
बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:32-40
Hebrews 11:32 अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Hebrews 11:33 इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्द किए।
Hebrews 11:34 आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
Hebrews 11:35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।
Hebrews 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
Hebrews 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
Hebrews 11:38 और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
Hebrews 11:39 संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।
Hebrews 11:40 क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 28-29
- यूहन्ना 17