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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

प्रशिक्षण



     जब मेरे बेटे के अध्यापक ने मुझ से निवेदन किया की मैं उनके विज्ञान शिविर में एक सहायिका बनूँ, तो मुझे संकोच हुआ। परमेश्वर ने मुझे अपने बेटे से प्रेम करने और उसकी अच्छी परवरिश करने में मेरी सहायता की थी, परन्तु मुझे अकसर संदेह रहता था कि औरों की सेवा करने के लिए वह मुझे कैसे उपयोग कर सकेगा? मैं किसी के लिए सहायक या आदर्श कैसे हो सकती थी जब मेरा अतीत गलतियों से भरा पड़ा था, और मैं आज भी गलत आदतों के साथ संघर्ष करती हूँ, और कभी-कभी लड़खड़ा कर उन में फिर से गिर भी जाती हूँ?

      मैं आज भी कभी-कभी यह ध्यान नहीं रखने पाती हूँ कि परमेश्वर – जो एकमात्र सिद्ध है, केवल वही एक है जो हृदयों और जीवनों को बदला सकता है – हमें समय के साथ-साथ बदलता भी चला जाता है। फिर पवित्र आत्मा मुझे स्मरण करवाता है कि कैसे पौलुस ने तीमुथियुस को प्रोत्साहित किया कि वह अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए प्रशिक्षित होता चला जाए, विश्वास में स्थिर बना रहे, और परमेश्वर ने जो वरदान उसे दिए हैं, उनका उपयोग करे (2 तीमुथियुस 1:6)। तीमुथियुस साहस रख सकता था क्योंकि, उसके बल का स्त्रोत, परमेश्वर उसकी सहायता करेगा कि, जो लोग उसकी सेवा के क्षेत्र में होंगे उनकी सेवा करते हुए वह प्रेम रखे और अनुशासित रहे; इससे स्वयं उसकी भी बढ़ोतरी होती रहेगी, तथा वह और अधिक परिपक्व होता जाएगा (पद 7)।

     प्रभु यीशु हमें उद्धार देता है और हमें बलवंत करता है कि हम अपने जीवनों के द्वारा उसका आदर करें; इसलिए नहीं क्योंकि हम में कुछ विशेष योग्यताएं हैं, परन्तु इसलिए क्योंकि हम सभी उसके परिवार के बहुमूल्य सदस्य है (पद 9)।

     हम इस दायित्व का विश्वासयोग्यता से निर्वाह कर सकते हैं यदि हमें यह ध्यान रहे कि हमारा कार्य केवल परमेश्वर तथा औरों से प्रेम रखना है। मसीह का काम है कि हमें उद्धार, और हमें अपना वह उद्देश्य भी दे, जो संसार के प्रति हमारे सीमित दृष्टिकोण की सीमाओं से भी बाहर है। हम जब दैनिक जीवन में मसीह यीशु का अनुसरण करते रहते हैं, तब वह हमें सक्षम और परिवर्तित करता जाता है, औरों को प्रोत्साहित करने के लिए हमें प्रयोग करता है, और हम उसके प्रेम तथा सत्य को औरों तक पहुंचाने के लिए प्रशिक्षित होते चले जाते हैं। - होकिटिल डिक्सन

हमारी सामर्थ्य के स्त्रोत के साथ हमारा व्यक्तिगत संबंध, 
हमें विश्वासयोग्यता से अपने दायित्व निभाने के लिए सक्षम करता है।

इन बातों की आज्ञा कर, और सिखाता रह। कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा। - 1 तीमुथियुस 4:11-12

बाइबल पाठ:  2 तीमुथियुस 1:6-14
2 तीमुथियुस 1:6 इसी कारण मैं तुझे सुधि दिलाता हूं, कि तू परमेश्वर के उस वरदान को जो मेरे हाथ रखने के द्वारा तुझे मिला है चमका दे।
2 तीमुथियुस 1:7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ्य, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है।
2 तीमुथियुस 1:8 इसलिये हमारे प्रभु की गवाही से, और मुझ से जो उसका कैदी हूं, लज्ज़ित न हो, पर उस परमेश्वर की सामर्थ्य के अनुसार सुसमाचार के लिये मेरे साथ दुख उठा।
2 तीमुथियुस 1:9 जिसने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर अपनी मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है।
2 तीमुथियुस 1:10 पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाश हुआ, जिसने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया।
2 तीमुथियुस 1:11 जिस के लिये मैं प्रचारक, और प्रेरित, और उपदेशक भी ठहरा।
2 तीमुथियुस 1:12 इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्‍चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है।
2 तीमुथियुस 1:13 जो खरी बातें तू ने मुझ से सुनी हैं उन को उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, अपना आदर्श बनाकर रख।
2 तीमुथियुस 1:14 और पवित्र आत्मा के द्वारा जो हम में बसा हुआ है, इस अच्छी थाती की रखवाली कर।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 3-5
  • लूका 20:1-26