एक कार्टून रेखाचित्र में दिखाया गया कि एक युवती सर पर टोपी और काला चोगा पहने हुए और अपने हाथ में अपनी स्नातक डिगरी लिए खड़ी है। उसका सर गर्व से ऊँचा है और वह संसार को नीची निगाहों से देख रही है। संसार ने उससे पूछा कि वह कौन है तो वह घमंड से उत्तर देती है, "क्या तुम मुझे नहीं पहचानते? मैं ने प्रतिष्ठा विद्यापीठ से स्नातक की डिगरी ली है।" संसार उसे उत्तर देता है, "बस इतनी सी बात; मेरे साथ आओ, शेष मैं अब तुम्हें सिखाऊंगा।"
उस युवती के स्नातक के डिगरी प्राप्त करने और शिक्षा अर्जित करने को हम तुच्छ नहीं जान सकते, उसने कुछ गलत नहीं किया। किंतु केवल कुछ वर्ष की पढाई और कक्षा में बैठकर सीखने से तो कोई बुद्धिमान नहीं बन जाता। कठिन परिस्थितियों के अनुभव स्कूल कालेज की पढाई से कहीं अधिक मूल्यवान शिक्षाएं देते हैं। क्या शिक्षा का कोई महत्व है? बिलकुल है, शिक्षा आवश्यक है, परन्तु शिक्षित होने के साथ बुद्धिमान होना भी बहुत आवश्यक है। ज्ञान तथ्यों को जानना है, बुद्धिमानी तथ्यों का सही उपयोग करना जानना है। लेकिन इन सब से ऊपर है वह ज्ञन जो परमेश्वर से मिलता है, क्योंकि परमेश्वरीय ज्ञान ही इन सब बातों का सही उपयोग सिखा सकता है।
सबसे उत्तम शिक्षा और बहुत प्रकार का अनुभव होने पर भी मनुष्य परमेश्वर से अलग रहकर कुछ नहीं कर सकता; इसलिए परमेश्वर का वचन हमें हिदायत देता है कि अपनी शिक्षा और अनुभवों के साथ हम स्वर्गीय बुद्धि को भी जोड़ लें, और इसे पाना बहुत सहज है। याकूब १:५-७ में लिखा है कि "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है और उस को दी जाएगी। पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे, क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा" और नीतिवचन ९:१० बताता है कि "यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।"
जहाँ ऐसा स्वर्गीय ज्ञान होगा वहाँ कभी घमण्ड नहीं होगा। - रिचर्ड डी हॉन
अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। - नीतिवचन ३:७
बाइबल पाठ: नीतिवचन ३:१३-२०
Pro 3:13 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
Pro 3:14 क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
Pro 3:15 वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
Pro 3:16 उसके दाहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
Pro 3:17 उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
Pro 3:18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उसको पकड़े रहते हैं, वे धन्य हैं।
Pro 3:19 यहोवा ने पृथ्वी की नेव बुद्धि ही से डाली और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।
Pro 3:20 उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है।
एक साल में बाइबल:
उस युवती के स्नातक के डिगरी प्राप्त करने और शिक्षा अर्जित करने को हम तुच्छ नहीं जान सकते, उसने कुछ गलत नहीं किया। किंतु केवल कुछ वर्ष की पढाई और कक्षा में बैठकर सीखने से तो कोई बुद्धिमान नहीं बन जाता। कठिन परिस्थितियों के अनुभव स्कूल कालेज की पढाई से कहीं अधिक मूल्यवान शिक्षाएं देते हैं। क्या शिक्षा का कोई महत्व है? बिलकुल है, शिक्षा आवश्यक है, परन्तु शिक्षित होने के साथ बुद्धिमान होना भी बहुत आवश्यक है। ज्ञान तथ्यों को जानना है, बुद्धिमानी तथ्यों का सही उपयोग करना जानना है। लेकिन इन सब से ऊपर है वह ज्ञन जो परमेश्वर से मिलता है, क्योंकि परमेश्वरीय ज्ञान ही इन सब बातों का सही उपयोग सिखा सकता है।
सबसे उत्तम शिक्षा और बहुत प्रकार का अनुभव होने पर भी मनुष्य परमेश्वर से अलग रहकर कुछ नहीं कर सकता; इसलिए परमेश्वर का वचन हमें हिदायत देता है कि अपनी शिक्षा और अनुभवों के साथ हम स्वर्गीय बुद्धि को भी जोड़ लें, और इसे पाना बहुत सहज है। याकूब १:५-७ में लिखा है कि "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है और उस को दी जाएगी। पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे, क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा" और नीतिवचन ९:१० बताता है कि "यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।"
जहाँ ऐसा स्वर्गीय ज्ञान होगा वहाँ कभी घमण्ड नहीं होगा। - रिचर्ड डी हॉन
शिक्षा का मर्म मन को शिक्षित करना है।
अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। - नीतिवचन ३:७
बाइबल पाठ: नीतिवचन ३:१३-२०
Pro 3:13 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
Pro 3:14 क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
Pro 3:15 वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
Pro 3:16 उसके दाहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
Pro 3:17 उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
Pro 3:18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उसको पकड़े रहते हैं, वे धन्य हैं।
Pro 3:19 यहोवा ने पृथ्वी की नेव बुद्धि ही से डाली और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।
Pro 3:20 उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है।
एक साल में बाइबल:
- १ इतिहास १९-२१
- यूहन्ना ८:१-२७