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बुधवार, 16 अप्रैल 2014

धन्यवादी


   मेरे लड़कपन का नायक था सीमान्त निवासी डेविड क्रौकेट। David Crockett: His Life and Adventures नामक पुस्तक में एक स्थान पर आया है कि डेविड यात्रा करते हुए एक बहुत सुन्दर दृश्य को देखता है जिसके फलस्वरूप वो परमेश्वर की आराधना करने को वशीभूत हो जाता है। लेखक ने इस घटना का वर्णन इस प्रकार से किया है: "पेड़ों के झुरमुट के पार एक वृक्षविहीन मैदान था, हरियाली और सुन्दर फूलों से भरा हुआ। उस अद्भुत दृश्य को देखकर कर्नल क्रौकेट ने, जो भक्ति भावना में कोई रुचि नहीं रखते थे, अपना घोड़े को रोका और स्तब्ध होकर उस दृश्य को देखने लगे, और स्वतः ही उनके मुँह से निकल पड़ा, ’हे परमेश्वर, आप ने मनुष्य के लिए कितनी सुन्दर पृथ्वी बनाई है! और तब भी मनुष्य उसके लिए आपके प्रति धन्यवादी नहीं होता’"। क्रौकेट ने पहचाना कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर की विलक्षण सृष्टि धन्यवादी प्रत्युत्तर की हकदार है, किंतु ऐस प्रत्युत्तर की अकसर या तो अवहेलना होती है या उपेक्षा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा: "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन 19:1)। परमेश्वर की हस्तकला एक ऐसा भव्य दृश्य है जो यदि सही रीति से समझ लिया जाए तो ना केवल हमें स्तब्ध कर देता है वरन हमें परमेश्वर की आराधना और प्रशंसा करने को वशीभूत भी कर देता है।

   डेविड क्रौकेट की प्रतिक्रिया सही थी - परमेश्वर की सृष्टि की सुन्दरता और अचरज को देखकर हम उसके प्रति कम से कम धन्यवादी होने का रवैया तो रख ही सकते हैं। क्या हम परमेश्वर के प्रति धन्यवादी हैं? - बिल क्राउडर


परमेश्वर की महिमा उसकी सृष्टि में होकर चमकती है।

पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दिखाएंगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; ओर समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी। कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है। - अय्युब 12:7-9

बाइबल पाठ: भजन 19:1-6
Psalms 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psalms 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psalms 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psalms 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psalms 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psalms 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है। 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 7-9