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सोमवार, 30 जून 2014

अज्ञानता


   कुछ लोग डॉक्टर के पास जाना इसलिए पसन्द नहीं करते क्योंकि वे यह जानना नहीं चाहते कि उनके अन्दर कोई रोग हो सकता है। कुछ लोग इसी कारण चर्च भी जाना पसन्द नहीं करते क्योंकि वे जानना नहीं चाहते कि उनकी आत्मिक स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन जैसे हमारे शरीर की दशा के प्रति हमारी अज्ञानता हमें स्वस्थ नहीं ठहरा देती, वैसे ही हमारा हमारे पाप के प्रति अज्ञान होना हमें बेगुनाह या बेकसूर नहीं ठहरा देता।

   एक धारणा है कि रोमी कानून इस विचार का स्त्रोत है कि नियमों के प्रति अज्ञान होने से हम उनके उल्लंघन के परिणामों से बच नहीं सकते। लेकिन वास्तव में यह विचार रोमी साम्रज्य और कानून से भी बहुत पुरातन है; यह परमेश्वर के वचन बाइबल का एक भाग है। जब हज़ारों वर्ष पहले परमेश्वर ने इस्त्राएल को अपने नियम और व्यवस्था दी थी, तब उसने उनमें यह स्थापित कर दिया था कि अनजाने में किए गए पापों के लिए भी वैसे ही प्रायश्चित की आवश्यकता है, जैसे कि जान-बूझ कर किए गए पापों के लिए (लैव्यवस्था 4; यहेजकेल 45:18-20)।

   रोम में रहने वाले मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने इस अज्ञानता और नासमझी को संबोधित किया है। जब लोग परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान हो गए तब उन्होंने अपनी धार्मिकता गढ़ ली (रोमियों 10:3)। जब हम अपनी ही गढ़ी हुई धार्मिकता के माप के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं तो हम अपने आप को लेकर अच्छा अनुभव कर सकते हैं। वस्तुस्थिति तो तब सामने आती है जब हम परमेश्वर की धार्मिकता के माप अर्थात प्रभु यीशु मसीह के समक्ष अपने आप को खड़ा करके देखते हैं - हमारी आत्मिक स्थिति का वास्तविक आँकलन तो तब ही होता है।

   कोई मनुष्य अपने किसी भी प्रयास द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता के माप पर खरा नहीं उतर सकता, लेकिन परमेश्वर का धन्यवाद हो कि किसी मनुष्य को ऐसा करने की कोई आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि परमेश्वर अपनी धार्मिकता सभी मनुष्यों के साथ सेंत-मेंत बाँटने को तैयार है (रोमियों 5:21); वह हमें हमारे पापों की दशा में ही स्वीकार करके, स्वयं ही हमें पाप की सब मलिनता से शुद्ध और पवित्र करना चाहता है (1 यूहन्ना 1:9)।

   हमें हमारी आत्मिक दशा के प्रति अज्ञानी बने रहने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह महान परमेश्वर जो हमारी वस्तुस्थिति को भली भाँति जानता है, स्वयं ही हमें धर्मी ठहराने को तैयार है, यदि हम प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाकर उससे अपने पापों की क्षमा मांग लें और अपना जीवन उसे समर्पित कर दें, क्योंकि जो पाप क्षमा नहीं होंगे, उसे उनका न्याय करना होगा (प्रेरितों 17:30-31)। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


परमेश्वर ही हमारी आत्मिक दशा को मापने वाला तथा उसे ठीक करने वाला है।

इसलिये परमेश्वर अज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है। - प्रेरितों 17:30-31

बाइबल पाठ: रोमियों 5:12-21
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता। 
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। 
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। 
Romans 5:16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे। 
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे। 
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे। 
Romans 5:20 और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 
Romans 5:21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 109-111


रविवार, 29 जून 2014

सहायता


   जब चिली में एक गहरी खदान में 33 खनिक धरती की सतह के बहुत नीचे हुए हादसे में फंस गए, तब मेरे विचार से उन्हें लगा होगा कि अब उनके लिए बस एक धीमी और दर्दनाक मृत्यु ही बची है। फिर, यह भी सोचिए कि जब उन तक ऊपर सतह से सन्देश पहुँचा कि उनकी स्थिति का पता लोगों को है और एक बचाव दल उनको बाहर निकालने के लिए दिन-रात कार्यरत है तो उन्हें कितनी खुशी हुई होगी।

   हम सबके जीवन में कभी ना कभी ऐसा समय आता है जब हमें लगता है कि हम एक बहुत बुरी परिस्थिति या स्थान में फंस गए हैं। ऐसे में हमें लगता है कि कोई हमारी हालत को नहीं जानता या समझता, हम चिंतित और अकेला अनुभव करते हैं और हमें बाहर निकल पाने का कोई साधन या वैकलपिक मार्ग सूझ नहीं पड़ता। लेकिन ऐसे अवसरों पर भी हमें परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना चाहिए और आरंभिक मसीही विश्वासियों को उसके द्वारा कहे गए आश्वासन के वचनों को स्मरण रखना चाहिए। वे मसीही विश्वासी ऐसे स्थान में पंसे हुए थे जहाँ शैतान की उपस्थिति और दबदबा चारों ओर महसूस होता था; और उन्हें परमेश्वर ने आश्वस्त किया, "मैं जानता हूँ कि तू वहाँ रहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:13)। उस प्रेमी स्वर्गीय पिता से उनकी स्थिति छिपी नहीं थी, वह उनके हालात से अनभिज्ञ नहीं था। जैसे वे अपने परमेश्वर के प्रति वफादार रहे थे, परमेश्वर भी उनकी देखभाल कर रहा था, उन्हें उस परिस्थिति से सुरक्षित निकालकर लाने में लगा था (पद 17)।

   हम मसीही विश्वसियों के लिए यह एक बड़ी सांत्वना और सामर्थ की बात है कि हमारा परमेश्वर पिता हर पल और हर क्षण यह भली-भाँति जानता है कि हम कहाँ हैं और किस परिस्थिति में हैं, और उन हालात के अनुसार हमें संभाले रहने और उनसे सुरक्षित निकाल लाने के उपाय भी करता रहता है। इसलिए परिस्थिति चाहे कैसी भी क्यों ना हो, परमेश्वर मे निश्चिंत रहें क्योंकि सहायता आने को है। - जो स्टोवैल


इस पृथ्वी पर हमारी सबसे बड़ी आशा यही है कि स्वर्ग से परमेश्वर की सहायता हमारे लिए सदैव उपलब्ध है।

तौभी परमेश्वर की पड़ी नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे। - 2 तिमुथियुस 2:19

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 2:12-17
Revelation 2:12 और पिरगमुन की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जिस के पास दोधारी और चोखी तलवार है, वह यह कहता है, कि। 
Revelation 2:13 मैं यह तो जानता हूं, कि तू वहां रहता है जहां शैतान का सिंहासन है, और मेरे नाम पर स्थिर रहता है; और मुझ पर विश्वास करने से उन दिनों में भी पीछे नहीं हटा जिन में मेरा विश्वासयोग्य साक्षी अन्‍तिपास, तुम में उस स्थान पर घात किया गया जहां शैतान रहता है। 
Revelation 2:14 पर मुझे तेरे विरुद्ध कुछ बातें कहनी हैं, क्योंकि तेरे यहां कितने तो ऐसे हैं, जो बिलाम की शिक्षा को मानते हैं, जिसने बालाक को इस्त्राएलियों के आगे ठोकर का कारण रखना सिखाया, कि वे मूरतों के बलिदान खाएं, और व्यभिचार करें। 
Revelation 2:15 वैसे ही तेरे यहां कितने तो ऐसे हैं, जो नीकुलइयों की शिक्षा को मानते हैं। 
Revelation 2:16 सो मन फिरा, नहीं तो मैं तेरे पास शीघ्र ही आकर, अपने मुख की तलवार से उन के साथ लडूंगा। 
Revelation 2:17 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है; जो जय पाए, उसको मैं गुप्‍त मन्ना में से दूंगा, और उसे एक श्वेत पत्थर भी दूंगा; और उस पत्थर पर एक नाम लिखा हुआ होगा, जिसे उसके पाने वाले के सिवाय और कोई न जानेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 106-108


शनिवार, 28 जून 2014

आराधना


   जेम्स फेनिमोर कूपर द्वारा लिखित उपन्यास The Last of the Mohicans में एक पात्र है डेविड गैमुट। गैमुट एक सच्चा मसीही भक्त है जिसका शौक है परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन संहिता नामक पुस्तक में दिए गए भजनों को संगीतबद्ध करना और उन्हें गाते रहना चाहे जीवन कैसी भी परिस्थितियों से होकर क्यों ना निकल रहा हो। गैमुट का मानना है कि परमेश्वर पर हर स्थिति में भरोसा किया जा सकता है, संकट के समयों में भी और अच्छे दिनों में भी। उसके जीवन का उद्देश्य है हर समय और हर बात में परमेश्वर की आराधना करते रहना, इस सृष्टि पर परमेश्वर की सार्वभौमिकता, अधिकार और नियंत्रण के लिए उसकी महिमा एवं प्रशंसा करते रहना।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हमें एक और डेविड, जिसे दाऊद भी कहते हैं, मिलता है। यह व्यक्ति दाऊद, उस उपन्यास के पात्र गैमुट के समान कोई काल्पनिक व्यक्ति नहीं वरन एक जीवता एवं वास्तविक मनुष्य था। दाऊद ने भी जीवन की अनेक अनिश्चितताओं को झेला था और उसे भी इन सभी परिस्थितियों के लिए परमेश्वर की आराधना-स्तुति करना अच्छा लगता था। दाऊद ने अपने गोफन के एक ही वार से पलिश्ती दैत्य गोलियत को मरते हुए देखा; राजा शाऊल को पहले अपना प्रशंसक फिर शक एवं द्वेश में आकर अपना दुश्मन होते भी देखा और शाऊल से जान बचाते रहने को उसे कई वर्ष तक एक से दूसरे स्थान भागते भी रहना पड़ा; दाऊद ने इस्त्राएल के लोगों उसकी ओर फिरकर उसे इस्त्राएल का राजा बनाते भी देखा। लेकिन इन सभी परिस्थितियों में दाऊद ने समय निकाल कर परमेश्वर की आराधना और स्तुति के लिए भजन लिखे भी और उन्हें गाया भी। दाऊद भली भांति जानता और समझता था कि हम हर परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं उसके नियंत्रण तथा देखभाल के लिए क्योंकि परमेश्वर ही सब बातों पर अधिपति है। इसीलिए अपने एक भजन में दाऊद ने लिखा, "यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है" (भजन 103:19)।

   आज आप किस अनुभव से होकर निकल रहे हैं - किसी परीक्षा के या आशीष के? आपकी परिस्थिति कोई भी हो राजा दाऊद और डेविड गैमुट के उदाहरणों को स्मरण रखें, और हर बात के लिए परमेश्वर के धन्यवादी हों, उसकी आराधना करें, उस पर भरोसा रखें क्योंकि वह अपने बच्चों के लिए जो करेगा, भला ही करेगा। - डेनिस फिशर


हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! - भजन 103:1

यह आज्ञा पहरूओं के निर्णय से, और यह बात पवित्र लोगों के वचन से निकली, कि जो जीवित हैं वे जान लें कि परमप्रधान परमेश्वर मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है, और उसको जिसे चाहे उसे दे देता है, और वह छोटे से छोटे मनुष्य को भी उस पर नियुक्त कर देता है। - दानिय्येल 4:17

बाइबल पाठ: भजन 103:15-22
Psalms 103:15 मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है, 
Psalms 103:16 जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है। 
Psalms 103:17 परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है, 
Psalms 103:18 अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण कर के उन पर चलते हैं।
Psalms 103:19 यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है। 
Psalms 103:20 हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो! 
Psalms 103:21 हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो! 
Psalms 103:22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 103-105


शुक्रवार, 27 जून 2014

परवाह


   मेरी सास की मृत्यु के कई महीने बाद तक भी उनके अन्तिम दिनों में बड़े प्रेम और ध्यान से उनकी देखभाल करने वाले हस्पताल के लोगों से हमें कार्ड और पत्र आते रहे। उन कार्ड और पत्रों के द्वारा वे हमें उस दुख के समय में सांत्वना और प्रोत्साहन दे रहे थे, उस विछोह का सामना करने के मार्ग सुझा रहे थे। एक पत्र में लिखा था, "आपकी माँ के जन्मदिन की तिथि जैसे निकट आ रही है, हम भी उन्हें स्मरण कर रहे हैं और हमारी प्रार्थनाएं तथा विचार आपके एवें आपके परिवार के साथ हैं।" सहायता करने वाले ये अद्भुत लोग जानते और समझते हैं कि बिछुड़ने का दुख एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें लगातार सहायता और सहारे की आवश्यकता होती है, इसलिए वो जो भी करते हैं उसमें गहरी सहानुभूति सम्मिलित होती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने मसीही विश्वासियों को लिखा, "तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो" (गलतियों 6:2)। पाप स्वभाव के कारण शरीर के कार्य तो विनाशकारी, स्वार्थी और हानिकारक होते हैं (गलतियों 5:19-21) लेकिन प्रभु यीशु में उद्धार पाए हुए लोगों द्वारा परमेश्वर के आत्मा के अनुसार किए गए कार्य हैं: "पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं" (गलतियों 5:22-23)। मसीह यीशु में हमें मिलने वाली महान स्वतंत्रता एक दूसरे की परवाह और प्रेम के साथ एक दूसरे की सेवा करने की प्रेर्णा देती है।

   किसी दुख में पड़े हुए जन के लिए प्रेम और प्रोत्साहन का व्यवहार तपती झुलसाती गरमी में राहत देने वाली तथा तरोताज़ा कर देने वाली वर्षा के समान होता है। जब हम अर्थपूर्ण रीति से दूसरों की परवाह करते हैं, उनसे प्रेम का व्यवहार करते हैं तो यह उनमें नए जीवन की ताज़गी को प्रवाहित करता है, मुर्झाए हुओं को फिर से हरा-भरा करता है और हम मसीही विश्वासियों के लिए समस्त संसार के उद्धारकर्ता मसीह यीशु द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरा करता है, मसीही चरित्र को संसार के सामने प्रकट करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


करुणा मसीह-समान प्रेम को कार्यकारी रूप में दिखाने का गुण है।

और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे। - 1 यूहन्ना 4:21

बाइबल पाठ: गलतियों 5:14-2
Galatians 5:14 क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 
Galatians 5:15 पर यदि तुम एक दूसरे को दांत से काटते और फाड़ खाते हो, तो चौकस रहो, कि एक दूसरे का सत्यानाश न कर दो।
Galatians 5:16 पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। 
Galatians 5:17 क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। 
Galatians 5:18 और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे। 
Galatians 5:19 शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्‍दे काम, लुचपन। 
Galatians 5:20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म। 
Galatians 5:21 डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे। 
Galatians 5:22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, 
Galatians 5:23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। 
Galatians 5:24 और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
Galatians 5:25 यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी। 
Galatians 5:26 हम घमण्‍डी हो कर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें। 
Galatians 6:1 हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। 
Galatians 6:2 तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 100-102


गुरुवार, 26 जून 2014

प्रार्थना


   एक इतवार प्रातः की बात है, सुप्रसिद्ध मसीही प्रचारक डी. एल. मूडी कुछ बच्चों को सन्डे स्कूल ले जाने के लिए एक घर में गए। घर के अन्दर तीन व्यक्तियों ने उन्हें घेर कर एक कोने में जा खड़ा किया और उन्हें बुरी तरह से धमकाने लगे। मूडी ने उन तीनों से आग्रह किया, "क्या आप मुझे प्रार्थना करने का समय भी नहीं देंगे?" यह सुनकर उन्होंने मूडी को प्रार्थना करने का अवसर दे दिया, और मूडी उन तीनों के हित के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे। उनके हित के लिए मूडी की प्रार्थना इतनी खराई और ईमानदारी से थी कि वे तीनों उसे सुनकर मूडी को छोड़कर वहाँ से चले गए।

   यदि मैं वहाँ मूडी के स्थान पर होता तो ना जाने क्या करती; शायद अपनी सहायता के लिए चिल्लाती, या बचकर भागने के लिए कोई पिछला दरवाज़ा अथवा खिड़की ढूँढ़ने लगती। मुझे नहीं लगता कि मैं हमारे प्रभु यीशु द्वारा अपने अनुयायियों को दिए गए निर्देश, "जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो" (लूका 6:28) का पालन करती।

   ऐसे लोगों के हित के लिए प्रार्थना करना जो हम मसीही विश्वासियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं, एक तरीका है उन लोगों के साथ भलाई करने का, जैसा प्रभु यीशु ने लूका 6:27 में कहा है। प्रभु यीशु ने अपने चेलों को समझाया कि उन लोगों के साथ भलाई करने से जो हमारे साथ भलाई करते हैं मसीही विश्वासियों को कोई श्रेय नहीं मिलता, क्योंकि पापी भी तो ऐसा ही करते हैं (लूका 6:33)। लेकिन इसके विपरीत उनके लिए प्रार्थना करने, उनकी भलाई की कामना करना (रोमियों 12:14) हमें संसार से भिन्न बनाता है और परमेश्वर के व्यवहार के अनुकूल करता है क्योंकि परमेश्वर भी तो पापियों पर दया करता है, उनके लिए भलाई करता है (लूका 6:35)।

   आज यदि आप किसी विरोधी के द्वारा घेर कर एक कोने में फंसाया हुआ अनुभव करें, तो आवश्यकतानुसार अपनी सुरक्षा के मार्ग के बारे तो सोचें लेकिन साथ ही प्रभु यीशु की शिक्षानुसार उसके लिए प्रार्थना अवश्य करें (लूका 23:34) क्योंकि प्रार्थना ही आपका सर्वोत्तम बचाव है। - जैनिफर बेन्सन शुल्ट्ज़


भलाई के बदले भलाई करना मानवीय है, बुराई के बदले भलाई करना ईश्वरीय है।

अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। - रोमियों 12:14

बाइबल पाठ: लूका 6:27-36
Luke 6:27 परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। 
Luke 6:28 जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो। 
Luke 6:29 जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुरता लेने से भी न रोक। 
Luke 6:30 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग। 
Luke 6:31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो। 
Luke 6:32 यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं। 
Luke 6:33 और यदि तुम अपने भलाई करने वालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। 
Luke 6:34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं। 
Luke 6:35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। 
Luke 6:36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्‍त है, वैसे ही तुम भी दयावन्‍त बनो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 97-99


बुधवार, 25 जून 2014

उपयोग


   जेम्स को दिल की बीमारी थी और उसकी पत्नि बेक्की उसकी देखभाल किया करती थी। लेकिन जब यह देखभाल करना बेक्की के लिए कठिन होने लगा तब उन्होंने निर्णय लिया कि वे किसी ऐसे सेवा स्थान पर भर्ती हो जाएंगे जहाँ देखभाल में उन्हें सहायता मिल सके। बेक्की ने इसके लिए अनेक सेवा स्थान देखे। हर स्थान पर जाकर उसका पहला प्रश्न होता था, "क्या वे लोग भोजन को पका कर तरल या भर्ते के समान बनाते हैं?" बेक्की को सेवा स्थान में जेम्स के लिए सही भोजन मिल पाने की चिन्ता थी क्योंकि जेम्स ठोस भोजन निगल नहीं पाता था। आम तौर से बेक्की को अपने प्रश्न के उत्तर में "नहीं" ही सुनने को मिलता था, लेकिन फिर भी वह जेम्स की देखभाल के लिए सही स्थान खोजने के अपने प्रयास में लगी रही। अन्ततः एक मसीही सेवा स्थान पर उसे उत्तर में "हाँ" सुनने को मिला।

   यद्यपि जेम्स और बेक्की मसीह यीशु में विश्वास नहीं रखते थे और इस विषय को लेकर अपने एक पड़ौसी से उनकी कई बार बहस भी हो चुकी थी, फिर भी जेम्स की देखभाल के लिए उन्होंने उस मसीही सेवा स्थान में आकर रहना स्वीकार किया क्योंकि वहाँ उन्हें जेम्स की आवश्यकता के अनुसार भोजन मिल रहा था। वहाँ रहते हुए उन्होंने वहाँ होने वाली आराधना में जाना और परमेश्वर के वचन को सुनना आरंभ किया; उन्होंने वहाँ के लोगों द्वारा हो रही उनकी अच्छी देखभाल को भी देखा, और एक दिन जेम्स ने अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित कर दिया। जेम्स का मानना है कि प्रभु अपने वचन के अनुसार उसका पीछा कर रहा था (यूहन्ना 6:44), और परमेश्वर ने भोजन का उपयोग उसे उस मसीही सेवा स्थान पर लाने के लिए किया, जहाँ उसे प्रभु के लोगों की सेवा पाने और परमेश्वर का वचन सुनने का अवसर मिला और वह मसीह यीशु में सारे संसार के सभी लोगों के लिए उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार सुनने पाया, समझने पाया और उसपर विश्वास करने पाया।

   मन परिवर्तन परमेश्वर का कार्य है; अपने प्रेम में होकर परमेश्वर लोगों को अपने निकट खींचता है। इसके लिए वह परिस्थितियों का, अपने वचन बाइबल का, और यहाँ तक कि तरल या भर्तेनुमा किए गए भोजन का भी उपयोग करता है। मसीही विश्वासी होने के नाते परमेश्वर के लिए अपनी गवाही को लेकर उत्साहित रहें; वह आपको, आपके व्यवहार को और आपके वचनों को उन लोगों तक मसीह यीशु में उद्धार के सुसमाचार को पहुँचाने का उपयोग करेगा जिन्हें मसीह यीशु के सुसमाचार की आवश्यकता है। - ऐनी सेटास


प्रेम वह चुंबक है जो मसीही विश्वासियों को एक दूसरे के निकट और अविश्वासियों को मसीह यीशु के निकट ले लाता है।

और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपने पास खीचूंगा। - यूहन्ना 12:32

बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:44-51
John 6:42 और उन्होंने कहा; क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं, जिस के माता पिता को हम जानते हैं? तो वह क्योंकर कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूं। 
John 6:43 यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि आपस में मत कुड़कुड़ाओ। 
John 6:44 कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उसको अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। 
John 6:45 भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है, कि वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे। जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। 
John 6:46 यह नहीं, कि किसी ने पिता को देखा परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है। 
John 6:47 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है। 
John 6:48 जीवन की रोटी मैं हूं। 
John 6:49 तुम्हारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। 
John 6:50 यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। 
John 6:51 जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 94-96


मंगलवार, 24 जून 2014

दूरी और समय


   बहुत वर्षों से मैं नेपाल में काम कर रहे एक पास्टर के साथ पत्राचार द्वारा संपर्क में हूँ। वह पास्टर अपने चर्च के सदस्यों के साथ अकसर हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास द्वारा मिलने वाली पापों से क्षमा एवं उद्धार का सुसमाचार प्रचार करने के लिए यात्रा करता रहता है। हाल ही में मुझे उससे एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उसने आने वाले सप्ताह में अपनी यात्रा का कार्यक्रम लिखा था और उसके लिए प्रार्थना करने को कहा था।

   उसके उस व्यस्त कार्यक्रम के अनुसार उसने उस सप्ताह में अपनी मोटरसाईकिल द्वारा 160 किलोमीटर की यात्रा का लक्ष्य रखा था जिसमें उसे अनेक स्थानों पर सुसमाचार प्रचार तथा पुस्तिकाओं का वितरण करना था। मुझे अपने मित्र द्वारा उस कठिन पहाड़ी क्षेत्र में इतनी लंबी यात्रा करने पर अचरज हुआ और मैंने उसे पत्र लिख कर उसका कुशल-मंगल तथा यात्रा का समाचार पूछा। उसका उत्तर आया, "पहाड़ों में अपने चर्च के सदस्यों के साथ पैदल यात्रा करना और उद्धार के सुसमाचार का प्रचार करना हमारे लिए एक बड़ा अद्भुत समय रहा है। क्योंकि सभी चर्च सदस्यों के पास मोटरसाईकलें नहीं थीं इसलिए हम सब ने पैदल ही यह यात्रा करने का निर्णय लिया। यह हम सबके लिए बहुत आशीषमय रहा है और अभी अनेक ऐसे स्थान हैं जहाँ जाना बाकी है।" 

   उसके इस उत्तर से मुझे दो बातें स्मरण हो आईं - पहली तो, "और यीशु सब नगरों और गांवों में फिरता रहा और उन की सभाओं में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा" (मत्ती 9:35); और दूसरी अपनी दशा। मुझे कितनी हिचकिचाहट होती है यदि बर्फ के समय में मुझे अकेले रह रहे किसी विधुर से मिलने जाना होता है; या सड़क के पार रह रहे किसी पड़ौसी की सहायता के लिए बाहर निकलना पड़ता है; या जब मैं किसी कार्य में व्यस्त हूँ तब कोई मित्र आकर मेरा द्वार खटखटाए तो जाकर उसके लिए द्वार खोलना पड़ता है - अर्थात उस मसीही प्रेम के अन्तर्गत जब मुझे किसी समय भी कोई दूरी तय करनी होती है।

   मेरे मित्र उस नेपाली पास्टर के लिए प्रभु यीशु का उदाहरण सर्वोपरी है। वह अपने प्रभु के समान ही परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार के प्रचार के लिए किसी भी समय कोई भी दूरी तय करने के लिए तैयार रहता है, और प्रभु हम मसीही विश्वासियों से यही चाहता है (मत्ती 28:18-20)। - डेविड रोपर


परमेश्वर ने हमें जो दिया है, वह चाहता है कि हम उसे दूसरों के साथ बाँटें भी।

परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे। - प्रेरितों 1:8

बाइबल पाठ: मत्ती 9:35-38, 28:18-20
Matthew 9:35 और यीशु सब नगरों और गांवों में फिरता रहा और उन की सभाओं में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा। 
Matthew 9:36 जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों की नाईं जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे। 
Matthew 9:37 तब उसने अपने चेलों से कहा, पक्के खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं। 
Matthew 9:38 इसलिये खेत के स्‍वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे।

Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 91-93


सोमवार, 23 जून 2014

धोखा


   चीन के एक सेनापति सन त्ज़ू द्वारा छठवीं शताब्दी में लिखित पुस्तक The Art of War (युद्ध की कला) सदियों से सैनिक विचारधारा के लिए मार्गदर्शक रही है। इस पुस्तक को केवल सेना के नायकों ने ही नहीं वरन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे नेतृत्व, प्रबन्धन, व्यवसाय, राजनीति, खेलकूद आदि में कार्यरत स्त्री-पुरषों ने नीतिसंगत कौशल से कार्य करने के लिए उपयोगी पाया है। उस चीनी सेनापति सन त्ज़ू ने जो सैनिक युद्ध के बारे में लिखा वह हम मसीही विश्वासियों के लिए भी हमारे आत्मिक दुश्मन शैतान की युक्तियों को समझ पाने में उपयोगी है। सन त्ज़ू ने लिखा: "समस्त युद्ध कौशल धोखे पर आधारित है। इसलिए जब हम आक्रमण करने में सामर्थी हों तो प्रतीत होना चाहिए कि सामर्थी नहीं हैं; जब अपने बल का प्रयोग करने पर हों तो लगना चाहिए कि शिथिल पड़े हैं; जब निकट आ रहे हों तब शत्रु को लगना चाहिए कि कहीं दूर जा रहे हैं; जब दूर हों तो उसे प्रतीत होना चाहिए कि निकट ही हैं।"

   ठीक इसी प्रकार जिस आत्मिक युद्ध में शैतान हमारे विरुद्ध लगातार डटा रहता है, वह भी धोखे पर ही आधारित है। अदन की वाटिका में हमारे आदि माता-पिता आदम और हव्वा से जो पहला पाप शैतान ने करवाया वह भी धोखे पर ही आधारित था। उस पहले पाप को उदाहरण बना कर प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को लिखा, "परन्तु मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्‍वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्‍ट न किए जाएं" (2 कुरिन्थियों 11:3)।

   इसी कारण हमारे प्रभु यीशु ने हमें सचेत किया है कि शैतान ही झूठ का पिता है (यूहन्ना 8:44) और सदा इस प्रयास में रहता है कि हमें धोखे से पाप में फंसा ले, गिरा दे। इस प्रकार शैतान से धोखा खाने और उसकी चालबाज़ियों से बचने का क्या कोई उपाय है? उपाय है, परमेश्वर के वचन बाइबल से अपने मन मस्तिष्क को भर लेना, जैसा भजनकार ने कहा है, "मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं" (भजन 119:11)। जब हम परमेश्वर के वचन को जानेंगे, तो सत्य को जानेंगे, शैतान की युक्तियों एवं कुटिलताओं को समझने पाएंगे और शैतान के धोखे में पड़ने से बच जाएंगे (2 कुरिन्थियों 2:11)। केवल परमेश्वर के वचन बाइबल की सच्चाईयाँ ही हमें हमारे आत्मिक शत्रु शैतान की चालों से बचाए रख सकती हैं। - बिल क्राउडर 


शैतान के झूठ से बचे रहने का सर्वोत्त्म सुरक्षा उपाय है परमेश्वर का वचन बाइबल।

कि शैतान का हम पर दांव न चले, क्योंकि हम उस की युक्तियों से अनजान नहीं। - 2 कुरिन्थियों 2:11

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:31-32, 42-47
John 8:31 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्हों ने उन की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। 
John 8:32 और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा। 

John 8:42 यीशु ने उन से कहा; यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा। 
John 8:43 तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिये कि मेरा वचन सुन नहीं सकते। 
John 8:44 तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है। 
John 8:45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूं, इसीलिये तुम मेरी प्रतीति नहीं करते। 
John 8:46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्यों नहीं करते? 
John 8:47 जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो। 

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 88-90


रविवार, 22 जून 2014

खामोशी


  अमेरिका के न्यू इंगलैंड प्रांत में जहाँ मैं रहता हूँ बेसबॉल का खेल इतना लोकप्रीय है कि किसी "धर्म" के अनुचरों के समान ही उसके अनुचर भी हैं। यहाँ के लोग अपनी स्थानीय टीम ’बॉस्टन रेड सॉक्स’ को इतना चाहते हैं कि यदि कानून प्रतिबंधित भी कर दिया जाता कि कोई अपने कार्य के समय में उनके बारे में चर्चा नहीं करेगा, तो भी ’बॉस्टन रेड सॉक्स’ के अनुचर अपनी टीम के बारे में चर्चा करने से बाज़ नहीं आते।

   इससे मेरे मन में हम मसीही विश्वासियों के लिए एक प्रश्न उत्पन्न हुआ: क्या कभी ऐसे भी समय होते हैं जब एक मसीही विश्वासी को परमेश्वर के बारे में नहीं बोलना चाहिए, खामोश रहना चाहिए? मेरे विचार से ऐसे समय अवश्य होते हैं। कई बार जब हमारे विश्वास को चुनौती देने वाले चर्चा के लिए गंभीर नहीं होते, वरन केवल विवाद का अवसर ढूँढ़ रहे होते हैं तब हमारी खामोशी ही उनके प्रश्नों का सर्वोत्तम उत्तर होती है। जब प्रभु यीशु को मृत्यु दण्ड के लिए पकड़वाया गया तो उसे एक बहुत प्रतिकूल वातावरण और व्यवहार का सामना करना पड़ा। इस प्रतिकूल व्यवहार में जब काइफा महायाजक (प्रधान पुरोहित) ने प्रभु से प्रश्न किए तो प्रभु ने खामोशी को ही अपना उत्तर बनाया (मत्ती 26:63) क्योंकि प्रभु जानता था कि कैफा की रुचि सत्य जानने की कदापि नहीं है (पद 59)।

   चाहे हम महीसी विश्वासी मनुष्य होने के कारण प्रभु यीशु के समान प्रत्येक के मन के विचार जान पाने की सामर्थ ना भी रखते हों, तो भी हमें हर बात में और हर समय हमारे अन्दर बसने वाले परमेश्वर के पवित्र आत्मा की अगुवाई के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए जिससे "तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए" (कुलुस्सियों 4:6)। साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि प्रश्न और चर्चा मसीह यीशु से भटक कर व्यर्थ की बातों की ओर जा रही है तो हमारा उस समय खामोश होकर शेष चर्चा को फिर किसी अन्य उचित समय और संदर्भ के लिए छोड़ देना अधिक अच्छा होगा।

   क्या अन्य कोई और भी अवसर हो सकते हैं जब हमारा खामोश रहना उचित हो सकता है? यदि हमारे विश्वास के बारे में चर्चा हमारा तथा हमारे सहकर्मियों का ध्यान हमारे कार्य से हटा सकता है तो कार्य के समय पर अपने कार्य पर ध्यान देना और चर्चा को किसी खाली समय पर करना अधिक उचित होगा। या फिर, यदि कोई व्यक्ति कई बार की चर्चा के बावजूद मन को कठोर किए हुए है तो बजाए उस पर दबाव डालते रहने के खामोश होकर कुछ समय के लिए उसे चर्चा की गई बातों पर विचार करने के लिए छोड़ देना चाहिए।

   स्मरण रखें कि हम परमेश्वर के अनुग्रह के गवाह केवल चर्चा से ही नहीं वरन अपने व्यवहार से भी हो सकते हैं (1 पतरस 3:1-2)। - रैण्डी किलगोर


सुसमाचार प्रचार का एक माध्यम खामोशी भी हो सकती है।

अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्‍हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें। - 1 पतरस 2:12

बाइबल पाठ: मत्ती 26:57-64; याकूब 1:19-26
Matthew 26:57 और यीशु के पकड़ने वाले उसको काइफा नाम महायाजक के पास ले गए, जहां शास्त्री और पुरिनए इकट्ठे हुए थे। 
Matthew 26:58 और पतरस दूर से उसके पीछे पीछे महायाजक के आंगन तक गया, और भीतर जा कर अन्‍त देखने को प्यादों के साथ बैठ गया। 
Matthew 26:59 महायाजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में झूठी गवाही की खोज में थे। 
Matthew 26:60 परन्तु बहुत से झूठे गवाहों के आने पर भी न पाई। 
Matthew 26:61 अन्‍त में दो जनों ने आकर कहा, कि उसने कहा है; कि मैं परमेश्वर के मन्दिर को ढा सकता हूं और उसे तीन दिन में बना सकता हूं। 
Matthew 26:62 तब महायाजक ने खड़े हो कर उस से कहा, क्या तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं? परन्तु यीशु चुप रहा: महायाजक ने उस से कहा। 
Matthew 26:63 मैं तुझे जीवते परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है, तो हम से कह दे। 
Matthew 26:64 यीशु ने उस से कहा; तू ने आप ही कह दिया: वरन मैं तुम से यह भी कहता हूं, कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों पर आते देखोगे।

James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। 
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है। 
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। 
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। 
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था। 
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। 
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। 

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 85-87


शनिवार, 21 जून 2014

लुभावना एवं घातक


   ऑस्ट्रेलिया में करे गए एक अध्ययन में पाया गया कि यदि सिग्रेट के डिब्बे दिखने में साधारण से हों, लुभावने ना हों तो वे युवाओं को धुम्रपान के लिए कम आकर्षित करेंगे। इस निशकर्ष के कारण ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने यह कानून पारित किया कि सिग्रेट के डिब्बों पर आकर्षक रंग, चिन्ह और धुम्रपान बढ़ावा देने वाले वाक्य नहीं वरन धुम्रपान से सेहत को होने वाले नुकसान संबंधी चेतावनी की बातें और धुम्रपान से खराब हुए फेफड़ों के चित्र दिखाने होंगे। अर्थात अब वहाँ धुम्रपान को लुभावना और सामाजिक रीति से उत्कृष्ठ व्यक्तित्व का चिन्ह नहीं किंतु घातक और निम्न कोटी का दिखाया जाएगा। लेकिन केवल सिग्रेट का डिब्बे ही एक ऐसा उत्पाद नहीं है जो बाहर से दिखने में लुभावने परन्तु अन्दर से प्रभाव में घातक होते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक में बारंबार यह चेतावनी आई है कि हम अपने द्वारा किए गए सभी चुनावों के दूरगामी परिणामों के बारे में ध्यानपूर्वक विचार कर लें। इस पुस्तक के कई पदों में प्रयुक्त वाक्याँश "अन्त में" इस बात को ध्यान दिलाता है कि हम जिस बात या वस्तु की चाह कर रहे हैं आगे चलकर अन्ततः उसके परिणाम क्या होंगे - आनन्द अथवा दुख, आदर अथवा निरादर, जीवन अथवा मृत्यु। क्योंकि परमेश्वर हमें हर नुकसान से बचा कर रखना चाहता है इसलिए "...बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं। वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है" (नीतिवचन 2:6-7)।

   संसार की लुभावनी बातों को लेकर किए गए मूर्खतापूर्ण चुनावों के घातक परिणामों से बचने के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल की बुद्धिमानी की बातों को अपना मार्गदर्शक बना लें, "तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा" (नीतिवचन 2:9)। - डेविड मैक्कैसलैंड


उचित तथा महत्वपूर्ण को पहचान पाना ही बुद्धिमानी है।

यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा। वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा। - भजन 25:8-9

बाइबल पाठ: नीतिवचन 2:6-20
Psalms 25:6 हे यहोवा अपनी दया और करूणा के कामों को स्मरण कर; क्योंकि वे तो अनन्तकाल से होते आए हैं। 
Psalms 25:7 हे यहोवा अपनी भलाई के कारण मेरी जवानी के पापों और मेरे अपराधों को स्मरण न कर; अपनी करूणा ही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर।। 
Psalms 25:8 यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा। 
Psalms 25:9 वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा। 
Psalms 25:10 जो यहोवा की वाचा और चितौनियों को मानते हैं, उनके लिये उसके सब मार्ग करूणा और सच्चाई हैं।। 
Psalms 25:11 हे यहोवा अपने नाम के निमित्त मेरे अधर्म को जो बहुत हैं क्षमा कर।। 
Psalms 25:12 वह कौन है जो यहोवा का भय मानता है? यहोवा उसको उसी मार्ग पर जिस से वह प्रसन्न होता है चलाएगा। 
Psalms 25:13 वह कुशल से टिका रहेगा, और उसका वंश पृथ्वी पर अधिकारी होगा। 
Psalms 25:14 यहोवा के भेद को वही जानते हैं जो उस से डरते हैं, और वह अपनी वाचा उन पर प्रगट करेगा। 
Psalms 25:15 मेरी आंखे सदैव यहोवा पर टकटकी लगाए रहती हैं, क्योंकि वही मेरे पांवों को जाल में से छुड़ाएगा।। 
Psalms 25:16 हे यहोवा मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; क्योंकि मैं अकेला और दीन हूं। 
Psalms 25:17 मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दु:खों से छुड़ा ले। 
Psalms 25:18 तू मेरे दु:ख और कष्ट पर दृष्टि कर, और मेरे सब पापों को क्षमा कर।। 
Psalms 25:19 मेरे शत्रुओं को देख कि वे कैसे बढ़ गए हैं, और मुझ से बड़ा बैर रखते हैं। 
Psalms 25:20 मेरे प्राण की रक्षा कर, और मुझे छुड़ा; मुझे लज्जित न होने दे, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 82-84


शुक्रवार, 20 जून 2014

अच्छे पड़ौसी


   जून 2011 में जब विनाशकारी बाढ़ के कारण उत्तरी डकोटा प्रांत के मिनोट कस्बे के लोगों को अपने घर छोड़ने तथा खाली करने पड़े तो उस इलाके के लोगों ने वह किया जो उनके लिए स्वाभाविक था - ज़रूरतमन्दों की सहायता। उस कस्बे से एक घंटे की यात्रा की दूरी पर रहने वाले भी, बिना किसी के कहे, सहायता करने के लिए वहाँ पहुँच गए। किसी ने लोगों को रहने के लिए स्थान प्रदान किए तो किसी ने उनके सामान को सुरक्षित रखने के लिए स्थान दिया। उत्तरी डकोटा के लोग अपने व्यवहार द्वारा दिखा रहे थे कि अच्छे पड़ौसी होने का क्या अर्थ होता है।

   मसीह यीशु के अनुयायियों के लिए भी अच्छा पड़ौसी होना, अर्थात दूसरों के प्रति प्रेम और आदर का व्यवहार रखना एक स्वाभाविक बात होनी चाहिए (मत्ती 22:39; यूहन्ना 13:35; 1यूहन्ना 4:7-11)। चाहे हमारे पास उन उत्तरी डकोटा के निवासियों के समान किसी प्राकृतिक आपदा के समय नाटकीय ढंग से प्रतिक्रीया करने के अवसर ना भी हों, तो भी अपने आस-पास के लोगों से प्रेम और आदर का व्यवहार करने के अवसर तो सदा विद्यमान रहते हैं। अच्छे पड़ौसी होने के लिए हम दूसरों के साथ कृपालू हो सकते हैं (लूका 10:29-37), उनके साथ पक्षपात ना करें (लैव्यवस्था 19:13-18; याकूब 2:1-8), उनसे सत्य बोलें (इफिसियों 4:25), उनके प्रति क्षमाशील रहें (इफिसियों 4:32; कुलुस्सियों 3:13)।

   मसीही विश्वासी सबसे अच्छे पड़ौसी बन कर रह सकते हैं क्योंकि दूसरों के प्रति प्रेम, आदर और क्षमा का व्यवहार हमारे प्रभु के संसार के प्रति व्यवहार से हमें मिला है; प्रभु यीशु ने सारे संसार से प्रेम किया और सभी के उद्धार के लिए अपने प्राण दिए, और आज भी उस पर विश्वास लाने वाले सभी लोगों को क्षमा करके अपने साथ स्वर्ग में रखने की चाह रखता है। - मार्विन विलियम्स


अपने पड़ौसी के प्रति हमारा प्रेम ही मसीह यीशु के प्रति हमारे प्रेम का माप है।

हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। - 1 यूहन्ना 4:11

बाइबल पाठ: लूका 10:29-37
Luke 10:29 परन्तु उसने अपनी तईं धर्मी ठहराने की इच्छा से यीशु से पूछा, तो मेरा पड़ोसी कौन है? 
Luke 10:30 यीशु ने उत्तर दिया; कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिये, और मार पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए। 
Luke 10:31 और ऐसा हुआ; कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था: परन्तु उसे देख के कतरा कर चला गया। 
Luke 10:32 इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतरा कर चला गया। 
Luke 10:33 परन्तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। 
Luke 10:34 और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्‍धी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की। 
Luke 10:35 दूसरे दिन उसने दो दिनार निकाल कर भटियारे को दिए, और कहा; इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा। 
Luke 10:36 अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा? 
Luke 10:37 उसने कहा, वही जिसने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 79-81


गुरुवार, 19 जून 2014

लापरवाही के निर्णय


   एक राष्ट्रीय समाचार पत्रिका ने इंटरनैट पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करी जिसके अनुसार हमारा समुदाय राष्ट्र के उन सर्वोच्च 10 समुदायों में से एक था जो समाप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं; इसे पढ़कर स्थानीय नागरिक बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने उस पत्रिका के इस गलत निषकर्ष के बारे में अपने विरोध को दर्ज कराने के लिए तथ्य प्रस्तुत किए। समुदाय का एक नागरिक तो इस कठोर निर्णय का विरोध करने के लिए इस सीमा तक गया कि उसने अनेक नागरिकों को अपने साथ लिया और उनके साथ हमारे समुदाय के विभिन्न भागों में जाकर वहाँ के सजीव जीवन और चल रहे कार्य का वीडियो बनाया। उसके इस वीडियो ने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान सत्य की ओर आकर्षित किया और उस पत्रिका को यह स्वीकार करना पड़ा कि उसके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट गलत थी। लेकिन जिस संस्था ने "शोध" करके यह रिपोर्ट तैयार करी थी वह अपने निषकर्ष पर अड़ी रही, यह जानते हुए भी कि उनकी "शोध" बहुत ही सीमित मानदण्डों पर आधारित थी।

   उस संस्था के इस लापरवाही से भरे निषकर्ष और फिर उसे लेकर, तथ्यों की अनदेखी करते हुए अपने बचाव के प्रयासों से मैं अचंभित हुई। लेकिन फिर मैंने विचार किया कि यह हम लोगों के लिए कितनी सामान्य सी बात है कि अनेक बातों में हम दूसरों के बारे में थोड़ी सी जानकारी के आधार पर ही गलत निषकर्ष निकाल लेते हैं और अपने अहम में आकर उन गलत निर्णयों को थामे रहते हैं, उनका विशलेष्ण कर के तथा तथ्यों को स्वीकार करके अपने निर्णयों को बदलना नहीं चाहते।

   इस प्रवृति का एक उत्तम उदाहरण है परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब के साथ घटी घटना, जहाँ उसकी त्रासदी में उसे सांत्वना देने आए उसके मित्रों ने यह गलत निर्णय लिया कि अय्युब का पापी होना ही उसके दुखों का कारण है और वे इस आधार पर उस पर दोष मढ़ते रहे, तथा अय्युब उन्हें समझाने और अपने आप को निर्दोष साबित करने के प्रयास करता रहा। अन्ततः स्वयं परमेश्वर ने अय्युब का बचाव किया और एक चौंका देने वाला निषकर्ष उन मित्रों के सामने रखा। परमेश्वर ने अय्युब के मित्रों द्वारा अय्युब को दोषी ठहराने के प्रयासों की निन्दा नहीं की, वरन इस बात की निन्दा करी कि उन्होंने परमेश्वर के बारे में असत्यों को आधार बनाकर अय्युब को दोषी ठहराने का प्रयास किया (अय्युब 42:7)। 

   परमेश्वर द्वारा कही गई यह बात हमें सिखाती है कि जब हम दूसरों के बारे में तथ्यों को ठीक से जाने या जाँचे बिना और लापरवाही से निर्णय लेते हैं तो हम परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते हैं - यह एक नम्र करने वाला तथ्य है, जिसे हमें सदा स्मरण रखना चाहिए तथा जिसकी हमें कभी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो स्मरण रखिए कि संसार आपके परमेश्वर का आप के व्यवहार के द्वारा आँकलन करता है।

परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है। - रोमियों 8:33-34

बाइबल पाठ: अय्युब 42:1-8
Job 42:1 तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया; 
Job 42:2 मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। 
Job 42:3 तू कौन है जो ज्ञान रहित हो कर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिन को मैं जानता भी नहीं था। 
Job 42:4 मैं निवेदन करता हूं सुन, मैं कुछ कहूंगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, तू मुझे बता दे। 
Job 42:5 मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; 
Job 42:6 इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। 
Job 42:7 और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही। 
Job 42:8 इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छांट कर मेरे दास अय्यूब के पास जा कर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा, क्योंकि उसी की मैं ग्रहण करूंगा; और नहीं तो मैं तुम से तुम्हारी मूढ़ता के योग्य बर्ताव करूंगा, क्योंकि तुम लोगों ने मेरे विषय मेरे दास अय्यूब की सी ठीक बात नहीं कही।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 76-78


बुधवार, 18 जून 2014

स्मरण एवं मनन


   मेरे जन्म के पहले ही मेरे परदादा एब्राम हैस अपनी आँखों की रौशनी गंवा चुके थे। वे अपने क्षेत्र में दो बातों के लिए विख्यात थे - अपनी खराद मशीन पर लकड़ी की सुन्दर वस्तुओं को बनाने और परमेश्वर के वचन बाइबल के अनेक पदों को स्मरण रखने तथा दोहराने। वे और उनके एक मित्र - एली अकसर आपस में एक दूसरे के साथ बाइबल के पदों को बाँटते रहते थे। उन दोनों में पदों को ऐसे बोलने की एक स्पर्धा सी रहती थी; जबकि एली बाइबल के हवाले अधिक बताने पाते थे, मेरे परदादा पदों के लेख को दोहराने पाते थे।

   आज हमारा परिवार परदादा एब्राम को अधिकतर "दृष्टिहीन दादा" संबोधित करके याद करता है। आँखों के चले जाने के बाद बाइबल के पदों को स्मरण रखने की उनकी आदत उनके लिए जीवन जीने का सहारा बन गई। लेकिन हमारे लिए यह क्यों आवश्यक है कि हम परमेश्वर के वचन को स्मरण रखें और उस पर मनन करें?

   भजन 119 हमें कई कारण बताता है कि परमेश्वर के वचन को अपने हृदयों में रख लेने से हमारे जीवन में क्या प्रभाव आते हैं: पहले तो उस वचन के द्वारा हम प्रलोभनों और परीक्षाओं का सामना करने की सामर्थ पाते हैं (पद 11, इफिसियों 6:17)| फिर जब हम उस वचन पर मनन करते हैं तो हम परमेश्वर को और बेहतर रीति से जानने लगते हैं। जब परमेश्वर का वचन हमारे मन-मस्तिष्क में बस जाता है तो हम उसकी आवाज़ को बेहतर सुनने और समझने लगते हैं, उसके मार्गदर्शन सरलता से समझने लगते हैं। हम परमेश्वर के वचन को ही प्रार्थना करने, परमेश्वर से वार्तालाप करने, उसकी आराधना करने और दूसरों को उसके बारे में बताने के लिए प्रयोग करने पाते हैं (कुलुस्सियों 3:16)।

   परमेश्वर का वचन जीवित और प्रबल है (इब्रानियों 4:12); इस बहुमूल्य वचन को स्मरण रखें, उस पर मनन करते रहें, उसे अपने हृदय में बसा लें, और वह आपको पाप से बचाए रखेगा (भजन 119:11)। - सिंडी हैस कैसपर


जब परमेश्वर का वचन हमारे हृदय में बसा रहेगा तो परमेश्वर के मार्ग हमारे मार्ग बन जाएंगे।

धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते। - भजन 37:30-31

बाइबल पाठ: भजन 119:9-15
Psalms 119:9 जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। 
Psalms 119:10 मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! 
Psalms 119:11 मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। 
Psalms 119:12 हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा! 
Psalms 119:13 तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है। 
Psalms 119:14 मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं। 
Psalms 119:15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा। 
Psalms 119:16 मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 73-75


मंगलवार, 17 जून 2014

खोए और पाए


   हाल ही की बात है कि मुझे अपना क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पा रहा था। मैं उसे बड़ी व्यग्रता से ढूँढ़ने लगा, क्योंकि चाहे क्रेडिट कार्ड आकार में छोटा सा हो लेकिन क्रेडिट कार्ड का खो जाना कोई छोटी बात नहीं है। यदि वह खो जाए तो उसके अनुचित उपयोग को रोकने के लिए तुरंत बैक को बता कर उसे अवरुद्ध करवाना होता है; और फिर जब तक वह ना मिल जाए या उसके स्थान पर बैंक से नया कार्ड ना मिल जाए तब तक अनेक प्रकार के भुगतान और प्रतिदिन की खरीददारी बाधित रहती है।

   प्रभु यीशु ने एक खोए हुए सिक्के की नीति-कथा बताई (लूका 15:8-10)। एक स्त्री का एक बहुमूल्य सिक्का खो गया। उस खोए हुए सिक्के को खोजने के लिए उस स्त्री ने दीपक जलाया, घर को बुहारा और साफ किया और सब स्थानों पर यत्न से खोजती रही जब तक की वह सिक्का उसे मिल नहीं गया। जब वह सिक्का मिल गया तब उसने अपने मित्रों को बुलाया और उनके साथ आनन्द मनाया। इस कथा के द्वारा प्रभु यीशु ने सिखाया कि जब एक पाप में खोया हुआ व्यक्ति पश्चाताप के साथ वापस परमेश्वर की ओर लौट कर आता है तब स्वर्ग में भी ऐसे ही आनन्द होता है।

   परमेश्वर के लिए सारे संसार के हम सभी मनुष्य बहुत बहुमूल्य हैं, हम सभी उसकी अद्भुत रचना, विलक्षण सृष्टि हैं। हमारे पाप स्वभाव और पापों ने हमें उस से दूर कर दिया है, किंतु वह चाहता है कि हम सब लौट कर उसके पास आ जाएं। इसलिए हमारे पापों की क्षमा, हमारे उद्धार और हमारे उसके साथ मेल-मिलाप के लिए उसने प्रभु यीशु को इस संसार में भेजा। प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति के सभी पापों को अपने ऊपर लेकर उनका दण्ड भी अपने ऊपर ले लिया। वह हमारे पापों के लिए बलिदान हुआ और हमारे उद्धार के लिए तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जी उठा। अब जो भी उसपर विश्वास ला कर उससे अपने पापों की क्षमा माँगता है, वह परमेश्वर की सन्तान और स्वर्ग का निवासी हो जाता है - संसार और पापों में खोए हुई व्यक्ति परमेश्वर के राज्य और स्वर्ग में पाए हुए बन जाते हैं।

   क्या आप किसी ऐसे खोए हुए व्यक्ति को जानते हैं आज जिसे परमेश्वर से मिलने वाली इस क्षमा और उद्धार तथा पाए हुए हो जाने की आवश्यकता है? परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको उनके साथ सुसमाचार बाँटने का अवसर दे जिससे वे पापों में खोए हुए भी परमेश्वर के पाए हुए बन सकें। - डेनिस फिशर


पाए जाने के लिए पहले खोए हुआ होना स्वीकार करना आवश्यक है।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है। - लूका 19:10 

बाइबल पाठ: लूका 15:4-10
Luke 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे? 
Luke 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है। 
Luke 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है। 
Luke 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
Luke 15:8 या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे? 
Luke 15:9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी कर के कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्‍का मिल गया है। 
Luke 15:10 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 70-72


सोमवार, 16 जून 2014

अद्भुत रचना


   जब मैं बालक था तो मेरे एक निकट संबंधी ने मुझे और बेहतर करने को प्रोत्साहित करने के विचार से बार बार मुझे "तुम इतने बेवकूफ क्यों हो?" कहना आरंभ कर दिया। उनकी इस बात का मुझपर कैसा प्रभाव हुआ यह मैंने अपनी युवावस्था में जा कर समझा - तब जब किसी ने मेरी पीठ पीछे किसी अन्य को कहा "बेवकूफ" और मैंने तुरंत इस आश्य से कि कोई मुझे बुला रहा है पीछे मुड़कर उसकी ओर देखा!

   प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता और प्रभु मान लेने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि परमेश्वर ने मुझे अपने स्वरूप में बनाया है (उत्पत्ति 1:27), और मैं बेवकूफ नहीं वरन परमेश्वर की अद्भुत रचना हूँ (भजन 39:14)। संसार की रचना के बाद परमेश्वर ने सब कुछ का अवलोकन किया और कहा, "बहुत अच्छा" (उत्पत्ति 1:31)।

   दाऊद अपने भजन में वर्णन करता है कि कैसे परमेश्वर हम सब को बहुत निकटता से, अन्दर-बाहर से जानता है: "हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है। तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है" (भजन 139:1-3)।

   ना केवल हम परमेश्वर की अद्भुत रचना हैं, वरन प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर दिए बलिदान के द्वारा हम परमेश्वर के साथ सही संबंध में बहाल भी किए जाते हैं, एक नई सृष्टि के समान: "सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है" (2 कुरिन्थियों 5:17-18)।

   परमेश्वर के स्वरूप में बनाई गई परमेश्वर ही की अद्भुत रचना होने के कारण हमारा कर्तव्य है कि हम सब मनुष्यों को आदर की दृष्टि से देखें, किसी को नीचा या हीन ना समझें और परमेश्वर की इच्छा एवं उद्देश्यों के अनुसार सभी को प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा मिलने वाले उद्धार तथा पापों की क्षमा का सुसमाचार सुनाएं, उन्हें परमेश्वर के साथ सही संबंध में बहाल होने के तरीके के बारे में बताएं। - एल्बर्ट ली


प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के स्नेह की अद्वितीय अभिव्यक्ति है।

फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:26-27

बाइबल पाठ: भजन 139:1-16
Psalms 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psalms 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। 
Psalms 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। 
Psalms 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। 
Psalms 139:5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। 
Psalms 139:6 यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psalms 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? 
Psalms 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है! 
Psalms 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, 
Psalms 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। 
Psalms 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, 
Psalms 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psalms 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। 
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। 
Psalms 139:15 जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। 
Psalms 139:16 तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 67-69


रविवार, 15 जून 2014

स्वर्गीय पिता


   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया, तो प्रार्थना आरंभ करते हुए परमेश्वर को संबोधित करने के लिए जो शब्द प्रयोग करने को कहा वे हैं "हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है" (मत्ती 6:9)। परमेश्वर के वचन बाइबल में ऐसे ही अनेक अन्य पद हैं जहाँ परमेश्वर को पिता के रुप में संबोधित किया गया है। मुझे यह बड़ी रोचक और शिक्षाप्रद बात लगती है कि परमेश्वर ने अपने बारे में हम मनुष्यों को जानकारी देने के लिए अपने आप को एक पिता के रूप में हमारे समक्ष रखा।

   परमेश्वर के पिता होने बारे में, विशेषकर व्यक्तिगत रीति से अपना पिता होने के बारे में हम क्या जानते हैं? प्रभु द्वारा सिखाई गई इस प्रार्थना से हम सीख सकते हैं कि हमारा स्वर्गीय पिता हमारे लिए सदा उपलब्ध और हमारी ओर ध्यान लगाए रखने वाला है। यहाँ हम यह भी देखते हैं कि वह हमारा ध्यान रखता है और हमारी आवश्यकताओं के लिए उचित प्रयोजन करता है; वह हमें बड़े धैर्य के साथ हमें क्षमा करता है और बुराई से बचाता है।

   पितृत्व का यह नमूना हम सांसारिक पिताओं के लिए कैसा अद्भुत उदाहरण है। यह निश्चित है कि हमारे स्वर्गीय परमेश्वर पिता के समान कोई अन्य सिद्ध पिता इस पृथ्वी पर ना है और ना हो सकता है, लेकिन हम असिद्ध मनुष्यों को अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए उसने अपना नमूना निर्धारित कर के दिया है। मैं अपने अनुभव से जानता हूँ कि अपनी सेवकाई और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के आरंभिक समय में ही मुझे यह आभास हो गया था कि मेरे बच्चों को मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तकों की संख्या से, मुझे मिलने वाली उपाधियों से या कितने स्थानों पर मुझे प्रचार के लिए निमंत्रण मिलता है आदि बातों से कोई लेना-देना नहीं है। उन के लिए महत्वपूर्ण था तो बस मेरा उनके प्रति ध्यान और उनके साथ बिताया गया समय, और वे इन्हीं के लालायित रहते थे। उनकी मुझ से यही आशा रहती थी कि मैं उनसे प्रेम दिखाऊँ, धैर्य के साथ उन्हें उनकी गलतियों के लिए क्षमा करूँ, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करूँ और उनके रहने और परवरिश के लिए एक अच्छा स्थान बनाए रखूँ। पितृत्व की ज़िम्मेदारियों की यह सूची चाहे लंबी ना भी हो, तौ भी गंभीर अवश्य है।

   उन लोगों का क्या जिन्हें यह सब करने वाले पिता नहीं मिले हों? हमारी व्यकतिगत परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी रही हों, फिर भी हम सभी इस तथ्य से प्रोत्साहित एवं आशावान रह सकते हैं कि प्रभु यीशु मसीह में होकर हमें सबसे सिद्ध और सबसे उत्तम स्वर्गीय पिता - स्वयं परमेश्वर तक पहुँच प्राप्त है।

   क्या आपने सृष्टि के परमेश्वर को व्यक्तिगत रीति से अपने पिता के रूप में जान लिया है? यदि नहीं, तो वह अभी आपके निर्णय की प्रतीक्षा में है। - जो स्टोवैल


स्वर्गीय पिता परमेश्वर की बाहें अपने बच्चों तो थामे रखने और उनकी देखरेख करते रहने से कभी नहीं थकतीं।

और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने। - यूहन्ना 17:3

बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-13
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। 
Matthew 6:8 सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है। 
Matthew 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। 
Matthew 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो। 
Matthew 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। 
Matthew 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। 
Matthew 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 64-66


शनिवार, 14 जून 2014

आराधना के योग्य


   परमेश्वर के वचन बाइबल की अन्तिम पुस्तक, यूहन्ना के प्रकाशितवाक्य, के 5 अध्याय में प्रभु यीशु मसीह के दो शब्द चित्र मिलते हैं - यहूदा का सिंह (पद 5) तथा वध किया हुआ मेमना (पद 6)। इन शब्द चित्रों का संदर्भ देकर प्रसिद्ध मसीही प्रचारक चार्ल्स स्पर्जन ने प्रश्न किया, "ऐसा क्यों है कि हमारा महान प्रभु अपनी महिमा में घातक घावों के साथ दिखाया गया है?" अपने प्रश्न का स्पर्जन ने उत्तर दिया, "क्योंकि वे घाव ही उसकी महिमा हैं।"

   सामान्यतः मेमने का चिन्ह सामर्थ और विजय का प्रतीक नहीं हैं। अधिकांश लोग ऐसे चिन्ह पसन्द करते हैं जो सामर्थ दिखाते हैं और लोगों की प्रशंसा को आमंत्रित करते हैं। लेकिन परमेश्वर ने यही चुना कि वह एक शिशु बनकर संसार में अवतरित हो, एक गरीब बढ़ई के घर में जन्म ले और बड़ा हो। वह अपनी सेवकाई के दिनों में पैदल ही एक से दूसरे स्थान पर यात्रा करते हुए परमेश्वर के राज्य और धार्मिकता तथा पापों से पश्चताप का प्रचार करता रहा और एक रोमी क्रूस पर लटा कर उसे मार डाला गया। सबने, यहाँ तक कि उसके चेलों ने भी यही सोचा कि क्रूस पर उसकी मृत्यु का तात्पर्य था अपने समय की स्थापित धर्म व्यवस्था को चुनौती देने वाले का अन्त। लेकिन मेमने के समान दीन जीवन बिताने वाले प्रभु यीशु मसीह ने तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जी उठ कर, परमेश्वर की अतुल्य सामर्थ और महिमा को संसार के सामने प्रकट किया।

   वह दिन आने वाला है जब प्रभु यीशु अपनी महिमा में लौट कर आएगा और अपना राज्य स्थापित करेगा। उस दिन सारे संसार के सब लोग उसके सामने दण्डवत करेंगे और कहेंगे, "... कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है" (प्रकाशितवाक्य 5:12)! मेमने के समान दीन और नम्र प्रभु यीशु, सिंह के समान सामर्थी और जयवन्त तथा हमारी आराधना के योग्य है। - सी. पी. हिया


अपने राजा के आदर के लिए हम उसका यशगान करते हैं।

इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है। फिलिप्पियों 2:9-11

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 5:1-12
Revelation 5:1 और जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्‍तक देखी, जो भीतर और बाहर लिखी हुई भी, और वह सात मुहर लगा कर बन्‍द की गई थी। 
Revelation 5:2 फिर मैं ने एक बलवन्‍त स्वर्गदूत को देखा जो ऊंचे शब्द से यह प्रचार करता था कि इस पुस्‍तक के खोलने और उस की मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है? 
Revelation 5:3 और न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्‍तक को खोलने या उस पर दृष्टि डालने के योग्य निकला। 
Revelation 5:4 और मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्‍तक के खोलने, या उस पर दृष्टि करने के योग्य कोई न मिला। 
Revelation 5:5 तब उन प्राचीनों में से एक ने मुझे से कहा, मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्‍तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्‍त हुआ है। 
Revelation 5:6 और मैं ने उस सिंहासन और चारों प्राणियों और उन प्राचीनों के बीच में, मानों एक वध किया हुआ मेम्ना खड़ा देखा: उसके सात सींग और सात आंखे थीं; ये परमेश्वर की सातों आत्माएं हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं। 
Revelation 5:7 उसने आ कर उसके दाहिने हाथ से जो सिंहासन पर बैठा था, वह पुस्‍तक ले ली, 
Revelation 5:8 और जब उसने पुस्‍तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के साम्हने गिर पड़े; और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाएं हैं। 
Revelation 5:9 और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्‍तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू ने वध हो कर अपने लोहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है। 
Revelation 5:10 और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं। 
Revelation 5:11 और जब मैं ने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों के चारों ओर बहुत से स्‍वर्गदूतों का शब्द सुना, जिन की गिनती लाखों और करोड़ों की थी। 
Revelation 5:12 और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 61-63


शुक्रवार, 13 जून 2014

सर्वोत्तम शिक्षक


   बहुत से जवान लोगों ने, भविष्य की अपनी तैयारी के संबंध में मुझ से कहा है, "हमें संसार में जाकर अधर्मी परिस्थितियों और लोगों का अनुभव लेना आवश्यक है जिस से हम उनके लिए तैयार और उनका सामना करने के लिए सामर्थी बन सकें।" इस विचारधारा ने बहुत से अपरिपक्व मसीहियों को निगल लिया है और कुछ को तो परमेश्वर के विरुद्ध भी कर दिया है।

   यह सच है कि हम संसार में रहते हैं तथा हमें संसार में ही रहना भी है (यूहन्ना 17:15) और अपने स्कूल, व्यवसाय, पड़ौस आदि में गैर-मसीही लोगों और विचारधारा का सामना भी हमें करना पड़ता है, इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम सावधान रहें कि संसार की बातों का सामना करते करते कहीं हमें उन के अनुरूप ना होने लग जाएं, उन से संबंध ना बनाने लग जाएं। हम सब मसीही विश्वासी परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 1:1 में दिए परमेश्वर के निर्देश के पालन से भली-भांति परिपक्व हो सकते हैं। इस भजन में दिए निर्देशों के अनुसार हमें:
  • प्रथम, ध्यान रखना है कि हमारे चुनाव तथा निर्णय "दुष्टों की युक्ति" के अनुसार ना हों।
  • दूसरे, हमें अपने आप को ऐसी परिस्थितियों से दूर रखना है जहाँ वे लोग जो मसीह यीशु को व्यक्तिगत रीति से नहीं जानते और उसे समर्पित जीवन व्यतीत नहीं करते, वे हमारे सोच-विचार को प्रभावित कर सकें।
  • तीसरे, हम उनके साथ निकट या घनिष्ट ना हों जो परमेश्वर के वचन बाइबल का, परमेश्वर का और हमारे जीवनों में उनकी भूमिका का ठट्ठा करते हैं या उसे महत्वहीन मानते हैं।
   ऐसे लोगों की सलाह हमें परमेश्वर से दूर ले जाती है। इसलिए अपने प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और परामर्श के लिए हमें परमेश्वर के पवित्र वचन बाइबल तथा बाइबल से प्रेम करने वालों एवं उसके आज्ञाकारी रहकर जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के पास ही जाना चाहिए। संसार का ज्ञान या अनुभव नहीं वरन परमेश्वर और उसका जीवता एवं सच्चा वचन ही हर बात तथा परिस्थिति के लिए हमारा सर्वोत्तम शिक्षक है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के वचन बाइबल से अपने मस्तिष्क को भर लें, उसे अपने मन पर राज्य और अपने जीवन का मार्गदर्शन करने दें।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:2 

बाइबल पाठ: भजन 1
Psalms 1:1 क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! 
Psalms 1:2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 
Psalms 1:3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।
Psalms 1:4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 
Psalms 1:5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 
Psalms 1:6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 58-60


गुरुवार, 12 जून 2014

उपयोगी


   नर मोर बहुत खूबसूरत पक्षी होते हैं। उनकी रंगीन पंखों से बनी लंबी पूँछ, उस पूँछ में भिन्न प्रकार के पंख और उनके चमकते चटकीले रंग, उनके सिर की कलगी, उनकी गरदन और छाती के चमकते हुए रंग बस देखते ही बनते हैं, खासकर जब वे अपनी पूँछ खड़ी करके नृत्य करते हैं तो देखने वालों को मानों मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। लेकिन उनके पाँव बड़े कुरूप होते हैं!

   ईमानदारी से कहें तो यह हम सब की दशा भी है - हम सब में कोई ना कोई कमज़ोरी या किसी ना किसी बात की घटी अवश्य होती है - वह हम में जन्म से विद्यमान हो सकती है या किसी कारणवश हम में आने वाली हो सकती है; वह लंबे समय से हमारे साथ हो सकती है, या फिर हाल ही में किसी घटना के कारण हम में आ सकती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने अपनी एक कमी को "शरीर में चुभाया गया काँटा" कहा जो उसे नम्र रखने के लिए था (2 कुरिन्थियों 12:7-9)। पौलुस ने तीन बार परमेश्वर से उसे हटाने के लिए प्रार्थना करी, संभवतः इस विचार से कि उसके हटने के बाद वह और भली रीति से परमेश्वर की सेवा करने पाएगा, लेकिन परमेश्वर ने उसे आश्वस्त किया कि "मेरा अनुग्रह ही तेरे लिए काफी है" और "मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है"। परमेश्वर के इस आश्वासन पर पौलुस का प्रत्युत्तर था, "इसलिए मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूँगा कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे"।

   मसीही विश्वास की एक विशेषता है कि परमेश्वर अपने महत्वपूर्ण कार्यों को हमारे द्वारा संपन्न कराने के लिए हमें हमारी निर्बलताओं के बावजूद चुन लेता है, ना कि इसलिए कि हम में कोई वाकपटुता है, या हम कार्य करने की विशेष योग्यता रखते हैं या हमारा रूप-रंग अच्छा है। प्रसिद्ध मिशनरी सेवक हडसन टेलर ने कहा था, "परमेश्वर को अपने कार्य करवाने के लिए किसी योग्यता-विहीन तथा निर्बल जन की आवश्यकता थी, इसलिए उसने मुझे और आपको चुन लिया"।

   जब हम परमेश्वर को ही अपनी सामर्थ और योग्यता का आधार बना लेते हैं, तो वो हमें ऐसे उपयोग करने पाता है जो हमारी कलपना से परे है। - डेविड रोपर


परमेश्वर की सामर्थ हमारी निर्बलता में प्रकट होती है।

हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। - 1 कुरिन्थियों 1:26-27

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:7-10
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। 
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए। 
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। 
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 55-57


बुधवार, 11 जून 2014

मित्र


   स्कूल में जाने वाले अनेक ऐसे छात्र-छात्राएं होते हैं जो किसी शारीरिक अथवा मानसिक विकलांगता से ग्रस्त होते हैं, और अन्य "स्वस्थ" छात्र-छात्राओं को उनके साथ संबंध बनाने और उन्हें समझने में कठिनाई होती है, इसलिए वे उनके साथ व्यवहार नहीं करते और कुछ तो उनकी परवाह भी नहीं करते। इसलिए ये विकलांग लोग अपने आप को अकेला और उपेक्षित अनुभव करते हैं, भीड़ भरे भोजन स्थलों पर भी अकेले ही बैठ कर खाते-पीते हैं। उनकी इस आवश्यकता को देखते और समझते हुए बारबर्रा पेलिलिस नामक एक महिला ने "मित्रों का समूह" नामक एक कार्यक्रम आरंभ किया है, जिसमें विकलांग छात्रों का स्वस्थ छात्रों के साथ जोड़ा बनाया जाता है और वे भोजन के लिए या सामाजिक कार्यों के लिए एकसाथ जाते हैं। इस प्रकार से मित्र बना कर दोनों ही प्रकार के लोगों को एक दूसरे को समझने और अपनी धारणाएं बदलने का अवसर मिलता है जो दोनों के लिए ही लाभप्रद रहता है।

   मेल-मिलाप के साथ रहना प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार का एक अभिन्न अंग है; परमेश्वर ने भी प्रभु यीशु में होकर हम से हमारे पाप की दशा में मेल-मिलाप किया: "परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है)" (इफिसीयों 2:4-5)। मसीह यीशु में विश्वास लाने से "पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो" (इफिसीयों 2:13)।

   अब मसीह यीशु में होकर हम परमेश्वर के घराने के गौरवान्वित सदस्य बन गए हैं (पद 19), इसलिए अब हम मसीही विश्वासियों को अपने आस-पास के उपेक्षित और अकेले लोगों को देखने की आँखें और उनकी सहायता करने के मन होने चाहिएं। यदि हम में से प्रत्येक एक उपेक्षित और अकेले जन की सहायता के लिए हाथ बढ़ाएगा, उनका मित्र बनेगा, तो समाज पर इसका कितना व्यापक प्रभाव पड़ेगा, मसीह यीशु की कितनी भली और महिमामय गवाही संसार के सामने जाएगी। - डेविड मैक्कैसलैंड


मित्रता का हाथ बढ़ाकर अकेलों को प्रोत्साहित और कमज़ोरों को सबल करने वाले बन जाएं।

और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है। - 2 कुरिन्थियों 5:18

बाइबल पाठ: इफिसीयों 2:1-13
Ephesians 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। 
Ephesians 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। 
Ephesians 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। 
Ephesians 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। 
Ephesians 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) 
Ephesians 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। 
Ephesians 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए। 
Ephesians 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
Ephesians 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। 
Ephesians 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।
Ephesians 2:11 इस कारण स्मरण करो, कि तुम जो शारीरिक रीति से अन्यजाति हो, (और जो लोग शरीर में हाथ के किए हुए खतने से खतना वाले कहलाते हैं, वे तुम को खतना रहित कहते हैं)। 
Ephesians 2:12 तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्‍त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे। 
Ephesians 2:13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 52-54


मंगलवार, 10 जून 2014

अनुत्तरित


   मेरे सबसे बड़े संघर्षों में से एक है अनुत्तरित प्रार्थना; संभवतः आप समझ सकते हैं कि मैं क्या कह रही हूँ। हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे मित्र को नशे की आदत से छुड़ा ले, या किसी प्रीय जन को उद्धार दे, या किसी बीमार बच्चे को स्वस्थ कर दे, या फिर कोई बिगड़े हुए संबंध को सुधार दे। हम यह मानते हैं कि ये सब तथा इनके जैसी अन्य कई बातें परमेश्वर को पसन्द होंगी, उसकी इच्छा के अनुसार होंगी। वर्षों तक हम इन विषयों के लिए प्रार्थना करते रहते हैं, लेकिन ना तो परमेश्वर से कोई उत्तर आता है और ना ही प्रार्थना के अनुरूप कोई प्रभाव दिखाई देता है।

   हम परमेश्वर को स्मर्ण दिलाते हैं कि वह सर्वसामर्थी परमेश्वर है, कुछ भी कर सकता है और हमारी प्रार्थना एक भली प्रार्थना है; हम उससे विननती करते हैं, गिड़गिड़ाते हैं। हमारे अन्दर सन्देह भी आते हैं - शायद वह हमारी सुनने को तैयार नहीं है, या शायद वह इतना सामर्थी नहीं है जितना हम उसे समझ रहे थे। हम प्रार्थना में वह बात माँगना छोड़ देते हैं - कई दिन या महीनों तक। हम फिर अपने सन्देह के कारण दोषी भी अनुभव करते हैं। हम स्मरण करते हैं कि परमेश्वर चाहता है कि हम अपनी आवश्यकताएं उसके पास लेकर जाएं, और हम फिर से अपनी प्रार्थनाओं में उन बातों को माँगने लग जाते हैं।

   कभी कभी हमें लगता है कि हम प्रभु यीशु द्वारा लूका 18 में दिए गए दृष्टान्त की विधवा के समान हैं, जो न्यायी के आगे गुहार लगाती रही, उससे अपना न्याय माँगती रही, जब तक कि उसने उस विधवा की सुन नहीं ली। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हमारा परमेश्वर उस कठोर न्यायी के समान नहीं है, वह दयालु है, सामर्थी है। हमें अपने परमेश्वर पर विश्वास है क्योंकि वह भला है, बुद्धिमान है, और सर्वप्रभुतासंपन्न है। हम समरण करते हैं कि हमारे प्रभु यीशु ने हमें सिखाया है कि हमें, "...नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए..." (लूका 18:1)।

   इसलिए हम परमेश्वर से माँगते हैं, प्रार्थना करते हैं और उसके उत्तर की प्रतीक्षा करते हैं। - ऐनी सेटास


विलंब इनकार नहीं है; इसलिए प्रार्थना करते रहिए।

इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आने वाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य बनो। - लूका 21:36

बाइबल पाठ: लूका 18:1-8
Luke 18:1 फिर उसने इस के विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा। 
Luke 18:2 कि किसी नगर में एक न्यायी रहता था; जो न परमेश्वर से डरता था और न किसी मनुष्य की परवाह करता था। 
Luke 18:3 और उसी नगर में एक विधवा भी रहती थी: जो उसके पास आ आकर कहा करती थी, कि मेरा न्याय चुकाकर मुझे मुद्दई से बचा। 
Luke 18:4 उसने कितने समय तक तो न माना परन्तु अन्‍त में मन में विचारकर कहा, यद्यपि मैं न परमेश्वर से डरता, और न मनुष्यों की कुछ परवाह करता हूं। 
Luke 18:5 तौभी यह विधवा मुझे सताती रहती है, इसलिये मैं उसका न्याय चुकाऊंगा कहीं ऐसा न हो कि घड़ी घड़ी आकर अन्‍त को मेरा नाक में दम करे। 
Luke 18:6 प्रभु ने कहा, सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है? 
Luke 18:7 सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उस की दुहाई देते रहते; और क्या वह उन के विषय में देर करेगा? 
Luke 18:8 मैं तुम से कहता हूं; वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-51