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बुधवार, 23 जून 2010

एक सामर्थी सन्देश

बाइबल शिक्षक लेहमैन स्ट्रौस ने लड़कपन में ही परमेश्वर के वचन की सामर्थ द्वारा मसीह को अपनाया। उन्होंने अपनी सहेली के कहने पर रोमियों की पत्री से कुछ अंश पढ़े, वे थे रोमियों ३:२३, ५:८ और १०:१३। इन पदों को पढ़ने से उन्हें अपने पाप का बोध हुआ और उन्होंने अपनी दशा पर विलाप के साथ पश्चाताप किया तथा मसीह को ग्रहण किया।

जब उनका पुत्र रिचर्ड ७ वर्ष का था तो उसने अपने पिता से उद्धार का मार्ग पूछा। लेहमैन ने उन्हीं पदों का प्रयोग किया जो उस समय उनकी सहेली और अब उनकी पत्नी ने सालों पहले उनके लिये किया था। उनके पुत्र ने भी विश्वास किया और आगे चलकर परमेश्वर का सेवक बना।

परमेश्वर के वचन में अद्‍भुत और कलपना से परे सामर्थ है। काल के आरंभ में परमेश्वर ने कहा कि उजियाला हो और हो गया (उत्पत्ति १:३)। उसने एब्राहम से वाचा बांधी (उत्पत्ति १७:१५-१९) और उसे उसकी ९० वर्षीय पत्नी से पुत्र दिया (उत्पत्ति २१:१, २)। परमेश्वर आज भी सामर्थ के साथ बात करता है। जो जो उसकी सुनकर सुसमाचार पर विश्वास लाते हैं, वे उद्धार पाते हैं (रोमियों १:१६)।

जी हाँ, मसीह का सुसमाचार और क्रूस पर उसके द्वारा किया गया उद्धार का काम व्यक्ति के जीवन की दशा बदल सकते हैं। उस वचन में वह सामर्थ है कि वह उस के दिल की गहराई तक पहुंचे जिससे आप प्रेम करते हैं और जिसके लिये आपने कई बार प्रार्थना करी है।

इसलिये अपनी गवाही में कभी निराश होकर पीछे मत हटिये, लगातार परमेश्वर के साथ स्थिरता से चलते रहें। प्रार्थना करते रहें और सुसमाचार बांटते रहें - वह एक सामर्थी सन्देश है। - डेव एग्नर


हमारे शब्दों में प्रभाव डालने की सामर्थ है; परमेश्वर के वचन में उद्धार देने की सामर्थ है।


बाइबल पाठ:१ कुरिन्थियों १:१८-२५


मसीह का सुसमाचार...हर एक विश्वास करने वाले के लिये....उद्धार कि निमित परमेश्वर की सामर्थ है। - रोमियों १:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ९, १०
  • प्रेरितों के काम ७:१-२१