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सोमवार, 1 सितंबर 2014

एकता


   जुलाई 2010 में मिच मिलर के देहाँत के बाद, लोगों ने उसे ऐसे व्यक्ति के रूप में स्मरण किया जो सभी को साथ गाने के लिए आमंत्रित करता था। मिच द्वारा 1960 के दशक में टी. वी. पर आयोजित लोकप्रीय कार्यक्रम, Sing Along With Mitch में पुरुषों की गीत मण्डली लोकप्रीय गाने प्रस्तुत करती थी, साथ ही टी. वी. के पर्दे पर गीत के बोल लिखे हुए दिखाए जाते थे, जिससे देखने वाले सभी दर्शक गाने वाली मण्डली के गायकों के साथ वे गाने गा सकें। एक अखबार, Los Angeles Times, में छपी मिच की निधन-सूचना तथा उसके साथ लिखे सन्देश में इस कार्यक्रम के लोकप्रीय होने के लिए मिच के विचार भी बताए गए; मिच का कहना था कि "मैं सदा ही इस बात का ध्यान रखता हूँ कि जिन लोगों को गीत मण्डली बनाकर अपने कार्यक्रम में गाने के लिए मैं किराए पर बुलाता हूँ वे लम्बे, नाटे, गन्जे, मोटे, अर्थात समाज में सामान्य दिखने वाले लोग हों जिन्हें कोई आम आदमी प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में देखता रहता है"। उस भिन्नता की एकता से ऐसा मधुर संगीत निकलता था जिससे सभी प्रसन्न होते थे और साथ गाने के लिए आमंत्रित होते थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों के 15वें अध्याय में प्रेरित पौलुस ने भी मसीह के अनुयायियों में एकता रखने का आहवान किया, "ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो" (रोमियों 15:6)। पौलुस ने बाइबल के पुराने नियम खण्ड से कई परिच्छेदों से दिखाया कि यहूदियों और गैर-यहूदियों को एक साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति एवं प्रशंसा करनी चाहिए (रोमियों 15:9-12)। यहूदियों और गैर-यहूदियों की परस्पर एकता जो असंभव समझी जाती थी, संभव हो सकी जब उन लोगों ने जो परस्पर बड़ी गहराई से विभाजित थे, एक साथ मिलकर परमेश्वर की आराधना करनी और मसीह यीशु में होकर प्रकट हुई उसकी करुणा के लिए एक साथ धन्यवाद करना आरंभ किया।

   उनके समान ही आज हम भी आशा, आनन्द और शान्ति से परमेश्वर के पवित्र आत्मा के द्वारा भरे जाते हैं (पद 13), और एक ही स्तुति-गान मण्डली के अंग बनाए जाते हैं, भिन्न होते हुए भी मसीह यीशु में हम सब मसीही विश्वासी एक कर दिए गए हैं। मसीह यीशु में मिली इस एकता में होकर हमें यह आदर भी मिला है कि एक साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति और धन्यवाद करें। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीही विश्वासियों में एकता मसीह यीशु के साथ एक हो जाने से ही आती है।

और विश्वास करने वालों की मण्‍डली एक चित्त और एक मन के थे यहां तक कि कोई भी अपनी सम्पति अपनी नहीं कहता था, परन्तु सब कुछ साझे का था। - प्रेरितों 4:32

बाइबल पाठ: रोमियों 15:5-13
Romans 15:5 और धीरज, और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। 
Romans 15:6 ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो। 
Romans 15:7 इसलिये, जैसा मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो। 
Romans 15:8 मैं कहता हूं, कि जो प्रतिज्ञाएं बाप दादों को दी गई थीं, उन्हें दृढ़ करने के लिये मसीह, परमेश्वर की सच्चाई का प्रमाण देने के लिये खतना किए हुए लोगों का सेवक बना। 
Romans 15:9 और अन्यजाति भी दया के कारण परमेश्वर की बड़ाई करें, जैसा लिखा है, कि इसलिये मैं जाति जाति में तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम के भजन गाऊंगा। 
Romans 15:10 फिर कहा है, हे जाति जाति के सब लोगों, उस की प्रजा के साथ आनन्द करो। 
Romans 15:11 और फिर हे जाति जाति के सब लागो, प्रभु की स्तुति करो; और हे राज्य राज्य के सब लोगो; उसे सराहो। 
Romans 15:12 और फिर यशायाह कहता है, कि यिशै की एक जड़ प्रगट होगी, और अन्यजातियों का हाकिम होने के लिये एक उठेगा, उस पर अन्यजातियां आशा रखेंगी। 
Romans 15:13 सो परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 47-49