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सोमवार, 7 मार्च 2022

कलीसिया में अपरिपक्वता के दुष्प्रभाव (23)


भ्रामक शिक्षाओं के स्वरूप - सुसमाचार के विषय गलत शिक्षाएं (4) - सुसमाचार को अप्रभावी - कैसे? (1)

हम पिछले लेखों से देखते आ रहे हैं कि बालकों के समान अपरिपक्व मसीही विश्वासियों की एक पहचान यह भी है कि वे बहुत सरलता से भ्रामक शिक्षाओं द्वारा बहकाए तथा गलत बातों में भटकाए जाते हैं (इफिसियों 4:14)। इन भ्रामक शिक्षाओं को शैतान और उस के दूत झूठे प्रेरित, धर्म के सेवक, और ज्योतिर्मय स्‍वर्गदूतों का रूप धारण कर के बताते और सिखाते हैं (2 कुरिन्थियों 11:13-15)। ये लोग, और उनकी शिक्षाएं, दोनों ही बहुत आकर्षक, रोचक, और ज्ञानवान, यहाँ तक कि भक्तिपूर्ण और श्रद्धापूर्ण भी प्रतीत हो सकती हैं, किन्तु साथ ही उनमें अवश्य ही बाइबल की बातों के अतिरिक्त भी बातें डली हुई होती हैं। जैसा परमेश्वर पवित्र आत्मा ने प्रेरित पौलुस के द्वारा 2 कुरिन्थियों 11:4 में लिखवाया है, “यदि कोई तुम्हारे पास आकर, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे, जिस का प्रचार हम ने नहीं किया: या कोई और आत्मा तुम्हें मिले; जो पहिले न मिला था; या और कोई सुसमाचार जिसे तुम ने पहिले न माना था, तो तुम्हारा सहना ठीक होता”, इन भ्रामक शिक्षाओं और गलत उपदेशों के, मुख्यतः तीन विषय, होते हैं - प्रभु यीशु मसीह, पवित्र आत्मा, और सुसमाचार। साथ ही इस पद में सच्चाई को पहचानने और शैतान के झूठ से बचने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण बात भी दी गई है, कि इन तीनों विषयों के बारे में जो यथार्थ और सत्य हैं, वे सब वचन में पहले से ही बता और लिखवा दिए गए हैं। इसलिए बाइबल से देखने, जाँचने, तथा वचन के आधार पर शिक्षाओं को परखने के द्वारा सही और गलत की पहचान करना कठिन नहीं है। 

पिछले लेखों में हमने इन गलत शिक्षा देने वाले लोगों के द्वारा, पहले तो प्रभु यीशु से संबंधित सिखाई जाने वाली गलत शिक्षाओं को देखा; फिर उसके बाद, परमेश्वर पवित्र आत्मा से संबंधित सामान्यतः बताई और सिखाई जाने वाली गलत शिक्षाओं की वास्तविकता को वचन की बातों से देखा; और अब पिछले कुछ लेखों से हमने सुसमाचार से संबंधित गलत शिक्षाओं के बारे में देखना आरंभ किया है, जिससे कि हम सही सुसमाचार क्या है देख और समझ सकें और गलत या भ्रष्ट को पहचान सकें, ताकि स्वयं भी गलत से बच कर रह सकें तथा औरों को भी बचा सकें। आज हम सच्चे और उद्धार देने वाले सुसमाचार के शैतान द्वारा बिगाड़े जाने, भ्रष्ट किए जाने, और विभिन्न रीतियों से अप्रभावी किए जाने की युक्तियों के बारे में देखेंगे।  

शैतान की गलत शिक्षाओं और बातों को पहचान पाने का आधार    

हमने पिछले लेख में देखा था कि सुसमाचार का सार 1 कुरिन्थियों 15:1-4 में दिया गया है। तात्पर्य यह, कि जिस भी सुसमाचार प्रचार में इन पदों की बातें नहीं हैं, या इन पदों की बातों के अतिरिक्त भी बातें डाली गई हैं, अर्थात, इन पदों में से कुछ घटाया या बढ़ाया गया है, वहसुसमाचारभ्रष्ट है, बिगाड़ा हुआ है, अस्वीकार्य है, क्योंकि वह अप्रभावी है! ये पद और उनके तथ्य हमारे लिए सुसमाचार संबंधित हर शिक्षा को जाँचने और परखने की कसौटी प्रदान करते हैं। 

शैतान की सुसमाचार को भ्रष्ट और अप्रभावी करने की इन युक्तियों को देखने और समझने से पहले हमें परमेश्वर, उसके वचन, और उसकी बातों से संबंधित एक बहुत महत्वपूर्ण बात को ध्यान में लाना और हमेशा स्मरण रखना होगा।  यह बात है, परमेश्वर, उसका चरित्र और उसके गुण, उसका वचन, उसकी शिक्षाएं, सभी पवित्र, पूर्णतः शुद्ध, और हर रीति से संपूर्ण और सिद्ध हैं। उनमें न तो कुछ घटाया जा सकता है, न बढ़ाया जा सकता है, और न ही सुधारा जा सकता है; न ही उन्हें किसी भी रीति से संवार कर और बेहतर किया जा सकता है। ऐसा कुछ भी करने का प्रयास करना यह दिखाना है कि परमेश्वर द्वारा दी गई बात में कुछ अपूर्णता, कुछ कमी, कुछ असिद्धता है, जिसे मनुष्य अपनी बुद्धि और योजनाओं तथा कार्यों से और बेहतर कर सकता है, उससे भी बेहतर जो परमेश्वर ने कर के दिया है। स्मरण कीजिए, अदन की वाटिका में हुए पहले पाप का आधार यही विचार था। शैतान ने सर्प के रूप में, हव्वा को इसी बात से बहकाया और अनाज्ञाकारिता के पाप के लिए उकसाया कि “मेरे कहे तथा अपने मन की अभिलाषा के अनुसार कर ले, और जैसा परमेश्वर ने बनाया और दिया है तू उससे भी बेहतर हो जाएगी।” यदि हव्वा, परमेश्वर द्वारा कहे और दिए गए से और बेहतर करने के लालच में न पड़ती, तो अनाज्ञाकारिता का पाप भी नहीं करती। 

इसी संदर्भ में ध्यान करें कि मूसा को अपनी दस आज्ञाएँ देने के पश्चात, परमेश्वर ने अपनी उपासना और आराधना से संबंधित एक और आज्ञा भी दी, “मेरे लिये मिट्टी की एक वेदी बनाना, और अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों के होमबलि और मेलबलि को उस पर चढ़ाना; जहां जहां मैं अपने नाम का स्मरण कराऊं वहां वहां मैं आकर तुम्हें आशीष दूंगा। और यदि तुम मेरे लिये पत्थरों की वेदी बनाओ, तो तराशे हुए पत्थरों से न बनाना; क्योंकि जहां तुम ने उस पर अपना हथियार लगाया वहां तू उसे अशुद्ध कर देगा” (निर्गमन 20:24-25)। प्रमुख किए गए अंतिम वाक्य को स्मरण रखें - जैसे ही हम परमेश्वर की दी गई बातों में अपनी युक्तियाँ और कार्य लगाकर उसे और अधिक बेहतर या सुंदर बनाने का प्रयास करते हैं, हम उसे अशुद्ध कर देते हैं। फिर वे देखने में चाहे कितनी भी सुंदर और आकर्षक हों, लोगों को चाहे कितनी भी अच्छी प्रतीत हों और लोगों द्वारा उन की चाहे जितनी भी प्रशंसा की जाए, किन्तु परमेश्वर की वे बातें परमेश्वर के लिए उपयोगिता और उसके परमेश्वर को ग्रहण होने में वह व्यर्थ हो जाती हैं।

हम इससे पहले के विषयों के लेखों में देख चुके हैं कि शैतान ने प्रभु यीशु मसीह, परमेश्वर पवित्र आत्मा, और पवित्र आत्मा के कार्यों तथा वरदानों के बारे में बहुत सी गलत शिक्षाएं लोगों में फैला रखी हैं, उन्हीं में लोगों को भरमाता भटकाता रहता है। उन गलत शिक्षाओं में बहकाए जाने के कारण लोग अपने पापी होने को पहचानने, पापों से पश्चाताप के लिए कायल होने से बाधित रहते हैं और गलत बातों के निर्वाह में लगे रहते हैं। प्रेरितों 2 अध्याय इसका बहुत उत्तम उदाहरण है। पिन्तेकुस्त के दिन जब पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से प्रभु के शिष्य भर गए, और फिर जब पतरस ने प्रचार किया, वह उस समय वहाँ एकत्रितभक्त यहूदियों” (प्रेरितों 2:5) के मध्य किया गया था; अर्थात परमेश्वर की चुनी हुई प्रजा के भक्त लोगों के मध्य जो व्यवस्था के अनुसार परमेश्वर की उपासना करने के लिए पृथ्वी भर के अनेकों स्थानों से आए हुए थे। किन्तु पवित्र आत्मा की अगुवाई में पतरस द्वारा उन्हें भी किए गए प्रचार से उनके हृदय छि गए, उन्हें भी अपनी पापी दशा का बोध हुआ, और पतरस ने उन्हें सुसमाचार, पश्चाताप करने और प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने का ही संदेश दिया (प्रेरितों 2:37-38), जिससे लगभग 3000 लोगों ने उद्धार पाया (प्रेरितों 2:41)। अर्थात, जैसे कि हम पहले देख चुके हैं, जबकि व्यवस्था और पवित्र शास्त्र प्रभु यीशु मसीह की गवाही देते थे, उद्धारकर्ता के बारे में बताते थे, किन्तु शैतान ने उन लोगों की समझ और आँखों को अंधा कर रखा था कि वे सही बात को देख और समझ न सकें, प्रभु यीशु की वास्तविकता को स्वीकार न करें। सुसमाचार की ज्योति ने जिनके इस अंधकार को हटाया, वे फिर उद्धारकर्ता को भी पहचान सके और उन्होंने उद्धार भी पाया (2 कुरिन्थियों 4:4; इफिसियों 2:2; 4:18; कुलुस्सियों 1:12-13) शैतान हमें व्यर्थ की बातों में उलझा कर, सुसमाचार को पहचानने और मानने से बाधित करके रखता है, जब तक कि कोई वास्तविक शुद्ध सुसमाचार के द्वारा उसके अंधकार को हटा कर हमें प्रभु यीशु की ज्योति में न ले आए। 

 अगले लेख में हम शैतान द्वारा फैलाई जाने वाली सुसमाचार से संबंधित आम गलत शिक्षाओं को देखेंगे। यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, तो आपके लिए यह जानना और समझना अति-आवश्यक है कि आप प्रभु परमेश्वर के सुसमाचार से संबंधित किसी गलत शिक्षाओं या धारणाओं में न पड़े हों। यह सुनिश्चित कर लीजिए कि आपने सच्चे सुसमाचार पर सच्चा विश्वास किया है, आप सच्चे पश्चाताप और समर्पण तथा सच्चे मन से प्रभु यीशु से पापों की क्षमा के द्वारा परमेश्वर के जन बने हैं। न खुद भरमाए जाएं, और न ही आपके द्वारा कोई और भरमाया जाए। लोगों द्वारा कही जाने वाली ही नहीं, वरन वचन में लिखी हुई बातों पर ध्यान दें, और लोगों की बातों को वचन की बातों से मिला कर जाँचें और परखें, यदि सही हों, तब ही उन्हें मानें, अन्यथा अस्वीकार कर दें। 

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • व्यवस्थाविवरण 3-4          
  • मरकुस 10:32-52