हमारी पालतु कुतिया डौली को मिट्टी खोदना और उसमें लोटना बहुत पसंद है, जिस के कारण उसके बालों में मिट्टी भर जाती है और हमें उसे हर सप्ताह घर ही में स्नान कराना पड़ता है। लेकिन कभी कभी मिट्टी और कीचड़ उसके बालों में ऐसा जम जाता है कि हमें उसे एक पेशेवर सफाई करने वाले के पास ले जान पड़ता है। डौली को उस सफाई करने वाली स्त्री के पास जाना बिल्कुल पसंद नहीं है, क्योंकि वह हमेशा जल्दबाज़ी में रहती है, गुस्सेवाली है और कठोरता से व्यवहार करती है। उसकी दुकान के पास पहुंचते ही डौली निकल भागने का प्रयास करने लगती है और उसे दुकान के दरवाज़े से अन्दर ले जाना मुश्किल हो जाता है।
पिछले साल हमने निर्णय लिया कि हम किसी दूसरे सफाई करने वाले के पास डौली को ले जाकर देखते हैं और हमने पाया कि डौली चाहे इस बदलाव से आनन्दित तो नहीं थी, कुछ हद तक उसका प्रतिरोध फिर भी था, लेकिन वह पहले वाले के पास जाने की तरह दिक्कत भी नहीं देती थी। इसका कारण था कि नई सफाई करने वाली को उसकी गन्दगी निकलने के लिये डौली को कुछ कष्ट अवश्य देना पड़ता था, लेकिन इस प्रक्रिया में वह डौली से नरमी और प्रेम से व्यवहार करती थी।
जब पाप और गन्दगी हमारे हृदय में जमा हो जाती है, तो हमें भी सफाई की आवश्यक्ता होती है। भजनकार राजा दाऊद की तरह हमें भी परमेश्वर से आग्रह करना चाहिये कि वह हमारे मन और हृदय को जांचे और हमारे बुरे विचारों, रवैये और मार्गों को प्रगट करे (भजन १३९:२३, २४)। जब हमारी अन्तःस्थिति खुलेगी तो हमें कष्ट तो होगा, लेकिन उस सफाई और कष्ट में भी हमारे परमेश्वर का व्यवहार सदा प्रेम और नरमी का रहता है "देख, शान्ति ही के लिये मुझे बड़ी कडुआहट मिली; परन्तु तू ने स्नेह करके मुझे विनाश के गड़हे से निकाला है, क्योंकि मेरे सब पापों को तू ने अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है" (यशायाह ३८:१७)। इसलिये हम बिना भय के उसके पास आ सकते हैं।
परमेश्वर द्वारा हमारा जांचा जाना और साफ किया जाना, चाहे कुछ कष्टदायक हो, लेकिन हमारे भले के लिये यह आवश्यक है, और अनिवार्य है "उस से पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं; मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं" (भजन ११९:६७, ७१)।
हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और हृदय को परख। क्योंकि तेरी करूणा तो मेरी आंखों के साम्हने है, और मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलता रहा हूं। - भजन २६:२, ३
बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१०, २३, २४
हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।।
तू मेरा उठना बैठना जानता है, और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं को जान ले!
और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!
एक साल में बाइबल:
पिछले साल हमने निर्णय लिया कि हम किसी दूसरे सफाई करने वाले के पास डौली को ले जाकर देखते हैं और हमने पाया कि डौली चाहे इस बदलाव से आनन्दित तो नहीं थी, कुछ हद तक उसका प्रतिरोध फिर भी था, लेकिन वह पहले वाले के पास जाने की तरह दिक्कत भी नहीं देती थी। इसका कारण था कि नई सफाई करने वाली को उसकी गन्दगी निकलने के लिये डौली को कुछ कष्ट अवश्य देना पड़ता था, लेकिन इस प्रक्रिया में वह डौली से नरमी और प्रेम से व्यवहार करती थी।
जब पाप और गन्दगी हमारे हृदय में जमा हो जाती है, तो हमें भी सफाई की आवश्यक्ता होती है। भजनकार राजा दाऊद की तरह हमें भी परमेश्वर से आग्रह करना चाहिये कि वह हमारे मन और हृदय को जांचे और हमारे बुरे विचारों, रवैये और मार्गों को प्रगट करे (भजन १३९:२३, २४)। जब हमारी अन्तःस्थिति खुलेगी तो हमें कष्ट तो होगा, लेकिन उस सफाई और कष्ट में भी हमारे परमेश्वर का व्यवहार सदा प्रेम और नरमी का रहता है "देख, शान्ति ही के लिये मुझे बड़ी कडुआहट मिली; परन्तु तू ने स्नेह करके मुझे विनाश के गड़हे से निकाला है, क्योंकि मेरे सब पापों को तू ने अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है" (यशायाह ३८:१७)। इसलिये हम बिना भय के उसके पास आ सकते हैं।
परमेश्वर द्वारा हमारा जांचा जाना और साफ किया जाना, चाहे कुछ कष्टदायक हो, लेकिन हमारे भले के लिये यह आवश्यक है, और अनिवार्य है "उस से पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं; मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं" (भजन ११९:६७, ७१)।
पश्चताप का दर्द चंगाई का आनन्द देता है।
हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और हृदय को परख। क्योंकि तेरी करूणा तो मेरी आंखों के साम्हने है, और मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलता रहा हूं। - भजन २६:२, ३
बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१०, २३, २४
हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।।
तू मेरा उठना बैठना जानता है, और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं को जान ले!
और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!
एक साल में बाइबल:
- यर्मियाह ३४-३६
- इब्रानियों २