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शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

इच्छाएं और योजनाएं


   सन 1960 में, जिस माध्यमिक स्कूल में मैं विद्यार्थी था, सभी विद्यार्थियों ने प्रतिभा से संबंधित एक प्रोजैक्ट में भाग लिया। कई दिनों तक हम परीक्षाएं देते रहे जो हमारे शैक्षिक विषयों के सम्बंध में हमारे रुझान को जाँचती थीं। इसके अतिरिक्त हम से कहा गया कि भविष्य को लेकर हम अपनी योजनाएं, इच्छाएं और आशाएं भी बताएं। इस प्रोजैक्ट में भाग लेने वाले केवल हम ही नहीं थे वरन इसमें सारे अमेरिका से 1300 स्कूल और 400,000 विद्यार्थी भाग ले रहे थे। यद्यपि हम में से कोई नहीं जानता था कि आगे चलकर हमारा जीवन क्या दिशा या मोड़ ले लेगा, तो भी हम अपनी सोच के अनुसार अपने भविष्य का विचार कर रहे थे, योजना बना रहे थे।

   यही बात परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक तरशीश के निवासी शाऊल के लिए भी सच थी। एक जवान व्यक्ति के रूप में उसके जीवन का लक्ष्य था मसीही विश्वासियों का नाश करना (प्रेरितों 7:58-8:3; गलतियों 1:13)। लेकिन यही घोर मसीह विरोधी शाऊल, प्रभु यीशु से एक ही साक्षात्कार के बाद, मसीह यीशु का अनुयायी और प्रेरित पौलुस बन गया और मसीही विश्वासियों को गिनती तथा विश्वास में बढ़ाने में पूरे जी-जान से सक्रीय हो गया। जब वह यरुशलेम की ओर जा रहा था, जहाँ वह जानता था कि उसे बन्दी बनाया जाएगा और बहुत कष्ट उठाने पड़ेंगे, उसने उसके कठिन भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे अपने मित्रों से कहा, "परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है" (प्रेरितों 20:24)।

   जब हमारे जीवन का लक्ष्य परमेश्वर को महिमा देना होता है, तब परमेश्वर हमारे हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करता है और सुरक्षा देता है। हमारी इच्छाएं और योजनाएं जो भी हों, जब हम उन्हें परमेश्वर के हाथों में छोड़ देते हैं, तब हमारी हर बात का नियंत्रण, निर्धारण और परिणाम परमेश्वर की ओर से ही होता है, फिर हमें चाहे सफलता मिले या असफलता, सब हमारी भलाई के लिए ही होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपना मसीही जीवन वैसे ही जीते रहें जैसे उसे आरंभ किया था - मसीह यीशु पर विश्वास के साथ।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: प्रेरितों 20:16-24
Acts 20:16 क्योंकि पौलुस ने इफिसुस के पास से हो कर जाने की ठानी थी, कि कहीं ऐसा न हो, कि उसे आसिया में देर लगे; क्योंकि वह जल्दी करता था, कि यदि हो सके, तो उसे पिन्‍तेकुस का दिन यरूशलेम में कटे।
Acts 20:17 और उसने मीलेतुस से इफिसुस में कहला भेजा, और कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाया। 
Acts 20:18 जब वे उस के पास आए, तो उन से कहा, तुम जानते हो, कि पहिले ही दिन से जब मैं आसिया में पहुंचा, मैं हर समय तुम्हारे साथ किस प्रकार रहा। 
Acts 20:19 अर्थात बड़ी दीनता से, और आंसू बहा बहाकर, और उन परीक्षाओं में जो यहूदियों के षडयन्‍त्र के कारण मुझ पर आ पड़ी; मैं प्रभु की सेवा करता ही रहा। 
Acts 20:20 और जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका। 
Acts 20:21 वरन यहूदियों और यूनानियों के साम्हने गवाही देता रहा, कि परमेश्वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए। 
Acts 20:22 और अब देखो, मैं आत्मा में बन्‍धा हुआ यरूशलेम को जाता हूं, और नहीं जानता, कि वहां मुझ पर क्या क्या बीतेगा 
Acts 20:23 केवल यह कि पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझ से कहता है, कि बन्‍धन और क्‍लेश तेरे लिये तैयार हैं। 
Acts 20:24 परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 58-60