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रविवार, 31 जुलाई 2016

जैसा मैं हूँ


   मैं एक संगीत-समारोह में गई हुई थी, और संगीत मण्डली के अगुवे ने जो गीत वे गाने वाले थे: "Just as I am" (जैसा मैं हूँ) का परिचय दिया ही था। इस गीत के बारे में सुनकर मेरे मन में कई सुखद यादें आ गईं। मुझे याद आया कि हमारे चर्च में जब पादरी अपने सन्देश के अन्त में उपस्थित लोगों से आवाहन करते थे कि जिन्होंने अपने पापों की क्षमा के लिए प्रभु यीशु को स्वीकार किया है, वे प्रार्थना के लिए आगे आएं, तो लोगों के आगे आने के समय में हम यही गीत गाया करते थे।

   लेकिन उस संगीत मण्डली के अगुवे ने हमारे द्वारा इस गीत को गाने के एक और समय का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वे सोचते हैं कि जब उनका देहान्त होगा और वे प्रभु यीशु के साथ रहने के लिए स्वर्ग पहुँचेंगे, तो प्रभु के महान अनुग्रह और क्षमा के प्रति धन्यवाद के लिए भी वे यही गीत गाएंगे:
जैसा मैं हूँ, बगैर एक बात,
पर तेरे लहू से है हयात,
अब तेरे नाम से है नजात,
मसीह, मसीह मैं आता हूँ

   यह गीत छार्लेट ईलियट नामक एक महिला ने लिखा था। इस गीत के लिखने से कई वर्ष पहले उसने एक पादरी से पूछा था कि वह कैसे प्रभु यीशु को पा सकती है? उस पादरी ने उसे उत्तर दिया था, "आप जैसी भी हैं बस प्रभु को अपनाकर उस के पास आ जाईए"; और वह आ गई थी। बाद में बीमारी की एक निराशाजनक हालत में उन्होंने उस दिन अपने मसीह यीशु के पास आने और उससे अपने पापों की क्षमा पाने के अनुभव को इस गीत में उतारा था।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि प्रभु यीशु हमें प्रोत्साहित करता है कि हम उसके खोजी बनें, "जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो" (यशायाह 55:6); वह हमें पुकारता है: "अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ;....कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे" (पद 1, 3)।

   प्रभु यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा मिले उद्धार के मार्ग के द्वारा आज, कभी भी, हम जैसे भी हों, जिस भी स्थिति में हों, हम उसके पास आ सकते हैं; और फिर एक दिन हम उसके पास स्वर्ग में जाएंगे, उसके साथ अनन्तकाल तक आनन्दित तथा मग्न रहने के लिए।

   क्या आपने प्रभु यीशु के पास आने का यह निर्णय ले लिया है? क्या आपने प्रभु से कहा है "जैसा मैं हूँ, बगैर एक बात,....मसीह मैं आता हूँ"? - ऐनी सेटास


और आत्मा, और दुल्हिन दोनों कहती हैं, आ; और सुनने वाला भी कहे, कि आ; 
और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंत-मेंत ले। - प्रकाशितवाक्य 22:17

क्या मेरा घराना ईश्वर की दृष्टि में ऐसा नहीं है? उसने तो मेरे साथ सदा की एक ऐसी वाचा बान्धी है, जो सब बातों में ठीक की हुई और अटल भी है। क्योंकि चाहे वह उसको प्रगट न करे, तौभी मेरा पूर्ण उद्धार और पूर्ण अभिलाषा का विषय वही है। - 2 शमूएल 23:5

बाइबल पाठ: यशायाह 55:1-7
Isaiah 55:1 अहो सब प्यासे लोगों, पानी के पास आओ; और जिनके पास रूपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रूपए और बिना दाम ही आकर ले लो। 
Isaiah 55:2 जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रूपया लगाते हो, और, जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे। 
Isaiah 55:3 कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बान्धूंगा अर्थात दाऊद पर की अटल करूणा की वाचा। 
Isaiah 55:4 सुनो, मैं ने उसको राज्य राज्य के लोगों के लिये साक्षी और प्रधान और आज्ञा देने वाला ठहराया है। 
Isaiah 55:5 सुन, तू ऐसी जाति को जिसे तू नहीं जानता बुलाएगा, और ऐसी जातियां जो तुझे नहीं जानतीं तेरे पास दौड़ी आएंगी, वे तेरे परमेश्वर यहोवा और इस्राएल के पवित्र के निमित्त यह करेंगी, क्योंकि उसने तुझे शोभायमान किया है।
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; 
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 54-56
  • रोमियों 3


शनिवार, 30 जुलाई 2016

पहचान चिन्ह


   आयरलैण्ड के पश्चिमी तट के निकट एरन द्वीप-समूह है जो अपने खूबसूरत ऊनी स्वेटरों के लिए प्रसिद्ध है। उन स्वेटरों को बनाते समय भेड़ के ऊन के द्वारा ही नमूने स्वेटरों में बुन दिए जाते हैं। इन में से कई नमूने वहाँ की संस्कृति और पारंपरिक बातों पर आधारित होते हैं, लेकिन कुछ अन्य नमूने विशिष्ट एवं व्यक्तिगत होते हैं। उन द्वीपों में बसने वाले प्रत्येक परिवार के अपने ही विशिष्ट पहचान चिन्ह (ट्रेडमार्क) होते हैं, जो परस्पर इतने भिन्न होते हैं कि कहा जाता है कि वहाँ यदि कोई मछुआरा डूब कर मर भी जाए तो उसके पहने हुए स्वेटर से उसके परिवार का पता चल सकता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित यूहन्ना द्वारा लिखी गई उसकी प्रथम पत्री में भी परमेश्वर के घराने के लोगों, अर्थात मसीही विश्वासियों के कुछ पहचान चिन्ह दिए गए हैं। 1 यूहन्ना 3:1 में प्रेरित यूहन्ना इस बात को सुनिश्चित करता है कि हम मसीही विश्वासी परमेश्वर के घराने के लोग हैं: "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना"; फिर वह परमेश्वर की सन्तान कहलाए जाने वाले लोगों के पहचान चिन्ह बताता है, जिन में से एक है, "हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है" (1 यूहन्ना 4:7)।

   क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है, इसलिए परमेश्वर के हृदय को प्रतिबिंबित करने का मुख्य तरीका है उस प्रेम को प्रदर्शित करना जो परमेश्वर का प्रमुख गुण है। क्योंकि यह प्रेम हम मसीही विश्वासियों के स्वर्गीय परिवार का पहचान चिन्ह है, इसलिए होने दें कि आज आप इस पहचान चिन्ह को अपने जीवन से प्रदर्शित करें और दूसरों तक इसे पहुँचाने का माध्यम बनें। - बिल क्राउडर


मसीह यीशु के अनुयायियों में प्रेम ही पहचान चिन्ह के रूप में संसार को दिखाई देना चाहिए।

मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो। - यूहन्ना 13:34-35

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-16
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। 
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। 
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। 
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 
1 John 4:11 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 
1 John 4:12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है। 
1 John 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है। 
1 John 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है। 
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में। 
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53
  • रोमियों 2


शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

मार्ग


   फ्रांस में नौरमैन्डी के समुद्र-तट से करीब आधा मील दूर स्थित मॉन्ट सेंट-माईकल टापू है जिस पर एक मठ बना है। सदियों से यह स्थान धार्मिक तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। जब तक वहाँ पहुँचने का मार्ग नहीं बन गया, उस टापू तक जाना खतरनाक रहा, और वहाँ पहुँचने के प्रयासों में कुछ तीर्थयात्रियों की जान भी जा चुकी है। जब समुद्र में ज्वार होता है तो वह टापू पानी से घिरा रहता है, और जब भाटा होता है तो टापू के आस-पास उबड़-खाबड़ रेत फैली होती है। उस मार्ग के बन जाने से पहले, उस टापू तक पहुँचना भय से भरा होता था।

   पुराने नियम के समय के यहूदियों के लिए परमेश्वर तक पहुँचना भी भय से भरा होता था। जब परमेश्वर ने अपनी आज्ञाएं दीं तो उसकी आवाज़ के भीषण गर्जन के कारण वे यहूदी लोग उसके समीप आने से डरने लगे (निर्गमन 19:10-16)। जब महायाजक के माध्यम से परमेश्वर तक पहुँचने का मार्ग मिला तो भी कुछ अनुष्ठान और विधियाँ पूरी करे बिना यह संभव नहीं था (लैव्यवस्था 16:1-34)। परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति के प्रतीक वाचा के सन्दूक को गलती से भी छू लेना, मृत्यु का कारण बन सकता था (2 शमूएल 6:7-8)।

   किंतु प्रभु यीशु के बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा आज हमारे लिए परमेश्वर तक निर्भीक होकर पहुँचने का मार्ग तैयार और उपलब्ध है। प्रभु यीशु के बलिदान ने समस्त मानव जाति के पापों के दण्ड की कीमत चुका दी है; प्रभु में लाए गए विश्वास के द्वारा किसी भी मसीही विश्वासी को अपने पापों के दण्ड को भोगने की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है; अब प्रभु यीशु के सभी विश्वासियों को परमेश्वर की उपस्थिति में निमंत्रण है: "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों 4:16)।

   प्रभु यीशु मसीह में सभी मनुष्यों के लिए कभी भी, कहीं भी प्रार्थना में परमेश्वर की उपस्थिति में आने का मार्ग तैयार और उपलब्ध हो गया है। - डेनिस फिशर


प्रभु यीशु के नाम से करी गई प्रार्थना के द्वारा प्रमेश्वर पिता तक हमारी तात्कालिक पहुँच होती है।

और उसने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया। क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है। - इफिसियों 2:17-18

बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:14-16; 10:19-22
Hebrews 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्‍वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। 
Hebrews 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। 
Hebrews 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।
Hebrews 10:19 सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है। 
Hebrews 10:20 जो उसने परदे अर्थात अपने शरीर में से हो कर, हमारे लिये अभिषेक किया है, 
Hebrews 10:21 और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है। 
Hebrews 10:22 तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव ले कर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50
  • रोमियों 1


गुरुवार, 28 जुलाई 2016

साहस एवं प्रोत्साहन


   मैं, एटलान्टा कॉन्सटिट्यूशन नामक अखबार के 1960 से 1968 तक रहे संपादक, तथा अपने श्रेष्ठ कार्य के लिए पुलिट्ज़र पुरुस्कार प्राप्त करने वाले यूजीन पैटरसन के देहांत पर उनके बारे छपे लेख को पढ़ रहा था। उनके जीवन की दो बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया; पहली यह कि कई वर्षों तक ऐसे समय में जब रंग के आधार पर अमेरिका के उस क्षेत्र में सभी मनुष्यों की समानता का कड़ा विरोध किया जा रहा था, वे मानव-अधिकारों की अडिग निर्भीक आवाज़ बने रहे; और दूसरा यह कि दिन-प्रतिदिन, वर्ष-प्रतिवर्ष, 8 वर्षों तक वे अखबार में अपना स्तंभ छापते रहे, अर्थात उन्होंने 2922 स्तंभ लिखे और प्रकाशित किए। साहस और अटलता उनके जीवन द्वारा प्रभावित करने वाले मुख्य गुण रहे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम प्रेरित पौलुस में ऐसे ही साहस और अटलता के गुण देखते हैं। प्रेरितों के कार्य 13-28 में, हम एक के बाद एक विषम परिस्थिति तथा कठिनाई में भी प्रदर्शित पौलुस के साहस को देखते हैं। जब उसे रोमी सम्राट कैसर के सामने मुकदमे में खड़े होने के लिए जल-पोत से रोम ले जाया जा रहा था, तो वह पोत क्षतिग्रस्त हो गया और पौलुस को रोम के दक्षिण में उतरना पड़ा, जहाँ कई मसीही विश्वासी भाई उससे मिलने आए (प्रेरितों 28:11-15)। लूका लिखता है कि, "वहां से भाई हमारा समाचार सुनकर अप्‍पियुस के चौक और तीन-सराए तक हमारी भेंट करने को निकल आए जिन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्वर का धन्यवाद किया, और ढाढ़स बान्‍धा" (पद 15)। अगले दो वर्षों तक वह अपने मुकदमे की प्रतीक्षा में बन्दी बनकर रहा, किंतु उसे अपना ही घर किराए पर लेकर रहने की अनुमति मिल गई, "और वह पूरे दो वर्ष अपने भाड़े के घर में रहा। और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर हो कर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा" (पद 30-31)।

   प्रभु यीशु मसीह का प्रत्येक अनुयायी, पौलुस के समान ही साहस तथा प्रोत्साहन को पाने और देने वाला हो सकता है; साहस और प्रोत्साहन के अपने आधार प्रभु यीशु मसीह के बारे में बताने वाला बन सकता है। आज हम जहाँ भी हैं, जिन भी परिस्थितियों में हैं, प्रभु परमेश्वर हमें वहीं अन्य लोगों के साहस एवं प्रोत्साहन के लिए इस्तेमाल कर सकता है। - डेविड मैक्ककैसलैंड



जब लोग आपके साथ अपने भय बाँटें, 
तो साहस के अपने आधार को उनके साथ बाँटने के द्वारा उन्हें प्रोत्साहित करें।

तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं। हे भाइयों, मैं तुम्हें सराहता हूं, कि सब बातों में तुम मुझे स्मरण करते हो: और जो व्यवहार मैं ने तुम्हें सौंप दिए हैं, उन्हें धारण करते हो। - 1 कुरिन्थियों 11:1-2

बाइबल पाठ: प्रेरितों 28:11-31
Acts 28:11 तीन महीने के बाद हम सिकन्‍दिरया के एक जहाज पर चल निकले, जो उस टापू में जाड़े भर रहा था; और जिस का चिन्ह दियुसकूरी था। 
Acts 28:12 सुरकूसा में लंगर डाल कर के हम तीन दिन टिके रहे। 
Acts 28:13 वहां से हम घूमकर रेगियुम में आए: और एक दिन के बाद दक्खिनी हवा चली तब हम दुसरे दिन पुतियुली में आए। 
Acts 28:14 वहां हम को भाई मिले, और उन के कहने से हम उन के यहां सात दिन तक रहे; और इस रीति से रोम को चले। 
Acts 28:15 वहां से भाई हमारा समाचार सुनकर अप्‍पियुस के चौक और तीन-सराए तक हमारी भेंट करने को निकल आए जिन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्वर का धन्यवाद किया, और ढाढ़स बान्‍धा।
Acts 28:16 जब हम रोम में पहुंचे, तो पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उस की रखवाली करता था, अकेले रहने की आज्ञा हुई।
Acts 28:30 और वह पूरे दो वर्ष अपने भाड़े के घर में रहा। 
Acts 28:31 और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर हो कर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28


बुधवार, 27 जुलाई 2016

दृष्टिकोण


   बसन्त ऋतु की छुट्टियों में जेसन अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर घूमने के लिए गया। एक दोपहर वह और उसके दोस्त कार में बैठकर न्यू योर्क की प्रसिद्ध गगनचुंबी इमारत एम्पायर स्टेट बिल्डिंग देखने गए। एम्पायर स्टेट बिलडिंग तक की वह कार यात्रा, शहर के रास्ते और उन रास्तों पर चल रहे लोगों तथा गाड़ियों के कारण वह शहर जेसन को अव्यवस्थित और खतरनाक लगा। लेकिन जब उसने इमारत के ऊपर पहुँचकर उस ऊँचाई से नीचे फैले न्य़ू यॉर्क शहर को देखा तो उसे उस शहर के निर्माण तथा उसके मार्गों की बनावट में अव्यवस्था नहीं वरन चकित कर देने वाली योजनाबद्ध व्यवस्था दिखाई दी। परिपेक्ष के बदले जाने से शहर के प्रति जेसन के दृष्टिकोण में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम हबक्कूक के जीवन में भी हम कुछ ऐसा ही देखते हैं। जब हबक्कूक ने पृथ्वी पर के अपने दृष्टिकोण से जीवन को देखा, तो उसे प्रतीत हुआ कि समाज में व्याप्त बुराई के प्रति परमेश्वर उदासीन है (हबक्कूक 1:2-4)। लेकिन परमेश्वर ने हबक्कूक को ईश्वरीय दृष्टिकोण प्रदान किया, और वह देखने पाया कि जीवन जैसा दिखाई पड़ता है, उससे बहुत आगे और भी कुछ है; तथा मनुष्य के कार्य परमेश्वर की योजनाओं को विफल नहीं कर सकते (हबक्कूक 2:3)।

   हमें प्रतीत हो सकता है कि जो परमेश्वर की परवाह भी नहीं करते वे फलते-फूलते हैं; किंतु समयानुसार परमेश्वर प्रत्येक बात और बुराई को ठीक कर देगा। जो कुछ भी हो रहा है उसमें भी परमेश्वर अपनी सार्वभौमिकता में होकर कार्य कर रहा है जिससे उसकी भली योजनाएं पूरी हो जाएं। परमेश्वर के कार्य कभी अधूरे नहीं रहते, कभी टल नहीं सकते और अपने नियोजित समयानुसार पूरे भी होंगे (पद 3)।

   हम अपने जीवनों में जिस स्थान पर खड़े हैं वहाँ से जीवन का विहंगम दृश्य तो नहीं देख सकते, किंतु परमेश्वर हम सबके समस्त जीवन के बारे में सब कुछ देखता और जानता है; इसलिए हमें जो दिखाई देता है उसके आधार पर नहीं वरन प्रभु परमेश्वर पर लाए गए अपने विश्वास के आधार पर हमें अपने जीवन व्यतीत करने चाहिएं; क्योंकि परमेश्वर के दृष्टिकोण से सब कुछ मिलकर अन्ततः उसके आदर तथा उसके विश्वासियों की भलाई के लिए ही कार्य कर रहा है। - पोह फैंग चिया


हमारे समय परमेश्वर के हाथों में हैं; हमारी आत्माएं उसकी सुरक्षा में हैं।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: हबक्कूक 2:1-14
Habakkuk 2:1 मैं अपने पहरे पर खड़ा रहूंगा, और गुम्मट पर चढ़ कर ठहरा रहूंगा, और ताकता रहूंगा कि मुझ से वह क्या कहेगा? और मैं अपने दिए हुए उलाहने के विषय में उत्तर दूं? 
Habakkuk 2:2 यहोवा ने मुझ से कहा, दर्शन की बातें लिख दे; वरन पटियाओं पर साफ साफ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएं। 
Habakkuk 2:3 क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होने वाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी। 
Habakkuk 2:4 देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा। 
Habakkuk 2:5 दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरूष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु की नाईं उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है। 
Habakkuk 2:6 क्या वे सब उसका दृष्टान्त चला कर, और उस पर ताना मार कर न कहेंगे कि हाय उस पर जो पराया धल छीन छीनकर धनवान हो जाता है? कब तक? हाय उस पर जो अपना घर बन्धक की वस्तुओं से भर लेता है। 
Habakkuk 2:7 जो तुझ से कर्ज लेते हैं, क्या वे लोग अचानक न उठेंगे? और क्या वे न जागेंगे जो तुझ को संकट में डालेंगे? 
Habakkuk 2:8 और क्या तू उन से लूटा न जाएगा? तू ने बहुत सी जातियों को लूट लिया है, सो सब बचे हुए लोग तुझे भी लूट लेंगे। इसका कारण मनुष्यों की हत्या, और वह अपद्रव भी जो तू ने इस देश और राजधानी और इसके सब रहने वालों पर किया है।
Habakkuk 2:9 हाय उस पर, जो अपने घर के लिये अन्याय के लाभ का लोभी है ताकि वह अपना घोंसला ऊंचे स्थान में बनाकर विपत्ति से बचे। 
Habakkuk 2:10 तू ने बहुत सी जातियों को काट कर अपने घर लिये लज्जा की युक्ति बान्धी, और अपने ही प्राण का दोषी ठहरा है। 
Habakkuk 2:11 क्योंकि घर की भीत का पत्थर दोहाई देता है, और उसके छत की कड़ी उनके स्वर में स्वर मिलाकर उत्तर देती हैं। 
Habakkuk 2:12 हाय उस पर जो हत्या कर के नगर को बनाता, और कुटिलता कर के गढ़ को दृढ़ करता है। 
Habakkuk 2:13 देखो, क्या सेनाओं के यहोवा की ओर से यह नहीं होता कि देश देश के लोग परिश्रम तो करते हैं परन्तु वे आग का कौर होते हैं; और राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ही ठहरता है? 
Habakkuk 2:14 क्योंकि पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45
  • प्रेरितों 27:27-44


मंगलवार, 26 जुलाई 2016

काम


   हम ट्रेन द्वारा पश्चिमी मिशिगन के तट के समीप से होकर यात्रा कर रहे थे; बसन्त ऋतु ग्रीष्म ऋतु में परिवर्तित ही हुई थी, और खेतों में फसलें पक कर तैयार हो रही थीं। उस इलाके की उपजाऊ भूमि पर हम एक के बाद एक भिन्न फसलों के लहलहाते खेतों को देख रहे थे; कहीं स्ट्रॉबेरी तैयार थी और प्रातः की ओस में झुककर लोग उस रसभरे फल को एकत्रित कर रहे थे, तो कहीं ब्लूबेरी की झाड़ियाँ के खेत आसमान से धूप और ज़मीन से पोषक तत्व सोखते हुए तैयार खड़े थे।

   एक के बाद एक तैयार होती हुई फसलों के खेतों से होकर निकलते हुए हम ज़ंग लगी त्यागी हुई धातु के बड़े से ढेर के पास से निकले। पृथ्वी पर उग रही फसल की उस हरियाली की तुलना में ज़मीन पर पड़ी नारंगी रंग का धातु का वह ढेर एक कठोर छवि प्रस्तुत कर रहा था। परमेश्वर द्वारा उत्पन्न करी गई फसल और मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए गए उस धातु के ढेर के बीच एक तीव्र विषमता थी; मनुष्य द्वारा बनाई गई वह धातु किसी काम की नहीं थी, परमेश्वर द्वारा बनाए गए वे फल मनुष्यों के पोषण पाने और भूख मिटाने के लिए थे।

   फसल के फलों और धातु के बीच उस अन्तर से मुझे परमेश्वर द्वारा प्राचीन शहरों जैसे कि दमिश्क के विरुद्ध करी गई भविष्यवाणियाँ (यशायाह 17:1-11) स्मरण हो आईं, जहां लिखा है: "क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाए, चाहे रोपने के दिन तू उनके चारों और बाड़ा बान्धे, और बिहान ही को उन में फूल खिलने लगें, तौभी सन्ताप और असाध्य दु:ख के दिन उसका फल नाश हो जायेगा" (यशायाह 17:10-11)। यह भविष्यवाणी आज हमें इस विचार के प्रति सचेत करती है कि हम परमेश्वर के बिना अपनी ही सामर्थ से कुछ काम कर तो सकते हैं, किंतु यदि परमेश्वर का मार्गदर्शन और उसकी इच्छा उस काम में नहीं है तो हमारे हाथों और इच्छाओं का वह काम शीघ्र ही नाश का ढेर बन जाएगा। लेकिन जब हम परमेश्वर के साथ मिलकर उसके काम में मेहनत करते हैं तो परमेश्वर हमारी मेहनत को बहुत फलदायक करता है और उस काम को अनेकों के लिए तृप्ति और पोषण का माध्यम बना देता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रभु यीशु ने कहा: "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।" (यूहन्ना 15:5)

तुम ने दुष्टता के लिये हल जोता और अन्याय का खेत काटा है; और तुम ने धोखे का फल खाया है। और यह इसलिये हुआ क्योंकि तुम ने अपने कुव्यवहार पर, और अपने बहुत से वीरों पर भरोसा रखा था। - होशै 10:13

बाइबल पाठ: यशायाह 17:1-11
Isaiah 17:1 दमिश्क के विषय भारी भविष्यवाणी। देखो, दमिश्क नगर न रहेगा, वह खंडहर ही खंडहर हो जाएगा। 
Isaiah 17:2 अरोएर के नगर निर्जन हो जाएंगे, वे पशुओं के झुण्ड़ों की चराई बनेंगे; पशु उन में बैठेंगे और उनका कोई भगाने वाला न होगा। 
Isaiah 17:3 एप्रैम के गढ़ वाले नगर, और दमिश्क का राज्य और बचे हुए अरामी, तीनों भविष्य में न रहेंगे; और जो दशा इस्राएलियों के वैभव की हुई वही उनकी होगी; सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
Isaiah 17:4 और उस समय याकूब का वैभव घट जाएगा, और उसकी मोटी देह दुबली हो जाएगी। 
Isaiah 17:5 और ऐसा होगा जैसा लवने वाला अनाज काट कर बालों को अपनी अंकवार में समेटे वा रपाईम नाम तराई में कोई सिला बीनता हो। 
Isaiah 17:6 तौभी जैसे जलपाई वृक्ष के झाड़ते समय कुछ फल रह जाते हैं, अर्थात फुनगी पर दो-तीन फल, और फलवन्त डालियों में कहीं कहीं चार-पांच फल रह जाते हैं, वैसे ही उन में सिला बिनाई होगी, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
Isaiah 17:7 उस समय मनुष्य अपने कर्ता की ओर दृष्टि करेगा, और उसकी आंखें इस्राएल के पवित्र की ओर लगी रहेंगी; 
Isaiah 17:8 वह अपनी बनाई हुई वेदियों की ओर दृष्टि न करेगा, और न अपनी बनाई हुई अशेरा नाम मूरतों वा सूर्य की प्रतिमाओं की ओर देखेगा। 
Isaiah 17:9 उस समय उनके गढ़ वाले नगर घने वन, और उनके निर्जन स्थान पहाड़ों की चोटियों के समान होंगे जो इस्राएलियों के डर के मारे छोड़ दिए गए थे, और वे उजाड़ पड़े रहेंगे।
Isaiah 17:10 क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाए, 
Isaiah 17:11 चाहे रोपने के दिन तू उनके चारों और बाड़ा बान्धे, और बिहान ही को उन में फूल खिलने लगें, तौभी सन्ताप और असाध्य दु:ख के दिन उसका फल नाश हो जायेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26



सोमवार, 25 जुलाई 2016

खोजी


   एल्फ क्लार्क शहर के मार्गों पर ’जक्कई’ को खोजता हुआ फिरता है; परमेश्वर के वचन बाइबल में उल्लेखित जक्कई को नहीं, उसे तो प्रभु यीशु ने पहले ही ढूँढ़ लिया था! एल्फ और उसके कुछ मित्र शहरों में कार्य कर रही एक मसीही सेवकाई के साथ कार्य करते हैं, और तब जो लूका 19 में प्रभु यीशु ने किया था, वैसा ही वे आज करते हैं। वे शहर और नगर में आवश्यकतामन्दों की सहायता करने के उद्देश्य के साथ निकलते हैं। वे अपने पड़ौस के प्रत्येक घर में जाते हैं, दरवाज़े खटखटाते हैं और जो कोई झांकता है उसे अपना परिचय देते हुए कहते हैं, "क्या आपकी कोई ऐसी आवश्यकताएं हैं जिनके लिए हम प्रार्थना कर सकते हैं?" वार्तालाप आरंभ करने का यह उनका तरीका है - जैसा प्रभु यीशु ने तब कर-अधिकारी जक्कई के साथ, उसे आत्मिक जीवन का मार्ग तथा आशा देने के लिए किया था।

   जो प्रभु यीशु ने किया था, उस पर ज़रा ध्यान कीजिए। लूका के वृतांत में लिखा है कि प्रभु यीशु यरीहो से होकर निकल रहा था (लूका 19:1); और जैसा प्रभु यीशु के आने पर हुआ करता था, एक भीड़ उनके साथ चलने लगी। ज़क्कई भी प्रभु यीशु को देखना चाहता था, किंतु कद में नाटा होने के कारण भीड़ में होकर नहीं देख पा रहा था, इसलिए उस मार्ग के एक पेड़ पर चढ़ गया जिससे प्रभु यीशु को देख सके। प्रभु यीशु ने उस पेड़ के नीचे पहुँचकर ज़क्कई से कहा कि उन्हें उसके घर आना है। उस दिन प्रभु यीशु के उस खोजी ज़क्कई के घर उद्धार आया; "क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (पद 10)।

   जैसे एल्फ और उसके साथी, प्रभु यीशु के समान खोजियों को ढूँढ़ते हैं, क्या हम भी प्रभु के खोजियों के खोजी हैं? प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास द्वारा सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा, उद्धार और शांति के खोजी संसार के हर स्थान पर हैं, उन तक पहुँचने के लिए प्रयास करने वालों की आवश्यकता है; उन आवश्यकतामन्दों को जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु तथा उसके प्रेम और अनुग्रह से मिलाने वालों की आवश्यकता है। - डेव बार्टन


प्रभु परमेश्वर का सुसमाचार इतना अच्छा है कि, 
उसे अपने आप तक रखा ही नहीं जा सकता।

क्या तुम नहीं कहते, कि कटनी होने में अब भी चार महीने पड़े हैं? देखो, मैं तुम से कहता हूं, अपनी आंखे उठा कर खेतों पर दृष्टि डालो, कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं। और काटने वाला मजदूरी पाता, और अनन्त जीवन के लिये फल बटोरता है; ताकि बोने वाला और काटने वाला दोनों मिलकर आनन्द करें। - यूहन्ना 4:35-36

बाइबल पाठ: लूका 19:1-10
Luke 19:1 वह यरीहो में प्रवेश कर के जा रहा था। 
Luke 19:2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था। 
Luke 19:3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था। 
Luke 19:4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था। 
Luke 19:5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है। 
Luke 19:6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया। 
Luke 19:7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है। 
Luke 19:8 ज़क्कई ने खड़े हो कर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय कर के ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं। 
Luke 19:9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। 
Luke 19:10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 37-39
  • प्रेरितों 26


रविवार, 24 जुलाई 2016

आशा


   दक्षिणी अमेरिका के चिली देश के एटाकामा रेगिस्तान में एक ऊँचे पठार पर संसार के सबसे विशाल रेडियो टेलिस्कोपों में से एक स्थित है। इस रेडियो टेलिस्कोप के द्वारा खगोलशास्त्री सृष्टि के ऐसे दश्य देखने पाते हैं जो अन्य किसी दूरबीन द्वारा पहले कभी नहीं देखे गए। एक समाचार संवाददाता, लुइस अन्द्रेस हेनाओ ने इस रेडियो टेलिस्कोप से हो रहे कार्य पर अपने एक लेख में लिखा, अनेकों देशों से आने वाले वैज्ञानिक इसके द्वारा सृष्टि के आरंभ समय को बताने वाले संकेत ढूँढ़ रहे हैं, सबसे ठंडे और दूरस्त गैस तथा धूल पिंडों से लेकर, जहाँ नक्षत्र समूहों तथा सितारों का जन्म होता है, बिग बैंग के समय उत्पन्न ऊर्जा के विशलेषण तक।

   परमेश्वर का वचन बाइबल इस समस्त सृष्टि के रचियता परमेश्वर की महान सामर्थ और समझ-बूझ के बारे में बताती है; बाइबल का भजन 147 इसी विषय पर लिखा गया है। इस भजन में हम देखते हैं कि परमेश्वर उन सितारों को भी जो हमें अनगिनित लगते हैं, गिनकर रखता है, उन्हें नाम लेकर बुलाता है (पद 4)। लेकिन परमेश्वर कहीं दूर रहने वाला बेपरवाह बल नहीं है, वह प्रेमी पिता है जो "खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है" (पद 3) तथा "नम्र लोगों को सम्भलता है" (पद 6)। वह तो "अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं" (पद 11)।

   परमेश्वर ने तो "...जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)। ब्रिटिश लेखक जे. बी. फिलिप्स ने पृथ्वी को ऐसा ग्रह बताया है जहाँ महिमा का राजकुमार अर्थात प्रभु यीशु आया है और अपनी योजनाएं पूरी कर रहा है।

   हमारी आज तथा अनन्तकाल की आशा उसी महान, प्रेमी, अनुग्रहकारी प्रभु परमेश्वर से है जो सृष्टिकर्ता तथा हमारा सृजनहार है, जो सितारों को भी नाम से बुलाता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


वह प्रभु परमेश्वर जो सृष्टि के सभी सितारों के नाम जानता है, वह हमारे नाम भी जानता है।

क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार कर के उन्हें शोभायमान करेगा। - भजन 149:4

बाइबल पाठ: भजन 147:1-11
Psalms 147:1 याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है। 
Psalms 147:2 यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है। 
Psalms 147:3 वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है। 
Psalms 147:4 वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है। 
Psalms 147:5 हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है। 
Psalms 147:6 यहोवा नम्र लोगों को सम्भलता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है।
Psalms 147:7 धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ। 
Psalms 147:8 वह आकाश को मेघों से छा देता है, और पृथ्वी के लिये मेंह की तैयारी करता है, और पहाड़ों पर घास उगाता है। 
Psalms 147:9 वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं, आहार देता है।
Psalms 147:10 न तो वह घोड़े के बल को चाहता है, और न पुरूष के पैरों से प्रसन्न होता है; 
Psalms 147:11 यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 35-36
  • प्रेरितों 25


शनिवार, 23 जुलाई 2016

समर्पण


   हाल ही में मैं दक्षिणी अमेरिका में हुई एक चर्च सभा का वीडियो देख रहा था; उस वीडियो में मैंने कुछ ऐसा देखा जो किसी चर्च में पहले कभी नहीं देखा था। सन्देश के दौरान पादरी ने अपनी मण्डली के लोगों को भावविभोर होकर आवाहन दिया कि वे अपने जीवन प्रभु यीशु को समर्पण करें, उनके इस आवाहन के प्रत्युत्तर में वहाँ उपस्थित लोगों में से एक ने अपनी जेब से सफेद रुमाल निकाला और उसे हवा में हिलाने लगा; फिर एक और ने, एक और ने और एक के बाद एक अनेकों ने ऐसा ही करना आरंभ कर दिया। उन लोगों की आँखों से आंसू बह रहे थे और वे प्रभु यीशु मसीह को अपने जीवन पूर्णतः समर्पित करने के अपने निर्णय को दिखा रहे थे।

   लेकिन संभवतः समर्पण के उस रुमाल रूपी झंडे को हिलाने के पीछे एक और भावना भी थी - वे लोग परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने वाले झंडे भी लहरा रहे थे। परमेश्वर के वचन बाइबल में जब परमेश्वर ने लोगों से कहा कि वे उससे सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखें (व्यवस्थाविवरण 6:5), तब वह उन लोगों द्वारा परमेश्वर को अपने जीवन समर्पित करने के संदर्भ में था।

   परमेश्वर के दृष्टिकोण से, उसके साथ जीवन व्यतीत करने का तात्पर्य भला बनने से कहीं अधिक बढ़कर है। परमेश्वर के साथ जीवन बिताने का अर्थ है उसके साथ एक संबंध स्थापित करना; एक ऐसा संबंध जिसमें हम उसके प्रति पूर्णतः समर्पित होने के द्वारा उसके प्रति अपना प्रेम व्यक्त करते हैं। प्रेम में ऐसा महान समर्पण करना हमें पहले प्रभु यीशु ने करके  दिखाया जब उन्होंने हमारे तथा सारे जगत के सभी लोगों के पापों की क्षमा के लिए अपने आप को क्रूस पर बलिदान होने के लिए समर्पित कर दिया। प्रभु यीशु के इसी समर्पण द्वारा हमें पाप के बन्धनों से मुक्ति और हर भली तथा महिमामय बात को दिलाने वाले यात्रा-मार्ग, अर्थात परमेश्वर के मार्ग पर चलने का सौभाग्य मिला है।

   हमारे पास वे शब्द नहीं हैं जिनके द्वारा हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को हम पूर्णतः बयान कर सकें; लेकिन अपने समपूर्ण समर्पण के द्वारा हम अपने इस प्रेम को व्यक्त अवश्य कर सकते हैं। - जो स्टोवैल


समर्पण परमेश्वर के प्रेम की भाषा है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16 

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 6:1-9
Deuteronomy 6:1 यह वह आज्ञा, और वे विधियां और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिकारी होने को पार जाने पर हो; 
Deuteronomy 6:2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपने जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे। 
Deuteronomy 6:3 हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ। 
Deuteronomy 6:4 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है; 
Deuteronomy 6:5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना। 
Deuteronomy 6:6 और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; 
Deuteronomy 6:7 और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। 
Deuteronomy 6:8 और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी कर के बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें। 
Deuteronomy 6:9 और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 33-34
  • प्रेरितों 24


शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

क्षमा


   मैं एक प्रतिभाशाली प्यानों वादिका से वार्तालाप कर रहा था; उसने मुझ से पूछा कि क्या मैं कोई साज़ बजाता हूँ? मैंने उत्तर दिया, "मैं रेडियो बजा लेता हूँ"; उसने हंसते हुए फिर पूछा कि क्या मैंने कभी कोई साज़ बजा पाने की इच्छा रखी है? मैंने थोड़ी शर्मिन्दगी के साथ उत्तर दिया, "लड़कपन में मैंने कुछ समय तक प्यानो सीखा था, फिर उसे छोड़ दिया।" अब अपने व्यसक जीवन में मुझे पछतावा होता है कि मैंने प्यानो सीखना ज़ारी क्यों नहीं रखा, क्योंकि मुझे संगीत का शौक है और मेरी इच्छा होती है कि आज मैं भी कोई साज़ बजा सकूँ। यह वार्तालाप मेरे लिए इस बात को पुनःस्मरण करने का अवसर था कि हमारे जीवनों में हमारे चुनावों का बहुत प्रभाव होता है - और कुछ चुनावों के कारण हमें पछतावा होता है।

    लेकिन कुछ गलत चुनाव ऐसे भी होते हैं जो हमारे अन्दर दीर्घ-कालीन एवं कष्टदायक पछतावा छोड़ जाते हैं - जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक राजा दाऊद के साथ हुआ। पहले दाऊद ने एक अन्य पुरुष की स्त्री के साथ व्यभिचार किया और फिर अपने पाप को छुपाने के लिए उस स्त्री के पति को मरवा डाला। इस पाप का दोष-बोध उसके लिए बहुत कष्टदायक बना और इससे ग्रसित होकर उसने अपने एक भजन में लिखा, "जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई। क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई" (भजन 32:3-4)। लेकिन दाऊद ने अपने पाप का अंगीकार किया और उसे परमेश्वर के सामने मान लिया, जो उसके लिए परमेश्वर से क्षमा और शांति को लेकर आया (पद 5)।

   जब हमारे चुनाव और कार्य हमें पाप और बुराई में ढकेल दें, तो उनका अंगीकार करने और उनके लिए प्रभु यीशु से क्षमा माँग लेने के द्वारा (1 यूहन्ना 1:9) केवल परमेश्वर के अनुग्रह से ही हमें पाप के दोष से छुटकारा मिल सकता है; केवल उस से ही हमें क्षमा की शांति मिल सकती है। केवल परमेश्वर ही है जो हमें सही चुनाव एवं निर्णय ले पाने की बुद्धिमता प्रदान करता है (भजन 32:8)। - बिल क्राउडर


प्रभु परमेश्वर से मिलने वाली क्षमा हमें पछतावे के बन्धनों से स्वतंत्र करती है।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9 

बाइबल पाठ: भजन 32
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। 
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई। 
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। 
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। 
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। 
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35



गुरुवार, 21 जुलाई 2016

जल


   यद्यपि पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल से ढका हुआ है, फिर भी उस जल का 1 प्रतिश्त से भी कम अंश मनुष्यों के पीने योग्य है। जल का संरक्षण और स्वच्छता संसार के अनेकों भागों में बहुत महत्वपूर्ण विषय हैं, क्योंकि जीवन स्वच्छ और पीने योग्य जल के उपलब्ध होने पर निर्भर करता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि एक पापों में भटकी हुई स्त्री को जीवन-जल तक लाने के लिए प्रभु यीशु मसीह ने मार्ग से हटकर यात्रा करी। प्रभु यीशु जान-बूझकर सामरिया के एक ऐसे स्थान से होकर गए, जहाँ से कोई भी शिष्ट एवं सम्मानयोग्य प्रचारक नहीं जाता था। वहाँ उन्होंने उस महिला को जीवन-जल के बारे में बताया; प्रभु यीशु ने उससे कहा, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)।

   यह जीवन-जल स्वयं प्रभु यीशु मसीह ही हैं। जो उन्हें स्वीकार कर लेते हैं, वे अनन्त अविनाशी जीवन भी पा लेते हैं। प्रभु यीशु के अनुयायियों के अन्दर यह जीवन जल एक कार्य और करता है - उनमें से उमड़कर बहने वाला यह जीवन-जल औरों को भी तृप्त करता है, और फिर उन तृप्त होने वालों में से होकर अन्य लोगों की तृप्ति के लिए प्रवाहित होने लग जाता है (यूहन्ना 7:38)।

   जैसे संसार में स्वच्छ पेय जल की उपलब्धता असमान है, वैसा ही इस जीवन-जल के संबंध में भी है। संसार के कई स्थानों पर अभी भी अनेकों ऐसे लोग हैं जो प्रभु यीशु और उसमें लाए गए विश्वास द्वारा सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार के बारे में या तो जानते ही नहीं हैं, या फिर अच्छे से और सही रीति से नहीं जानते हैं। हम मसीही विश्वासियों का यह विशेषाधिकार एवं ज़िम्मेदारी है कि इस पाप और बुराई से भरे संसार के लोगों में उन्हें सच्ची तृप्ति देने वाले इस जीवन-जल को पहुँचाने वाले बनें। - सी. पी. हिया


प्यासे संसार के लिए जीवन-जल का कभी ना समाप्त होने वाले स्त्रोत प्रभु यीशु मसीह ही हैं।

जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी। - यूहन्ना 7:38 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:4-14
John 4:4 और उसको सामरिया से हो कर जाना अवश्य था। 
John 4:5 सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। 
John 4:6 और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। 
John 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। 
John 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 
John 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। 
John 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। 
John 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? 
John 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? 
John 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। 
John 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15



बुधवार, 20 जुलाई 2016

मात्रा या माप


   मसीही सेवकाई के भ्रमण के समयों में मुझे अनेकों ऐसे लोगों से मिलने और बात करने के अवसर मिले हैं जो छोटे-छोटे कार्यों द्वारा छोटे स्थानों पर सेवकाई कर रहे हैं। अकसर ये लोग एकाकीपन से ग्रसित रहते हैं, उन्हें लगता है कि उनकी वह सेवकाई बहुत गौण है, उसका कोई विशेष महत्व नहीं है। जब मैं उन लोगों की बातें सुनता हूँ तो मुझे सुप्रसिद्ध मसीही लेखक सी. एस. ल्यूईस की पुस्तक Out of the Silent Planet में एक स्वर्गदूत द्वारा कही गई बात: "मेरे लोगों के पास एक नियम है कि वे कभी मात्रा या माप की बातें आप से नहीं करेंगे...ऐसा करने से आप महत्वहीन को आदर देने लगते हैं और महत्वपूर्ण को नज़रन्दाज़ कर देते हैं" स्मरण हो आती है।

   हमारे समाज की धारणाएं कभी-कभी हम से कहती है कि जितना अधिक या जितना बड़ा उतना ही बेहतर - अर्थात आकार ही सफलता का मापदण्ड है। इस धारणा का सामना करने, इसको अनदेखा करने, इसे बदलने के लिए बहुत सामर्थ चाहिए, विशेषकर किसी ऐसे व्यक्ति को जो किसी छोटे से स्थान पर किसी छोटे प्रतीत होने वाले कार्य द्वारा सेवकाई में मेहनत कर रहा हो। ऐसे में हमें ध्यान बनाए रखना है कि कहीं हम भी तो उसे जो महत्वपूर्ण है, नज़रन्दाज़ तो नहीं कर दे रहे हैं।

   ऐसा नहीं है कि संख्या का कोई महत्व ही नहीं है। संख्या अननतकाल की आवश्यकता रखने वाले जीवित मनुष्यों को दर्शाती है; और हम सब को यह प्रार्थना करते रहना चाहिए कि अधिक से अधिक लोग प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाकर, उस से पापों की क्षमा माँगकर, सेंत-मेंत में उद्धार पाएं और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करें; लेकिन हमारे कार्य और उसके महत्व का माप संख्याएं नहीं हैं।

   प्रभु परमेश्वर ने हमें उसके लिए करे गए कार्य की मात्रा में, या फिर उस कार्य में संलग्न लोगों की संख्या में संतुष्टि प्राप्त करने के लिए नहीं बुलाया है; वरन उसने हमें बुलाया है कि हम विश्वासयोयता के साथ उसके द्वारा हमें दिए कार्य को उसके लिए पूरा करते रहें। हमारे महान और सर्वसामर्थी प्रभु परमेश्वर की सेवा, उसके द्वारा प्रदान करी गई सामर्थ में होकर करना ही हमारे लिए महानता है - वह सेवा चाहे मात्रा या माप में कैसी ही क्यों ना हो। - डेविड रोपर


जो कोई परमेश्वर की सेवकाई को परमेश्वर की इच्छानुसार करता है, 
वह परमेश्वर की दृष्टि में महत्वपूर्ण है।

क्योंकि किस ने छोटी बातों के दिन तुच्छ जाना है? यहोवा अपनी इन सातों आंखों से सारी पृथ्वी पर दृष्टि कर के साहुल को जरूब्बाबेल के हाथ में देखेगा, और आनन्दित होगा। - ज़कर्याह 4:10

बाइबल पाठ: यशायाह 49:1-6
Isaiah 49:1 हे द्वीपो, मेरी और कान लगाकर सुनो; हे दूर दूर के राज्यों के लोगों, ध्यान लगा कर मेरी सुनो! यहोवा ने मुझे गर्भ ही में से बुलाया, जब मैं माता के पेट में था, तब ही उसने मेरा नाम बताया। 
Isaiah 49:2 उसने मेरे मुंह को चोखी तलवार के समान बनाया और अपने हाथ की आड़ में मुझे छिपा रखा; उसने मुझ को चमकिला तीर बनाकर अपने तर्कश में गुप्त रखा। 
Isaiah 49:3 और मुझ से कहा, तू मेरा दास इस्राएल है, मैं तुझ में अपनी महिमा प्रगट करूंगा। 
Isaiah 49:4 तब मैं ने कहा, मैं ने तो व्यर्थ परिश्रम किया, मैं ने व्यर्थ ही अपना बल खो दिया है; तौभी निश्चय मेरा न्याय यहोवा के पास है और मेरे परिश्रम का फल मेरे परमेश्वर के हाथ में है।
Isaiah 49:5 और अब यहोवा जिसने मुझे जन्म ही से इसलिये रख कि मैं उसका दास हो कर याकूब को उसकी ओर फेर ले आऊं अर्थात इस्राएल को उसके पास इकट्ठा करूं, क्योंकि यहोवा की दृष्टि में मैं आदरयोग्य हूं और मेरा परमेश्वर मेरा बल है, 
Isaiah 49:6 उसी ने मुझ से यह भी कहा है, यह तो हलकी सी बात है कि तू याकूब के गोत्रों का उद्धार करने और इस्राएल के रक्षित लोगों को लौटा ले आने के लिये मेरा सेवक ठहरे; मैं तुझे अन्यजातियों के लिये ज्योति ठहराऊंगा कि मेरा उद्धार पृथ्वी की एक ओर से दूसरी ओर तक फैल जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22



मंगलवार, 19 जुलाई 2016

विश्वासयोग्य


   मेरे दादाजी को कहानियाँ सुनाने का शौक था, और मुझे कहानियाँ सुनने का। उनकी कहानियाँ दो प्रकार की होती थीं, कालपनिक किस्से - जिनमें सत्य का थोड़ा सा अंश तो होता था लेकिन वे जितनी बार सुनाई जातीं उतनी बार उनमें कुछ बदल जाता था, तथा सच्ची कहानियाँ - जो वास्तविक घटनाएं होती थीं और जिनके तथ्य कभी नहीं बदलते थे चाहे उन्हें वे कितनी ही बार क्यों ना सुनाएं। एक दिन मेरे दादाजी ने एक ऐसी कहानी सुनाई जिसके सत्य होने को मान पाना मुझे बहुत कठिन लग रहा था, इसलिए मैंने तुरंत कहा यह कालपनिक है, लेकिन दादाजी ने ज़ोर देकर कहा कि नहीं यह वास्तविक है। यद्यपि जितनी बार उन्होंने उसे सुनाया, उसमें कोई बदलाव नहीं आया, फिर भी उसकी वास्तविकता को मान लेना मुझे कठिन ही लगता रहा।

   एक दिन मैं रेडियो पर एक कार्यक्रम सुन रहा था, और उस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता ने वही कहानी वैसे ही सुनाई जैसे दादाजी सुनाया करते थे, और दादाजी की वह कहानी मेरे लिए तुरंत कालपनिक से वास्तविक बन गई। वह एक यादगार और मर्मसपर्शी पल था जिसमें दादाजी मेरे लिए और भी अधिक विश्वासयोग्य हो गए थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने परमेश्वर के कभी ना बदलने वाले स्वभाव के बारे में लिखकर (भजन 102:27) हमें उसकी इसी विश्वासयोग्यता की दिलासा दी है। विश्वासयोग्यता का यही भाव इब्रानियों 13:8 में इन शब्दों में कहा गया है: "यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एकसा है।" परमेश्वर का सदा विश्वासयोग्य रहना हमारे हृदयों को प्रतिदिन के जीवन में आने वाली परीक्षाओं में दिलासा देता है, हमारी हिम्मत बंधाता है, हमें स्मरण करवाता है कि हमारा कभी ना बदलने वाला, सदा विश्वासयोग्य परमेश्वर पिता इस परिवर्तनशील और अव्यवस्थित दिखने वाले संसार पर भी अपना नियंत्रण बनाए हुए है और अन्ततः वही और उसकी इच्छा ही सर्वोपरी तथा शिरोमणी होगी। - रैंडी किलगोर


जीवन की आंधियों के समय में परमेश्वर के अपरिवर्तनशील होने की
 शांतिदायक बयार को अपने अन्दर प्रवाहित होने दें।

यहोवा, जो इस्राएल का राजा है, अर्थात सेनाओं का यहोवा जो उसका छुड़ाने वाला है, वह यों कहता है, मैं सब से पहिला हूं, और मैं ही अन्त तक रहूंगा; मुझे छोड़ कोई परमेश्वर है ही नहीं। - यशायाह 44:6

बाइबल पाठ: भजन 102:18-28
Psalms 102:18 यह बात आने वाली पीढ़ी के लिये लिखी जाएगी, और एक जाति जो सिरजी जाएगी वही याह की स्तुति करेगी। 
Psalms 102:19 क्योंकि यहोवा ने अपने ऊंचे और पवित्र स्थान से दृष्टि कर के स्वर्ग से पृथ्वी की ओर देखा है, 
Psalms 102:20 ताकि बन्धुओं का कराहना सुने, और घात होने वालों के बन्धन खोले; 
Psalms 102:21 और सिय्योन में यहोवा के नाम का वर्णन किया जाए, और यरूशलेम में उसकी स्तुति की जाए; 
Psalms 102:22 यह उस समय होगा जब देश देश, और राज्य राज्य के लोग यहोवा की उपासना करने को इकट्ठे होंगे।
Psalms 102:23 उसने मुझे जीवन यात्रा में दु:ख देकर, मेरे बल और आयु को घटाया। 
Psalms 102:24 मैं ने कहा, हे मेरे ईश्वर, मुझे आधी आयु में न उठा ले, मेरे वर्ष पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे! 
Psalms 102:25 आदि में तू ने पृथ्वी की नेव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ है। 
Psalms 102:26 वह तो नाश होगा, परन्तु तू बना रहेगा; और वह सब कपड़े के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको वस्त्र की नाईं बदलेगा, और वह तो बदल जाएगा; 
Psalms 102:27 परन्तु तू वहीं है, और तेरे वर्षों का अन्त नहीं होने का। 
Psalms 102:28 तेरे दासों की सन्तान बनी रहेगी; और उनका वंश तेरे साम्हने स्थिर रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 23-25
  • प्रेरितों 21:18-40



सोमवार, 18 जुलाई 2016

जड़


   भारत के चेरापूँजी इलाके में रहने वाले लोगों ने अपने इलाके में बहने वाले अनेकों नदी-नालों पर से होकर चलने का एक अनोखा तरीका विकसित कर रखा है। वे लोग वहाँ उगने वाले रबर के वृक्षों की जड़ों को एक पार से दूसरे पार पहुँचाते हैं, उनको सेतु के समान प्रयोग करते हैं। इन जड़ों के सेतुओं को बनकर तैयार होने में 10 से 15 वर्ष तो लगते हैं, लेकिन जब वे तैयार हो चुकते हैं तो बहुत मज़बूत और सैकड़ों साल तक स्थिर बने रहने वाले हो जाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी उस मनुष्य के लिए जो परमेश्वर पर विश्वास के साथ रहता है लिखा गया है कि वह, "वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा" (यिर्मयाह 17:8)। क्योंकि उसकी जड़ें गहरी और अच्छे से पोषित रहती हैं, इसलिए वह "वृक्ष" अत्याधिक तापमान भी सह लेता है और अकाल के समय में भी फल देता रहता है।

   दृढ़ता से गहरी जड़ पकड़े हुए वृक्ष के समान ही वे लोग भी हैं जो परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं; उन्हें परेशानी की परिस्थितियों में भी स्थिरता और पोषण मिलता रहेगा। इसकी तुलना में वे लोग हैं जो अपने आप पर या अन्य मनुष्यों पर भरोसा रखते हैं, वे अस्थिरता के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। बाइबल इन लोगों को मरुभूमि में उगने वाली झाड़ीयों के समान बताती है, जो अकसर अपूर्ण पोषित और अकेली सी होती हैं (पद 6)। जो लोग परमेश्वर को त्याग कर जीते हैं उनके आत्मिक जीवन भी ऐसे ही कुपोषित तथा तन्हा होते हैं।

   आज आप की जड़ें कहाँ हैं? क्या आपने मसीह यीशु में अपने जीवन की जड़ें जमाई हैं: "और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्‍त धन्यवाद करते रहो" (कुलुस्सियों 2:7)? यदि हाँ, तो क्या आप भी ऐसे सेतु बन रहे हैं जो दूसरों को प्रभु परमेश्वर तक पहुँचाता है? यदि आप मसीह यीशु को व्यक्तिगत रीति से जानते हैं तो आप ऐसे सेतु होने का कार्य कर सकते हैं और लोगों को बता सकते हैं कि धन्य हैं वे जो प्रभु परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं (यिर्मयाह 17:7)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


जो व्यक्ति परमेश्वर में जड़ें जमाए हुए है उसे कठिन परीक्षाएं भी डिगा नहीं सकतीं।

क्या ही धन्य है वह पुरूष, जो यहोवा पर भरोसा करता है, और अभिमानियों और मिथ्या की ओर मुड़ने वालों की ओर मुंह न फेरता हो। - भजन 40:4

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 17:5-10
Jeremiah 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है। 
Jeremiah 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा। 
Jeremiah 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। 
Jeremiah 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा। 
Jeremiah 17:9 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? 
Jeremiah 17:10 मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 20-22
  • प्रेरितों 21:1-17


रविवार, 17 जुलाई 2016

स्वरूप


   कार में बैठकर मेरे नए धूप के चश्मे को कुछ देर पहनकर रखने के पश्चात मेरी बेटी ने उन्हें उतारकर मुझे वापस करते हुए कहा, "ये कोई धूप से बचने के चश्मे थोड़े ही हैं, ये तो केवल फैशन के चश्मे  हैं।" फिर मुझे छेड़ने के लिए बोली, "मुझे लगता है कि आपने ये केवल इसलिए खरीदे हैं क्योंकि इन्हें पहनकार आप अच्छे दिखते हैं।" हाँ, मैं मानती हूँ कि मेरी बेटी मुझे पहचानती है; और यह भी कि उस चश्मे को खरीदते समय मैंने उनके सूर्य की किरणों को रोक पाने की क्षमता के बारे में ज़रा भी नहीं विचारा था। बस क्योंकि वे मेरे चेहरे पर अच्छे लग रहे थे, इसीलिए मैंने उन्हें खरीद लिया था।

   प्रायः हम सभी चाहते हैं कि हम अच्छे दिखें। हमें देखकर लोगों को लगे कि हम पूर्ण हैं - हमें ना तो किसी परेशानी और ना ही किसी भय या दुःख को झेलना पड़ रहा है। किंतु हम बाहर से चाहे जो भी दिखाएं, अन्दर की स्थिति तो कुछ और ही होती है; और वास्तविकता छुपती नहीं है, कभी ना कभी बाहर आ ही जाती है।

   इसी प्रकार आत्मिक जीवन में भी सिद्धता का दिखावा करना ना तो हमारे अपने लिए और ना ही हमारे साथ के लोगों के लिए भला होता है। लेकिन मसीह यीशु के विश्वासियों की मंडली में हमें यह आदर है कि हम अपने जीवन और बातें अपने साथ के अन्य विश्वासियों के साथ बाँट सकते हैं, जो हमारे तथा अन्य विश्वासियों दोनों ही के लिए लाभदायक रहता है। जब हम अपने आप को कुछ खुला और पारदर्शी बनाते हैं, तो हमें कुछ और लोग भी मिलते हैं जो हमारे समान ही परिस्थितियों से जूझ रहे हैं, और हम एक दूसरे को सहायता तथा सांत्वना देने वाले हो जाते हैं। मंडली में हम ना केवल परमेश्वर के साथ वरन एक-दूसरे के साथ भी संगति और सहभागिता रखना सीखते हैं, एक दूसरे के साथ आनन्दित होना, एक दूसरे के सहायक होना सीखते हैं। हम अपनी सीमाओं और कमज़ोरियों के प्रति संवेदनशील होकर परमेश्वर की अगुवाई तथा सामर्थ से, अपनी उन अयोग्यताओं की दशा में भी एक दूसरे के लिए तथा परमेश्वर के लिए उपयोगी बनने लगते हैं।

   होने दें कि परमेश्वर आप पर चढ़े दिखावे के हर आवरण को हटा दे, और आप अपने सच्चे स्वरूप में, "प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें" (इब्रानियों 10:24)। - सिंडी हैस कैस्पर


मसीही विश्वासी तब और भी सामर्थी होते हैं जब वे अकेले खड़े नहीं होते।

निदान हम बलवानों को चाहिए, कि निर्बलों की निर्बलताओं को सहें; न कि अपने आप को प्रसन्न करें। हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित प्रसन्न करे। - रोमियों 15:1-2

बाइबल पाठ: इब्रानियों 10:19-25
Hebrews 10:19 सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है। 
Hebrews 10:20 जो उसने परदे अर्थात अपने शरीर में से हो कर, हमारे लिये अभिषेक किया है, 
Hebrews 10:21 और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है। 
Hebrews 10:22 तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव ले कर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं। 
Hebrews 10:23 और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है। 
Hebrews 10:24 और प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें। 
Hebrews 10:25 और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 18-19
  • प्रेरितों 20:17-38


शनिवार, 16 जुलाई 2016

संतुष्टि


   बोथियुस छठवीं शताब्दी में इटली के राज दरबार में सेवा करने वाला एक निपुण राजनितिज्ञ था। दुर्भाग्यवश वह राजा की नज़रों से गिर गया, उस पर राजद्रोह का दोष लगा कर उसे कैदखाने में मृत्युदण्ड भोगने के लिए डाल दिया गया। मृत्युदण्ड दिए जाने के समय की प्रतीक्षा करते हुए उसने लिखने की सामग्री माँगी जिस से वह अपने विचार और संस्मरण लिख सके। बाद में उसके ये संस्मरण दिलासा और संतुष्टि के लिए आत्मिक आदर्श लेख बन गए। बोथियुस ने कैद में बैठे हुए, अपने भविष्य को लेकर लिखा: "यदि उसे वैसा ना समझे जाए तो कुछ भी दयनीय नहीं है; और इसके विपरीत हर दशा आनन्दमय है यदि उसे भोगने वाला उसमें संतुष्ट है"; मसीह यीशु पर उसका दृढ़ विश्वास उसके इस दृष्टिकोण का जनक था। उसने भली भांति समझ लिया था कि बदलते हुए हालात के प्रति क्या दृष्टिकोण रखना है यह हमारा व्यक्तिगत चुनाव है।

   बोथियुस के वे विचार प्रेरित पौलुस के ऐसे ही विचारों के अनुसार थे। पौलुस ने भी यही दिखाया कि परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण है परिस्थितियों के प्रति हमारा दृष्टिकोण। जब पौलुस भी अपनी मसीही सेवकाई के लिए कैद में डाला गया और अपने मृत्युदण्ड की प्रतीक्षा कर रहा था, तो कैद से लिखी फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों के नाम अपनी पत्री में वह कहता है, "यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं" (फिलिप्पियों 4:11)। पौलुस तथा बोथियुस, दोनों ही ने अपनी संतुष्टि का आधार अपनी परिस्थितियों को नहीं वरन अपने प्रभु परमेश्वर को बनाया था; उस प्रभु को जो कभी नहीं बदलता, जिसका प्रेम अपने अनुयायियों के प्रति कभी कम नहीं होता और जो हर बात और हर परिस्थिति में होकर उनका भला ही करता है।

   आज क्या आप किसी कठिन परिस्थिति को लेकर परेशान और कुंठित अनुभव कर रहे हैं? परमेश्वर आपको संतुष्टि दे सकता है, क्योंकि उसी में होकर चिरस्थाई और वास्तविक संतुष्टि तथा आनन्द मिलता है, जैसा कि परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा है: "तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है" (भजन 16:11)। - डेनिस फिशर


जब किसी परिस्थिति में आपके पास केवल परमेश्वर ही है, 
तो उस परिस्थिति में जो सर्वोत्तम आपको चाहिए वह आपके पास है।

और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। - 2 कुरिन्थियों 9:8 

बाइबल पाठ: भजन 16
Psalms 16:1 हे ईश्वर मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूं। 
Psalms 16:2 मैं ने परमेश्वर से कहा है, कि तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवाए मेरी भलाई कहीं नहीं। 
Psalms 16:3 पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्य हैं, और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूं। 
Psalms 16:4 जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लोहू वाले तपावन नहीं तपाऊंगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूंगा। 
Psalms 16:5 यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बाट को तू स्थिर रखता है। 
Psalms 16:6 मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।
Psalms 16:7 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है। 
Psalms 16:8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।
Psalms 16:9 इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा। 
Psalms 16:10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।
Psalms 16:11 तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 16-17
  • प्रेरितों 20:1-16


शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

सच्ची निष्ठा


   हवाई यात्रा करवाने वाली कंपनियों ने 1980 दशक के आरंभिक वर्षों में एक योजना प्रारंभ करी; जो यात्री बारंबार उसी कंपनी के साथ यात्रा करते, यात्रा की दूरी के अनुपात में उनके नाम पर कुछ आर्थिक लाभ जमा हो जाते। जितना अधिक यात्री एक ही कंपनी से निष्ठा निभाते, उसी के साथ यात्रा करते, उतना ही अधिक उन्हें उनकी निष्ठा का प्रतिफल भी मिलता, जिसे फिर वे अपनी अगली यात्रा के लिए, कुछ सामान खरीदने के लिए या किसी सेवा को प्राप्त करने के लिए प्रयोग कर सकते थे। ऐसा होने के साथ अनेक लोग अपनी यात्रा की योजना ना केवल यात्रा के भाड़े के अनुसार वरन यात्रा से अर्जित हो सकने वाले उस लाभ के अनुसार भी करने लग गए। एक अनुमान के अनुसार, संसार भर में इस योजना के अन्तर्गत तब से लेकर अब तक 14 खरब से भी अधिक यात्रा-मील और उसके अनुपात में लाभ अर्जित तथा इस्तेमाल किए जा चुके हैं।

   प्रथम ईसवीं में प्रेरित पौलुस ने अपनी मसीही सेवकाई में बरंबार और अनेक स्थानों पर जल और थल से होकर यात्राएं करीं, लेकिन उसकी यात्रा का उद्देश्य अपने लिए लाभ अर्जित करना नहीं था; वरन उसका उद्देश्य था कि अधिक से अधिक लोगों तक प्रभु यीशु मसीह में संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन के सुसमाचार को पहुँचाए। जब कुरिन्थुस के कुछ मसीही विश्वासियों ने मसीही मंडली में उसके अधिकार पर प्रश्न उठाए तो पौलुस ने उत्तर में उन्हें समझाने के लिए पत्र लिखे और अपने दुसरे पत्र में वह इस बात का भी उल्लेख करता है कि मसीह यीशु के सुसमाचार की सेवकाई पूरी करने के लिए उसने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है, उसने अपनी यात्राओं में कितने दुःख उठाए हैं: "तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा" (2 कुरिन्थियों 11:25)। परमेश्वर ने पौलुस को यह अनुग्रह और सामर्थ दी कि वह बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा रखे सतत परिश्रम के साथ लोगों को प्रभु यीशु के बारे में बताता रहे।

   आज मसीह यीशु की सेवकाई के लिए हमें चाहे प्रशंसा मिले या सताव, पौलुस के समान हमारा ध्येय भी प्रभु यीशु के प्रेम और बलिदान के प्रति कृतज्ञ रहकर, सच्ची निष्ठा के साथ अपनी सेवकाई को पूरा करते रहना होना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु के प्रति हमारी निष्ठा का आधार हमारे प्रति उसका प्रेम है।

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। - यिर्मयाह 9:23-24

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 11:22-31
2 Corinthians 11:22 क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं ?मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? 
2 Corinthians 11:23 (मैं पागल की नाईं कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। 
2 Corinthians 11:24 पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए। 
2 Corinthians 11:25 तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। 
2 Corinthians 11:26 मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में; 
2 Corinthians 11:27 परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-पियास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में। 
2 Corinthians 11:28 और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रति दिन मुझे दबाती है। 
2 Corinthians 11:29 किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता? 
2 Corinthians 11:30 यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा। 
2 Corinthians 11:31 प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15
  • प्रेरितों 19:21-41


गुरुवार, 14 जुलाई 2016

सामर्थी


   अपने समय में मैं अमेरिका के अनेकों पर्वत पर चढ़ चुका हूँ, और मेरा विश्वास कीजिए, पर्वत-शिखरों पर कुछ नहीं उगता। वे शिखर केवल चट्टान ही होते हैं जिनपर या तो बर्फ या काई आदि होते हैं; अन्न तो वहाँ होता ही नहीं है, इसलिए अन्न की बहुतायत का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

   लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 72 के लेखक दाऊद ने अपने पुत्र सुलेमान के राज्य में परमेश्वर की सामर्थ के बारे में कहा,  "देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा..." (भजन 72:16)। जबकि पर्वत-शिखर पर अन्न होना इतना अन्होना है, तो फिर दाऊद परमेश्वर की सामर्थ से संबंधित क्या कह रहा था? सुलेमान का तात्पर्य था कि परमेश्वर की सामर्थ अति निराशाजनक परिस्थिति में भी अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकती है।

   संभव है कि आप आज अपने आप को बहुत गौण समझते हों, परमेश्वर के राज्य के लिए कुछ भी फल ला पाने के लिए अयोग्य समझते हों; हिम्मत रखिए, परमेश्वर आप में होकर भी अपने राज्य के लिए भरपूरी की फसल उत्पन्न कर सकता है - यदि आप उसे ऐसा करने दें तो। मसीही विश्वास का यह एक बड़ा विरोधाभास है - परमेश्वर तुच्छ और अयोग्य समझे जाने वाले लोगों के माध्यम से ही अति महान कार्य करता है; उसके राज्य में उपयोगी तथा कारगर होने के लिए वे ही सबसे उपयुक्त और सबसे योग्य हैं जो सांसारिक परिभाषा से तुच्छ और अयोग्य हैं (1 कुरिन्थियों 1:27-29)।

    हम अपनी नज़रों में बहुत बड़े या अभिमानी होने के कारण परमेश्वर के लिए अनुपयोगी तो हो सकते हैं, किंतु बहुत छोटे होने के कारण परमेश्वर के लिए कभी अनुपयोगी नहीं हो सकते। जैसा प्रेरित पौलुस ने अपने अनुभव में होकर लिखा है, हम निर्बलता में ही बलवंत होते हैं: "इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं" (2 कुरिन्थियों 12:10); और परमेश्वर के द्वारा हमें उपलब्ध करवाई गई सामर्थ से हम वह सब कुछ कर सकते जिसके लिए उसने हमें बुलाया और ठहराया है "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों 4:13)। - डेविड रोपर


परमेश्वर की सामर्थ अनुभव करने के लिए हमें अपनी सभी योग्यता तथा सामर्थ से खाली होना पड़ेगा।

परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्‍ड न करने पाए। - 1 कुरिन्थियों 1:27-29

बाइबल पाठ: भजन 72:12-20
Psalms 72:12 क्योंकि वह दोहाई देने वाले दरिद्र को, और दु:खी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। 
Psalms 72:13 वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। 
Psalms 72:14 वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा; और उनका लोहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा।
Psalms 72:15 वह तो जीवित रहेगा और शेबा के सोने में से उसको दिया जाएगा। लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे; और दिन भर उसको धन्य कहते रहेंगे। 
Psalms 72:16 देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा; जिसकी बालें लबानोन के देवदारों की नाईं झूमेंगी; और नगर के लोग घास की नाईं लहलहाएंगे। 
Psalms 72:17 उसका नाम सदा सर्वदा बना रहेगा; जब तक सूर्य बना रहेगा, तब तक उसका नाम नित्य नया होता रहेगा, और लोग अपने को उसके कारण धन्य गिनेंगे, सारी जातियां उसको भाग्यवान कहेंगी।
Psalms 72:18 धन्य है, यहोवा परमेश्वर जो इस्राएल का परमेश्वर है; आश्चर्य कर्म केवल वही करता है। 
Psalms 72:19 उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन।
Psalms 72:20 यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थना समाप्त हुई।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 10-12;
  • प्रेरितों 19:1-20



बुधवार, 13 जुलाई 2016

अनुग्रह


   मैंने अपनी कार को उपनाम दिया है - "अनुग्रहरहित"। कार के साथ इतवार की प्रातः मेरे लिए सबसे भारी होती है। मुझे चर्च के लिए जो कुछ चाहिए होता है, वह सब कार में रखकर, चर्च जाने के लिए कार की अपनी सीट पर बैठती हूँ, कार के दरवाज़े बन्द करती हूँ, मेरे पति कार को गैराज से बाहर निकालना आरंभ ही करते हैं कि मेरे सीट-बेल्ट ना बांधने की चेतावनी-सूचक बजना आरंभ हो जाता है! मैं कहती हूँ, "बस एक मिनिट और; मैं अपने स्थान पर व्यवस्थित हो रही हूँ, और फिर मैं बेल्ट बाँध लूँगी" लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता, वह चेतावनी सूचक बजता ही रहता है जब तक मैं बेल्ट बाँध नहीं लेती - मेरी परिस्थितियों पर उसे कोई दया नहीं आती, मुझे उससे कभी कोई माफी नहीं मिलती।

   छोटी सी यह दिक्कत मुझे स्मरण दिलाती है कि जीवन कितना कठिन हो जाए यदि अनुग्रह और दया हमारे जीवनों ना हो। यदि ऐसा हो जाए तो हम में से प्रत्येक को, हर छोटी से छोटी गलती के लिए भी तुरंत ही हिसाब देने के लिए खड़े होना पड़ेगा; हमें पश्चाताप करने या अपनी गलती को सुधारने या अपने व्यवहार को बदलने का कोई अवसर ही नहीं मिलेगा। कोई क्षमा नहीं होगी, कोई दया नहीं की जाएगी, बेहतर हो जाने या सुधरने की कोई आशा नहीं रहेगी।

   आज के इस संसार में जीना कभी-कभी ऐसा ही लगता है मानो हम अनुग्रहरहितता के दलदल में डाल दिए गए हों। जब हमारे छोटे-छोटे अविवेकपूर्ण कार्य या बातें लोगों के समक्ष बढ़ा-चढ़ा कर बड़ी गलतियाँ बना कर प्रस्तुत किए जाते हैं, जब लोग दूसरों की कमियों या गलतियों को नज़रन्दाज़ करना नहीं चाहते, वरन उन्हें स्वार्थसिद्धी की सीढ़ीयाँ बनाकर स्वयं आगे बढ़ जाना चाहते हैं, तो जीवन ऐसे बोझ तले दबा प्रतीत होता है जिस बोझ को हमें उठाने ही नहीं था। लेकिन हम मसीही विश्वासियों के पास एक विलक्षण आशा है - परमेश्वर पिता ने हमारे, तथा संसार के सभी लोगों के पाप के सभी बोझों को उठा लेने के लिए प्रभु यीशु को संसार में भेजा है (मत्ती 11:28)। जो कोई भी साधारण विश्वास के साथ प्रभु यीशु से अपने पापों की माफी माँग लेता है, अपना जीवन उसे समर्पित कर देता है, प्रभु परमेश्वर अपने अनुग्रह में होकर उसके पाप के सभी बोझ उठा लेता है, उसे उन बोझों और उनके दुषपरिणामों से मुक्त कर देता है।

   अब जिनपर प्रभु परमेश्वर की ओर से यह अनुग्रह हुआ है, जिन्होंने प्रभु के इस अनुग्रह की भेंट को स्वीकार किया है, उअनकी यह ज़िम्मेदारी है कि वे इस अनुग्रह के बारे में औरों को बताएँ भी और अपने जीवनों से दूसरों को इसे दिखाएँ भी "जो मनुष्य बुद्धि से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है, और अपराध को भुलाना उसको सोहता है" (नीतिवचन 19:11)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब हम अपने प्रति परमेश्वर के अनुग्रह को सधन्यवाद स्वीकारते हैं, 
तब हम इस अनुग्रह को आनन्द के साथ उन्हें भी बाँटते हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता है।

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: 1 पतरस 4:1-11
1 Peter 4:1 सो जब कि मसीह ने शरीर में हो कर दुख उठाया तो तुम भी उस ही मनसा को धारण कर के हथियार बान्‍ध लो क्योंकि जिसने शरीर में दुख उठाया, वह पाप से छूट गया। 
1 Peter 4:2 ताकि भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन परमेश्वर की इच्छा के अनुसार व्यतीत करो। 
1 Peter 4:3 क्योंकि अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में जहां तक हम ने पहिले समय गंवाया, वही बहुत हुआ। 
1 Peter 4:4 इस से वे अचम्भा करते हैं, कि तुम ऐसे भारी लुचपन में उन का साथ नहीं देते, और इसलिये वे बुरा भला कहते हैं। 
1 Peter 4:5 पर वे उसको जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करने को तैयार है, लेखा देंगे। 
1 Peter 4:6 क्योंकि मरे हुओं को भी सुसमाचार इसी लिये सुनाया गया, कि शरीर में तो मनुष्यों के अनुसार उन का न्याय हो, पर आत्मा में वे परमेश्वर के अनुसार जीवित रहें। 
1 Peter 4:7 सब बातों का अन्‍त तुरन्त होने वाला है; इसलिये संयमी हो कर प्रार्थना के लिये सचेत रहो। 
1 Peter 4:8 और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है। 
1 Peter 4:9 बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो। 
1 Peter 4:10 जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए। 
1 Peter 4:11 यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले, मानों परमेश्वर का वचन है; यदि कोई सेवा करे; तो उस शक्ति से करे जो परमेश्वर देता है; जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 7-9
  • प्रेरितों 18


मंगलवार, 12 जुलाई 2016

नाम


   किसी व्यक्ति के उपनाम अकसर उस व्यक्ति के किसी गुण या शारीरिक विशेषता पर आधारित होते हैं, और उम्र भर उस व्यक्ति के साथ लगे रहते हैं। बचपन में मेरे होंठ चेहरे के अनुपात में काफी मोटे थे और मुझे चिड़ाने के लिए बच्चे मुझे "बड़े होंठोंवाला" कहा करते थे; मैं प्रसन्न हूँ कि बचपन में मेरे प्राथमिक स्कूल में मेरे सहपाठियों द्वारा दिया गया मेरा यह उपनाम मेरे साथ लगा हुआ नहीं है।

   अपने उस उपनाम के विपरीत, मैं परमेश्वर के विभिन्न गुणों और चरित्र को दर्शाने वाले, परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए, उसके अनेक नामों को बहुत पसन्द करता हूँ। परमेश्वर अद्भुत रूप से बहुआयामी तथा अनेकों गुणों को दिखाने वाला परमेश्वर है, और बाइबल में दिए गए ये नाम यही दिखाते हैं। उन नामों में से कुछ हैं:
  • एलोहिम, परमेश्वर जो ईश्वरों का ईशवर है
  • यहोवा यिरे, परमेश्वर जो प्रावधान करता है
  • एल-शद्दाई, सर्वशक्तिमान परमेश्वर
  • यहोवा राफा, चंगा करने वाला परमेश्वर
  • यहोवा शालोम, शान्ति का परमेश्वर
  • यहोवा शामा, साथ-साथ रहने वाला परमेश्वर
  • यहोवा याहवे, वाचाओं को निभाने वाला हमारा प्रेमी परमेश्वर


   इसलिए इसमें कोई विसमय की बात नहीं है कि बाइबल की नीतिवचन पुस्तक का लेखक हमें स्मरण करवाता है कि "यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है; धर्मी उस में भाग कर सब दुर्घटनाओं से बचता है" (नीतिवचन 18:10)। जब जीवन की परिस्थितियाँ कठिन हों, आप भयभीत या असुरक्षित महसूस करें, तो परमेश्वर के इन तथा अन्य नामों पर मनन करें और उससे प्रार्थना करें। आश्वस्त रहें, प्रभु परमेश्वर अपने नाम के प्रति वफादार रहेगा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के नाम, जो उसके चरित्र को दर्शाते हैं, 
हमें जब भी उसकी आवश्यकता होती है, सांत्वना प्रदान करते हैं।

यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। - भजन 18:2

बाइबल पाठ: नीतिवचन 18:1-10
Proverbs 18:1 जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है, 
Proverbs 18:2 और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है। मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है। 
Proverbs 18:3 जहां दुष्ट आता, वहां अपमान भी आता है; और निन्दित काम के साथ नामधराई होती है। 
Proverbs 18:4 मनुष्य के मुंह के वचन गहिरा जल, वा उमण्डने वाली नदी वा बुद्धि के सोते हैं। 
Proverbs 18:5 दुष्ट का पक्ष करना, और धर्मी का हक मारना, अच्छा नहीं है। 
Proverbs 18:6 बात बढ़ाने से मूर्ख मुकद्दमा खड़ा करता है, और अपने को मार खाने के योग्य दिखाता है। 
Proverbs 18:7 मूर्ख का विनाश उस की बातों से होता है, और उसके वचन उस के प्राण के लिये फन्दे होते हैं। 
Proverbs 18:8 कानाफूसी करने वाले के वचन स्वादिष्ट भोजन की नाईं लगते हैं; वे पेट में पच जाते हैं। 
Proverbs 18:9 जो काम में आलस करता है, वह बिगाड़ने वाले का भाई ठहरता है। 
Proverbs 18:10 यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है; धर्मी उस में भाग कर सब दुर्घटनाओं से बचता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 4-6
  • प्रेरितों 17:16-34


सोमवार, 11 जुलाई 2016

कैसा हो?


   मुझे स्मरण हैं 1991 में वे टेलिविज़न समाचार रिपोर्ट्स देखना जब मॉस्को की सड़कों पर अहिंसक क्रांति घटित हो रही थी। रूस के वे नागरिक जो अब तक अपने जीवन की हर बात के लिए सरकार द्वारा निर्धारित और नियंत्रित कार्यक्रमों तथा योजनाओं के अनुसार रहा करते थे, अचानक ही स्थान स्थान पर खड़े होकर कहने लगे, "अब हम स्वतंत्र नागरिकों के समान आचरण करेंगे"; सरकार द्वारा पूर्णतः नियंत्रित अपने जीवन के विरोध में वे सड़कों पर आने लगे और सैनिक टैंकों के सामने आकर खड़े होने लगे। भवनों के अन्दर बैठे नेतृत्व करने वाले सरकारी लोगों और बाहर जमा जन समूह के चेहरों पर दिखने वाले भाव यह स्पष्ट दिखा रहे थे कि वास्तव में कौन भयभीत है और कौन स्वतंत्र है।

   फिनलैंड के टेलिविज़न पर दिखाई जा रही मॉस्को के रेड स्कुएयर में घटित होने वाले बातों को देखकर मुझे "मसीही विश्वास" को समझने का एक नया दृष्टिकोण मिला - मसीही विश्वास मानसिक विक्षेप का विपरीतार्थक शब्द है। भय से ग्रस्त मान्सिक विक्षेपित व्यक्ति हर बात में अपने भय के कारण को देखता है और उसी के अनुसार अपने जीवन को संचालित करता है। उसके आस-पास, या उसके साथ जो कुछ भी होता है, वह उसके भय को और बढ़ाता है।

   इसके विपरीत मसीही विश्वास है; मसीह यीशु पर विश्वास करने वाला व्यक्ति अपने जीवन को भय के आधार पर नहीं वरन परमेश्वर पर लाए गए उसके विश्वास के आधार पर संचालित करता है। उसके आस-पास, उसके जीवन में, चाहे कैसी भी अव्यवस्था और परेशान करने वाली परिस्थितियाँ क्यों ना हों, मसीही विश्वासी यह जानता और मानता है कि सब कुछ परमेश्वर के नियंत्रण में है, और परमेश्वर जो कुछ भी उसके जीवन में आने देगा वह उसकी भलाई ही के लिए है (रोमियों 8:28)। एक मसीही विश्वासी होने के नाते मुझे इस बात पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए कि मेरी भावनाएँ मेरी परिस्थितियों को लेकर क्या हैं, वरन मुझे हर समय इस बोध के साथ रहना चाहिए कि परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है और मैं परमेश्वर की सन्तान होने के नाते उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण हूँ।

   कैसा हो यदि हम मसीही विश्वासी, हम जो परमेश्वर के राज्य के लोग हैं, परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित यूहन्ना द्वारा लिखी गई बात "हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (1 यूहन्ना 4:4) की सच्चाई को अपने जीवनों में पूर्णत्या मानकर लागू कर लें? कैसा हो यदि हम मसीही समाज में सबसे अधिक दोहराई जाने वाली प्रार्थना - परमेश्वर की इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर भी हो को प्रदर्शित करने वाले जीवन जीने लग जाएं? - फिलिप यैन्सी

जब आप प्रभु परमेश्वर में अपने विश्वास को पोषित करने लगेंगे, 
स्वतः ही आपके सभी भय भूखों मरने लगेंगे।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:1-6, 4:15-19
1 John 4:1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं। 
1 John 4:2 परमेश्वर का आत्मा तुम इसी रीति से पहचान सकते हो, कि जो कोई आत्मा मान लेती है, कि यीशु मसीह शरीर में हो कर आया है वह परमेश्वर की ओर से है। 
1 John 4:3 और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिस की चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आने वाला है: और अब भी जगत में है। 
1 John 4:4 हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। 
1 John 4:5 वे संसार के हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलते हैं, और संसार उन की सुनता है। 
1 John 4:6 हम परमेश्वर के हैं: जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इसी प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं। 
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में। 
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है। 
1 John 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। 
1 John 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। 
1 John 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 1-3
  • प्रेरितों 17:1-15