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मंगलवार, 31 जुलाई 2018

कीमत



      प्रति वर्ष लगभग 20 लाख लोग लंडन के सेंट पॉल्स कैथीड्रल को देखने आते हैं। उस भव्य इमारत को देखने और निहारने के लिए अन्दर प्रवेश करने के शुल्क की कीमत चुकाना सर्वथा उपयुक्त है। सर क्रिस्टोफर रैन द्वारा 17वीं शताब्दी के अन्त की ओर बनाई गई इस इमारत की सुंदरता अद्भुत है। परन्तु मसीही आराधना के इस स्थान पर पर्यटन, यहां होने वाली उपासना से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। इस कैथीड्रल का प्रमुख उद्देश्य है “आने वाले सभी लोग अपनी विवधता में भी यीशु मसीह में परमेश्वर की परिवर्तित कर देने वाली उपस्थिति का अनुभव करें।” यदि आप इमारत में घूमना, और वहाँ की वास्तुकला को निहारना चाहते हैं, तो आपको प्रवेश शुल्क देना होगा। परन्तु प्रतिदिन होने वाली आराधना सभाओं में से किसी में सम्मिलित होने के लिए प्रवेश करने पर कोई कीमत नहीं है।

      परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ती है? वहाँ प्रवेश निःशुल्क है, क्योंकि प्रभु यीशु ने सबके लिए सारी कीमत अपने बलिदान के द्वारा चुका दी है, “इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं” (रोमियों 3:23-24)। जब हम अपनी आत्मिक आवश्यकता का अंगीकार करते हैं, और विश्वास के द्वारा प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर के अनुग्रह से उपलब्ध पापों की क्षमा को स्वीकार करते हैं, तो हम एक नए जीवन में प्रवेश करते हैं, परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन जाते हैं, प्रभु में अनन्त जीवन के वारिस हो जाते हैं।

      आप भी आज ही और अभी, इस नए जीवन में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि कलवारी के क्रूस अपर अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा प्रभु यीशु ने आपके पापों की सारी कीमत चुका दी है; अब आपको उसे चुकाने के लिए कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है; आपको बस उसे स्वीकार करके अपने जीवन में लागू करना है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


प्रभु यीशु ने कीमत चुकाई, जिससे हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश पा सकें।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: रोमियों 3:20-28
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
Romans 3:27 तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
Romans 3:28 इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना, विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 54-56
  • रोमियों 3



सोमवार, 30 जुलाई 2018

विश्वास



      हमारे लिए विश्वास को एक ऐसा जादूई मन्त्र मान लेना, जिसके द्वारा सब कुछ किया जा सकता है, बड़ा प्रलोभनकारी होता है। हम सोचते हैं, या हमें सिखाया जाता है कि यदि हम पर्याप्त विश्वास रखें तो हम धनी हो सकते हैं, स्वस्थ रह सकते हैं, जीवन में संतुष्टि आ सकती है, और सभी प्रार्थनाओं के उत्तर स्वतः ही प्राप्त किए जा सकते हैं। परन्तु जीवन ऐसे मन्त्रों के द्वारा नहीं चलाया जाता है। प्रमाण के रूप में, परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों का लेखक, बाइबल के पुराने नियम खण्ड के विश्वास के महान लोगों में से कुछ के जीवनों की समीक्षा करता है (इब्रानियों 11), और “सच्चे विश्वास” को समझाने का प्रयास करता है।

      लेखक स्पष्ट कहता है कि “और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है” (इब्रानियों 11:6)। विश्वास को परिभाषित करते समय वह “दृढ़ बने रहने” के उदाहरण देता है (पद 27)। परमेश्वर में अपने विश्वास के कारण, विश्वास के उन नायकों में से कुछ जयवंत हुए: कुछ ने सेनाओं को मार भगाया, और कोई सिंहों से बच निकला। परन्तु ऐसे विश्वासी भी थे जिनके अन्त सुखद नहीं हुए: कितनों को कोड़े पड़े, पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, परन्तु विश्वास में बने रहे। अध्याय का अन्त होता है “संसार उन के योगय न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली” (पद 39)।

      इस अध्याय से परमेश्वर में विश्वास रखने का जो चित्र उभर का आता है वह किसी सरल सूत्र में नहीं समाता है। कभी विश्वास विजय और यश को ले जाता है; तो कभी किसी भी कीमत पर विश्वास में बने रहने के लिए बहुत धैर्य और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है – और ऐसों के लिए लिखा गया है “...इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उसने उन के लिये एक नगर तैयार किया है” (पद 16)।

      हमारे विश्वास का आधार है, कि अन्ततः परमेश्वर ही हर बात पर नियंत्रण बनाए रखता है, और वह अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा भी करेगा – यह चाहे इस जीवन में हो या आने वाले जीवन में। - फिलिप यैन्सी


दुःख में हमारी सबसे महान सांत्वना है हमारा विश्वास, कि परमेश्वर नियंत्रण रखे हुए है।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। - याकूब 1:2-3

बाइबल पाठ: इब्रानियों 10:32-11:6
Hebrews 10:32 परन्तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
Hebrews 10:33 कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
Hebrews 10:34 क्योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जान कर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
Hebrews 10:35 सो अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
Hebrews 10:36 क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी कर के तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
Hebrews 10:37 क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
Hebrews 10:38 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
Hebrews 10:39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।
Hebrews 11:1 अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Hebrews 11:2 क्योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गई।
Hebrews 11:3 विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Hebrews 11:4 विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Hebrews 11:5 विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Hebrews 11:6 और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53
  • रोमियों 2



रविवार, 29 जुलाई 2018

प्रेम


      एक कहानी बताई जाती है कि एक मानवविज्ञानी, एक छोटे गाँव में महीनों के अपने शोध कार्य को समाप्त करके वापस घर जाने की तैयारी कर रहा था। घर लौटने के लिए अपनी सवारी गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय, समय बिताने के लिए, उसने अपने साथ खड़े बच्चों के साथ एक खेल खेलना चाहा। उसने कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे एक टोकरी में कुछ फल और मिठाईयां रखीं और बच्चों से कहा कि जो कोई भागकर पहले उस टोकरी तक पहुँचेगा, वे सभी फल और मिठाईयां उसी की हो जाएँगी। लेकिन जब उसने बच्चों को भागकर टोकरी तक जाने के लिए कहा, तो कोई नहीं भागा, सभी ने एक दूसरे के हाथ पकड़े और सभी एक साथ टोकरी के पास गए।

      जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया; क्यों वे सभी एक साथ गए, और भाग कर किसी एक ने टोकरी क्यों नहीं ले ली, तो एक छोटी लड़की ने उत्तर दिया “जब बाकी सभी दुःखी होते, तो हम में से एक कैसे प्रसन्न हो सकता था?” क्योंकि ये बच्चे एक-दूसरे की परवाह करते थे, इसलिए वे सभी उन फलों और मिठाईयों को एक दूसरे के साथ बाँट कर खाना चाहते थे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि वर्षों तक मूसा की व्यवस्था का अध्ययन करने के पश्चात, प्रेरित पौलुस ने पाया कि परमेश्वर के सारे नियम एक ही नियम में संक्षिप्त किए जा सकते हैं, “क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख” (गलतियों 5:14; रोमियों 13:9 भी देखें)। पौलुस ने मसीह यीशु में न केवल एक दूसरे के लिए प्रोत्साहन, सहानुभूति, और देखभाल रखने के कारण को पाया, वरन यह सब कर पाने की आत्मिक सामर्थ्य भी पाई।

      क्योंकि मसीह यीशु हमारी देखभाल करता है, इसलिए हम भी एक दूसरे की देखभाल करें। - मार्ट डीहॉन


जब हम एक दूसरे के प्रति प्रेम दिखाते हैं, 
हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।

तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों 6:2

बाइबल पाठ: रोमियों 13:8-11
Romans 13:8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
Romans 13:9 क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Romans 13:10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।
Romans 13:11 और समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है, क्योंकि जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50
  • रोमियों 1


शनिवार, 28 जुलाई 2018

मित्र



      बुद्धिमता की एक अति-सराहनीय बात, जो मेरे पिता मुझसे बारंबार कहते रहे हैं, है – “अच्छे मित्र जीवन के सबसे मूल्यवान खजानों में से एक हैं।” कितना सत्य है उनका यह कहना; अच्छे मित्रों के साथ हम कभी अकेले नहीं होते हैं। वे हमारी आवश्यकताओं के प्रति सचेत रहते हैं और जीवन के आनन्द तथा बोझ, दोनों को बाँट लेते हैं।

      प्रभु यीशु मसीह के सँसार में आने से पहले, परमेश्वर के वचन बाइबल में केवल दो ही व्यक्तियों को परमेश्वर का मित्र कहा गया था: “और यहोवा मूसा से इस प्रकार आम्हने-साम्हने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से बातें करे...” (निर्गमन 33:11), और अब्राहम “...वह परमेश्वर का मित्र कहलाया” (याकूब 2:23; 2 इतिहास 20:7; यशायाह 41:8)।

      मैं चकित हूँ कि आज प्रभु यीशु हम मसीही विश्वासिय्हों को, अपने लोगों को, अपना मित्र कहता है (यूहन्ना 15:15), और उसकी यह मित्रता इतनी गहरी है कि उसने अपने कहे, “इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे” (यूहन्ना 15:13) के अनुसार अपने मित्रों, हमारे, लिए अपने प्राण दे दिए।

      हम मसीही विश्वासियों के लिए यह कैसा सौभाग्य और आशीष है कि मसीह यीशु हमारा मित्र है। वह ऐसा मित्र है जो हमें कभी नहीं छोड़ता है, कभी नहीं त्यागता है। वह परमेश्वर पिता के सामने हमारे लिए विनती, निवेदन करता है; हमारी आवश्यकताओं के लिए प्रावधान करता है। वह हमारे दुःखों को समझता है, और परेशानी के समयों में आवश्यक अनुग्रह प्रदान करता है।

      निःसंदेह, प्रभु यीशु हमारा सबसे अच्छा मित्र है। - जो स्टोवैल


यीशु कैसा मित्र है प्यारा!

और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया। - याकूब 2:23

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:8-17
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28



शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

संघर्ष



      कंधे पर हुए ऑपरेशन के कुछ सप्ताह बाद जब मैं घर से बाहर निकला, तो मैंने अपने आप को असुरक्षित अनुभव किया। मुझे अपनी बाँह को स्लिंग में टांग कर रखने की आदत हो गई थी, परन्तु मेरा ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर, और मुझे व्यायाम करवाने वाले फिजियोथेरेपिस्ट, दोनों ही का कहना था कि अब मुझे स्लिंग को छोड़ देना चाहिए। तभी मेरी नज़रों के सामने यह वाक्य आया, “इस चरण पर आकर, स्लिंग को पहनने के लिए मना किया जाता; उसे केवल किसी ऐसी स्थिति में ही पहनना चाहिए जहाँ का माहौल अनियंत्रित या हानिकारक हो सकता हो।” 

      बस, मुझे स्लिंग पहनने का बहाना मिल गया! मुझे उस उत्साहित मित्र का भय था जो मुझे आलिंगन में लेकर भींच लेगा, उस व्यक्ति का भी भय था जो कहीं अनजाने में ही मुझे से टकरा सकता था। मैं अपने उस स्लिंग की आड़ में, चोट लगने के अपने भय को छुपा रहा था।

      अपने आप को किसी प्रकार से चोटिल होने की स्थिति में असुरक्षित छोड़ना भयावह हो सकता है। हम चाहते हैं कि लोग हम से जो और जैसे हम हैं, वैसे ही प्रेम करें, हमें स्वीकार करें; परन्तु हमें भय रहता है कि यदि लोगों को हमारे बारे में गहराई से पता चलेगा तो वे हमें अस्वीकार करेंगे, या हमें किसी प्रकार से दुःख पहुँचा सकेंगे। क्या होगा यदि उन्हें पता चलेगा कि हम उतने चतुर, या दयालु, या भले, आदि नहीं हैं जितना वे हमें समझते हैं?

      परन्तु परमेश्वर के परिवार के सदस्य होने के कारण, हमारा यह दायित्व है कि हम एक दूसरे को विश्वास में बढ़ने में सहायता करें। हमें निर्देश हैं कि “इस कारण एक दूसरे को शान्‍ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो...” (1 थिस्सलुनीकियों 5:11), और “सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो” (इफिसियों 4:2)।

      जब हम अन्य विश्वासियों के साथ ईमानदार और खुले रहेंगे, तो हम हमारे जीवनों में हुए परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में उन्हें बता सकेंगे, और यह भी हो सकता है कि हमें पता चले कि उन्हें भी हमारे ही समान संघर्ष करने पड़ रहे हैं, प्रलोभनों और परमेश्वर के आज्ञाकारी बने रहने के लिए। और इस अनुग्रह तथा संघर्ष के जीवन में हम एक-दूसरे को संभालने वाले, प्रोत्साहित करने वाले बन जाएँ। - सिंडी हैस कैस्पर


अपने संघर्षों के विषय ईमानदारी, हमें दूसरों की सहायता करने में सहायक होती है।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलतियों 6:1

बाइबल पाठ: इफिसियों 4: 1-6
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो।
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है।
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45
  • प्रेरितों 27:27-44



गुरुवार, 26 जुलाई 2018

रेगमाल



      मेरी सहेली के शब्दों से मुझे पीड़ा हुई। मेरे दृढ़ विचारों के प्रति उसकी तीक्षण टिप्पणियाँ मेरे मन में गूंज रही थी, और मुझे सोने नहीं दे रही थीं। बिस्तर पर लेटे लेटे मैंनें परमेश्वर से परिस्थिति पर जयवंत होने के लिए बुद्धिमता और शान्ति माँगी। इसके कई सप्ताह पश्चात, अभी भी इस विषय पर चिन्तित, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “प्रभु मुझे अभी भी तकलीफ है; मुझे दिखाईये कि मुझे अपने जीवन में क्या परिवर्तन लाने हैं। मुझे दिखाईये कि कहाँ कहाँ वह सही है।”

      मेरी सहेली ने मेरे जीवन में परमेश्वर के रेगमाल होने का कार्य किया। मेरी भावनाएँ और विचार उस रगड़ से छिल कर पीड़ा दायक हो गए, परन्तु मैंने एहसास किया कि मेरी प्रतिक्रिया, मेरे चरित्र का निर्माण करेगी – अथवा नहीं, क्योंकि मुझे समतल किए जाने की इस प्रक्रिया को समर्पित होना अथवा नहीं होना मेरा चुनाव था। अपने घमण्ड और ढिटाई को स्वीकार करते हुए मैंने क्षमा माँगी, क्योंकि मुझे एहसास था कि मेरे जीवन के ये ऊबड़-खाबड़ भाग परमेश्वर को महिमा नहीं देते थे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख पात्र, राजा सुलेमान को पता था कि समाज में जीवन बिताना कठिन हो सकता है, उसने इस विषय में अपनी नीतिवचनों में लिखा। बाइबल की नीतिवचन नामक पुस्तक के 27 अध्याय में हम उसकी बुद्धिमता को संबंधों पर लागू किया गया देखते हैं। उसने मित्रों के बीच तीखी नोंक-झोंक को लोहे के द्वारा लोहे को पैना किए जाने के रूप में देखा, “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है” (पद 17), संगति में एक दूसरे के व्यवहार के खुरदरेपन को हटाकर समतल और मृदु करना। इस प्रक्रिया में घाव हो सकते हैं, जैसे कि मैंनें अपनी सहेली के शब्दों से अनुभव किए थे (देखें पद 6), परन्तु प्रभु इन शब्दों का प्रयोग हमें संवारने, निखारने हमें और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकता है, जिससे हमारे आचरण तथा व्यवहार में आवश्यक परिवर्तन आ सकें।

      आज परमेश्वर अपने किस रेगमाल के द्वारा आपके खुरदरे भागों को समतल और मृदु कर रहा है? – एमी बाउचर पाई


जीवन के रेगमाल के द्वारा परमेश्वर आपके खुरदरेपन को समतल और मृदु करता है।

और प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें। - इब्रानियों 10:24

बाइबल पाठ: नीतिवचन 27:5-17
Proverbs 27:5 खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है।
Proverbs 27:6 जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है।
Proverbs 27:7 सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं।
Proverbs 27:8 स्थान छोड़ कर घूमने वाला मनुष्य उस चिडिय़ा के समान है, जो घोंसला छोड़ कर उड़ती फिरती है।
Proverbs 27:9 जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है।
Proverbs 27:10 जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।
Proverbs 27:11 हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान हो कर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करने वाले को उत्तर दे सकूंगा।
Proverbs 27:12 बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देख कर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हानि उठाते हैं।
Proverbs 27:13 जो पराए का उत्तरदायी हो उसका कपड़ा, और जो अनजान का उत्तरदायी हो उस से बन्धक की वस्तु ले ले।
Proverbs 27:14 जो भोर को उठ कर अपने पड़ोसी को ऊंचे शब्द से आशीर्वाद देता है, उसके लिये यह शाप गिना जाता है।
Proverbs 27:15 झड़ी के दिन पानी का लगातार टपकना, और झगडालू पत्नी दोनों एक से हैं;
Proverbs 27:16 जो उसको रोक रखे, वह वायु को भी रोक रखेगा और दाहिने हाथ से वह तेल पकड़ेगा।
Proverbs 27:17 जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26



बुधवार, 25 जुलाई 2018

परीक्षा



      क्रिकेट के खेल में टेस्ट-मैच खेलना बहुत थका देने वाला हो सकता है। खिलाड़ी प्रातः 11 बजे से लेकर संध्या 6 बजे तक खेलते हैं, इसके बीच में चाय और दोपहर के भोजन के अवकाश भी होते हैं। एक टेस्ट-मैच पाँच दिन तक चल सकता है। यह धीरज और कौशल की परख होता है।

      इसी प्रकार से जीवन में हम जिन परिस्थितियों का सामना करते हैं, वे कभी-कभी इसलिए और भी विकट लगने लगती हैं क्योंकि उनका अन्त होता हुआ दिखाई ही नहीं देता है। नौकरी मिलने की लंबी तलाश, अकेलेपन के लंबे समय, कैंसर के साथ चल रहा लंबा द्वंद, यह सब और भी कठिन लगने लगता है क्योंकि हम सोचने लग जाते हैं कि क्या यह कभी समाप्त भी होगा?

      शायद इसीलिए भजनकार ने पुकारा, “हे प्रभु तू कब तक देखता रहेगा? इस विपत्ति से, जिस में उन्होंने मुझे डाला है मुझ को छुड़ा! जवान सिंहों से मेरे प्राण को बचा ले” (भजन 35:17)। बाइबल के व्य्ख्याकर्ताओं का मानना है कि यह उस समय की बात है जब राजा शाऊल लंबे समय तक दाऊद का पीछा करता रहा था, और राजा के सलाहकार दाऊद  पर दोष मढ़ते रहते थे – दाऊद  के लिए यह परिक्षा का ऐसा समय था जो वर्षों तक चला था।

      परन्तु फिर भी अन्त में दाऊद ने गाया कि, “...यहोवा की बड़ाई हो, जो अपने दास के कुशल से प्रसन्न होता है” (पद 27)। उसकी परिक्षा उसे परमेश्वर पर और भी अधिक भरोसा रखने की गहराईयों में ले गई। दाऊद के समान, हमारी लंबी परीक्षाएं, कठिनाईयां, या हानि भी हमें परमेश्वर पर और गहरा भरोसा करने के अनुभवों से होकर निकाल सकती हैं; परमेश्वर पर भरोसे को बनाए रखें, अन्ततः आपका भला ही होगा। - बिल क्राउडर


जब आपके बोझ आप पर हावी होने लगें, 
तो स्मरण रखें कि परमेश्वर की सामर्थी भुजाएँ आपको संभाले हुए हैं।

अनादि परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं। वह शत्रुओं को तेरे साम्हने से निकाल देता, और कहता है, उन को सत्यानाश कर दे। - व्यवस्थाविवरण 33:27

बाइबल पाठ: भजन 35:17-28
Psalms 35:17 हे प्रभु तू कब तक देखता रहेगा? इस विपत्ति से, जिस में उन्होंने मुझे डाला है मुझ को छुड़ा! जवान सिंहों से मेरे प्राण को बचा ले!
Psalms 35:18 मैं बड़ी सभा में तेरा धन्यवाद करूंगा; बहुतेरे लोगों के बीच में तेरी स्तुति करूंगा।
Psalms 35:19 मेरे झूठ बोलने वाले शत्रु मेरे विरुद्ध आनन्द न करने पाएं, जो अकारण मेरे बैरी हैं, वे आपस में नैन से सैन न करने पांए।
Psalms 35:20 क्योंकि वे मेल की बातें नहीं बोलते, परन्तु देश में जो चुपचाप रहते हैं, उनके विरुद्ध छल की कल्पनाएं करते हैं।
Psalms 35:21 और उन्होंने मेरे विरुद्ध मुंह पसार के कहा; आहा, आहा, हम ने अपनी आंखों से देखा है!
Psalms 35:22 हे यहोवा, तू ने तो देखा है; चुप न रह! हे प्रभु, मुझ से दूर न रह!
Psalms 35:23 उठ, मेरे न्याय के लिये जाग, हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे प्रभु, मेरे मुकद्दमा निपटाने के लिये आ!
Psalms 35:24 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अपने धर्म के अनुसार मेरा न्याय चुका; और उन्हें मेरे विरुद्ध आनन्द करने न दे!
Psalms 35:25 वे मन में न कहने पाएं, कि आहा! हमारी तो इच्छा पूरी हुई! वह यह न कहें कि हम उसे निगल गए हैं।
Psalms 35:26 जो मेरी हानि से आनन्दित होते हैं उनके मुंह लज्जा के मारे एक साथ काले हों! जो मेरे विरुद्ध बड़ाई मारते हैं वह लज्जा और अनादर से ढ़ंप जाएं!
Psalms 35:27 जो मेरे धर्म से प्रसन्न रहते हैं, वह जयजयकार और आनन्द करें, और निरन्तर कहते रहें, यहोवा की बड़ाई हो, जो अपने दास के कुशल से प्रसन्न होता है!
Psalms 35:28 तब मेरे मुंह से तेरे धर्म की चर्चा होगी, और दिन भर तेरी स्तुति निकलेगी।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 37-39
  • प्रेरितों 26



मंगलवार, 24 जुलाई 2018

भूल



      लगभग 200 वर्ष पहले, रूस में नेपोलियन की हार का कारण, रूस की भीषण सर्दी को माना जाता है। उसकी सेना में एक विशेष समस्या यह थी कि उनके घोड़ों के खुरों में जो नाल लगी थी वह गर्मियों में ही कारगर थी, रूस की उस भीषण सर्दी और बर्फ में नहीं। बर्फ से ढके मार्गों पर रसद की गाडियां खींचते हुए, घोड़े फिसल कर गिर जाते थे और मर जाते थे। नेपोलियन की सेना को समय से पूरी रसद न मिल पाने के कारण वे 400,000 से केवल 10,000 रह गए। एक छोटी सी भूल, अति विनाशकारी परिणाम का कारण हो गई।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब वर्णन करता है कि जीभ की छोटी सी भूल लोगों की नियति और अजीविकाएं बदल देती है। याकूब ने लिखा कि जीभ इतनी विनाशकारी है कि “जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है” (याकूब 3:8)। हमारे वर्तमान सँसार में यह समस्या बढ़कर और गंभीर हो गई है क्योंकि अब हमें सब कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं है; एक गलत ईमेल, या सोशल मीडिया पर डाला गया गलत सन्देश, शीघ्र ही फैल जाता है और बहुत हानि कर डालता है, उसे रद्द करना, या हटा देना बहुत कठिन हो जाता है।

      राजा दाऊद ने परमेश्वर के प्रति हमारे आदर को, हमारे द्वारा अपनी जीभ के प्रयोग के साथ जोड़ा। दाऊद ने लिखा, “...मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा...अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले” (भजन 34:11, 13)। उसने निर्णय लिया “मैं ने कहा, मैं अपनी चाल चलन में चौकसी करूंगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्ट मेरे साम्हने है, तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुंह बन्द किए रहूंगा”, ( भजन 39:1)। परमेश्वर हमारी सहायता करे कि हम भी ऐसा ही करें और छोटी लगने वाली किन्तु अति विनाशकारी भूल से सावधान रहें। - सी. पी. हिया


हमारे शब्दों में बनाने या बिगाड़ने की शक्ति होती है।

वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। - याकूब 3:5-6

बाइबल पाठ: भजन 34:11-18
Psalms 34:11 हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा।
Psalms 34:12 वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
Psalms 34:13 अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले।
Psalms 34:14 बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर।
Psalms 34:15 यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं।
Psalms 34:16 यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले।
Psalms 34:17 धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
Psalms 34:18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 35-36
  • प्रेरितों 25



सोमवार, 23 जुलाई 2018

भय



      भय मेरे हृदय में बिना कोई अनुमति लिए, चुपके से आ जाता है। वह मेरे अन्दर निःसहाय, बेबस, और आशा विहीन होने के भाव जगाता है। वह मेरी शान्ति और एकाग्रता को चुरा लेता है। मैं क्यों, और किस बात को लेकर भयभीत हो जाती हूँ? मैं अपने परिवार की सुरक्षा तथा अपने प्रिय जनों के स्वास्थ्य के लिए चिन्तित होती हूँ। मैं नौकरी के चले जाने या किसी संबंध के टूट जाने को लेकर घबराती हूँ। भय मुझे अपने ही अन्दर देखने, अपनी ही सामर्थ्य, अपने ही मन पर केंद्रित करता है; और मुझ में एक ऐसा मन प्रकट करता है जिसे किसी पर भरोसा करना कठिन लगता है।

      जब ये भय और चिंताएं हमला करती हैं तब परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद का प्रार्थना का भजन, भजन 34, को पढ़कर उसपर मनन करना बहुत अच्छा होता है: “मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया” (पद 4)। परमेश्वर हमें हमारे भय से कैसे छुड़ाता है? जब हम “उसकी ओर दृष्टि” करते हैं (पद 5), उसपर ध्यान लगाते हैं, जब हम भरोसा रखते हैं कि प्रत्येक परिस्थिति परमेश्वर के नितंत्रण में है, तब हमारे भय मिटने लग जाते हैं ।

      इसके बाद दाऊद एक भिन्न प्रकार के भय की बात करता है – ऐसा भय नहीं जो पंगु कर दे, वरन ऐसा भय जो उसके प्रति है जो हमें चारों ओर से घेर कर सुरक्षित रखता है; यह भय उस परमेश्वर पिता के प्रति गहरी श्रद्धा, और महान आदर जगाता है (पद 7)। हम उसमें शरण लेते हैं क्योंकि वह भला है (पद 8)।

      उसकी भलाई का यह श्रद्धापूर्ण भय हमारे अपने भय को सही परिप्रेक्ष्य में लाता है। जब हम स्मरण करते हैं कि परमेश्वर कौन है और वह हमसे कितना प्रेम करता है, तब हम उसकी शान्ति में निश्चिन्त होकर विश्राम कर सकते हैं, क्योंकि दाऊद का निष्कर्ष था, “हे यहोवा के पवित्र लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती” (पद 9)।

      कितना अद्भुत है यह जानना कि परमेश्वर के भय में रहने से हम अपने सभी भय से मुक्ति पा सकते हैं। - कीला ओकोआ


परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको आपके भय से मुक्ति दे।

यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं? – भजन 27:1

बाइबल पाठ: भजन 34:1-10
Psalms 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
Psalms 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
Psalms 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।
Psalms 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
Psalms 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।
Psalms 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psalms 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है।
Psalms 34:8 परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।
Psalms 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
Psalms 34:10 जवान सिंहों तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 33-34
  • प्रेरितों 24



रविवार, 22 जुलाई 2018

विश्राम



      प्रातः अलार्म बजता है; हमें लगता है कि अभी बहुत जल्दी है, कुछ देर और सो लें, परन्तु दिन भर के लिए कार्य आगे रखा है, लोगों से निर्धारित समय पर मिलना है, लोगों की देखभाल करनी है, और भी बहुत कुछ दिन भर के समय में करने के लिए है। ऐसे में आप अकेले नहीं हैं; प्रतिदिन, हम में से बहुतेरों को एक बात से दूसरी की ओर भागते रहना होता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब प्रेरित अपनी सेवकाई के पहले दौरे से लौटे तो प्रभु को बताने के लिए उनके पास बहुत कुछ था। परन्तु जैसे मरकुस रचित सुसमाचार में लिखा है, प्रभु तुरंत ही उनके कार्य का आंकलन करने नहीं बैठ गया; वरन प्रभु की पहली प्राथमिकता थी कि वे पहले थोड़ा विश्राम कर लें। प्रभु यीशु ने उनसे कहा, “उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो” (मरकुस 6:31)।

      अन्ततः हमें वास्तविक विश्राम अपने साथ परमेश्वर की लगातार बनी रहने वाली उपस्थित का एहसास करने और उस पर भरोसा बनाए रखने से ही मिलता है। चाहे हम अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें, परन्तु हमें यह पहचान भी रखनी है कि हम अपने कार्यों, कार्य में उन्नति, परिवार, सेवकाई, आदि की चिंताएं परमेश्वर के हाथों में सौंप कर उनके विषय उस पर भरोसा बनाए रखना चाहिए। हमें प्रतिदिन कुछ समय हमारा ध्यान बंटाने वाली बातों से हटाकर, तनाव और बेचैनी को अपने से दूर कर के, अपने प्रति परमेश्वर के लगातार बने रहने वाले अद्भुत प्रेम और विश्वासयोग्यता पर मनन करना चाहिए, उसमें और उसके साथ थोड़ा विश्राम करना चाहिए।

      इसलिए निश्चिन्त होकर आराम की साँस लीजिए; परमेश्वर के हाथों में अपनी सारी चिंताओं को छोड़ दीजिए, और वास्तविक विश्राम का आनन्द लीजिए। - पो फैंग चिया


हम इसलिए विश्राम नहीं करते हैं क्योंकि हमारा कार्य पूरा हो गया है; 
हम इसलिए विश्राम करते हैं क्योंकि यह परमेश्वर की आज्ञा है, 
और उसने हमें ऐसा बनाया है कि हमें विश्राम की आवश्यकता होती है। - गौर्डन मैकडोनाल्ड

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: मरकुस 6:7-13, 30-32
Mark 6:7 और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो कर के भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया।
Mark 6:8 और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे।
Mark 6:9 परन्तु जूतियां पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो।
Mark 6:10 और उसने उन से कहा; जहां कहीं तुम किसी घर में उतरो तो जब तक वहां से विदा न हो, तब तक उसी में ठहरे रहो।
Mark 6:11 जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहां से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।
Mark 6:12 और उन्होंने जा कर प्रचार किया, कि मन फिराओ।
Mark 6:13 और बहुतेरे दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
Mark 6:30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया।
Mark 6:31 उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था।
Mark 6:32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।
     

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35



शनिवार, 21 जुलाई 2018

आज्ञाकारिता



      पहले बार जब मैंने अपनी पत्नि के साथ मिलकर एक लेख लिखने की परियोजना पर कार्य करना आरंभ किया, तो शीघ्र ही यह प्रगट हो गया कि इस परियोजना में मुख्य बाधा मेरे द्वारा काम को टालना होगी। इस परियोजना में उसका काम था मेरे लिखे हुए को संपादित करना और नियुक्त समय के अनुसार मुझसे काम को पूरा करवाना; और मेरा काम था यह करने में उसे खिसियाना! अधिकांशतः उसका धैर्य और योजनाबद्ध तरीके से काम करवाना, नियत समय एवं निर्देशानुसार के अनुसार मेरे काम न करने की प्रवृत्ति पर भारी पड़ते थे।

      मैं प्रतिज्ञा करता था कि दिन भर में लिखने का इतना कार्य कर लूँगा। पहले घंटे तो मैं बड़ी मेहनत के साथ काम करता रहता। फिर अपने काम करने की क्षमता से निश्चिन्त होकर, मैं काम से थोड़ा विश्राम लेने की सोचता। थोड़ी ही देर में, मेरा विश्राम का समय समाप्त हो जाता। यह जानते हुए कि अब मुझे अपनी पत्नि से इसके लिए कुछ सुनना पड़ेगा, मैं बच निकलने के लिए कुछ और करने की सोचता। मैं कुछ ऐसे घरेलू कार्य करने लगता जो मेरी पत्नि को बिलकुल पसन्द नहीं हैं, और सामान्यतः यदि मैं उन्हें कर देता तो मुझे उस से शाबाशी मिलती थी।

      परन्तु इस परियोजना के लिए, उसे प्रसन्न करने की मेरी यह योजना व्यर्थ चली जाती।

      कभी-कभी मैं ऐसे ही खेल परमेश्वर के साथ भी खेलता हूँ। वह मेरे जीवन में कुछ लोगों को किसी विशेष सेवकाई के लिए लेकर आता है, या मुझसे कुछ विशेष कार्य करवाना चाहता है। जैसे योना परमेश्वर द्वारा उसके लिए निर्धारित कार्य से विमुख होकर विपरीत दिशा में चला गया था (योना 4:2), वैसे ही मैं भी अपना ही मार्ग चुन लेता हूँ। फिर मैं परमेश्वर को कुछ अच्छे कार्यों या आत्मिक गतिविधियों द्वारा प्रसन्न करने का प्रयास करता हूँ। जबकि परमेश्वर मुझ से केवल अपनी आज्ञाकारिता, और उसकी प्राथमिकताओं के अनुसार कार्य करवाना चाहता है। निश्चय ही परमेश्वर को प्रभावित करने के मेरे ये सभी प्रयास व्यर्थ ठहरते हैं।

      क्या आप भी उन कार्यों को करने से मन चुरा रहे हैं, जिन्हें आप जानते हैं कि परमेश्वर आपके द्वारा करवाना चाहता है? मेरा विश्वास कीजिए; सच्ची संतुष्टि उसके द्वारा सौंपे गए कार्य को, उसके मार्गदर्शन और उसकी सामर्थ्य के द्वारा करने से ही आती है।

      परमेश्वर केवल अपनी आज्ञाकारिता ही के द्वारा प्रसन्न होता है। - रैंडी किल्गोर


केवल परमेश्वर आज्ञाकारिता ही उसको प्रसन्न करती है।

शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है, जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है? सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है। - 1 शमूएल 15:22

बाइबल पाठ: योना 4
Jonah 4:1 यह बात योना को बहुत ही बुरी लगी, और उसका क्रोध भड़का।
Jonah 4:2 और उसने यहोवा से यह कह कर प्रार्थना की, हे यहोवा जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं ने तेरी आज्ञा सुनते ही तर्शीश को भाग जाने के लिये फुर्ती की; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, विलम्ब से कोप करने वाला करूणानिधान है, और दु:ख देने से प्रसन्न नहीं होता।
Jonah 4:3 सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है।
Jonah 4:4 यहोवा ने कहा, तेरा जो क्रोध भड़का है, क्या वह उचित है?
Jonah 4:5 इस पर योना उस नगर से निकल कर, उसकी पूरब ओर बैठ गया; और वहां एक छप्पर बना कर उसकी छाया में बैठा हुआ यह देखने लगा कि नगर को क्या होगा?
Jonah 4:6 तब यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ लगा कर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिस से उसका दु:ख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण बहुत ही आनन्दित हुआ।
Jonah 4:7 बिहान को जब पौ फटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ का पेड़ ऐसा काटा कि वह सूख गया।
Jonah 4:8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।
Jonah 4:9 परमेश्वर ने योना से कहा, तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है? उसने कहा, हां, मेरा जो क्रोध भड़का है वह अच्छा ही है, वरन क्रोध के मारे मरना भी अच्छा होता।
Jonah 4:10 तब यहोवा ने कहा, जिस रेंड़ के पेड़ के लिये तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नाश भी हुआ; उस पर तू ने तरस खाया है।
Jonah 4:11 फिर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएं हाथों का भेद नहीं पहिचानते, और बहुत घरेलू पशु भी उस में रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊं?
     

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15