परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड के
नियमों के अनुसार जीवन सीधा-सादा प्रतीत होता है – परमेश्वर के आज्ञाकारी बने रहो
और आशीषें प्राप्त करो; उसके अनाज्ञाकारी बनो और मुसीबतों का सामने करने को तैयार
रहो। यह संतुष्टि देने वाली आध्यात्मिकता हो सकती है; परन्तु क्या यह इतनी सरल है
भी?
बाइबल के एक पात्र राजा आसा की कहानी तो इसी
नमूने के अनुसार दिखाई देती है। राजा आसा ने अपनी प्रजा को झूठे देवताओं से पृथक
किया, और उसके राज्य में संपन्नता आई (2 इतिहास 15:1-19)। फिर अपने राज्य के बाद
के समय में वह परमेश्वर की बजाए अपने आप पर निर्भर रहने लगा (16:2-7) और उसके शेष
जीवन भर युद्ध और बीमारियाँ उसे घेरे रहीं (पद 12)।
इस कहानी को देखकर एक सीधा सा निष्कर्ष निकाल
लेना सरल है। परन्तु हनानी भविष्यद्वक्ता ने आसा को सचेत करते समय उससे कहा “जिनका मन उसकी
ओर निष्कपट रहता है” परमेश्वर उन्हें सामर्थी करता है (16:9)।
हमारे मनों को सामर्थी होने की भला क्या आवश्यकता है? क्योंकि सही कार्य करने के
लिए साहस और धीरज की आवश्यकता होती है।
इस बारे में बाइबल से कुछ लोगों के जीवनों के उदाहरणों
को देखें: अय्यूब को सृष्टि की महानतम त्रासदी सहने में प्रमुख भूमिका निभानी पड़ी;
उसका दोष? “वह खरा और सीधा था” (अय्यूब 1:8)। यूसुफ पर बलात्कार का झूठा आरोप
लगाया गया और उसे वर्षों तक, परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, कैदखाने को
सहना पड़ा (उत्पत्ति 39:19-41:1)। यिर्मयाह को मारा-पीटा गया और काठ में ठोक दिया
गया (यिर्मयाह 20:2)। उसका क्या दोष था? वह भविष्यद्वक्ता, परमेश्वर की ओर से बलवई
लोगों को सच बताता था (26:15)।
जीवन इतना सरल नहीं है, और परमेश्वर
के मार्ग हमारे मार्गों से भिन्न हैं। सही निर्णय लेने और उस पर बने रहने के लिए
कीमत चुकानी पड़ सकती है। परन्तु परमेश्वर की अनन्त योजना में, उसकी आशीषें सही समय
पर आ जाती हैं। - टिम गुस्ताफासन
जो
परमेश्वर पर निर्भर रहते हैं, परमेश्वर उनकी सहायता करता है।
क्योंकि
यहोवा कहता है,
मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में
और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का
अन्तर है। - यशायाह 55:8-9
बाइबल पाठ:
2 इतिहास 16:7-14
2
Chronicles 16:7 उस समय हनानी दर्शी यहूदा के राजा आसा के पास जा कर
कहने लगा, तू ने जो अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा नहीं रखा
वरन अराम के राजा ही पर भरोसा रखा है, इस कारण अराम के राजा
की सेना तेरे हाथ से बच गई है।
2
Chronicles 16:8 क्या कूशियों और लूबियों की सेना बड़ी न थी,
और क्या उस में बहुत ही रथ, और सवार न थे?
तौभी तू ने यहोवा पर भरोसा रखा था, इस कारण
उसने उन को तेरे हाथ में कर दिया।
2 Chronicles
16:9 देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर
इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी
सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए। तूने यह काम मूर्खता से किया है, इसलिये अब से तू लड़ाइयों में फंसा रहेगा।
2
Chronicles 16:10 तब आसा दर्शी पर क्रोधित हुआ और उसे काठ में
ठोंकवा दिया, क्योंकि वह उसकी ऐसी बात के कारण उस पर क्रोधित
था। और उसी समय से आसा प्रजा के कुछ लोगों को पीसने भी लगा।
2
Chronicles 16:11 आदि से ले कर अन्त तक आसा के काम यहूदा और इस्राएल
के राजाओं के वृत्तान्त में लिखे हैं।
2 Chronicles
16:12 अपने राज्य के उनतीसवें वर्ष में आसा को पांव का रोग हुआ,
और वह रोग अत्यन्त बढ़ गया, तौभी उसने रोगी हो
कर यहोवा की नहीं वैद्यों ही की शरण ली।
2
Chronicles 16:13 निदान आसा अपने राज्य के एकतालीसवें वर्ष में मर
के अपने पुरखाओं के साथ सो गया।
2 Chronicles
16:14 तब उसको उसी की कब्र में जो उसने दाऊदपुर में खुदवा ली थी,
मिट्टी दी गई; और वह सुगन्धद्रव्यों और गंधी
के काम के भांति भांति के मसालों से भरे हुए एक बिछौने पर लिटा दिया गया, और बहुत सा सुगन्धद्रव्य उसके लिये जलाया गया।
एक साल में
बाइबल:
- 2 इतिहास 15-16
- यूहन्ना 12:27-50