यदि हमें अपनी प्रार्थनाओं और बातों का उत्तर तुरंत या शीघ्र ना मिले तो क्यों यह हमारे लिए परेशानी की बात और परमेश्वर पर हमारे विश्वास पर प्रश्न चिन्ह बन जाती है? जब प्रभु यीशु का मित्र लाज़र जिससे प्रभु प्रेम करता था, बीमार होकर गंभीर अवस्था में पहुँचा तो उसकी बहिनों ने प्रभु के पास सन्देश भेजा। किंतु लिखा है कि, "जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया" (यूहन्ना ११:६)। फिर जब प्रभु लाज़र के घर पहुँचा तब तक लाज़र मर चुका था, लोग लाज़र के प्रति प्रभु के प्रेम पर बातें बना रहे थे, लाज़र कि बहिनें भी निराश थीं।
परमेश्वर के वचन के इस खंड पर प्रसिद्ध बाइबल टीकाकार ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने लिखा: "क्या परमेश्वर ने आपको अपना मौन सौंपा है - मौन जो किसी बड़े सत्य से भरा है?....बैतनिय्याह में लाज़र के घर में छाए उस मौन के बारे में सोचिए; क्या आपके जीवन में भी परमेश्वर की ओर कुछ ऐसा ही है?...परमेश्वर की खामोशी इस बात का चिन्ह है कि वह आपको कोई गहरी समझ दे रहा है, आपके जीवन में कुछ अद्भुत करने जा रहा है। यदि परमेश्वर ने आपके जीवन में मौन साधा हुआ है तो उसकी स्तुति कीजिए क्योंकि उसकी खामोशी आपसे बहुत कुछ कह रही, वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आपको उपयोग करने जा रहा है।"
परमेश्वर की खामोशी में भी उस पर से अपना ध्यान मत हटाएं क्योंकि जैसे लाज़र के साथ, वैसे ही आपके साथ भी, अपने समय और योजना में वह कलपना से परे कुछ अद्भुत करने जा रहा है। - डेविड मैक्कैसलैंड
परमेश्वर में सच्चा विश्वास तब भी दृढ़ रहता है जब परमेश्वर खामोश होता है।
जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया। - यूहन्ना ११:६
बाइबल पाठ: यूहन्ना ११:१-११, २४-२७, ३७-४१
Joh 11:1 मरियम और उस की बहिन मरथा के गांव बैतनिय्याह का लाजर नाम एक मनुष्य बीमार था।
Joh 11:2 यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डाल कर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाजर बीमार था।
Joh 11:3 सो उस की बहिनों ने उसे कहला भेजा, कि हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है।
Joh 11:4 यह सुन कर यीशु ने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।
Joh 11:5 और यीशु मरथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था।
Joh 11:6 सो जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया।
Joh 11:7 फिर इस के बाद उस ने चेलों से कहा, कि आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।
Joh 11:8 चेलों ने उस से कहा, हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?
Joh 11:9 यीशु ने उत्तर दिया, क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता है, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है।
Joh 11:10 परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उस में प्रकाश नहीं।
Joh 11:11 उस ने ये बातें कहीं, और इस के बाद उन से कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूं।
Joh 11:25 यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जा कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
Joh 11:26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?
Joh 11:27 उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है।
Joh 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
Joh 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
Joh 11:39 यीशु ने कहा, पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मरथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
Joh 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
Joh 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
Joh 11:42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
Joh 11:43 यह कह कर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
Joh 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था; यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो।
Joh 11:45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।
एक साल में बाइबल:
- २ राजा १९-२१
- यूहन्ना ४:१-३०