अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए अगर आपको उनके निवास "व्हाईट हाउस" में जाने का निमंत्रण मिले तो शायद आप अवश्य जाएंगे, चाहे उनके बारे में आपकी राय कुछ भी हो। वहाँ पहले आपसे एक अफसर मिलेगा जो आपको राष्ट्रपति से मिलने के उचित शिष्टाचार के नियम समझाएगा। वह बताएगा के जब आप उनसे मिलें और हाथ मिलाएं तो कोई ओछि हरकत, उनसे नाम मात्र की पहचान का दिखावा या कोई अनुचित आलोचना नहीं करनी है।
परमेश्वर के सन्मुख प्रवेश करने के भी नियम है, जिन्हे परमेश्वर के वचन में स्पष्ट किया गया है। इब्रानियों ११:६ में आपसी उचित संपर्क का एक पहलू दिया गया है। "परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए कि वो है और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।" परमेश्वर चाहता है कि हम उसके पूरे भक्त हों। अगर हमारे मन में आलोचना, अविश्वास और सन्देह भरे हैं तो वह हम से व्यक्तिगत रूप से दुखी होता है।
याकूब कहता है कि हम परमेश्वर से बुद्धि माँगें तो उसका उत्तर हमारे "विश्वास से माँगने" पर निर्भर है (पद ६)। हम दृढ़ विश्वास के साथ परमेश्वर के पास जाएं तो वह प्रसन्न होता है।
सन्देह छोड़ो और नियमों का अनुसरण करो। विश्वास से भरे हृदय लेकर परमेश्वर से माँगो तो वह प्रसन्न होकर तुम्हें अवश्य बुद्धि देगा। - जो स्टोवैल
सन्देह की अतृप्ति को परमेश्वर पर विश्वास की तृप्ति से अदल-बदल कर लो।
बाइबल पाठ: याकूब १:१-८
विश्वास से मांगे औरे कुछ सन्देह न करे, क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर की तरह है जो हवा से बहती और उछलती है।- याकूब १:६
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति ४९,५०
- मत्ती १३:३१-५८