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सोमवार, 1 मई 2017

सुधार


   नैरोबी, कीनिया में हुए एक सम्मेलन के पश्चात हमारे दल के लोग सम्मेलन स्थल से एक अतिथिगृह गए, जहाँ से अगली प्रातः हमें वापस लौटने के लिए उड़ान भरनी थी। जब हम अतिथिगृह पहुंचे तो हमारे दल की एक महिला को ध्यान आया कि वह अपना सामान पीछे सम्मेलन स्थल पर ही भूल आई है। उसके सामान लाने के लिए वापस सम्मेलन स्थल जाने के पश्चात, हमारे दल के अगुवे ने, जो सदा हर बात के लिए अतिसावधान रहता था, उस महिला की हमारे समक्ष और उसकी पीठ पीछे कटु-आलोचना की।

   अगली प्रातः जब हम हवाई-अड्डे पहुँचे तो उस अगुवे ने बड़ी लज्जा और संकोच के साथ यह जाना कि वह भी अपना सारा सामान, जिसमें उसका पासपोर्ट भी था, अतिथिगृह में ही छोड़ आया था। अब उसके सामान को लाने के लिए वापस जाना हमें और भी अधिक महंगा पड़ा। बाद में उसने हम सबसे क्षमा माँगते हुए कहा, "मैं अब से ऐसे किसी की कटु आलोचना फिर कभी नहीं करूँगा।"

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि क्योंकि हम सब में त्रुटियाँ और कमियाँ हैं इसलिए हमें एक दूसरे की बरदाश्त करनी चाहिए, एक दूसरे को क्षमा करना चाहिए; हमें कोमलता के साथ एक दूसरे को सकारात्मक रीति से सुधारना चाहिए: "इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो" (कुलुस्सियों 3:12-13)।

   जब किसी को सुधारना पड़े तो हमें उसके साथ वही रवैया अपनाना चाहिए जो हमारे प्रभु यीशु ने हमारे साथ अपनाया है - धीरज, सहनशीलता और क्षमा के साथ प्रेम भरे व्यवहार का। - लॉरेंस दरमानी


प्रभावी संबंधों के लिए कोमलता और नम्रता का व्यवहार होना आवश्यक है।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों 6:1-2

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:12-25
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। 
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। 
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो। 
Colossians 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो। 
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिध्द ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। 
Colossians 3:17 और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।
Colossians 3:18 हे पत्‍नियों, जेसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो। 
Colossians 3:19 हे पतियों, अपनी अपनी पत्‍नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो। 
Colossians 3:20 हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है। 
Colossians 3:21 हे बच्‍चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए। 
Colossians 3:22 हे सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। 
Colossians 3:23 और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। 
Colossians 3:24 क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। 
Colossians 3:25 क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 10-11
  • लूका 21:20-38