वह
युवक वायुयान के उड़ान भरने से पहले अपनी सीट पर बैठकर भी बेचैन था। उसकी आँखें
वायुयान की एक से दूसरी खिड़की को जा रही थीं; फिर उसने अपनी आँखें बंद कर के लम्बी
सांस लेकर शांत होना चाहा किन्तु इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। जब वायुयान उड़ान भरने
लगा तो वह अपनी सीट पर धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने लगा। उसके निकट बैठी एक वृद्ध
महिला ने अपना हाथ बढ़ाकर उसकी बांह को थामा और हल्की आवाज़ में फुसफुसा कर उससे
वार्तालाप करने लगी जिससे उसका ध्यान उसके तनाव से हट जाए। उस महिला ने उस से उस
का नाम, स्थान, गंतव्य, काम आदि के बारे में पूछा, और उसे सांत्वना देते हुए कहा,
सब ठीक है और ठीक रहेगा भी। वह महिला उससे खिसिया भी सकती थी, या उसकी अनदेखी भी
कर सकती थी। परन्तु उसने उस युवक को छूना, और उससे कुछ बात करना चुना, जो होने को
तो छोटी बातें तो थीं, किन्तु उस युवक के लिए बहुत महत्वपूर्ण थीं। तीन घंटे बाद
जब उनकी उड़ान पूरी हुई, तो युवक ने उस महिला का, उसकी सहायता के लिए, बहुत धन्यवाद
किया।
करुणा
और कोमलता के ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं। हम में से बहुतेरों के लिए
करुणामय तथा औरों का सहायक होना स्वाभाविक नहीं होता है। परन्तु परमेश्वर के वचन
बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, “और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में
तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध
क्षमा करो” (इफिसियों 4:32)। पौलुस यह नहीं कह रहा था कि
ऐसा करना पूर्णतः हम पर ही निर्भर करता है। मसीह यीशु पर विश्वास कर के, उसे अपना
उद्धारकर्ता ग्रहण कर लेने के पश्चात, हमें मसीही विश्वास का एक नया जन्म प्राप्त
होता है, और परमेश्वर का आत्मा हम में परिवर्तन लाना आरम्भ कर देता है। कृपालु और
करुणामय होना पवित्र आत्मा द्वारा हमारे जीवनों में किए जा रहे परिवर्तन के कार्य
का परिणाम है जिससे हमारे विचारों और व्यवहारों का नवीनीकरण होता जाता है (पद 23)।
करुणा
का परमेश्वर हमारे हृदयों में कार्यरत है, और हमें प्रोत्साहित करता है कि हम औरों
के जीवनों में प्रोत्साहन तथा करुणा के व्यवहार के द्वारा उन्हें प्रब्भु यीशु की
और आकर्षित करें। - ऐनी सेटास
करुणा का अर्थ है औरों के दुखों को समझना
तथा उनकी सहायता के लिए आगे बढ़ना।
हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर,
और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता,
और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्लेशों में
शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर
हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश में हों। - 2 कुरिन्थियों 1:3-4
बाइबल पाठ: इफिसियों 4: 20-32
इफिसियों 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी
शिक्षा नहीं पाई।
इफिसियों 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की
सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी
में सिखाए भी गए।
इफिसियों 4:22 कि तुम अगले चालचलन के
पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है,
उतार डालो।
इफिसियों 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्वभाव
में नये बनते जाओ।
इफिसियों 4:24 और नये मनुष्यत्व को पहिन
लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
इफिसियों 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर
एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के
अंग हैं।
इफिसियों 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
इफिसियों 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
इफिसियों 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न
करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे;
इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके
पास कुछ हो।
इफिसियों 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे
मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के
लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
इफिसियों 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा
को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप
दी गई है।
इफिसियों 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और
प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा
सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
इफिसियों 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल,
और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में
तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध
क्षमा करो।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 30-31
- मरकुस 15:1-25