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बुधवार, 30 जून 2021

दृष्टिकोण

 

          मैं उस समय 18 वर्ष की थी, और मुझे हाल ही में साफ़ देख पाने के लिए चश्मा लगाना पड़ा था, जिसे मैं पसंद नहीं कर रही थी। मेरे पिता ने एक दिन मुझ से कहा, “किसी पेड़ को देखते समय, पहले उसे बजाए केवल धुंधला और हरा देख पाने के स्थान पर, अब उसके प्रत्येक पत्ते को स्पष्ट देख पाना बहुत अद्भुत अनुभव होगा; है न?” उनकी इस टिप्पणी ने उस चश्मे के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल दिया।

          परमेश्वर के वचन बाइबल को पढ़ते समय, कभी-कभी बाइबल के कुछ भाग वैसे ही प्रतीत होते हैं, जैसे बिना चश्मा पहने हुए पेड़ दिखते हैं – धुंधले, जैसे उनमें कुछ विशेष नहीं है। किन्तु यदि हम ध्यान देकर बारीकी से देखें तो उन खंडों में भी परमेश्वर की बातों की सुन्दरता दिखाई देती है।

          यह मेरे साथ निर्गमन की पुस्तक पढ़ते समय हुआ। परमेश्वर ने इस्राएलियों को अपने अस्थायी निवास-स्थान को बनाने के लिए जो निर्देश दिए थे, उसका विवरण अरुचिकर और अस्पष्ट प्रतीत हो सकता है। लेकिन मैं अध्याय 25 के अन्त की ओर आकर थोड़ा रुकी, और परमेश्वर ने दीवट के बनाने के लिए जो विवरण दिया है, उस पर विचार करने लगी। उसे “चोखे सोने” से बनाया जाना था; उसके पाये, डंडी, पुष्प-कोष, गाँठ, और फूल, सब कुछ चोखे सोने से बनने थे (पद 31)। उसकी डंडियों के ऊपर के पुष्प-कोषों को बादाम के फूलों के समान होना था (पद 34)।

          बादाम के पेड़ बहुत सुन्दर होते हैं, और परमेश्वर ने उसी प्राकृतिक सुन्दरता को अपने निवास-स्थान में सम्मिलित किया था।

          पौलुस ने लिखा,क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ्य, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं...” (रोमियों 1:20)। परमेश्वर की सुन्दरता को देख पाने के लिए हमें उसकी सृष्टि और उसके वचन, दोनों को निहारना चाहिए, और कभी-कभी उस सुन्दरता को स्पष्ट देखने के लिए, हमें उन्हें एक नए दृष्टिकोण से उसे देखना चाहिए। - जूली स्क्वाब

 

 

परमेश्वर के वचन, और उसकी सृष्टि, दोनों को एक नए दृष्टिकोण से देखिए; 

परमेश्वर की अद्भुत बातें प्रकट होने लगेंगी!


आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन संहिता 19:1

बाइबल पाठ: निर्गमन 25:31-40

निर्गमन 25:31 फिर चोखे सोने की एक दीवट बनवाना। सोना ढलवाकर वह दीवट, पाये और डण्डी सहित बनाया जाए; उसके पुष्प-कोष, गांठ और फूल, सब एक ही टुकड़े के बनें;

निर्गमन 25:32 और उसकी किनारों से छ: डालियां निकलें, तीन डालियां तो दीवट के एक किनारे से और तीन डालियां उसकी दूसरे किनारे से निकली हुई हों;

निर्गमन 25:33 एक एक डाली में बादाम के फूल के समान तीन तीन पुष्प-कोष, एक एक गांठ, और एक एक फूल हों; दीवट से निकली हुई छहों डालियों का यही आकार या रूप हो;

निर्गमन 25:34 और दीवट की डण्डी में बादाम के फूल के समान चार पुष्प-कोष अपनी अपनी गांठ और फूल समेत हों;

निर्गमन 25:35 और दीवट से निकली हुई छहों डालियों में से दो दो डालियों के नीचे एक एक गांठ हो, वे दीवट समेत एक ही टुकड़े के बने हुए हों।

निर्गमन 25:36 उनकी गांठे और डालियां, सब दीवट समेत एक ही टुकड़े की हों, चोखा सोना ढलवाकर पूरा दीवट एक ही टुकड़े का बनवाना।

निर्गमन 25:37 और सात दीपक बनवाना; और दीपक जलाए जाएं कि वे दीवट के सामने प्रकाश दें।

निर्गमन 25:38 और उसके गुलतराश और गुलदान सब चोखे सोने के हों।

निर्गमन 25:39 वह सब इन समस्त सामान समेत किक्कार भर चोखे सोने का बने।

निर्गमन 25:40 और सावधान रहकर इन सब वस्तुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पर्वत पर दिखाया गया है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 17-19
  • प्रेरितों 10:1-23


मंगलवार, 29 जून 2021

तृप्ति

 

          मेरे बच्चे तो रोमांचित थे, लेकिन मैं बहुत आशंकित थी। छुट्टियाँ मनाने के समय में हम एक मछली-घर घूमने गए थे, और वहाँ एक विशेष टैंक में छोटी शार्क मछलियाँ भी थीं, जिन्हें दर्शक छू सकते थे, दुलार से थपथपा सकते थे। मैंने वहाँ के सहायक से पूछा कि क्या ये शार्क कभी किसी को काटती या पकड़ती नहीं हैं? उसने उत्तर दिया कि इन शार्क मछलियों को अभी कुछ देर पहले ही भरपेट भोजन करवाया गया है, और फिर उसके ऊपर कुछ और अतिरिक्त भी खिला दिया गया है। क्योंकि अब उन्हें भूख नहीं थी, उनके पेट भरे हुए थे, इसलिए वे काटेंगी भी नहीं।

          मैंने जो शार्क को छूने और थपथपाने के विषय में उस दिन सीखा, वह परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन में लिखी बात,सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं” (नीतिवचन 27:7) के अनुसार है। भूख – वह अन्दर से खालीपन का भाव – हमारे सही निर्णय करने की बुद्धिमत्ता को क्षीण बना सकती है। भूखा होना या तृप्त न होना हमें ऐसा कुछ भी स्वीकार करने के लिए बाध्य कर सकता है, जिसके द्वारा हमें लगता है कि हमारी भूख शांत हो सकेगी, हमें तृप्ति मिल सकेगी – चाहे उसके लिए हमें किसी और का कोई भाग ही काटना या छीनना क्यों न पड़े।

          परमेश्वर नहीं चाहता है कि हम अपनी भूख या तृप्त होने की भावना से बाध्य होकर जीवन जीएँ। वह चाहता है कि हम मसीह यीशु के प्रेम से भर जाएँ जिससे हम जो भी करें वह उस शान्ति और स्थिरता के साथ हो जो वह हमें प्रदान करता है। इस बात का निरंतर एहसास कि हमें बिना किसी भी शर्त के लगातार प्रेम किया जाता है, हमें इसके लिए भरोसा देता है। इस प्रेम में स्थिर और दृढ़ होने के द्वारा हम हमारी ओर आने वाले प्रत्येक “अच्छी” प्रतीत होने वाली वस्तु को स्वीकार करने के स्थान पर, अपने लिए अपनी संपत्ति, संबंधों, सामग्री के विषय जाँच-परख कर सही चुनाव कर सकते हैं।

          केवल प्रभु यीशु मसीह के साथ एक सही संबंध ही हमें पूर्ण संतुष्टि दे सकता है, हमें तृप्त रख सकता है। हम अपने लिए उसके अनुपम, अद्भुत प्रेम को समझें, और अपनी तथा औरों की तृप्ति के लिए “...परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाएँ” (इफिसियों 3:19)। - जेनिफर बेनसन शुल्ट

 

जो प्रभु यीशु को जीवन की रोटी के रूप में देखते हैं, वे कभी भूखे नहीं होंगे।


जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है। - यूहन्ना 6:51

बाइबल पाठ: नीतिवचन 27:1-10

नीतिवचन 27:1 कल के दिन के विषय में मत फूल, क्योंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा।

नीतिवचन 27:2 तेरी प्रशंसा और लोग करें तो करें, परन्तु तू आप न करना; दूसरा तुझे सराहे तो सराहे, परन्तु तू अपनी सराहना न करना।

नीतिवचन 27:3 पत्थर तो भारी है और बालू में बोझ है, परन्तु मूढ का क्रोध उन दोनों से भी भारी है।

नीतिवचन 27:4 क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है?

नीतिवचन 27:5 खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है।

नीतिवचन 27:6 जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है।

नीतिवचन 27:7 सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं।

नीतिवचन 27:8 स्थान छोड़ कर घूमने वाला मनुष्य उस चिडिय़ा के समान है, जो घोंसला छोड़ कर उड़ती फिरती है।

नीतिवचन 27:9 जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है।

नीतिवचन 27:10 जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 14-16
  • प्रेरितों 9:22-43


सोमवार, 28 जून 2021

कृतज्ञ

 

          “नहीं” या “अभी नहीं” सुनना कठिन हो सकता है, विशेषकर तब, जब हमें यह लगता है कि परमेश्वर ने हमारे द्वारा औरों की सेवकाई के लिए द्वार खोले हैं। मेरी मसीही सेवकाई के आरंभिक दिनों में, मेरे सामने ऐसे दो अवसर आए, जिनके लिए मुझे लगा कि मेरे आत्मिक वरदान और कौशल उन अवसरों के अंतर्गत चर्च की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए बिलकुल सही हैं। किन्तु अन्ततः वे दोनों ही द्वार बन्द हो गए। इन दोनों निराशाओं के पश्चात एक अन्य स्थान मेरे लिए उपलब्ध हुआ, जिसमें मैं चुना गया और नियुक्त कर लिया गया। पास्टर की उस सेवकाई के अवसर के साथ तेरह वर्षों तक जीवनों को छू लेने वाले परिश्रम करने के समय भी आए।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरितों 16 में दो बार पौलुस और उसके साथियों को परमेश्वर ने एक ओर जाने से रोका। पहले “और पवित्र आत्मा ने उन्हें आसिया में वचन सुनाने से मना किया” (पद 6)। फिर “और उन्होंने मूसिया के निकट पहुंचकर, बितूनिया में जाना चाहा; परन्तु यीशु के आत्मा ने उन्हें जाने न दिया” (पद 7)। उन्हें इसका पता नहीं था, लेकिन परमेश्वर ने उनके लिए वह योजना बना रखी थी जो पौलुस और उसके साथियों के कार्यों के लिए अधिक उपयुक्त थी। उनकी अपनी योजनाओं के विषय परमेश्वर से “नहीं” सुनने के द्वारा वे उसके मार्गदर्शन को सुनने और भरोसे के साथ मानने के लिए तैयार किए गए (पद 9-10)।

          हम में से ऐसा कौन होगा जो जो किसी ऐसी बात को लेकर दुखी न हुआ हो जो हमें एक दुखद हानि प्रतीत होती है? जब हमें कोई इच्छा की हुई नौकरी नहीं मिली, या सेवकाई का कोई अपेक्षित अवसर हमें नहीं दिया गया, जब कहीं अन्य स्थान के लिए हमारा स्थानान्तरण सफल नहीं हुआ, तब हम सभी आहत अनुभव करते हैं। यद्यपि ये सभी बातें कुछ समय के लिए हमें भारी प्रतीत हो सकती हैं, किन्तु अकसर समय हमें दिखाता है कि इस प्रकार के घुमावदार मार्ग प्रभु की ओर से भेजे गए माध्यम हैं जिनके द्वारा वह हमें वहाँ पहुंचाता है, जहाँ वह हमें ले जाना चाहता है।

          हम प्रभु परमेश्वर की योजनाओं और मार्गदर्शनों के लिए उसके कृतज्ञ रहें। - आर्थर जैक्सन

 

हे पिता परमेश्वर, जीवन की बातों में मेरे मार्गदर्शक बने रहें, 

मुझे अपनी योजनाओं की गलतियों से बचाए रहें।


सुन, मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूं जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मैंने तैयार किया है उस में तुझे पहुंचाएगा। - निर्गमन 23:20

बाइबल पाठ: प्रेरितों 16:6-10

प्रेरितों के काम 16:6 और वे फ्रूगिया और गलतिया देशों में से हो कर गए, और पवित्र आत्मा ने उन्हें आसिया में वचन सुनाने से मना किया।

प्रेरितों के काम 16:7 और उन्होंने मूसिया के निकट पहुंचकर, बितूनिया में जाना चाहा; परन्तु यीशु के आत्मा ने उन्हें जाने न दिया।

प्रेरितों के काम 16:8 सो मूसिया से हो कर वे त्रोआस में आए।

प्रेरितों के काम 16:9 और पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा कि एक मकिदुनी पुरुष खड़ा हुआ, उस से बिनती कर के कहता है, कि पार उतरकर मकिदुनिया में आ; और हमारी सहायता कर।

प्रेरितों के काम 16:10 उसके यह दर्शन देखते ही हम ने तुरन्त मकिदुनिया जाना चाहा, यह समझकर, कि परमेश्वर ने हमें उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये बुलाया है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 11-13
  • प्रेरितों 9:1-21


रविवार, 27 जून 2021

क्षमा

 

          एक मसीही संस्था का ध्येय है कि वह क्षमा प्रदान करने से आने वाली मन की चंगाई का प्रसार करे। वे यह अनेकों तरीकों से  समझाने के प्रयास करते हैं, जिनमें से एक है एक लघु-नाटिका। इस नाटिका में दो व्यक्ति होते हैं, एक जिसके साथ बुरा हुआ, और दूसरा वह जिसने वह बुरा किया। बुरा करने वाले को उसकी पीठ से पीठ मिलाकर उसके साथ बाँध दिया जाता है,जिसके साथ बुरा हुआ; और केवल जिसके साथ बुरा हुआ है, वही क्षमा करने के द्वारा, उन बंधनों को खोल सकता है। अब जिसके साथ बुरा हुआ है, वह जहाँ भी जाए, जो भी करे, उसकी पीठ पर बुरा करने वाले के रूप में एक बोझ लदा हुआ है, और जब तक वह क्षमा नहीं करेगा, वह बोझ उस पर बंधा ही रहेगा। उस बोझ से मुक्त होने के लिए उसे क्षमा करने के द्वारा ही उन बंधनों को खोलना होगा।

          किसी ऐसे जन को क्षमा प्रदान करना जो हमारे पास अपने किए के लिए पश्चाताप के साथ आता है, हमारे तथा उसके जीवन में कडुवाहट और दुःख से मुक्ति पाकर शान्ति का जीवन जीने की प्रक्रिया को आरंभ करता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में उत्पत्ति की पुस्तक में, हम दो भाइयों, याकूब और एसाव को देखते हैं। याकूब ने एसाव के जन्म-अधिकार की आशीषों को उससे ठग लिया था, और फिर उसके क्रोध से बचकर अपने मामा के घर भाग गया था। अब बीस वर्ष के बाद, परमेश्वर के कहने पर वह अपने घर वापस लौट रहा है (उत्पत्ति 31:3)। उसने परमेश्वर की आज्ञा तो मान ली, किन्तु उसे अपने किए का एहसास और भय बना हुआ था (32:13-15)। एसाव को जब मालूम चला कि याकूब घर वापस आ रहा है, तो वह भी एक बड़े दल के साथ उससे मिलने के लिए निकला। याकूब ने एसाव के संभावित क्रोध को शांत करने के प्रयास में, पशुओं के एक के बाद एक कई दल उपहार-स्वरूप उसके पास भेजे, और अन्ततः जब एसाव उसके सामने आया तो याकूब सात बार दण्डवत करता हुआ उसके पास आया (33:3)। याकूब के अचरज की कल्पना कीजिए, कि एसाव ने दौड़कर उसे गले लगाया, और दोनों इस मेल-मिलाप के पुनःस्थापित हो जाने से आनन्दित होकर रोने लगे (पद 4)। याकूब अब अपने भाई के प्रति किए गए पाप के बंधन से मुक्त हो गया था।

          क्या आप भी क्षमा न करने के बंधन से बंधे हुए, क्रोध, भय, या लज्जा की मजबूरी का जीवन जी रहे हैं? आप जान लीजिए कि परमेश्वर अपने पुत्र प्रभु यीशु के बलिदान और अपनी पवित्र-आत्मा के कार्य के द्वारा आपको उन बंधनों से मुक्त हो पाने की सामर्थ्य दे सकता है, यदि आप उसकी सहायता लेने को तैयार हों, और उससे ऐसा करने के लिए कहें; अपने पापों को स्वीकार करके, प्रभु यीशु से उनके लिए क्षमा मांगें और अपना जीवन उसे समर्पित कर दें।

          क्षमा प्राप्त होते ही आप बंधनों को खोलने और अपने आप को बोझों से मुक्त कर देने की प्रक्रिया को आरंभ कर देंगे। - एमी बाउचर पाई

 

प्रभु परमेश्वर, जैसे आपने मेरे पाप क्षमा किए हैं, 

मैं भी औरों के अपराध क्षमा करने वाला व्यक्ति बनूँ।


क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढाँपा गया हो। क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो। - भजन 32:1-2

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 33:1-11

उत्पत्ति 33:1 और याकूब ने आंखें उठा कर यह देखा, कि ऐसाव चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला जाता है। तब उसने लड़के बालों को अलग अलग बांट कर लिआः, और राहेल, और दोनों दासियों को सौंप दिया।

उत्पत्ति 33:2 और उसने सब के आगे लड़कों समेत लौंडियों को उसके पीछे लड़कों समेत लिआः को, और सब के पीछे राहेल और यूसुफ को रखा,

उत्पत्ति 33:3 और आप उन सब के आगे बढ़ा, और सात बार भूमि पर गिर के दण्डवत की, और अपने भाई के पास पहुंचा।

उत्पत्ति 33:4 तब ऐसाव उस से भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगा कर, गले से लिपट कर चूमा: फिर वे दोनों रो पड़े।

उत्पत्ति 33:5 तब उसने आँखें उठा कर स्त्रियों और लड़के बालों को देखा; और पूछा, ये जो तेरे साथ हैं सो कौन हैं? उसने कहा, ये तेरे दास के लड़के हैं, जिन्हें परमेश्वर ने अनुग्रह कर के मुझ को दिया है।

उत्पत्ति 33:6 तब लड़कों समेत दासियों ने निकट आकर दण्डवत की।

उत्पत्ति 33:7 फिर लड़कों समेत लिआः निकट आई, और उन्होंने भी दण्डवत की: पीछे यूसुफ और राहेल ने भी निकट आकर दण्डवत की।

उत्पत्ति 33:8 तब उसने पूछा, तेरा यह बड़ा दल जो मुझ को मिला, उसका क्या प्रयोजन है? उसने कहा, यह कि मेरे प्रभु की अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो।

उत्पत्ति 33:9 ऐसाव ने कहा, हे मेरे भाई, मेरे पास तो बहुत है; जो कुछ तेरा है सो तेरा ही रहे।

उत्पत्ति 33:10 याकूब ने कहा, नहीं नहीं, यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मेरी भेंट ग्रहण कर: क्योंकि मैं ने तेरा दर्शन पाकर, मानो परमेश्वर का दर्शन पाया है, और तू मुझ से प्रसन्न हुआ है।

उत्पत्ति 33:11 सो यह भेंट, जो तुझे भेजी गई है, ग्रहण कर: क्योंकि परमेश्वर ने मुझ पर अनुग्रह किया है, और मेरे पास बहुत है। जब उसने उस को दबाया, तब उस ने भेंट को ग्रहण किया।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 8-10
  • प्रेरितों 8:26-40


शनिवार, 26 जून 2021

सदगुण

 

          एक विश्वासी महिला के अंतिम संस्कार में सम्मिलित होने के बाद मेरा हृदय भारी है। उसका जीवन विलक्षण तो नहीं था; उसके चर्च, पड़ौस, और मित्रों के अतिरिक्त उसे जानने वाले कोई अधिक लोग नहीं थे। लेकिन वे प्रेम करती थी – प्रभु यीशु, अपने सात बच्चों, और पच्चीस नाती-पोतों से। वह बड़ी सरलता से हंसती थी,उदारता पूर्वक सेवा करती थी, तथा औरों के मन में शीघ्र ही स्थान बना लेती थी।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में सभोपदेशक की पुस्तक में लिखा है, जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा” (7:2)। “बुद्धिमानों का मन शोक करने वालों के घर की ओर लगा रहता है परन्तु मूर्खों का मन आनन्द करने वालों के घर लगा रहता है” (7:4) क्योंकि वहाँ पर हम सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात सीखते हैं। न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार के एक संवाददाता, डेविड ब्रुक्स ने कहा है, दो प्रकार के सदगुण होते हैं: एक वे जिन्हें आप अपने जीवन के उस संक्षिप्त विवरण, जिसे आप नौकरी के आवेदन के लिए भेजते हैं, में देखना चाहते हैं; और दूसरे वे जिन्हें आप चाहते हैं कि आपके अंतिम संस्कार के समय आपके लिए कहे जाएँ। कभी-कभी ये एक-दूसरे से मेल भी खाते हैं, लेकिन बहुधा ये एक-दूसरे के साथ स्पर्धा में रहते हैं।

          जिस स्त्री के अंतिम संस्कार में मैं गया था, उसके जीवन का कोई संक्षिप्त विवरण तो नहीं था, लेकिन उसके बच्चों की गवाही थी कि वह बाइबल में नीतिवचन 31 में वर्णन की गई भक्त स्त्री का प्रतिरूप थी। उन बच्चों ने उस से ही प्रभु यीशु से प्रेम करने तथा औरों की सहायता करते रहने की प्रेरणा प्राप्त की थी। जैसा कि पौलुस ने कहा है, तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं” (1 कुरिन्थियों 11:1), उन बच्चों ने भी अंतिम संस्कार के समय उसके सदगुणों का वर्णन करते समय हमें कहा कि हम भी उस स्त्री के समान प्रभु यीशु का अनुसरण करें, जैसे कि उसने अपने बच्चों को करना सिखाया है।

          आपके अंतिम संस्कार के समय आपके बारे में क्या कहा जाएगा? आप क्या चाहेंगे कि लोग आपके लिए कहें जाए; आपके बारे में स्मरण करें? अभी भी समय है, अपने जीवन में उन सदगुणों को विकसित कर लीजिए जिन्हें आप चाहते हैं कि आपके अंतिम संस्कार के समय कहे जाएँ। प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाकर, उसे अपना जीवन समर्पित करने के द्वारा प्रभु के सद्गुण विकसित कर लीजिए। - माइक व्हिटमर

 

परमेश्वर पिता मुझ में ऐसे सद्गुण विकसित करें जो आपको महिमा दें।


क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी। - 2 पतरस 1:8

बाइबल पाठ: सभोपदेशक 7:1-6

सभोपदेशक 7:1 अच्छा नाम अनमोल इत्र से और मृत्यु का दिन जन्म के दिन से उत्तम है।

सभोपदेशक 7:2 जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है, और जो जीवित है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा।

सभोपदेशक 7:3 हंसी से खेद उत्तम है, क्योंकि मुंह पर के शोक से मन सुधरता है।

सभोपदेशक 7:4 बुद्धिमानों का मन शोक करने वालों के घर की ओर लगा रहता है परन्तु मूर्खों का मन आनन्द करने वालों के घर लगा रहता है।

सभोपदेशक 7:5 मूर्खों के गीत सुनने से बुद्धिमान की घुड़की सुनना उत्तम है।

सभोपदेशक 7:6 क्योंकि मूर्ख की हंसी हांडी के नीचे जलते हुए कांटों ही चरचराहट के समान होती है; यह भी व्यर्थ है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 5-7
  • प्रेरितों 8:1-25