यह निश्चित है कि हमारे जीवनों में मुसीबतें तो आएंगी ही; किसी चिकित्सीय जाँच की बुरी रिपोर्ट, किसी विश्वासयोग्य समझे जाने वाले मित्र द्वारा धोखा, अपने ही किसी संतान द्वारा हमारा तिरिस्कार, हमारे जीवन साथी के साथ कोई अनबन और बिछुड़ना इत्यादि। संभावित दुखदायी संभावनाओं की सूचि तो लंबी है, लेकिन इन परिस्थितियों में पड़ने पर हमारे पास दो ही विकल्प होते हैं - या तो अकेले ही अपने ही बल-बुद्धि-सामर्थ के साथ इनका सामना करते रहें, या फिर किसी की सहायता ले लें। ऐसे में किसी मनुष्य की सहायता का तो फिर उम्मीद से कम रहने या फिर कोई धोखा मिलने की संभावना को बनाए रखता है, किंतु परमेश्वर की सहायता कभी निराश नहीं करती।
परेशानियों का अकेले ही सामना करना कोई नेक विकल्प नहीं है। ऐसा करने से किसी बुरे आचरण में पड़ने, या फिर हार मानकर पीछे हट जाने और निराश हो जाने या फिर अपनी गलतियों के लिए परमेश्वर को दोषी ठहराने की प्रवृति के हावी होने की संभावना अधिक रहती है। कुछ ऐसा ही इस्त्राएलियों के साथ हुआ - वे भी केवल अपनी ही सामर्थ पर भरोसा रखने के कारण निराशाओं की गर्त में चले गए और हार मान बैठे (गिनती 14:1-4)।
परमेश्वर की सहायता और मार्गदर्शन द्वारा इस्त्राएली लोग मिस्त्र देश की गुलामी से निकलकर प्रतिज्ञा करे गए आशीष और भरपूरी के देश कनान की कगार तक तो पहुँच गए, लेकिन कनान के किनारे पहुँच कर उनके मन में शंकाएं उठने लगीं और उन्होंने कुछ लोगों को भेदिए बनाकर कनान देश का हालचाल जान लेने के लिए भेजा। भेदिए कनान देश को घूमकर देखकर आए और उसे एक बड़ा उपजाऊ और भरपूरी का देश भी बताया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वहाँ बहुत बड़े डील-डौल वाले लोग भी बसते हैं। उन बड़े डील-डौल वाले लोगों के संदर्भ में भेदियों ने अपने आप को तो तोला लेकिन परमेश्वर की साथ बनी रहने वाली उपस्थिति को नहीं आँका (गिनती 13:31-33) परिणामस्वरूप वे स्वयं भी निराश-हताश हो गए और सभी इस्त्राएली लोगों को भी निराश-हताश कर दिया।
इस्त्राएली प्रजा आशीष की कगार पर खड़ी थी, लेकिन एन मौके पर आकर वे परमेश्वर को और उसके सामर्थ को भूल गए। वे भूल गए उन दस आश्चर्यकर्मों को जो परमेश्वर ने मिस्त्र के ऊपर विपित्तियाँ ला कर दिखाए थे, वे भूल गए लाल समुद्र के अद्भुत रीति से दो भाग हो जाने को जिसमें से इस्त्राएली तो बच निकले लेकिन पीछा कर रही मिस्त्र की फौज डूब कर समाप्त हो गई, वे भूल गए परमेश्वर द्वारा उपलब्ध कराए गए भोजन-पानी और सुरक्षा को। कैसी छोटी स्मरण शक्ति, कितनी निराशाजनक विश्वासयोग्यता। और अब उन्होंने परमेश्वर की ओर पीठ फेरकर अपनी आशीषों से भी मूँह मोड़ लिया, क्योंकि उन्हें परमेश्वर की नहीं परन्तु केवल अपनी ही सामर्थ सूझ पड़ रही थी, और वे अपनी सामर्थ के आँकलन के अनुसार इस परेशानी से पार पाने की स्थिति में नहीं थे, इसलिए लौटकर वापस मिस्त्र की गुलामी में जाने की योजना बनाने लगे।
उन इस्त्राएलियों में केवल दो लोग, यहोशु और कालेब, थे जो अपनी नहीं वरन परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास रखते थे और बार बार उन्हें यह स्मरण दिलाते रहे और परमेश्वर की सामर्थ पर भरोस रख कर आगे बढ़ने की दुहाई देते रहे (गिनती 14:9)। लेकिन उस भीड़ ने उन दोनों की एक नहीं सुनी और परिणामस्वरूप सारा इस्त्राएली समाज चालीस वर्ष तक बियाबान में भटकता रहा जब तक उस अविश्वासी जाति के सभी लोग जाते ना रहे; फिर उनके बच्चों ने, जो तब तक बड़े हो गए थे, परमेश्वर की मानकर कनान देश की आशीषों में प्रवेश किया।
विशालकाय दिखने वाली मुसीबतें तो आएंगी ही; प्रश्न यह है कि उन मुसीबतों के आने पर आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या आप अपनी सामर्थ या किसी अन्य मनुष्य के सहारे उनका सामना करना चाहेंगे या परमेश्वर पिता कि शरण में जाकर उसकी सामर्थ और मार्गदर्शन द्वारा उन पर जयवन्त होंगे? - जो स्टोवैल
परमेश्वर की उपस्थिति जीवनरक्षक है जो मुसीबतों के सागर में डूब जाने से बचाए रखती है।
केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो। - गिनती 14:9
बाइबल पाठ: गिनती 13:25-14:9
Numbers 13:25 चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद ले कर लौट आए।
Numbers 13:26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए।
Numbers 13:27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
Numbers 13:28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान् हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
Numbers 13:29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
Numbers 13:30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
Numbers 13:31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान् हैं।
Numbers 13:32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
Numbers 13:33 फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात नपीली जाति वाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे।।
Numbers 14:1 तब सारी मण्डली चिल्ला उठी; और रात भर वे लोग रोते ही रहे।
Numbers 14:2 और सब इस्त्राएली मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगे; और सारी मण्डली उन से कहने लगी, कि भला होता कि हम मिस्र ही में मर जाते! या इस जंगल ही में मर जाते!
Numbers 14:3 और यहोवा हम को उस देश में ले जा कर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है? हमारी स्त्रियां और बाल-बच्चे तो लूट में चलें जाएंगे; क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं?
Numbers 14:4 फिर वे आपस में कहने लगे, आओ, हम किसी को अपना प्रधान बना लें, और मिस्र को लौट चलें।
Numbers 14:5 तब मूसा और हारून इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के साम्हने मुंह के बल गिरे।
Numbers 14:6 और नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालिब, जो देश के भेद लेने वालों में से थे, अपने अपने वस्त्र फाड़कर,
Numbers 14:7 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कहने लगे, कि जिस देश का भेद लेने को हम इधर उधर घूम कर आए हैं, वह अत्यन्त उत्तम देश है।
Numbers 14:8 यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमे दे देगा।
Numbers 14:9 केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो।
एक साल में बाइबल:
- अय्युब 41-42
- प्रेरितों 16:22-40