बहुत वर्ष पुराना एक लोकप्रीय गीत था From a Distance (दूर से), इस गीत का प्रसंग था शान्ति और प्रेम से भरा हुआ संसार और परमेश्वर हमें दूर से देख रहा है। परमेश्वर हमें, हम सब को, देख अवश्य रहा है, लेकिन दूर से नहीं; वह सदैव ही हमारे आस-पास विद्यमान है, अभी कमरे में आपके साथ है, आपको देख रहा है, वह आपसे प्रेम करता है, आपकी भलाई चाहता है।
मुझे ब्रदर लॉरेंस का उदाहरण स्मरण आता है। वे एक मठ में रहने वाले भिक्षु थे और उन्हें मठ के रसोई में बर्तन साफ करने तथा मठ के अन्य भिक्षुओं के जूते मरम्मत करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी जिसे वे कई वर्ष तक निभाते रहे। अपने इसी काम में लगे, वे परमेश्वर तथा उसकी बातों पर भी मनन करते रहते थे। उन्होंने लिखा, "जहाँ तक मुझ से हो सका, मैं अपने आप को परमेश्वर के सम्मुख एक अराधक के रूप में रखता रहा, मेरे साथ बनी रहने वाली उसकी पवित्र उपस्थिति पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहा।"
यही हमारा भी कार्य होना चाहिए, लेकिन हम इसे भूल जाते हैं और हमें इसका स्मरण दिलाने की आवश्यकता पड़ती रहती है। इसे स्मरण रखने में सहायतार्थ मैंने लुहार द्वारा हाथ से बनाई गई एक पुरानी बड़ी सी कील को, जैसी कील का प्रयोग प्रभु यीशु को क्रूस पर ठोकने के लिए भी किया गया था, अपनी मेज़ के ऊपर बनी शेल्फ पर ठोक दिया है। यह हमारा कार्य है कि हम परमेश्वर को सदा अपने सम्मुख रखें (भजन 16:8), सदैव स्मरण रखें कि वह जगत के अन्त तक हमारे साथ बना रहेगा (मत्ती 28:20) और वह हम में से किसी से भी दूर नहीं है (प्रेरितों 17:27)।
अपने साथ बनी रहने वाली परमेश्वर कि उपस्थिति को स्मरण रखना कोई कठिन कार्य नहीं है, बस यह ध्यान रखिए कि उसने वायदा किया है कि वह आपके साथ सदैव बना रहेगा और उसे परिस्थिति तथा समयानुसार "धन्यवाद", "सहायता या मार्गदर्शन चाहिए", "मैं आपसे प्रेम करता हूँ", "शुभ प्रभात/दोपहर/सन्ध्या/रात्रि" आदि कहते रहिए और उसकी उपस्थिति का एहसास बना रहेगा। - डेविड रोपर
हमारे जितना निकट परमेश्वर रहता है, उससे निकट और कोई रह नहीं सकता।
तब याकूब जाग उठा, और कहने लगा; निश्चय इस स्थान में यहोवा है; और मैं इस बात को न जानता था। - उत्पत्ति 28:16
बाइबल पाठ: प्रेरितों 17:22-31
Acts 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Acts 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Acts 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्दिरों में नहीं रहता।
Acts 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्वास और सब कुछ देता है।
Acts 17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्धा है।
Acts 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Acts 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Acts 17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Acts 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Acts 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।
एक साल में बाइबल:
- लूका 7-9