कुछ मसीही इस विश्वास के साथ बड़े होते हैं कि परिश्रम करना आदम और हव्वा के पाप के कारण आए श्राप का परिणाम है और भला नहीं है। यह एक बिलकुल गलत धारणा है, और इसको सही करना आवश्यक है अन्यथा लोग यह भी समझने लगेंगे कि जो परिश्रम उन्हें प्रतिदिन अपनी जीविका कमाने के लिए करना पड़ता है वह परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, या कम से कम मसीही मिशनरियों और पास्टरों के कार्य जितना महत्वपूर्ण तो नहीं है। यह सत्य नहीं है, जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल में आरंभ में ही जगत की सृष्टि के वृतांत में ही दिया गया है।
उत्पत्ति 1:26-31 में हम सीखते हैं कि सृष्टि की रचना परमेश्वर का कार्य है, परमेश्वर ने परिश्रम किया और फिर सातवें दिन विश्राम किया। हम यह भी सीखते हैं कि हम मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए और परमेश्वर ने हमें सृष्टि पर अधिकार दिया। इस प्रकार से अधिकार दिए जाने में यह निहित है कि मानव को सृष्टि की देखभाल की ज़िम्मेदारी दी गई, और उसे यह ज़िम्मेदारी निभानी थी। प्रत्येक दिन की सृष्टि के कार्य के बाद परमेश्वर ने उसे अच्छा कहा और फिर सृष्टि बनाने के कार्य को पूरा करने के पश्चात सारे कार्य को बहुत अच्छा कहा। अर्थात, जो ज़िम्मेदारी आदम और हव्वा में होकर परमेश्वर ने मानव जाति को सौंपी - सृष्टि की देखभाल का कार्य और उससे से संबंधित परिश्रम, परमेश्वर की नज़रों में वह भी अच्छा ठहरा। हमें इस तथ्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि यह सब - ज़िम्मेदारी देना और अच्छा कहना, संसार में पाप के प्रवेश से पहले हुआ; अर्थात परिश्रम करना पाप के श्राप का परिणाम नहीं है। उत्पत्ति 2:15 में परमेश्वर ने स्पष्ट रूप से आदम को अदन की वाटिका की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी: "तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को ले कर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे" (उत्पत्ति 2:15); और यह भी पाप के संसार में प्रवेश से पहले ही हुआ।
प्रभु यीशु ने कहा: "इस पर यीशु ने उन से कहा, कि मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं" (यूहन्ना 5:17); "जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना 9:4)। प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर की पवित्र आत्मा की अगुवाई से लिखा: "और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करो" (1 थिस्सुलुनिकीयों 4:11)। परमेश्वर का वचन कहीं भी इस धारणा का समर्थन नहीं करता कि हमें काम और मेहनत को पाप के श्राप का परिणाम जान कर उस से कतराना चाहिए या उसे तुच्छ समझना चाहिए।
हम मसीही विशिवासियों को अपने प्रतिदिन के कार्य को पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी के साथ निर्वाह करना चाहिए, इस एहसास के साथ कि परमेश्वर ने सृष्टि के आरंभ में ही इसे गरिमा दी और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने स्वयं उस ज़िम्मेदारी को निभा कर हमारे लिए उदाहरण दिया है। - रैण्डी किलगोर
हे परमेश्वर, मेरे जीवन के अन्त तक मुझे कार्य में लगाए रख, और मेरे कार्य के पूर्ण होने तक का मुझे जीवन दे!
क्योंकि, हे भाइयों, तुम हमारे परिश्रम और कष्ट को स्मरण रखते हो, कि हम ने इसलिये रात दिन काम धन्धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया, कि तुम में से किसी पर भार न हों। - 1 थिस्सुलुनिकीयों 2:9
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:26-31; 2 थिस्सुलुनिकीयों 3:6-12
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो।
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं:
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।
2 Thessalonians 3:6 हे भाइयों, हम तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देते हैं; कि हर एक ऐसे भाई से अलग रहो, जो अनुचित चाल चलता, और जो शिक्षा उसने हम से पाई उसके अनुसार नहीं करता।
2 Thessalonians 3:7 क्योंकि तुम आप जानते हो, कि किस रीति से हमारी सी चाल चलनी चाहिए; क्योंकि हम तुम्हारे बीच में अनुचित चाल न चले।
2 Thessalonians 3:8 और किसी की रोटी सेंत में न खाई; पर परिश्रम और कष्ट से रात दिन काम धन्धा करते थे, कि तुम में से किसी पर भार न हो।
2 Thessalonians 3:9 यह नहीं, कि हमें अधिकार नहीं; पर इसलिये कि अपने आप को तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएं, कि तुम हमारी सी चाल चलो।
2 Thessalonians 3:10 और जब हम तुम्हारे यहां थे, तब भी यह आज्ञा तुम्हें देते थे, कि यदि कोई काम करना न चाहे, तो खाने भी न पाए।
2 Thessalonians 3:11 हम सुनते हैं, कि कितने लोग तुम्हारे बीच में अनुचित चाल चलते हैं; और कुछ काम नहीं करते, पर औरों के काम में हाथ डाला करते हैं।
2 Thessalonians 3:12 ऐसों को हम प्रभु यीशु मसीह में आज्ञा देते और समझाते हैं, कि चुपचाप काम कर के अपनी ही रोटी खाया करें।
एक साल में बाइबल:
- भजन 146-147
- 1 कुरिन्थियों 15:1-28