परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि राजा दाऊद ने मंदिर को बनाने की पूरी तैयारी की,
उसके लिए आवश्यक सारा सामान जुटाया (1 इतिहास 28:11-19) परन्तु यरूशलेम में जो
पहला मंदिर बनाया गया वह दाऊद द्वारा नहीं वरन उसके पुत्र सुलेमान द्वारा हुआ, और
वह सुलेमान का मंदिर जाना गया। क्योंकि परमेश्वर ने दाऊद से कहा, “मेरे निवास
के लिये तू घर बनवाने न पाएगा” (1 इतिहास 17:4); परमेश्वर ने दाऊद को नहीं वरन
सुलेमान को मंदिर बनवाने के लिए चुना था।
परमेश्वर
द्वारा उसे मंदिर बनवाने से रोके जाने के प्रति दाऊद की प्रतिक्रिया अनुकरणीय थी।
उसने इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए कि वह क्या कुछ नहीं कर सका, उसने अपना
ध्यान इस बात पर अलगाया कि परमेश्वर क्या कुछ कर सकता है (पद 16-25)। दाऊद ने एक
धन्यवादी मन बनाए रखा, और जो कुछ और भी वह कर सकता था, वह सब किया। उसने इस कार्य
में सुलेमान की सहायता के लिए योग्य लोगों को भी खड़ा किया (देखें 1 इतिहास 22)।
बाइबल
टीकाकार जे. जी. मैक्कोन्विल ने इस संदर्भ में लिखा, “बहुधा यह हो सकता है कि जो
कार्य हम मसीही सेवकाई में करना चाहते हैं, उस कार्य के लिए हम पूर्णतः योग्य न
हों, और वह कार्य परमेश्वर द्वारा हमारे लिए निर्धारित कार्य न हो। हो सकता है,
जैसे दाऊद के साथ हुआ, हमारी सेवकाई केवल तैयारी करने की हो, जिसका आगे चल कर
प्रयोग किसी अन्य अति भव्य योजना की पूर्ति के लिए किया जाए।”
दाऊद
की इच्छा अपनी नहीं, परमेश्वर की महिमा करना था। उसने परमेश्वर के मंदिर के
निर्माण के लिए विश्वासयोग्यता के साथ वह सब कुछ किया जो कुछ वह कर सकता था। उसने
अपने बाद आकर उस कार्य को पूरा करने वाले के लिए एक अच्छी तैयारी की, जिससे उस
कार्य करने वाले को कोई कमी न रहे।
इसी
प्रकार से आज हम भी उन कार्यों को स्वीकार करें जो परमेश्वर ने हमारे करने के लिए रखें
हैं, और उन्हें पूर्ण विश्वासयोग्यता के साथ करके अपनी सेवकाई को परमेश्वर के
प्रति धन्यवादी मन के साथ पूरा करें; यह स्मरण रखते हुए कि हमारा परमेश्वर कुछ
बहुत ही भव्य कार्य करने जा रहा है। - पो फैंग चिया
हो सकता है कि परमेश्वर की योजना के
उद्देश्य गुप्त हों, किन्तु उसकी योजनाए निरुद्देश्य नहीं हैं।
जो काम तुझे मिले उसे अपनी शक्ति भर करना,
क्योंकि अधोलोक में जहां तू जाने वाला है, न
काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है। - सभोपदेशक 9:10
बाइबल पाठ: 1 इतिहास 17:1-4, 16-25
1 Chronicles 17:2
नातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर,
क्योंकि परमेश्वर तेरे संग है।
1 Chronicles 17:3
उसी दिन रात को परमेश्वर का यह वचन नातान के पास पहुंचा, जा
कर मेरे दास दाऊद से कह,
1 Chronicles 17:4
यहोवा यों कहता है, कि मेरे निवास के लिये तू घर बनवाने न
पाएगा।
1 Chronicles 17:16
तब दाऊद राजा भीतर जा कर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा,
हे यहोवा परमेश्वर! मैं क्या हूँ? और मेरा
घराना क्या है? कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचाया है?
1 Chronicles 17:17
और हे परमेश्वर! यह तेरी दृष्टि में छोटी सी बात हुई, क्योंकि
तू ने अपने दास के घराने के विषय भविष्य के बहुत दिनों तक की चर्चा की है, और हे यहोवा परमेश्वर! तू ने मुझे ऊंचे पद का मनुष्य सा जाना है।
1 Chronicles 17:18
जो महिमा तेरे दास पर दिखाई गई है, उसके विषय दाऊद तुझ से और
क्या कह सकता है? तू तो अपने दास को जानता है।
1 Chronicles 17:19
हे यहोवा! तू ने अपने दास के निमित्त और अपने मन के अनुसार यह बड़ा काम किया है,
कि तेरा दास उसको जान ले।
1 Chronicles 17:20
हे यहोवा! जो कुछ हम ने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार
तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ और कोई परमेश्वर है।
1 Chronicles 17:21
फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? वह तो पृथ्वी भर
में एक ही जाति है, उसे परमेश्वर ने जा कर अपनी निज प्रजा
करने को छुड़ाया, इसलिये कि तू बड़े और डरावने काम कर के
अपना नाम करे, और अपनी प्रजा के साम्हने से जो तू ने मिस्र
से छुड़ा ली थी, जाति जाति के लोगों को निकाल दे।
1 Chronicles 17:22
क्योंकि तू ने अपनी प्रजा इस्राएल को अपनी सदा की प्रजा होने के लिये ठहराया,
और हे यहोवा! तू आप उसका परमेश्वर ठहरा।
1 Chronicles 17:23
इसलिये, अब हे यहोवा, तू ने जो वचन
अपने दास के और उसके घराने के विषय दिया है, वह सदैव अटल रहे,
और अपने वचन के अनुसार ही कर।
1 Chronicles 17:24
और तेरा नाम सदैव अटल रहे, और यह कह कर तेरी बड़ाई सदा की
जाए, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है, वरन वह इस्राएल ही के लिये परमेश्वर है, और तेरा दास
दाऊद का घराना तेरे साम्हने स्थिर रहे।
1 Chronicles 17:25
क्योंकि हे मेरे परमेश्वर, तू ने यह कह कर अपने दास पर प्रगट
किया है कि मैं तेरा घर बनाए रखूंगा, इस कारण तेरे दास को
तेरे सम्मुख प्रार्थना करने का हियाव हुआ है।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू 19-21
- लूका 2:25-52