ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

शान्ति


   बहुत वर्ष पहले मेरा परिचय एक युवक से हुआ जो मोटरसाइकिल पर चलने वाले गुण्डे-मवालियों के एक गुट का सदस्य था। उस युवक का पालन पोषण एक मिशन कार्यक्षेत्र में हुआ था जहाँ उसके माता-पिता कार्य करते थे। जब वह परिवार वापस अमेरिका लौट के आया तो वह युवक वहाँ की परिस्थित्यों के साथ सामन्जस्य स्थापित नहीं कर पाया और बुरी संगति में पड़ गया। उसने एक अशान्त जीवन बिताया और एक प्रतिद्वन्दी गुट के साथ हुई लड़ाई में वह मारा गया।

   मैंने बहुत से अन्तिम संस्कारों में सहायता करी है, किन्तु इस युवक का अन्तिम संस्कार मेरे लिए अविस्मर्णीय रहा है। यह अन्तिम संस्कार एक पार्क में हुआ जिस के मध्य में एक छोटी झील है। उस युवक के साथियों ने अपनी मोटर साइकिलें वहाँ घास के मैदान पर गोलाकार खड़ी करीं और वे सब अपने दिवंगत मित्र के चारों ओर घास पर बैठ गए और मैं ने अन्तिम क्रीया की अगुवाई करी। हमने सरल, सामान्य और संक्षिप्त रीति से परस्पर तथा सामाजिक शान्ति और प्रभु यीशु के प्रेम और उससे मिलने वाली व्यक्तिगत शान्ति के बारे में बात करी। सब समाप्त होने के बाद उस मोटरसाइकिल गुट के एक सदस्य ने मुझे धन्यवाद कहा और चलने लगा; फिर वह पलटा और मेरे पास वापस आया। तब उसने जो कहा, मैं उसके वे शब्द कभी भुला नहीं पाया। उसने कहा, मेरे पास मोटरसाइकिल है, घर है और प्रेमिका है, लेकिन मेरे पास शान्ति नहीं है। फिर हमने प्रभु यीशु के बारे में बात करी जो हमारी शान्ति है और जगत का शान्तिदाता है।

   चाहे हमारे पास हेलिकॉप्टर हो या कीमती कार, रहने के लिए आलीशान महल हो या छोटी सी झोंपड़ी, कोई प्रेम करने वाला हो या ना हो - इनमें से या इनके जैसी किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता; जहाँ प्रभु यीशु नहीं है वहाँ शान्ति नहीं है। प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना 14:27)। प्रभु यीशु की अद्भुत शान्ति का यह उपहार प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए है जो उसपर विश्वास करता है, उससे पापों की क्षमा माँगकर अपना जीवन उसे समर्पित कर देता है।

   क्या आपके पास यह अद्भुत शान्ति है? - डेविड रोपर


प्रभु यीशु ने हमारे लिए अपने प्राण बलिदान किए ताकि हम शान्ति पा सकें।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:25-31
John 14:25 ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं। 
John 14:26 परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। 
John 14:27 मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। 
John 14:28 तुम ने सुना, कि मैं ने तुम से कहा, कि मैं जाता हूं, और तुम्हारे पास फिर आता हूं: यदि तुम मुझ से प्रेम रखते, तो इस बात से आनन्‍दित होते, कि मैं पिता के पास जाता हूं क्योंकि पिता मुझ से बड़ा है। 
John 14:29 और मैं ने अब इस के होने से पहिले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम प्रतीति करो।
John 14:30 मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूंगा, क्योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझ में उसका कुछ नहीं। 
John 14:31 परन्तु यह इसलिये होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूं, और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी, मैं वैसे ही करता हूं: उठो, यहां से चलें।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 25-27