मुझे यह रोचक लगता है कि प्रभु यीशु ने धन के बारे में जितनी शिक्षाएं दीं, उतनी अन्य किसी विष्य के बारे में नहीं दीं, और यह तब जब कि उसका उद्देश्य कभी पृथ्वी पर कोई खज़ाना भरने का नहीं था। जहां तक हम जानते हैं, उसने अपने लिये कभी कोई भेंट उठाने को भी नहीं कहा। धन के बारे में उसका इतनी अधिक शिक्षा देने का विशेष कारण था - वह जानता था कि धन कमाने के लिये बहुत मेहनत करना या बहुत धन की लालसा रखना, दोनों ही हमारी आत्मिक जीवन के लिये हनिकारक हैं।
उस मनुष्य के बारे में सोचिये जिसने उदण्डता पूर्वक यीशु से कहा "... हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे" (लूका १२:१३)। अद्भुत है, उस मनुष्य के पास यीशु के साथ गहरा संबंध बनाने का अवसर था, किंतु उसे केवल अपनी जेब गहरी करने ही की चिंता थी!
प्रभु यीशु ने भी उसे चौंका देने वाले कठोर अन्दाज़ में उत्तर दिया "उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका १२:१४, १५)। फिर यीशु ने उन्हें उस धनी व्यक्ति का दृष्टांत कहा जो सांसारिक रीति से तो बहुत धनी और कमयाब था - उसके खेतों में इतनी उपज हुई थी कि उसे बड़े खत्ते बनाने की आवश्यक्ता पड़ गई थी; परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में वह "मूर्ख" था - इसलिये नहीं कि वह धनी था, वरन इसलिये कि वह परमेश्वर के प्रति धनी नहीं था।
संसार से आप धनवान बनने के लिये बहुत तरह की सलाह और शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, पर केवल यीशु ही है जो आपसे खरी बात दो टूक कहता है - आवश्यक्ता सांसारिक रीति से धनवान होने की नहीं है, वरन यीशु के साथ बहुमूल्य संबंध बनाने और अपने लालच को उदारता में बदलने की है। - जो स्टोवैल
चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता - लूका १२:१५
बाइबल पाठ: लूका १२:१३-२१
फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
और उस ने कहा मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।
परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।
एक साल में बाइबल:
उस मनुष्य के बारे में सोचिये जिसने उदण्डता पूर्वक यीशु से कहा "... हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे" (लूका १२:१३)। अद्भुत है, उस मनुष्य के पास यीशु के साथ गहरा संबंध बनाने का अवसर था, किंतु उसे केवल अपनी जेब गहरी करने ही की चिंता थी!
प्रभु यीशु ने भी उसे चौंका देने वाले कठोर अन्दाज़ में उत्तर दिया "उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका १२:१४, १५)। फिर यीशु ने उन्हें उस धनी व्यक्ति का दृष्टांत कहा जो सांसारिक रीति से तो बहुत धनी और कमयाब था - उसके खेतों में इतनी उपज हुई थी कि उसे बड़े खत्ते बनाने की आवश्यक्ता पड़ गई थी; परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में वह "मूर्ख" था - इसलिये नहीं कि वह धनी था, वरन इसलिये कि वह परमेश्वर के प्रति धनी नहीं था।
संसार से आप धनवान बनने के लिये बहुत तरह की सलाह और शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, पर केवल यीशु ही है जो आपसे खरी बात दो टूक कहता है - आवश्यक्ता सांसारिक रीति से धनवान होने की नहीं है, वरन यीशु के साथ बहुमूल्य संबंध बनाने और अपने लालच को उदारता में बदलने की है। - जो स्टोवैल
परमेश्वर के प्रति धनवान होने से अनन्त लाभ मिलता रहता है।
चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता - लूका १२:१५
बाइबल पाठ: लूका १२:१३-२१
फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
और उस ने कहा मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।
परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन ६, ७
- २ कुरिन्थियों २