ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 20 मई 2018

व्यवाहारिक



   अफ्रीका के अपने बचपन को स्मरण करते हुए सैम ने बताया, “हमारी माँ, रात को सोने से पहले हमें मिर्च खिला देती थी, और अपने मूँह की जलन हटाने को हम बहुत पानी पीते थे, जिससे पेट भरा हुआ हो जाता था। यह अच्छा नहीं था।”

   सरकार में हुई उथल-पुत्थल के कारण सैम के पिता की जान पर बन आई, और वे जान बचाने के लिए बच्चों को माँ के पास छोड़कर भाग गए। अब बच्चों का पालन-पोषण माँ की जिम्मेदारी थी। सैम के भाई को सिकल सेल अनीमिया नामक बीमारी थी, जिसमें शरीर में रक्त ठीक से नहीं बनाता है, और उनके पास उसके इलाज के लिए पैसे नहीं थे। उनकी माँ उन्हें प्रति इतवार चर्च लेकर जाया करती थी, परन्तु सैम को उससे कोई लाभ नहीं दिखता था। वह यही सोचा करता था कि “परमेश्वर हमारे परिवार को इस प्रकार दुःख कैसे उठाने दे सकता है?

   फिर एक दिन एक व्यक्ति ने उनकी दुर्दशा के बारे में सुना, और उनकी सहायता के लिए कुछ दवा लेकर आया। उनकी माँ ने कहा, “अब इतवार को हम इस व्यक्ति के चर्च में जाएंगे।” उस नए चर्च में आरंभ से ही सैम ने कुछ भिन्न अनुभव किया। वे प्रभु यीशु के साथ अपने संबंध को व्यवाहारिक प्रेम के द्वारा प्रदर्शित करते थे।

   यह तीन दशक पहले की घटना है। आज, सँसार के इस भाग में, सैम ने 20 से भी अधिक चर्च, एक बड़ा स्कूल, और एक अनाथालय आरंभ किए हैं। वह प्रभु यीशु के भाई याकूब द्वारा सिखाई गाए व्यावाहरिक प्रेम की विरासत, “परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं” (याकूब 1:22), को ज़ारी रखे हुए है, क्योंकि “हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें” (याकूब 1:27)।

   प्रभु यीशु के नाम में किए गए एक साधारण से व्यावाहरिक प्रेम भरे कार्य द्वारा क्या कुछ हो सकता है, हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। - टिम गुस्ताफसन


कभी-कभी सबसे अच्छी गवाही दयालुता होती है।

जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। - मत्ती 7:21

बाइबल पाठ: याकूब 1:21-27
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 10-12
  • यूहन्ना 6:45-71