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गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

विरोध निवारण

आज के दिन को बहुत से देशों में विरोध निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे अपने मतभेद अपसी बातचीत या किसी की मध्यस्तता द्वारा सुलझा लें न कि कानूनी तरीकों का सहारा लें।

यह कहा जाता है कि "चर्च में होने वाले झगड़े सबसे बुरे झगड़े होते हैं" क्योंकि ये झगड़े उन लोगों में होते हैं जो एकता और प्रेम में विश्वास करते हैं और उनका प्रचार करते हैं। कई मसीही किसी दूसरे मसीही द्वारा ऐसे दुखी हुए हैं कि वे फिर कभी लौटकर चर्च में नहीं आये।

बाइबल में यूआदिया और सुन्‍तुखे को नाम द्वारा संबोधित करके उनसे अनुरोध किया गया कि अपने मतभेद भुलाकर "वे प्रभु में एक मन रहें" (फिलिप्पियों ४:२)"। इस कार्य में उन्हें अकेला छोड़ देने के स्थान पर पौलुस ने एक सहविश्वासी से अनुरोध किया कि "हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्र्म किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं" (फिलिप्पियों ४:३)। इसी संदर्भ में पौलुस ने फिलिप्पियों के अन्य विश्वासियों से आग्रह किया कि वे अपने निवेदन परमेश्वर के सन्मुख लाएं क्योंकि प्रार्थना परमेश्वर की शान्ति को लाती है और उसकी सदा बनी रहने वाली उपस्थिति का एहसास दिलाती है (फिलिप्पियों ४:७, ९)। मसीही मण्डली में टूटे हुए रिशते, समस्त मण्डली की सामूहिक ज़िम्मेवारी हैं।

जब मतभेद और दुखी मन हों तो धैर्य से उनकी सुनकर, उन्हें प्रोत्साहित करके और उनके साथ प्रार्थना करके इन बातों का निवारण किया जा सकता है। - डेविड मैककैसलैंड


क्षमा ही वह उपाय है जो टूटे रिशते जोड़ देता है।

मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। - फिलिप्पियों ४:२

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१-९

इसलि्ये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्‍द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
और हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्र्म किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।
प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो, मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।
निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ६२-६४
  • १ तिमुथियुस १