मौस्को बाइबल इन्स्टीट्यूट में रूसी पास्टरों को पढ़ाने का वह मेरा पहला दिन था। सबके बारे में जानकारी लेने के लिए मैंने आग्रह किया कि सभी जन अपने नाम और उस स्थान के बारे में बताएं जहाँ वे कार्यरत थे। सबने बारी बारी से अपने बारे में बताना आरंभ किया; परन्तु एक पास्टर के विवरण को सुनकर मैं कुछ देर के लिए अवाक रह गया। उस पास्टर ने बड़ी दिलेरी से कहना आरंभ किया, "इन सभी उपस्थित पास्टारों में से एक मैं ही हूँ जो प्रभु यीशु द्वारा अपने चेलों को दी गई महान आज्ञा का सबसे विश्वासपूर्ण रीति से पालन करता हूँ!" मुझे स्तब्ध सा देख कर वह मुस्कुराया, और आगे कहना आरंभ किया, "प्रभु यीशु की महान आज्ञा है कि हम उसमें होकर समस्त संसार के सभी लोगों को मिलने वाले महान उद्धार के बारे में बताएं और इस कार्य की पूर्ति के लिए पृथ्वी के अन्तिम छोर तक जाएं। मैं जिस स्थान पर कार्य करता हूँ वह उत्तरी ध्रुव पर स्थित है, उसका नाम है यमाल जिसका अर्थ है पृथ्वी का छोर!" उसकी बात सुनकर हम सब हँस पड़े और एक दूसरे की जानकारी लेने के लिए हमारी बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ गया।
परिचय देने के लिए प्रयुक्त उस पास्टर के, जो यमाल, अर्थात पृथ्वी के अन्तिम छोर क्षेत्र में कार्य करता है, वे शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रभु यीशु ने अपने स्वर्गारोहण के समय अपने चेलों को जो अन्तिम बात कही थी, "...तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे" (प्रेरितों 1:8) वह हम सभी मसीही विश्वासियों के लिए आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। संसार के हर भाग में उद्धार के इस सुसमाचार का सन्देश जाना अनिवार्य है, चाहे वह क्षेत्र कितना ही सुदूर क्यों ना हो, क्योंकि प्रभु यीशु ने संसार के हर एक जन के उद्धार के लिए अपने प्राण बलिदान किए हैं।
हम में से प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास यह अवसर है कि हम प्रभु यीशु में विश्वास और पाप क्षमा द्वारा मिलने वाले उद्धार के सुसमाचार को अपने आस-पास के लोगों तक पहुँचाएं। आप चाहे कहीं भी रहते हों, आपके लिए वही स्थान अन्तिम छोर हो सकता है, वहीं कही कोई ऐसा व्यक्ति विद्यमान हो सकता है जिसे प्रभु यीशु की आवश्यकता है। - बिल क्राउडर
कोई भी स्थान मसीह यीशु की गवाही देने के लिए उचित स्थान हो सकता है।
और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा। - मत्ती 24:14
बाइबल पाठ: प्रेरितों 1:1-8
Acts 1:1 हे थियुफिलुस, मैं ने पहिली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु ने आरम्भ में किया और करता और सिखाता रहा।
Acts 1:2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया।
Acts 1:3 और उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से बड़े प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा।
Acts 1:4 ओर उन से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, कि यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिस की चर्चा तुम मुझ से सुन चुके हो।
Acts 1:5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे।
Acts 1:6 सो उन्हों ने इकट्ठे हो कर उस से पूछा, कि हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्त्राएल को राज्य फेर देगा?
Acts 1:7 उसने उन से कहा; उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं।
Acts 1:8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।
एक साल में बाइबल:
- योएल 1-3