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शनिवार, 7 अप्रैल 2012

"सामान्य"

   जब मेरे डॉक्टर ने कहा कि मुझे कैंसर है, तो उसके आगे मैं उसकी कोई बात सुन ही नहीं पाई; मैंने सुनने का प्रयास तो किया किंतु कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं वापस घर आई, कंबल ओढ़ कर बिस्तर पर पड़ गई और सो गई, मानो मेरे आँखें मूँद लेने से मेरी बिमारी बदल जाएगी या ठीक हो जाएगी।

   फिर जब मैं अपनी बीमारी के बारे में अपने रिश्तेदारों और प्रीय जनों को बता पाने का साहस जुटाने पाई, तो मेरी सहेली जूडी ने जो कहा वह मेरे लिए अविस्मरणीय है। जूडी ने मेरी बिमारी के बारे में जानने के बाद पहले अपनी संवेदनाएं जताईं, फिर बोली; "अब ऐसा होगा, तीन दिनों तक तो तुम्हें बहुत बुरा लगेगा। फिर तुम इस बात पर ध्यान देना आरंभ करोगी कि अब इससे आगे मुझे क्या करना है। उसके बाद जीवन का तुम्हारा एक नया "सामान्य" बन जाएगा और तुम अपनी दिनचर्या निभाना आरंभ कर दोगी।" कुछ ठहर कर वह बोली, "यह कुछ ऐसा ही है जैसा मरना, गाड़े जाना और फिर पुनरुत्थान के साथ नया जीवन।"

   उस समय मैंने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। मुझे पूरा विश्वास था कि जीवन, जैसा मैंने जाना है, मेरे लिए अब अन्त हो गया है; अब कभी कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा। मैं दोबारा "सामान्य" अनुभव करने के बारे में सोच भी नहीं पा रही थी। लेकिन मेरी सहेली की बात सही थी। तीन दिन पश्चात जब मैं सो कर उठी तो मुझे अनुभव हुआ कि मेरी दशा इतनी बुरी भी नहीं है। फिर धीरे धीरे, कैंसर की दवाओं के कारण होने वाले क्लेष के बावजूद, मेरी शारीरिक और मानसिक दशा काफी सुधर गई; जैसे मैं अपने पुराने असतित्व के लिए मर कर अब नए असतित्व में, एक नए "सामान्य" के साथ पुनर्जीवित हो गई और मैं अपने नए "सामान्य" के साथ अपनी दिनचर्या जीने लगी।

   प्रभु यीशु मसीह में विश्वास द्वारा "नए जन्म" में भी कुछ ऐसा ही होता है। पापों से पश्चाताप करके प्रभु यीशु में विश्वास लाने और उसे अपना निज उद्धारकर्ता ग्रहण करने वाला मनुष्य भी अपने पुराने मनुष्यत्व के लिए तो "मर" जाता है और साथ ही प्रभु यीशु में एक नए मनुष्यत्व के साथ नया जन्म प्राप्त करता है, जिसमें उसके लिए अब एक नया "सामान्य" होता है - संसार के माप-दंडों के अनुसार नहीं वरन प्रभु यीशु के माप दंडों के अनुसार।

   हम जो मसीह यीशु में पाप और संसार के लिए "मर" गए, वे उस "मरने" के द्वारा एक असतित्व से निकलकर एक दूसरे ही असतित्व में "नया जन्म" भी पा लेते हैं; एक ऐसे असतित्व में जो महिमामयी है, जिसका "सामान्य" अलौकिक है, जिससे हम अब उस नए जीवन की चाल चलें (रोमियों ६:४)। - जूली ऐकरमैन लिंक


मसीह "में" होने का अर्थ है उसके जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान में उसके साथ संभागी होना।
 
सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। - रोमियों ६:४
 
बाइबल पाठ: रोमियों ६:१-१३
Rom 6:1  सो हम क्‍या कहें क्‍या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
Rom 6:2  कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्‍योंकर जीवन बिताएं?
Rom 6:3  क्‍या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया?
Rom 6:4   सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
Rom 6:5  क्‍योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्‍चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।
Rom 6:6  क्‍योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्‍व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्‍व में न रहें।
Rom 6:7  क्‍योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Rom 6:8   सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Rom 6:9  क्‍योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Rom 6:10  क्‍योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया, परन्‍तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Rom 6:11  ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12  इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13  और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगों को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल ७-९ 
  • लूका ९:१८-३६