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गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

संकट स्थल


   जून 10, 1770 के दिन ब्रिटिश नाविक जेम्स कुक का जहाज़ ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी तट के समीप पानी के नीचे छिपी चट्टानों से टकराया। उसने अपना जहाज़ उन चट्टानों से निकालकर और गहरे पानी में जाने का प्रयास किया किंतु फिर से उसका जहाज़ पानी में छिपी चट्टनों से टकराया, और इस बार के टकराने से जहाज़ लगभग डूबने की स्थिति में आ गया। इस अनुभव को जहाज़ के प्रतिदिन के यात्रा-विवरण में दर्ज करते समय जेम्स ने लिखा, "उस उत्तरी बिन्दु को संकट स्थल नाम दिया क्योंकि वहीं से हमारे दुखों का आरंभ हुआ।"

   हम में से बहुतेरों ने अपने जीवनों में ऐसे संकटों का सामना किया है जो फिर अन्य संकटों के आने का आरंभ बन गए; जैसे किसी प्रीय जन की मृत्यु, कोई अनचाहा तलाक, लगातार गिरती हुई सेहत इत्यादि बातों जैसी अन्य कोई भी बात इस सूचि का भाग हो सकते हैं। यद्यपि ये संकट हमारे लिए भी ’संकट स्थल’ अर्थात अन्य दुखों का आरंभ हो सकते हैं, तो भी हम मसीही विश्वासियों को यह निश्चय है कि परमेश्वर हर बात पर सर्वे-सर्वा है तथा हमारी प्रत्येक परिस्थिति का नियंत्रक भी है। वह संकट और दुखः के समयों का उपयोग हमारे जीवनों में लचीलापन, अर्थात सभी परिस्थितियों में स्थिर बने रहने का गुण विकसित करने के लिए करता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब नाम का परमेश्वर का एक दास लिखता है, "हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है" (याकूब 1:2-3)। यहाँ जिस शब्द का अनुवाद ’धीरज’ किया गया है, मूल यूनानी भाषा में उस शब्द का अर्थ सहन शक्ति अथवा स्थिर बने रहने की सामर्थ भी होता है।

   अपने जीवन में जीवन परिवर्तित कर देने वाली परिस्थितियों का सामना करते समय यह कभी नहीं भूलें कि परमेश्वर नियंत्रण में है तथा आपके जीवन में कार्यरत भी है। वह आपके ’संकट स्थल’ वाले अनुभवों का उपयोग आपके चरित्र को बनाने एवं निखारने के लिए करता है और उसका यह वायदा है कि उन समयों में वह आपको उनके लिए आवश्यक अनुग्रह तथा सामर्थ भी देगा (2 कुरिन्थियों 12:9)। - डेनिस फिशर


संकट की शरद ऋतु में ही विश्वास का सर्वोत्तम विकास होता है। - रदरफोर्ड

और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। - 2 कुरिन्थियों 12:9 

बाइबल पाठ: याकूब 1:1-8
James 1:1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर हो कर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे। 
James 1:2 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो 
James 1:3 तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। 
James 1:4 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
James 1:5 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी। 
James 1:6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे; क्योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। 
James 1:7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा। 
James 1:8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 30-31
  • लूका 13:23-35