मेरी
सबसे छोटी बेटी और मैं कभी-कभी एक खेल खेलते हैं, जिसे हम “चुटकी” कहते हैं। खेल
बहुत साधारण सा है – जब वह सीढ़ी चढ़ रही होती है तो मैं उसके पीछे भागकर, उस तक
पहुंचकर, उसे एक हल्की सी चुटकी काटता हूँ; किन्तु यदि मेरे पहुँचने से पहले वह
सीढ़ी चढ़कर ऊपर पहुँच जाती है, तो फिर वह सुरक्षित है, मैं चुटकी नहीं काट सकता हूँ।
किन्तु कभी ऐसा भी होता है जब वह खेलने के मूड में नहीं होती है, और तब वह मुझ से
कहने लगती है, “चुटकी नहीं”, “चुटकी नहीं”; और मेरा प्रत्युत्तर होता है, “अच्छा
चुटकी नहीं। मेरा वायदा।”
अब
कहने को तो मेरी यह प्रतिज्ञा छोटी से बात लगती है, परन्तु जब मैं वही करता हूँ जो
मैं उस से कहता हूँ, तो मेरी बेटी मेरे बारे में सीखती है, मेरे चरित्र को समझने
लगती है। वह समझने लगती है कि मैं अपनी बात पर पक्का हूँ और वह मुझ पर भरोसा रख
सकती है। मेरा यह प्रतिज्ञा निभाना छोटी सी बात हो सकती है, परन्तु इसी प्रकार से
अपनी बातों पर बने रहना और उन्हें निभाना ही संबंधों को बनाए रखने का आधार है। इसी
से रिश्तों में प्रेम और भरोसे की नींव पड़ती है।
मुझे
लगता है कि परमेश्वर के वचन बाइबल में भी पतरस का यही अभिप्राय था जब उसने कहा कि
परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं हमें “ईश्वरीय स्वभाव में सहभागी बनाती हैं” (2
पतरस 1:4)। हम जब परमेश्वर की कही बात पर भरोसा करते हैं, जो वह अपने बारे में और
हमारे बारे में कहता है, उस पर विश्वास करते हैं, तो हम हमारे प्रति उसकी भावनाओं
को समझने पाते हैं। जब हम उसकी बातों और वचन पर निर्भर तथा दृढ़ बने रहते हैं, तो
उसे भी अपने आप को हमारे प्रति विश्वासयोग्य प्रमाणित करने के अवसर मिलते हैं।
मैं
प्रभु परमेश्वर का धन्यवादी हूँ कि उसका वचन हमारे लिए उसकी प्रतिज्ञाओं से भरा
पड़ा है; और ये प्रतिज्ञाएं दृढ़ स्मृतियाँ हैं कि उसकी करुणा सदा नई होती रहती है,
कभी टलती नहीं है (विलापगीत 3:22-23)।
परमेश्वर का वचन उसके मन को प्रगट करता है।
हम मिट नहीं गए; यह
यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति
भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। - विलापगीत 3:22-23
बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:1-9
2 Peter 1:1 शमौन
पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों
के नाम जिन्होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा
सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है।
2 Peter 1:2 परमेश्वर
के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से
बढ़ती जाए।
2 Peter 1:3 क्योंकि
उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें
अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।
2 Peter 1:4 जिन के
द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा
तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्वभाव के समभागी हो जाओ।
2 Peter 1:5 और इसी
कारण तुम सब प्रकार का यत्न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण,
और सद्गुण पर समझ।
2 Peter 1:6 और समझ
पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर
भक्ति।
2 Peter 1:7 और भक्ति
पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते
जाओ।
2 Peter 1:8 क्योंकि
यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न
होने देंगी।
2 Peter 1:9 और जिस
में ये बातें नहीं, वह अन्धा है, और
धुन्धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध
होने को भूल बैठा है।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन 1-3
- मत्ती 14: 1-21