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गुरुवार, 12 सितंबर 2019

पहला कदम



      थाम दाशु को अनुभव हो रहा था कि उसके जीवन में किसी बात की कमी है, इसलिए उसने चर्च जाना आरंभ कर दिया – वो उसी चर्च में जाता था जिसमें उसकी बेटी भी जाती थी, परन्तु वे दोनों कभी भी साथ चर्च नहीं जाते थे। कुछ समय पहले थाम ने कुछ ऐसा किया था जिससे उसकी बेटी को ठेस पहुँची थी और तब से उसमें और उसकी बेटी के मध्य संबंध टूटे हुए थे। इसलिए थाम चर्च में तब प्रवेश करता था जब आरंभिक स्तुतिगान आरंभ हो जाता था, और जैसे ही आराधना समाप्त होती, वह तुरंत ही उठकर चला आता था।

      चर्च के सदस्यों ने उसके साथ सुसमाचार को बहुत बार बाँटा था, परन्तु थाम हमेशा ही प्रभु यीशु में विश्वास लाने के उनके निमंत्रण को नम्रतापूर्वक मना कर देता था। परन्तु वह फिर भी चर्च आता रहता था। एक दिन थाम बहुत बीमार पड़ गया। उसकी बेटी ने यह देखकर सिम्मत करके थाम को पत्र लिखा, और बताया कि कैसे प्रभु यीशु ने उसके जीवन में काम किया है और उसे परिवर्तित किया है, और उसने अपने पिता के साथ संबंधों की बहाली की भी इच्छा व्यक्त की। उसी रात थाम प्रभु यीशु में अपना विश्वास लाया, उसने अपना जीवन प्रभु को समर्पित किया, तथा परिवार के टूटे हुए संबंध बहाल हो गए। इसके कुछ दिन पश्चात, थाम का देहांत हो गया, और वह प्रभु यीशु के पास चला गया, प्रभु परमेश्वर और अपने प्रिय जनों के साथ शान्ति के साथ।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा कि हमें प्रभु परमेश्वर के प्रेम और क्षमा की बात को लोगों को समझाना है (2 कुरिन्थियों 5:11)। पौलुस ने कहा कि, “क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए” (पद 14)।

      किसी दूसरे को क्षमा करने के लिए हमारी इच्छा और उसकी ओर बढ़ाया गया हमारा पहला कदम, उस व्यक्ति को यह एहसास दिला सकता है कि परमेश्वर भी हमें  क्षमा करके अपने साथ हमारा मेल-मिलाप करना चाहता है (पद 19)। क्या आप परमेश्वर की ओर अपना पहला कदम बढ़ाकर उसेक साथ मेल-मिलाप करने के लिए तैयार हैं? – पो फैंग चिया

दूसरों के साथ मेल-मिलाप करने की हमारी इच्छा उनपर परमेश्वर के हृदय को प्रगट करती है।

और उसने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया।  क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है। - इफिसियों 2:17-18

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:11-21
2 Corinthians 5:11 सो प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है; और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे।
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन 13-15
  • 2 कुरिन्थियों 5