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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

प्रभाव



उनके अमेरिका के 26वें (1901-1909) राष्ट्रपति बनने के कुछ वर्ष पहले थियोडोर रूजवेल्ट को समाचार मिला कि उनका सबसे ज्येष्ठ पुत्र, थियोडोर जूनियर (टेड), अस्वस्थ है। उनका पुत्र तो उस बीमारी से स्वस्थ हो गया, किन्तु टेड की बीमारी के कारण ने रूजवेल्ट को गंभीर आघात पहुंचाया। डाक्टरों ने उन्हें बताया कि वे ही अपने पुत्र की बीमारी का कारण हैं। टेड अत्याधिक “मानसिक थकावट” से ग्रस्त था क्योंकि उसके पिता उस पर निर्ममता के साथ एक “वीर-नायक” बनने का दबाव डालते रहते थे, क्योंकि वे स्वयं अपने बचपन की कमजोरियों के कारण वैसे नहीं बनने पाए थे। यह जानने के पश्चात, रूजवेल्ट ने प्रण किया कि वे कभी अपने पुत्र के मन या शरीर पर किसी प्रकार का कोई भी दबाव नहीं डालेंगे।

      वे अपने इस प्रण के प्रति खरे बने रहे, और उन्होंने टेड के प्रति अपने व्यवहार पर बहुत ध्यान बनाए रखा। उनके उसी पुत्र ने आगे चलकर दूसरे विश्वयुद्ध में वीरता के साथ मित्र देशों की सेना का ऊटाह तट पर उतरने  में नेतृत्व किया।

      परमेश्वर ने हम सब को दूसरों के जीवनों पर प्रभाव डालने  की क्षमता दी है। उन जीवनों के प्रति इस दायित्व के निर्वाह की हम पर गंभीर जिम्मेदारी है, वे चाहे हमारे जोड़ीदार एवँ सन्तान हों, या हमारे मित्र, कर्मचारी, अथवा ग्राहक, कोई भी हों। दूसरों पर अत्याधिक दबाव डालना, उनसे बहुत अधिक की अपेक्षा रखना, उन्हें उन्नति करने के लिए बाध्य करना, उनके सफल होने के लिए हस्तक्षेप करना, आदि व्यवहार अपनाने का प्रलोभन उनकी हानि कर सकता है, चाहे हमें इसका एहसास भी न हो।

      इसी कारण परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताता है कि हम औरों के साथ धीराज्वंत और कोमल रहें (कुलुस्सियों 3:12)। क्योंकि हमारा और समस्त जगत का उद्धारकर्ता, परमेश्वर का पुत्र प्रभु यीशु दीन और नम्र होकर सँसार में आया, तो फिर हम जो उसके अनुयायी हैं, औरों पर अपने प्रभाव में उससे भिन्न व्यवहार कैसे कर सकते हैं? – रैंडी किल्गोर


परमेश्वर जो हमारे लिए करता है, हमें औरों के साथ वैसा ही करना है।

जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:5

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:12-17
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Colossians 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Colossians 3:17 और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 129-131
  • 1कुरिन्थियों 11:1-16