एक राष्ट्रीय समाचार पत्रिका ने इंटरनैट पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करी जिसके अनुसार हमारा समुदाय राष्ट्र के उन सर्वोच्च 10 समुदायों में से एक था जो समाप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं; इसे पढ़कर स्थानीय नागरिक बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने उस पत्रिका के इस गलत निषकर्ष के बारे में अपने विरोध को दर्ज कराने के लिए तथ्य प्रस्तुत किए। समुदाय का एक नागरिक तो इस कठोर निर्णय का विरोध करने के लिए इस सीमा तक गया कि उसने अनेक नागरिकों को अपने साथ लिया और उनके साथ हमारे समुदाय के विभिन्न भागों में जाकर वहाँ के सजीव जीवन और चल रहे कार्य का वीडियो बनाया। उसके इस वीडियो ने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान सत्य की ओर आकर्षित किया और उस पत्रिका को यह स्वीकार करना पड़ा कि उसके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट गलत थी। लेकिन जिस संस्था ने "शोध" करके यह रिपोर्ट तैयार करी थी वह अपने निषकर्ष पर अड़ी रही, यह जानते हुए भी कि उनकी "शोध" बहुत ही सीमित मानदण्डों पर आधारित थी।
उस संस्था के इस लापरवाही से भरे निषकर्ष और फिर उसे लेकर, तथ्यों की अनदेखी करते हुए अपने बचाव के प्रयासों से मैं अचंभित हुई। लेकिन फिर मैंने विचार किया कि यह हम लोगों के लिए कितनी सामान्य सी बात है कि अनेक बातों में हम दूसरों के बारे में थोड़ी सी जानकारी के आधार पर ही गलत निषकर्ष निकाल लेते हैं और अपने अहम में आकर उन गलत निर्णयों को थामे रहते हैं, उनका विशलेष्ण कर के तथा तथ्यों को स्वीकार करके अपने निर्णयों को बदलना नहीं चाहते।
इस प्रवृति का एक उत्तम उदाहरण है परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब के साथ घटी घटना, जहाँ उसकी त्रासदी में उसे सांत्वना देने आए उसके मित्रों ने यह गलत निर्णय लिया कि अय्युब का पापी होना ही उसके दुखों का कारण है और वे इस आधार पर उस पर दोष मढ़ते रहे, तथा अय्युब उन्हें समझाने और अपने आप को निर्दोष साबित करने के प्रयास करता रहा। अन्ततः स्वयं परमेश्वर ने अय्युब का बचाव किया और एक चौंका देने वाला निषकर्ष उन मित्रों के सामने रखा। परमेश्वर ने अय्युब के मित्रों द्वारा अय्युब को दोषी ठहराने के प्रयासों की निन्दा नहीं की, वरन इस बात की निन्दा करी कि उन्होंने परमेश्वर के बारे में असत्यों को आधार बनाकर अय्युब को दोषी ठहराने का प्रयास किया (अय्युब 42:7)।
परमेश्वर द्वारा कही गई यह बात हमें सिखाती है कि जब हम दूसरों के बारे में तथ्यों को ठीक से जाने या जाँचे बिना और लापरवाही से निर्णय लेते हैं तो हम परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते हैं - यह एक नम्र करने वाला तथ्य है, जिसे हमें सदा स्मरण रखना चाहिए तथा जिसकी हमें कभी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक
यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो स्मरण रखिए कि संसार आपके परमेश्वर का आप के व्यवहार के द्वारा आँकलन करता है।
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है। - रोमियों 8:33-34
बाइबल पाठ: अय्युब 42:1-8
Job 42:1 तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया;
Job 42:2 मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती।
Job 42:3 तू कौन है जो ज्ञान रहित हो कर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिन को मैं जानता भी नहीं था।
Job 42:4 मैं निवेदन करता हूं सुन, मैं कुछ कहूंगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, तू मुझे बता दे।
Job 42:5 मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं;
Job 42:6 इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ।
Job 42:7 और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही।
Job 42:8 इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छांट कर मेरे दास अय्यूब के पास जा कर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा, क्योंकि उसी की मैं ग्रहण करूंगा; और नहीं तो मैं तुम से तुम्हारी मूढ़ता के योग्य बर्ताव करूंगा, क्योंकि तुम लोगों ने मेरे विषय मेरे दास अय्यूब की सी ठीक बात नहीं कही।
एक साल में बाइबल:
- भजन 76-78