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शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

यात्रा



      मैं 1960 के बलवाई प्रवृत्ति के दशक में बड़ा हुआ था, और धर्म के विमुख हो गया था। मैं जीवन भर चर्च तो जाता रहा, परन्तु प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास में मैं एक भयानक दुर्घटना के पश्चात, 20 की आयु के आरंभिक वर्षों में आया। उसके बाद से मैंने अपना जीवन दूसरों को हमारे प्रति प्रभु यीशु मसीह के प्रेम के बारे में बताने में ही बिताया है; और यह एक विलक्षण यात्रा रही है।

      निःसंदेह, “यात्रा” इस टूटे सँसार में व्यतीत किए जाने वाले जीवन के अनुभवों का वर्णन है। इस जीवन यात्रा में हम पहाड़ों और घाटियों, मैदानों और नदियों, एकांत सड़कों और व्यस्त राजमार्गों – जीवन में उतार-चढ़ाव, आनन्द और दुःख, संघर्ष और हानि, अकेलापन और व्यथा, आदि सभी प्रकार के अनुभवों से होकर हम निकलते हैं। हमें आगे का मार्ग तो दिखाई नहीं देता है, इसलिए जो जैसा होता है, उस सब से होकर निकलना पड़ता है, वह चाहे वैसा हो या न हो जैसा हम उस मार्ग को चाहते हैं कि हो।

      परन्तु प्रभु यीशु मसीह के अनुयायी को यह निश्चय है कि वह अपनी इस जीवन यात्रा में कभी भी अकेला नहीं है, एक पल के लिए भी नहीं! परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बारंबार आश्वस्त करती है कि हमारे प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति हमारे साथ सदैव बनी रहती है। ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ हम पहुँच सकें, किन्तु हमारा प्रभु वहाँ न हो (भजन 139:7-12)। वह हमें कभी नहीं छोड़ता या त्यागता है (व्यवस्थाविवरण 31:6; इब्रानियों 13:5)। प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से पवित्र-आत्मा को भेजने की प्रतिज्ञा के तुरंत बाद उन्हें यह कहकर भी आश्वस्त किया कि, “मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं” (यूहन्ना 14:18)।

      हम मसीही अपनी जीवन यात्रा में आने वाली चुनौतियों और अवसरों का निर्भीक होकर दृढ़ता से सामना कर सकते हैं क्योंकि हमारी संपूर्ण यात्रा में हमारे प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति हमारे साथ-साथ बनी रहती है, और वही हमें हमारे अनन्त में भी सुरक्षित पहुंचाता है। - बिल क्राउडर


विश्वास यह कभी नहीं जानता है कि उसे कहाँ ले जाया जा रहा है,
 परन्तु वह अपने ले जाने वाले को जानता है, और उससे प्रेम करता है। - ओस्वॉल्ड चैम्बर्स

तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलने वाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा। - व्यवस्थाविवरण 31:6

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:15-21
John 14:15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।
John 14:16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।
John 14:17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
John 14:18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।
John 14:19 और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे।
John 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
John 14:21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 59-61
  • 2 थिस्सलुनीकियों 3