आमतौर से चर्च आराधना का अन्त आशीष वचन दिए जाने के साथ होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए अनेक आशीष वचनों में से एक और अकसर प्रयुक्त होने वाला वचन है प्रेरित पतरस द्वारा लिखी गई पहली पत्री के अन्त में लिखा वचन : "अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा" (1 पतरस 5:10)। लेकिन यह वचन दिए जाते समय कई बार इसका एक वाक्यांश, ’तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद’ नहीं बोला जाता; ऐसा क्यों? संभवतः इसलिए कि क्लेष या दुख की बात करना अकसर लोगों को अच्छा नहीं लगता।
लेकिन यदि दुख और क्लेष हम मसीही विश्वासियों पर आएं तो यह हमारे लिए कोई आश्चर्यचकित कर देने वाली बात नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह तो हमारे विश्वास के प्रति संसार की स्वाभाविक प्रतिक्रीया है। प्रेरित पौलुस ने, जो भली-भाँति जानता था कि दुख और क्लेष उठाना क्या होता है, अपनी एक पत्री में लिखा : "पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे" (2 तिमुथियुस 3:12)।
जैसा आज के बाइबल पाठ में विदित है, प्रेरित पतरस ने भी लिखा है कि हम जब परमेश्वर को समर्पित और उसकी आज्ञाकारिता का, और शैतान के विरोध में चलने वाला जीवन व्यतीत करेंगे तो हमें संसार के लोगों से निन्दा सहने, गलत समझे जाने और उन लोगों द्वारा हमें उनके लाभ के लिए प्रयोग किए जाने के लिए तैयार रहना चाहिए (1 पतरस 5:6, 9)। लेकिन साथ ही प्रेरित पतरस हमें यह भी बताता है कि इस क्लेष उठाने के पीछे एक उद्देश्य भी है, कि हम इस सब को सहने के द्वारा ’सिद्ध और स्थिर और बलवन्त’ किए जाएं (1 पतरस 5:10)।
हमारे मसीही विश्वास में बढ़ने के लिए परमेश्वर द्वारा निर्धारित मार्ग अकसर हमें कठिनाईयों में से ले जाता है, लेकिन ये कठिनाईयाँ ही हमें हमारी हमारे विश्वास की वास्तविक स्थिति से अवगत करवाती हैं और हमें आने वाले समयों में जीवन के तूफानों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। हर परिस्थिति में परमेश्वर पर अपने भरोसे को बनाए रखिए और उससे प्रार्थना करते रहिए कि वह आपको हर परिस्थिति में निर्भीक होकर उसके प्रति विश्वासयोग्य और उसे महिमा देने वाला जीवन व्यतीत करने वाला बनाए। - सी. पी. हिया
जब परमेश्वर को हमें मज़बूत करना होता है, वह कठिनाईयों की पाठशाला से हमें निकालता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28
बाइबल पाठ: 1 पतरस 5:1-11
1 Peter 5:1 तुम में जो प्राचीन हैं, मैं उन की नाईं प्राचीन और मसीह के दुखों का गवाह और प्रगट होने वाली महिमा में सहभागी हो कर उन्हें यह समझाता हूं।
1 Peter 5:2 कि परमेश्वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच में हैं रखवाली करो; और यह दबाव से नहीं, परन्तु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आनन्द से, और नीच-कमाई के लिये नहीं, पर मन लगा कर।
1 Peter 5:3 और जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, वरन झुंड के लिये आदर्श बनो।
1 Peter 5:4 और जब प्रधान रखवाला प्रगट होगा, तो तुम्हें महिमा का मुकुट दिया जाएगा, जो मुरझाने का नहीं।
1 Peter 5:5 हे नवयुवकों, तुम भी प्राचीनों के आधीन रहो, वरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का साम्हना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।
1 Peter 5:6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।
1 Peter 5:7 और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है।
1 Peter 5:8 सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।
1 Peter 5:9 विश्वास में दृढ़ हो कर, और यह जान कर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।
1 Peter 5:10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।
1 Peter 5:11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- 2 शमूएल 6-8
- लूका 15:1-10