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शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

सामर्थी


      उस तेज कड़कड़ाने की धवनि ने मुझे चौंका दिया। उस आवाज़ को पहचानते हुए मैं दौड़ कर रसोई में गई। मैंने गलती से खाली पड़ी कॉफी बनाने वाली मशीन के बटन को चालू कर दिया था। मशीन के तार को बिजली के पलग से निकालकर, मैंने उसे उसके हैंडल से उठाया और उसकी ताली को छूकर देखा कि वह मेज़ पर रखने के लिए कहीं बहुत गरम तो नहीं है। उसकी गरम तली को छूते ही मेरी उंगलियां जल गईं और जहाँ छूआ था वहाँ छाले बन गए।

      जब मेरे पति मेरी उँगलियों की मरहमपट्टी कर रहे थे, तो मैं बैठी सर हिला रही थी। मैं जानती थी कि उसकी तली गरम होगी, “मुझे वास्तव में नहीं पता कि मैंने उसे क्यों छूआ” मैंने कहा।

      यह गलती करने के पश्चात के मेरे इस प्रत्युत्तर ने मुझे पवित्र शास्त्र, परमेश्वर के वचन बाइबल में, पौलुस प्रेरित की प्रतिक्रिया की याद दिलाई, जो उसने एक गंभीर विषय – पाप का स्वभाव, के लिए की थी।

      प्रेरित ने स्वीकार किया कि उसे नहीं पता कि वह उन कामों को क्यों कर देता है जिनके विषय वह जानता है कि उसे नहीं करने चाहिएँ और न ही वह करना चाहता है, फिर भी कर देता है (रोमियों 7:15)। इसकी पुष्टि करते हुए कि पवित्र शास्त्र ही निर्धारित करता है कि क्या सही है और क्या गलत (पद 7), उसने उस जटिल संघर्ष को भी स्वीकार किया जो लगातार पाप के विरुद्ध आत्मा और शरीर में चलता रहता है (पद 15-23)। अपनी दुर्बलताओं को स्वीकार करते हुए, फिर वह अब और सदा काल के लिए विजयी होनी की आशा को प्रस्तुत करता है (पद 24-25)।

      जब हम अपने जीवन प्रभु यीशु मसीह को समर्पित कर देते हैं, तो वह हमें अपनी पवित्र आत्मा देता है, जो हमें सही चुनाव एवँ कार्य करने के लिए सामर्थी करता है (8:8-10)। जब हम परमेश्वर पवित्र आत्मा की अगुवाई में परमेश्वर के वचनों का पालन करते हैं, तो हम उस झुलसाने वाले पाप से बच सकते हैं जो हमें उस बहुतायत के जीवन की आशीषों से रोक कर रखता है, जिनकी परमेश्वर ने उन्हें प्रतिज्ञा की है जो उससे प्रेम करते हैं। - जोशील डिक्सन

पवित्र आत्मा अपने प्रेम और अनुग्रह के द्वारा हमें रूपांतरित करता है।

क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो। - 1 कुरिन्थियों 6:19-20

बाइबल पाठ: रोमियों 7:14-25
Romans 7:14 क्योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शरीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ हूं।
Romans 7:15 और जो मैं करता हूं, उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं।
Romans 7:16 और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
Romans 7:17 तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:18 क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।
Romans 7:19 क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
Romans 7:20 परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:21 सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।
Romans 7:22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
Romans 7:23 परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।
Romans 7:24 मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
Romans 7:25 मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 56-58
  • 2 थिस्सलुनीकियों 2