जब मैं एक चर्च का पादरी था तो बहुत बार मैं एक दुस्वप्न देखता और उस के कारण परेशान रहता था। मैं देखता था कि किसी रविवार की सुबह मैं चर्च में सन्देश देने के लिये उठता हूँ और लोगों की ओर देखता हूँ तो पाता हूँ कि पूरा चर्च खाली है, वहाँ कोई भी नहीं बैठा है।
इस स्वप्न का अर्थ समझाने के लिये किसी स्वप्न विशेष्ज्ञ या दानियेल भविष्यद्वक्ता (दानियेल २:१, १९) जैसे किसी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं थी। यह स्वप्न मेरे उस विश्वास का नतीजा था कि सब कुछ मुझ पर ही निर्भर करता है। मैं इस गलतफहमी में रहता था कि यदि मैं ज़ोर देकर और सारी शक्ति से प्रचार नहीं करुंगा तो चर्च के लोग आना कम कर देंगे और धीरे धीरे चर्च बन्द हो जाएगा। मैं समझता था कि परमेश्वर के कार्य के प्रतिफल की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी।
सुसमाचारों में हम पढ़ते हैं कि कुछ लोगों ने यीशु मसीह से पूछा "परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें?" (यूहन्ना ६:२८) - कैसी ढिटाई! केवल परमेश्वर ही परमेश्वर के कार्य कर सकता है!
यीशु ने उन्हें जो उत्तर दिया वह हमारे लिये भी है - "परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो" (यूहन्ना ६:२९)। इसका अर्थ है कि हमें जो कुछ भी करना है, चाहे रविवार को चर्च में सिखाना हो, किसी छोटे समूह की बाइबल शिक्षा के लिये अगुवाई करनी हो, अपने पड़ौसी को सुसमाचार सुनाना हो, या हज़ारों के सामने खड़े होकर प्रचार करना हो - जो कुछ भी करना हो, विश्वास पर आधारित होकर ही किया जाना चाहिये। परमेश्वर के कार्य करने का और कोई तरीका नहीं है।
प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा है "जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। हमारी ज़िम्मेदारी है कि परमेश्वर ने हमें जहाँ कहीं भी जिस भी कार्य के लिये नियुक्त किया है, हम वहाँ उस कार्य को पूर्ण विश्वासयोग्यता से पूरा करें और उसके प्रतिफल को परमेश्वर पर छोड़ दें। - डेविड रोपर
बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:२५-३३
...हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। - २ कुरिन्थियों ३:५
एक साल में बाइबल:
इस स्वप्न का अर्थ समझाने के लिये किसी स्वप्न विशेष्ज्ञ या दानियेल भविष्यद्वक्ता (दानियेल २:१, १९) जैसे किसी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं थी। यह स्वप्न मेरे उस विश्वास का नतीजा था कि सब कुछ मुझ पर ही निर्भर करता है। मैं इस गलतफहमी में रहता था कि यदि मैं ज़ोर देकर और सारी शक्ति से प्रचार नहीं करुंगा तो चर्च के लोग आना कम कर देंगे और धीरे धीरे चर्च बन्द हो जाएगा। मैं समझता था कि परमेश्वर के कार्य के प्रतिफल की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी।
सुसमाचारों में हम पढ़ते हैं कि कुछ लोगों ने यीशु मसीह से पूछा "परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें?" (यूहन्ना ६:२८) - कैसी ढिटाई! केवल परमेश्वर ही परमेश्वर के कार्य कर सकता है!
यीशु ने उन्हें जो उत्तर दिया वह हमारे लिये भी है - "परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो" (यूहन्ना ६:२९)। इसका अर्थ है कि हमें जो कुछ भी करना है, चाहे रविवार को चर्च में सिखाना हो, किसी छोटे समूह की बाइबल शिक्षा के लिये अगुवाई करनी हो, अपने पड़ौसी को सुसमाचार सुनाना हो, या हज़ारों के सामने खड़े होकर प्रचार करना हो - जो कुछ भी करना हो, विश्वास पर आधारित होकर ही किया जाना चाहिये। परमेश्वर के कार्य करने का और कोई तरीका नहीं है।
प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा है "जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। हमारी ज़िम्मेदारी है कि परमेश्वर ने हमें जहाँ कहीं भी जिस भी कार्य के लिये नियुक्त किया है, हम वहाँ उस कार्य को पूर्ण विश्वासयोग्यता से पूरा करें और उसके प्रतिफल को परमेश्वर पर छोड़ दें। - डेविड रोपर
क्रूस पर यीशु द्वारा किया गया कार्य हमें उसके लिये उपयोगी होने और भले कार्य करने की सामर्थ देता है।
बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:२५-३३
...हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। - २ कुरिन्थियों ३:५
एक साल में बाइबल:
- अय्युब ३४, ३५
- प्रेरितों के काम १५:१-२१