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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

लिन्कन से सीख

एब्राहम लिन्कन अपने ५२वें जन्मदिन से एक दिन पहले स्प्रिंगफील्ड, इल्लिनोई छोड़कर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने गये। गृह युद्ध की धमकी सिर पर मंडरा रही थी। विदा देने आये मित्रों से उन्होंने कहा, "मैं तुम्हें छोड़कर जा रहा हूँ, लौटने के बारे में कुछ पता नहीं, कभी वापस आ भी पाऊँगा या नहीं। मेरे सामने एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। परमेश्वर की मदद के बिन मैं सफल नहीं हो सकता, और उसकी मदद है तो मैं हार नहीं सकता। मेरे साथ और तुम्हारे साथ है, और हर जगह सब का भला करते रहता है, विश्वास करके आशा करता हूँ कि वह सब ठीक ही करेगा। मैं उसके संरक्षण में तुम्हें सौंपता हूँ; तुम्हारी प्रार्थनाओं में विश्वास कर मैं तुमसे प्रेमपूर्ण विदा लेता हूँ।"

लिन्कन की परमेश्वर की अगुवाई और सामर्थ पर निर्भरता राजा सुलैमान के निर्देश को दर्शाती है - "तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन संपूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा करना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकलेगा" (नीतिवचन ३:५,६)।

लिन्कन के जन्म की आज २००वीं सालगिरह पर हम उसकी दयालुता, ईमानदारी और हिम्मत को मानते हैं। हम उससे सीख सकते हैं कि हम प्रभु में विश्वास एवं आसरा रखकर अनिश्चित भविष्य का सामना कैसे कर सकते हैं। - डेविड मैक्कैस्लैन्ड


परमेश्वर पर भरोसे के बिना जीना घने कोहरे में गाड़ी चलाने के समान है।



बाइबल पाठ: नीतिवचन ३:१-८


उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधे मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन ३:६



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यावस्था 13
  • मत्ती २६:२६-५०