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सोमवार, 30 मार्च 2020

प्रार्थना



      मेरी एक सहेली ने, अपने कैंसर के इलाज के दौरान, एक बार देर रात मुझे फोन किया। वह फूट-फूट कर रो रही थी, और उसके साथ मैं भी रोने लग गई, तथा मन ही मन प्रार्थना करने लगी, ‘हे प्रभु ऐसे में मैं क्या करूं’। मेरी सहेली के रुन्दन ने मेरे दिल को बहुत दुखी किया; मैं उसकी पीड़ा को समाप्त नहीं कर सकती थी, न उसकी परिस्थिति को सुधार सकती थी, और न ही मुझे उसे प्रोत्साहित करने के लिए एक भी शब्द समझ में आ रहा था। परन्तु मैं उस को जानती थी जो ऐसे में हम दोनों की सहायता कर सकता था। अपनी सहेली के साथ रोते रोते, और लड़खड़ाती हुई प्रार्थना करते करते, मैं बारंबार फुसफुसा रही थी, “यीशु, यीशु, यीशु।”

      धीरे धीरे उसका रोना सिसकियों में बदल गया, और फिर उसके शांत होकर सांस लेते रहने की धीमी आवाज़ फोन पर आने लगी। उसके पति की आवाज़ ने मुझे चौंका दिया, उन्होंने कहा, “वो सो गयी है, अब हम कल बात करेंगे।” मैंने भी फोन रख दिया और अपने तकिए में आंसुओं के साथ प्रार्थना करते हुए मुंह छुपा लिया।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस रचित सुसमाचार में एक व्यक्ति की कहानी बताई गयी जो अपने एक प्रीय जन की सहायता करना चाहता था। एक परेशान पिता अपने अस्वस्थ बेटे को प्रभु यीशु के पास लेकर आया (मरकुस 9:17)। प्रभु के सामने अपने परिस्थिति की असंभव प्रतीत होने वाली बातों को बताते हुए उसकी आवाज़ में संदेह प्रगट था (पद 20-22), किन्तु उसने स्वीकार किया कि प्रभु यीशु ही उसके अविश्वास का उपाय कर सकते हैं (पद 24)। प्रभु यीशु के उस परिस्थिति में प्रवेश कर के उसे अपने नियंत्रण में ले लेने के द्वारा, पिता और पुत्र, दोनों ने मुक्ति और शान्ति का अनुभव किया (पद 25-27)।

      जब भी प्रिय जन दुःख में होते हैं, तो यह स्वाभाविक होता है कि हमें लगे कि हम उनके हित में कुछ सही कार्य कर सकें और सही शब्द कह सकें। परन्तु प्रभु यीशु ही हैं जो वास्तव में हमारी सहायता कर सकते हैं। हम जब भी प्रार्थना में उसे पुकारते हैं, तो वह हमें उसमें विश्वास करने और उसकी उपस्थिति में भरोसा बनाए रखने के लिए सक्षम कर सकते हैं। - होक्टिल डिक्सन

यीशु का नाम वह सामर्थी प्रार्थना है जो हमें उसकी सामर्थी उपस्थिति में ले जाती है।

जब जिस समय मैं पुकारूंगा, उसी समय मेरे शत्रु उलटे फिरेंगे। यह मैं जानता हूं, कि परमेश्वर मेरी ओर है। - भजन 56:9

बाइबल पाठ: मरकुस 9:14-29
मरकुस 9:14 और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उन के चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उन के साथ विवाद कर रहें हैं।
मरकुस 9:15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उस की ओर दौड़कर उसे नमस्‍कार किया।
मरकुस 9:16 उसने उन से पूछा; तुम इन से क्या विवाद कर रहे हो?
मरकुस 9:17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, कि हे गुरू, मैं अपने पुत्र को, जिस में गूंगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था।
मरकुस 9:18 जहां कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है: और वह मुंह में फेन भर लाता, और दांत पीसता, और सूखता जाता है: और मैं ने चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें परन्तु वह निकाल न सके।
मरकुस 9:19 यह सुनकर उसने उन से उत्तर देके कहा: कि हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे मेरे पास लाओ।
मरकुस 9:20 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा; और वह भूमि पर गिरा, और मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा।
मरकुस 9:21 उसने उसके पिता से पूछा; इस की यह दशा कब से है?
मरकुस 9:22 उसने कहा, बचपन से: उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।
मरकुस 9:23 यीशु ने उस से कहा; यदि तू कर सकता है, यह क्या बात है; विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है।
मरकुस 9:24 बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहा; हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर।
मरकुस 9:25 जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डांटा, कि हे गूंगी और बहिरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूं, उस में से निकल आ, और उस में फिर कभी प्रवेश न कर।
मरकुस 9:26 तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहां तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया।
मरकुस 9:27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया।
मरकुस 9:28 जब वह घर में आया, तो उसके चेलों ने एकान्‍त में उस से पूछा, हम उसे क्यों न निकाल सके?
मरकुस 9:29 उसने उन से कहा, कि यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 9-10
  • लूका 5:17-39