जब एक हाई-स्कूल के छात्र ने एक थर्मामीटर द्वारा मेज़ की लंबाई नापने का प्रयास किया तो उसका अध्यापक डेव यह देख कर अवाक रह गया। डेव ने अपने अध्यापक होने के 15 वर्षों में अनेक चौंकाने वाली भी और दुख देने वाली बातें भी देखीं थीं, लेकिन उसके लिए यह बहुत अचरज की बात थी कि कोई हाई स्कूल तक पहुँच जाए और उसे थर्मामीटर और फुटे में अन्तर पता ना हो।
जब मेरे एक मित्र ने मुझे यह घटना सुनाई तो मेरा मन उस छात्र और उसके समान समझ रखने वाले अन्य छात्रों के लिए बहुत दुखी हुआ कि वे अपनी शिक्षा में इतने पिछड़े हुए रह गए। वे आगे बढ़ नहीं सकते क्योंकि उन्होंने प्रतिदिन के जीवन के बुनियादी सिद्धांत और शिक्षा की आधारभूत बातें सीखीं ही नहीं हैं।
तभी एक गंभीर और महत्वपूर्ण विचार मेरे मन में आया - क्या अनेकों बार हम भी उस छात्र के समान ही नापने का गलत मापदण्ड लेकर आत्मिकता और आत्मिक जीवन को नहीं आंकते रहते? उदाहरणस्वरूप, क्या हम यह नहीं मान लेते कि जिन चर्चों में सबसे अधिक संसाधन और संपत्ति होती है वे परमेश्वर के द्वारा सबसे आशीषित चर्च हैं? ऐसे ही, क्या हमारी यह धारणा भी नहीं रहती कि जो प्रचारक सबसे अधिक लोकप्रीय होते हैं वे उन प्रचारकों से अधिक आत्मिक और धर्मनिष्ठ होते हैं जिनकी लोकप्रीयता अधिक नहीं है? क्या परमेशवर का वचन हमें कहीं भी ऐसी धारणाएं और विश्वास रखने को कहता है? क्या स्वतः ही ऐसे मनगढ़ंत मापदण्ड बना कर हम परमेश्वर के कार्य और लोगों का अनुचित तथा गलत आंकलन नहीं करते रहते? क्या इन अनुचित मापदण्डों के कारण हमारी आत्मिक उन्नति भी बाधित नहीं हो जाती?
परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार हमारे आत्मिक जीवन का सही मापदण्ड है हमारे अपने जीवन की गुणवनता, और यह गुणवनता नापी जाती है कुछ गुणों द्वारा, जैसे दीनता, नम्रता, धीरज, सहिषुणता, प्रेम से एक दूसरे की सह लेना आदि (इफिसियों 4:2)। इन गुणों का हमारे जीवन में विद्यमान होना एक अच्छा सूचक है कि हम परमेश्वर द्वारा हमारे लिए निर्धारित लक्षय की ओर अग्रसर हैं, और वह लक्षय है हमारे तथा समस्त जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता (पद 13)। - जूली ऐकैरमैन लिंक
दूसरों के प्रति हमारे प्रेम, परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम का सूचक है।
जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं। - इफिसियों 4:13
बाइबल पाठ: इफिसियों 4:1-16
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो।
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है।
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।
Ephesians 4:7 पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है।
Ephesians 4:8 इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।
Ephesians 4:9 (उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था।
Ephesians 4:10 और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे)।
Ephesians 4:11 और उसने कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त कर के, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त कर के, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त कर के दे दिया।
Ephesians 4:12 जिस से पवित्र लोग सिद्ध हों जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए।
Ephesians 4:13 जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।
Ephesians 4:14 ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से उन के भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक बयार से उछाले, और इधर-उधर घुमाए जाते हों।
Ephesians 4:15 वरन प्रेम में सच्चाई से चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं।
Ephesians 4:16 जिस से सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।
एक साल में बाइबल:
- भजन 148-150
- 1 कुरिन्थियों 15:29-58