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मंगलवार, 26 मई 2015

ऋणी


   कहा जाता है कि युवक रॉबर्ट रॉबिन्सन (1735-1790) को अपने मित्रों के साथ मिलकर लोगों को परेशान करने का शौक था। उसने 17 वर्ष की आयु में जॉर्ज व्हिटफील्ड द्वारा परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 3:7 पर दिया गया सन्देश सुना और उसे अपने जीवन में मसीह यीशु में मिलने वाले उद्धार का बोध हुआ। प्रभु ने रॉबिन्सन के जीवन को परिवर्तित किया, और वह एक प्रचारक बन गया। उसने प्रभु की स्तुति तथा आराधना के अनेक गीत भी लिखे, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध हुआ, "ऐ खुदा, कमाल के चश्मे"।

   हाल ही में मैं रॉबर्ट रॉबिन्सन द्वारा लिखे गए उस गीत की अन्तिम कड़ी, "मैं प्रतिदिन उस महान अनुग्रह का ऋणी हूँ" पर मनन कर रही थी। इससे मुझे प्रेरित पौलुस द्वारा लिखे गए शब्द, "क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा" (2 कुरिन्थियों 5:14-15) स्मरण हो आए।

   हम हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम तथा अनुग्रह को किसी रीति से कमा नहीं सकते; उसे केवल एक उपहार के समान उससे धन्यवाद सहित स्वीकार ही कर सकते हैं। परन्तु क्योंकि परमेश्वर ने अपना यह प्रेम और अनुग्रह बहुतायत से हम पर सेंत-मेंत में उण्डेला है, इसलिए हम उससे प्रेम करे बिना और उसके लिए जीवन व्यतीत किए बिना रह भी कैसे सकते हैं? मुझे हमारे द्वारा परमेश्वर के प्रति प्रेम को शब्दों में व्यक्त करना नहीं आता, किंतु मैं निश्चित हूँ कि इस अभिव्यक्ति में उसके समीप रहना, उसकी सुननना, उसके वचन को जानना, कृतज्ञता के साथ उसकी सेवा करना तथा उसका आज्ञाकारी रहना सम्मिलित होंगे।

   हम मसीही विश्वासी अपने तथा जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के सदा ऋणी रहेंगे क्योंकि हमें बचाने के लिए उसने अपने प्राण बलिदान कर दिए। - ऐनी सेटास


जो परमेश्वर के अनुग्रह को जानते हैं, वे अपने जीवन से उसे प्रदर्शित भी करते हैं।

यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। - यूहन्ना 11:25

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:12-17
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं। 
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं। 
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। 
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। 
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे। 
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 28-29
  • यूहन्ना 9:24-41