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रविवार, 14 मार्च 2021

पहचान

 

          एक टीवी कार्यक्रम में जवान लोगों ने, किशोरों के जीवन को बेहतर समझने के लिए, स्कूल के किशोर छात्रों की भूमिका निभाई। उन्होंने पाया कि किशोरों द्वारा अपनी पहचान के मूल्यांकन में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा स्थान है। कार्यक्रम में भाग लेने वाले एक व्यक्ति ने कहा “छात्रों द्वारा स्वयं का मूल्यांकन सोशल मीडिया के साथ जुड़ा हुआ है, और इस पर निर्भर करता है कि उनके द्वारा पोस्ट की गई किसी फोटो को कितने लोग पसंद करते हैं।” औरों के द्वारा पसंद किए जाने की इस आवश्यकता के कारण युवा इंटरनेट पर कई प्रकार के विचित्र व्यवहार करने लगते हैं।

          औरों के द्वारा स्वीकार किए जाने की लालसा मनुष्य में सदा से ही रही है। परमेश्वर के वचन बाइबल में, उत्पत्ति 29 में याकूब की पत्नी, लिआः अपने पति का प्रेम पाने की चाह रखती थी, जो स्वाभाविक भी है। उसकी यह लालसा उसके तीन पुत्रों के नामों में झलकती है – वे तीनों नाम उसके अकेलेपन को दिखाते हैं (पद 31 – 34)। परन्तु, दुःख की बात है कि याकूब से उसको वह प्रेम नहीं मिला जिसकी उसको लालसा थी।

          उसके चौथे पुत्र के जन्म के बाद, लिआः अपने पति के स्थान पर, परमेश्वर की ओर मुड़ी, और अपने पुत्र का नाम यहूदा, जिसका अर्थ होता है “स्तुति,” रखा (पद 35)। लगता है कि अन्ततः लिआः ने अपने महत्व को परमेश्वर में प्राप्त करने का निर्णय ले लिया। वह परमेश्वर द्वारा बनाई गई मनुष्यों के उद्धार की योजना का भाग बन गई, प्रभु यीशु मसीह दाऊद के वंश से आया, और दाऊद यहूदा के वंश से था।

          हम अपने महत्व को अनेकों रीतियों से प्राप्त करने के प्रयास कर सकते हैं, परन्तु हमारी वास्तविक पहचान प्रभु यीशु मसीह ही में है, जिस में होकर हम परमेश्वर की संतान और मसीह के संगी वारिस, तथा वो लोग जो स्वर्गीय पिता परमेश्वर के साथ अनन्तकाल तक निवास करेंगे, बनते हैं। जैसा प्रेरित पौलुस ने लिखा,वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूं” (फिलिप्पियों 3:8)। - पीटर चिन

 

हम हमारी वास्तविक पहचान अपने प्रभु परमेश्वर में पाते हैं, अन्य मनुष्यों से नहीं।


और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएँ। - रोमियों 8:17

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 29:31-35

उत्पत्ति 29:31 जब यहोवा ने देखा, कि लिआः अप्रिय हुई, तब उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बांझ रही।

उत्पत्ति 29:32 सो लिआः गर्भवती हुई, और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने यह कहकर उसका नाम रूबेन रखा, कि यहोवा ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है: सो अब मेरा पति मुझ से प्रीति रखेगा।

उत्पत्ति 29:33 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने यह कहा कि यह सुन के, कि मैं अप्रिय हूं यहोवा ने मुझे यह भी पुत्र दिया: इसलिये उसने उसका नाम शिमोन रखा।

उत्पत्ति 29:34 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, अब की बार तो मेरा पति मुझ से मिल जाएगा, क्योंकि उस से मेरे तीन पुत्र उत्पन्न हुए: इसलिये उसका नाम लेवीय रखा गया।

उत्पत्ति 29:35 और फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक और पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, अब की बार तो मैं यहोवा का धन्यवाद करूंगी, इसलिये उसने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसकी कोख बन्द हो गई।

 

एक साल में बाइबल: 

  • व्यवस्थाविवरण 23-25
  • मरकुस 13:21-37