सॉल्मन मछली की नैसर्गिक प्रवृति है कि जिस स्थान पर वह स्वयं पैदा हुई थी, समुंदर और नदियों मे सैंकड़ों मील का सफर तय कर के वे वहीं अपने अंडे देने भी आती हैं। एक तरह से वे एक अदृश्य शक्ति के वशीभूत होकर इस यात्रा और कार्य को पूरा करती हैं। लेकिन मनुष्य जानवरों से भिन्न है। हम अपने व्यवहार के लिए व्यक्तिगत रीति से ज़िम्मेदार हैं और अपने कार्यों के लिए किसी नैसर्गिक प्रक्रिया को दोषी नहीं ठहरा सकते।
अमेरिका में एक अपराधी, जिस पर अनेक हत्याओं का दोष था, मृत्यु दण्ड पाने से पहले बिलकुल अन्तिम समय में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले से बचाया गया। उसका मानना है कि जानवरों का नैसर्गिक व्यवहार और मनुष्यों व्यवहार एक समान ही हैं। अपने द्वारा करी गई अनेक हत्याओं के विष्य में उसका कहना है कि "वे बस यों ही हो गईं"; उसकी धारणा है कि हत्याओं के लिए कोई अनजानी शक्ति ज़िम्मेदार है, जिसके आधीन उसने बन्दूक चलाई।
लगभग २५०० वर्ष पहले इस्त्राएलियों ने भी अपने अनुचित व्यवहार के लिए परमेश्वर से ऐसा ही बहाना बनाया। उन्होंने एक कहावत को उध्दरित करते हुए अपने व्यवहार का दोष अपने बाप-दादाओं के ऊपर मढ़ना चाहा। लेकिन अपने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल द्वारा परमेश्वर ने उन्हें बताया कि वे इन बहानों द्वारा अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते। परमेश्वर ने उन्हें स्पष्ट कहा कि कोई भला आदमी अपनी दुष्ट सन्तान के कारण दोषी नहीं ठहरेगा और न ही कोई भली सन्तान अपने दुष्ट पिता के पापों के लिए दोषी ठहरेगी। सब को अपनी अपनी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ेगी।
हमारी परिस्थिती चाहे कैसी भी क्यों न हो, हम अपने किये के लिए ज़िम्मेदार रहते हैं; संसार के कानून भी इस बात को मानते हैं, इसका पालन करते हैं और इसी आधार पर उन में दण्ड भी निर्धारित किए गए हैं। इसलिए हमारे लिए यही भला है कि हम अपने पापों के लिए परमेश्वर के सामने बहाने बनाने और परिस्थित्यों तथा अन्य लोगों को दोषी ठहराने के बजाए, अपने पापों का अंगीकार कर लें, परमेश्वर प्रभु यीशु से उनके लिए क्षमा माँग लें तथा समय रहते उनके दोष से मुक्त हो जाएं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा। - यहेजकेल १८:४
बाइबल पाठ: यहेजकेल १८:१-१८
Eze 18:1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
Eze 18:2 तुम लोग जो इस्राएल के देश के विषय में यह कहावत कहते हो, कि जंगली अंगूर तो पुरखा लोग खाते, परन्तु दांत खट्टे होते हैं लड़के-बालों के, इसका क्या अर्थ है?
Eze 18:3 प्रभु यहोवा यों कहता है कि मेरे जीवन की शपथ, तुम को इस्राएल में फिर यह कहावत कहने का अवसर न मिलेगा।
Eze 18:4 देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।
Eze 18:5 जो कोई धमीं हो, और न्याय और धर्म के काम करे,
Eze 18:6 और न तो पहाड़ों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आंखें उठाई हों, न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो, और न ऋतुमती के पास गया हो,
Eze 18:7 और न किसी पर अन्धेर किया हो वरन ऋणी को उसकी बन्धक फेर दी हो, न किसी को लूटा हो, वरन भूखे को अपनी रोटी दी हो और नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,
Eze 18:8 न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपए की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो,
Eze 18:9 और मेरी विधियों पर चलता और मेरे नियमों को मानता हुआ सच्चाई से काम किया हो, ऐसा मनुष्य धमीं है, वह निश्चय जीवित रहेगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
Eze 18:10 परन्तु यदि उसका पुत्र डाकू, हत्यारा, वा ऊपर कहे हुए पापों में से किसी का करने वाला हो,
Eze 18:11 और ऊपर कहे हुए उचित कामों का करने वाला न हो, और पहाड़ों पर भोजन किया हो, पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,
Eze 18:12 दीन दरिद्र पर अन्धेर किया हो, औरों को लूटा हो, बन्धक न फेर दी हो, मूरतों की ओर आंख उठाई हो, घृणित काम किया हो,
Eze 18:13 ब्याज पर रुपया दिया हो, और बढ़ती ली हो, तो क्या वह जीवित रहेगा? वह जीवित न रहेगा? इसलिये कि उस ने ये सब घिनौने काम किए हैं वह निश्चय मरेगा और उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।
Eze 18:14 फिर यदि ऐसे मनुष्य के पुत्र हों और वह अपने पिता के ये सब पाप देख कर भय के मारे उनके समान न करता हो।
Eze 18:15 अर्थात न तो पहाड़ों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आंख उठाई हो, न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,
Eze 18:16 न किसी पर अन्धेर किया हो, न कुछ बन्धक लिया हो, न किसी को लूटा हो, वरन अपनी रोटी भूखे को दी हो, नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,
Eze 18:17 दीन जन की हानि करने से हाथ रोका हो, ब्याज और बढ़ी न ली हो, मेरे नियमों को माना हो, और मेरी विधियों पर चला हो, तो वह अपने पिता के अधर्म के कारण न मरेगा, वरन जीवित ही रहेगा।
Eze 18:18 उसका पिता, जिस ने अन्धेर किया और लूटा, और अपने भाइयों के बीच अनुचित काम किया है, वही अपने अधर्म के कारण मर जाएगा।
एक साल में बाइबल:
अमेरिका में एक अपराधी, जिस पर अनेक हत्याओं का दोष था, मृत्यु दण्ड पाने से पहले बिलकुल अन्तिम समय में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले से बचाया गया। उसका मानना है कि जानवरों का नैसर्गिक व्यवहार और मनुष्यों व्यवहार एक समान ही हैं। अपने द्वारा करी गई अनेक हत्याओं के विष्य में उसका कहना है कि "वे बस यों ही हो गईं"; उसकी धारणा है कि हत्याओं के लिए कोई अनजानी शक्ति ज़िम्मेदार है, जिसके आधीन उसने बन्दूक चलाई।
लगभग २५०० वर्ष पहले इस्त्राएलियों ने भी अपने अनुचित व्यवहार के लिए परमेश्वर से ऐसा ही बहाना बनाया। उन्होंने एक कहावत को उध्दरित करते हुए अपने व्यवहार का दोष अपने बाप-दादाओं के ऊपर मढ़ना चाहा। लेकिन अपने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल द्वारा परमेश्वर ने उन्हें बताया कि वे इन बहानों द्वारा अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते। परमेश्वर ने उन्हें स्पष्ट कहा कि कोई भला आदमी अपनी दुष्ट सन्तान के कारण दोषी नहीं ठहरेगा और न ही कोई भली सन्तान अपने दुष्ट पिता के पापों के लिए दोषी ठहरेगी। सब को अपनी अपनी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ेगी।
हमारी परिस्थिती चाहे कैसी भी क्यों न हो, हम अपने किये के लिए ज़िम्मेदार रहते हैं; संसार के कानून भी इस बात को मानते हैं, इसका पालन करते हैं और इसी आधार पर उन में दण्ड भी निर्धारित किए गए हैं। इसलिए हमारे लिए यही भला है कि हम अपने पापों के लिए परमेश्वर के सामने बहाने बनाने और परिस्थित्यों तथा अन्य लोगों को दोषी ठहराने के बजाए, अपने पापों का अंगीकार कर लें, परमेश्वर प्रभु यीशु से उनके लिए क्षमा माँग लें तथा समय रहते उनके दोष से मुक्त हो जाएं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
अकसर लोग अपनी मूर्खता को ’भाग्य’ कह कर अपनी ज़िम्मेदारी से बचना चाहते हैं।
देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा। - यहेजकेल १८:४
बाइबल पाठ: यहेजकेल १८:१-१८
Eze 18:1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
Eze 18:2 तुम लोग जो इस्राएल के देश के विषय में यह कहावत कहते हो, कि जंगली अंगूर तो पुरखा लोग खाते, परन्तु दांत खट्टे होते हैं लड़के-बालों के, इसका क्या अर्थ है?
Eze 18:3 प्रभु यहोवा यों कहता है कि मेरे जीवन की शपथ, तुम को इस्राएल में फिर यह कहावत कहने का अवसर न मिलेगा।
Eze 18:4 देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।
Eze 18:5 जो कोई धमीं हो, और न्याय और धर्म के काम करे,
Eze 18:6 और न तो पहाड़ों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आंखें उठाई हों, न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो, और न ऋतुमती के पास गया हो,
Eze 18:7 और न किसी पर अन्धेर किया हो वरन ऋणी को उसकी बन्धक फेर दी हो, न किसी को लूटा हो, वरन भूखे को अपनी रोटी दी हो और नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,
Eze 18:8 न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपए की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो,
Eze 18:9 और मेरी विधियों पर चलता और मेरे नियमों को मानता हुआ सच्चाई से काम किया हो, ऐसा मनुष्य धमीं है, वह निश्चय जीवित रहेगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
Eze 18:10 परन्तु यदि उसका पुत्र डाकू, हत्यारा, वा ऊपर कहे हुए पापों में से किसी का करने वाला हो,
Eze 18:11 और ऊपर कहे हुए उचित कामों का करने वाला न हो, और पहाड़ों पर भोजन किया हो, पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,
Eze 18:12 दीन दरिद्र पर अन्धेर किया हो, औरों को लूटा हो, बन्धक न फेर दी हो, मूरतों की ओर आंख उठाई हो, घृणित काम किया हो,
Eze 18:13 ब्याज पर रुपया दिया हो, और बढ़ती ली हो, तो क्या वह जीवित रहेगा? वह जीवित न रहेगा? इसलिये कि उस ने ये सब घिनौने काम किए हैं वह निश्चय मरेगा और उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।
Eze 18:14 फिर यदि ऐसे मनुष्य के पुत्र हों और वह अपने पिता के ये सब पाप देख कर भय के मारे उनके समान न करता हो।
Eze 18:15 अर्थात न तो पहाड़ों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आंख उठाई हो, न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,
Eze 18:16 न किसी पर अन्धेर किया हो, न कुछ बन्धक लिया हो, न किसी को लूटा हो, वरन अपनी रोटी भूखे को दी हो, नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,
Eze 18:17 दीन जन की हानि करने से हाथ रोका हो, ब्याज और बढ़ी न ली हो, मेरे नियमों को माना हो, और मेरी विधियों पर चला हो, तो वह अपने पिता के अधर्म के कारण न मरेगा, वरन जीवित ही रहेगा।
Eze 18:18 उसका पिता, जिस ने अन्धेर किया और लूटा, और अपने भाइयों के बीच अनुचित काम किया है, वही अपने अधर्म के कारण मर जाएगा।
एक साल में बाइबल:
- भजन ५१-५३
- रोमियों २