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गुरुवार, 17 जून 2021

स्वरूप


          मेरी एक सहेली, और मेरी परामर्शदाता ने एक कागज़ पर मानव आकृति का रेखा चित्र बनाया, और कहा कि यह हमारा “व्यक्तिगत” या भीतरी स्वरूप है। फिर उसने उस रेखा चित्र से लगभग आधा इंच बाहर उसी रेखा चित्र के समानान्तर एक और रेखा चित्र बना दिया, और उसे कहा कि यह हमारा “प्रकट” या दिखाने का स्वरूप है। और फिर मुझ से कहा कि इन दोनों चित्रों के मध्य की दूरी हमारी ईमानदारी को दिखाती है। मैं उसकी इस शिक्षा पर विचार करने लगी; मेरे मन में प्रश्न उठा, क्या मैं अपने सार्वजनिक स्वरूप में वही व्यक्ति हूँ, जो व्यक्तिगत स्वरूप में हूँ?

          परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कोरिन्थ के मसीही विश्वासियों की मण्डली को पत्रियाँ लिखीं, जिनके द्वारा उसने प्रेम और अनुशासन को मिश्रित करते हुए, उन्हें प्रभु यीशु मसीह के समान होने की सलाह दी। उन्हें लिखी गई अपनी दूसरी पत्री के अन्त की ओर आते समय उसने उस पर उन दोष लगाने वालों को चुनौती दी; उन पर जो उसकी ईमानदारी पर उंगली उठाते थे, और कहते थे कि वह पत्री लिखने में तो साहसी है, किन्तु व्यक्तिगत स्वरूप में निर्बल है (2 कुरिन्थियों 10:10)।

          ये आलोचक वे लोग थे जो भाषण देने को व्यवसाय के रूप में प्रयोग करते थे, और अपने श्रोताओं से पैसे कमाते थे। जबकि, उनकी तुलना में, यद्यपि पौलुस बहुत शिक्षित व्यक्ति थी, किन्तु बहुत साधारण और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहता था। पौलुस ने अपनी पहली पत्री में उन्हें लिखा था,और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ्य का प्रमाण था” (1 कुरिन्थियों 2:4)। उसने अपनी दूसरी पत्री में अपनी ईमानदारी के विषय लिखा,सो जो ऐसा कहता है, वह यह समझ रखे, कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे” (2 कुरिन्थियों 10:11)।

          पौलुस ने अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वरूप को एक समान बनाकर रखा और दिखाया। क्या हम भी उसके समान हैं? – एलिसा मॉर्गन

 

हे प्रभु मैं आपके सामने अपने व्यक्तिगत स्वरूप में 

और संसार के सामने सार्वजनिक स्वरूप में भिन्न न रहूं।


तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं। - 1 कुरिन्थियों 11:1

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 10:1-11

2 कुरिन्थियों 10:1 मैं वही पौलुस जो तुम्हारे सामने दीन हूं, परन्तु पीठ पीछे तुम्हारी ओर साहस करता हूं; तुम को मसीह की नम्रता, और कोमलता के कारण समझाता हूं।

2 कुरिन्थियों 10:2 मैं यह बिनती करता हूं, कि तुम्हारे सामने मुझे निर्भय हो कर साहस करना न पड़े; जैसा मैं कितनों पर जो हम को शरीर के अनुसार चलने वाले समझते हैं, वीरता दिखाने का विचार करता हूं।

2 कुरिन्थियों 10:3 क्योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते हैं, तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते।

2 कुरिन्थियों 10:4 क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं।

2 कुरिन्थियों 10:5 सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद कर के मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं।

2 कुरिन्थियों 10:6 और तैयार रहते हैं कि जब तुम्हारा आज्ञा मानना पूरा हो जाए, तो हर एक प्रकार के आज्ञा न मानने का पलटा लें।

2 कुरिन्थियों 10:7 तुम इन्हीं बातों को देखते हो, जो आंखों के सामने हैं, यदि किसी का अपने पर यह भरोसा हो, कि मैं मसीह का हूं, तो वह यह भी जान ले, कि जैसा वह मसीह का है, वैसे ही हम भी हैं।

2 कुरिन्थियों 10:8 क्योंकि यदि मैं उस अधिकार के विषय में और भी घमण्ड दिखाऊं, जो प्रभु ने तुम्हारे बिगाड़ने के लिये नहीं पर बनाने के लिये हमें दिया है, तो लज्जित न हूंगा।

2 कुरिन्थियों 10:9 यह मैं इसलिये कहता हूं, कि पत्रियों के द्वारा तुम्हें डराने वाला न ठहरूं।

2 कुरिन्थियों 10:10 क्योंकि कहते हैं, कि उस की पत्रियां तो गम्भीर और प्रभावशाली हैं; परन्तु जब देखते हैं, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है।

2 कुरिन्थियों 10:11 सो जो ऐसा कहता है, वह यह समझ रखे, कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • नहेम्याह 7-9
  • प्रेरितों 3