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शुक्रवार, 8 मई 2020

मार्गदर्शन



     अगस्त 2015 में, जब मैं अपने घर से कुछ घंटे की यात्रा की दूरी पर स्थित विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर अपने अध्ययन को जारी रखने की तैयारी कर रही थी, तब मुझे यह भी एहसास हुआ कि संभव है कि वहां अपना अध्ययन पूरा कर लेने के बाद मैं लौट कर घर न आऊँ, वरन कहीं और ही चली जाऊं। इस से मेरे मन में तेज़ी से विचार उठाने लगे: “मैं अपने परिवार, अपने घर, अपने चर्च, को कैसे छोड़ने पाऊँगी? यदि इसके बाद परमेश्वर मुझे और कहीं जाकर काम करने को कहे, किसी दूसरे राज्य, या देश में, तब क्या होगा?”

     जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में, मूसा घबराया था, जब परमेश्वर ने उसे इस्राएलियों को मिस्र से निकाल कर लाने के लिए कहा था (निर्गमन 3:10), मुझे भी घबराहट हो रही थी। मैं अपने आराम के स्थल को छोड़ना नहीं चाहती थी। हाँ, बाद में मूसा ने परमेश्वर की बात मानी और उसके कहे के अनुसार किया, किन्तु पहले प्रश्न उठाने, और फिर किसी और को भेजने के लिए कहने के बाद ही ऐसा किया (निर्गमन 3:11-13; 4:13)।

     मूसा के उदाहरण से हम देखते हैं कि हमें क्या नहीं करना चाहिए, जब हमें परमेश्वर की बुलाहट का स्पष्ट आभास होता है। इसके स्थान पर हमें, वैसे करना चाहिए जैसे शिष्यों ने  किया था, जब प्रभु यीशु ने उन्हें अपने पीछे हो लेने के लिए बुलाया; वे सब कुछ छोड़ कर उसके पीछे हो लिए (मत्ती 4:20-22; लूका 5:28)। घबराना स्वाभाविक है, परन्तु हम परमेश्वर की योजनाओं पर भरोसा कर सकते हैं।

     आज भी, घर से इतनी दूर रहना कठिन तो लगता है। परन्तु, जैसे-जैसे मैं परमेश्वर की इच्छा को निरंतर खोजती रहती हूँ, वह मेरे लिए मार्ग खोलता रहता है, जिससे मैं आश्वस्त रहती हूँ कि मैं वहां हूँ जहां वह चाहता है कि मैं हूँ।

     जब हमें हमारे आराम के स्थल में से निकाल कर बाहर लाया जाता है, तो हम या तो मूसा के समान हिचकिचाते हुए जा सकते हैं, या शिष्यों के समान प्रसन्नता से – जो प्रभु के साथ चलते रहे, जहां भी वह गया। कभी-कभी ऐसा करने का अर्थ होता है अपने आराम के जीवन को छोड़ना, और सैकड़ों या हज़ारों मील दूर किसी नए स्थान पर जा कर रहना। किन्तु यह चाहे कितना भी कठिन लगे, परमेश्वर के मार्गदर्शन में चलते रहना सदा ही लाभप्रद होता है। - जूली श्वौब

परमेश्वर ने हमें आराम के जीवन के लिए नहीं बुलाया गया है।

मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है। - यूहन्ना 16:33

बाइबल पाठ: निर्गमन 3:7-14
निर्गमन 3:7 फिर यहोवा ने कहा, मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में हैं उनके दु:ख को निश्चय देखा है, और उनकी जो चिल्लाहट परिश्रम कराने वालों के कारण होती है उसको भी मैं ने सुना है, और उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है ;
निर्गमन 3:8 इसलिये अब मैं उतर आया हूं कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाऊं, और उस देश से निकाल कर एक अच्छे और बड़े देश में जिस में दूध और मधु की धारा बहती है, अर्थात कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी, और यबूसी लोगों के स्थान में पहुंचाऊं।
निर्गमन 3:9 सो अब सुन, इस्राएलियों की चिल्लाहट मुझे सुनाई पड़ी है, और मिस्रियों का उन पर अन्धेर करना भी मुझे दिखाई पड़ा है,
निर्गमन 3:10 इसलिये आ, मैं तुझे फिरौन के पास भेजता हूं कि तू मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल ले आए।
निर्गमन 3:11 तब मूसा ने परमेश्वर से कहा, मैं कौन हूं जो फिरौन के पास जाऊं, और इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आऊं?
निर्गमन 3:12 उसने कहा, निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा; और इस बात का कि तेरा भेजने वाला मैं हूं, तेरे लिये यह चिन्ह होगा कि जब तू उन लोगों को मिस्र से निकाल चुके तब तुम इसी पहाड़ पर परमेश्वर की उपासना करोगे।
निर्गमन 3:13 मूसा ने परमेश्वर से कहा, जब मैं इस्राएलियों के पास जा कर उन से यह कहूं, कि तुम्हारे पितरों के परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, तब यदि वे मुझ से पूछें, कि उसका क्या नाम है? तब मैं उन को क्या बताऊं?
निर्गमन 3:14 परमेश्वर ने मूसा से कहा, मैं जो हूं सो हूं। फिर उसने कहा, तू इस्राएलियों से यह कहना, कि जिसका नाम मैं हूं है उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजाओं 4-6
  • लूका 24:36-53