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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

प्रभु यीशु की कलीसिया के कार्यकर्ता और उनकी सेवकाई (3)


भविष्यद्वक्ता और भविष्यवाणी (2)

इफिसियों 4:11 में कलीसिया की उन्नति के लिए प्रभु द्वारा नियुक्त किए गए पाँच प्रकार के सेवकों या कार्यकर्ताओं और उनकी सेवकाई या कार्यों के विषय में सूची दी गई है, कहा गया है। मूल यूनानी भाषा में इनके लिए प्रयोग किए गए शब्दों के आधार पर, ये पाँचों कार्यकर्ता और उनके कार्य, वचन की सेवकाई से संबंधित हैं। इनमें से पहले, प्रेरितों, के बारे में हम पहले विस्तार से देख चुके हैं कि वर्तमान में जो लोग अपने आप को प्रेरित घोषित करते हैं, और इसे उपाधि के अनुसार प्रयोग करके ईसाई या मसीही समाज में आदर, सम्मान, और उच्च स्थान प्राप्त करने या दिखाने का यत्न करते हैं, वहप्रेरितशब्द के परमेश्वर के वचन बाइबल में किए गए प्रयोग और अभिप्राय के अनुरूप नहीं है। सूची के दूसरे कार्यकर्ता या सेवक हैं भविष्यद्वक्ता, जिनके बारे में हमने पिछले लेख से देखना आरंभ किया है। हमने देखा है कि परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के लोगों के मध्य भावी कहने या भविष्य की बातें बताने वाले परमेश्वर की ओर से नियुक्त किए गए भविष्यद्वक्ता, अन्य सेवकाइयों की तुलना में बहुत कम रहे हैं। परमेश्वर ने जब अपने लोगों के मध्य इन भविष्यद्वक्ताओं को खड़ा किया, तब ऐसा परमेश्वर और उसके वचन से विमुख हो चुके उसके लोगों पर, उनके किए के कारण उन पर आने वाले परमेश्वर के प्रकोप और दण्ड के विषय सचेत करने और उन लोगों को अवसर एवं समय रहते परमेश्वर की ओर लौट आने के लिए उकसाने के लिए किया। परमेश्वर के ये भविष्यद्वक्ता लोगों के मनोरंजन के लिए, उनकी मन-पसंद बातें सुनाने, उनके कानों की खुजली मिटाने (2 तीमुथियुस 4:3) के लिए कार्य नहीं करते थे। बाइबल में उल्लेखित सभी भविष्यद्वक्ता परमेश्वर द्वारा खड़े और नियुक्त किए गए थे, और बहुतेरे तो ऐसे भी थे जो इस कार्य को करना ही नहीं चाहते थे, उन्होंने भरसक प्रयास किया कि परमेश्वर उन्हें इस दायित्व से मुक्त कर दे। बाइबल के परमेश्वर के भविष्यद्वक्ताओं में से कोई भी ऐसा नहीं था, जिसने स्वयं ही इस सेवकाई को अपना लिया हो, या फिर अपनी या कुछ अन्य मनुष्यों, अथवा किसी मत या समुदाय के कहने पर भविष्यद्वक्ता बन बैठा हो। 

पुराने और नए नियम की मूल इब्रानी और यूनानी भाषाओं के जिन शब्दों का अनुवाद भविष्यद्वक्ता या Prophet और भविष्यवाणी या Prophesy किया गया है, आम धारणा के विपरीत उनका शब्दार्थ हमेशा ही भावी कहना या भविष्य के बातें बताना ही नहीं होता है। मोटे तौर पर इन शब्दों का अभिप्राय होता हैसामने बोलना”, जहाँसामनेसेआने वाले समय के बारे मेंनहीं वरन अभिप्रायसमक्षका रहता है; अर्थात किसी व्यक्ति या समूह के सामने, या समक्ष, या सम्मुख खड़े होकर उन्हें संबोधित करना, उनसे कुछ कहना। साथ ही आवश्यक नहीं कि जो बोला जाए वह लेख के समान गद्य ही हो, वह गीत या कविता/पद्य भी हो सकता है। और बाइबल में ये शब्द केवल यहोवा परमेश्वर के सेवकों और उनकी सेवकाइयों के लिए ही प्रयोग नहीं किए गए हैं; वरन अन्य देवी-देवताओं के उपासकों और उनके कार्य के लिए भी प्रयोग किए गए हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल से भविष्यद्वक्ता और भविष्यवाणी शब्दों के प्रयोग के कुछ उदाहरण देखते हैं:

  • किसी देवी-देवता को पुकारना:  1 राजा 18:29 “वे दोपहर भर ही क्या, वरन भेंट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे, परन्तु कोई शब्द सुन न पड़ा; और न तो किसी ने उत्तर दिया और न कान लगाया” - एल्लियाह से मिली चुनौती के अंतर्गत बाल देवता के नबी अपने देवता को भरसक पुकारते रहे।
  • अपने शब्दों के द्वारा लोगों को आश्वस्त करना, शांत या सांत्वना देना: 1 कुरिन्थियों 14:3 “परन्तु जो भविष्यवाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति, और उपदेश, और शान्ति की बातें कहता है
  • परमेश्वर द्वारा दी गई आज्ञा को बोलना और मानना: 
    • यहेजकेल 37:4 “तब उसने मुझ से कहा, इन हड्डियों से भविष्यवाणी कर के कह, हे सूखी हड्डियों, यहोवा का वचन सुनो
    • यहेजकेल 37:9-10 तब उसने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान सांस से भविष्यवाणी कर, और सांस से भविष्यवाणी कर के कह, हे सांस, परमेश्वर यहोवा यों कहता है कि चारों दिशाओं से आकर इन घात किए हुओं में समा जा कि ये जी उठें। उसकी इस आज्ञा के अनुसार मैं ने भविष्यवाणी की, तब सांस उन में आ गई, ओर वे जीकर अपने अपने पांवों के बल खड़े हो गए; और एक बहुत बड़ी सेना हो गई
  • परमेश्वर की ओर से आने वाली घटनाओं और बातों के बारे में बताना:
    • यहेजकेल 36:1, 3 “फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के पहाड़ों से भविष्यवाणी कर के कह, हे इस्राएल के पहाड़ों, यहोवा का वचन सुनोइस कारण भविष्यवाणी कर के कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, लोगों ने जो तुम्हें उजाड़ा और चारों ओर से तुम्हें ऐसा निगल लिया कि तुम बची हुई जातियों का अधिकार हो जाओ, और लुतरे तुम्हारी चर्चा करते और साधारण लोग तुम्हारी निन्दा करते हैं;
    • यहेजकेल 37:12-14 इस कारण भविष्यवाणी कर के उन से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, हे मेरी प्रजा के लोगों, देखो, मैं तुम्हारी कब्रें खोल कर तुम को उन से निकालूंगा, और इस्राएल के देश में पहुंचा दूंगा। सो जब मैं तुम्हारी कब्रें खोलूं, और तुम को उन से निकालूं, तब हे मेरी प्रजा के लोगों, तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ। और मैं तुम में अपना आत्मा समाऊंगा, और तुम जीओगे, और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊंगा; तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है
  • परमेश्वर के प्रभाव में आकर उसके निर्देश के अनुसार बोलना: 
    • अमोस 3:8 “सिंह गरजा; कौन न डरेगा? परमेश्वर यहोवा बोला; कौन भविष्यवाणी न करेगा”?
    • यहेजकेल 36:6 इस कारण इस्राएल के देश के विषय में भविष्यवाणी कर के पहाड़ों, पहाडिय़ों, नालों, और तराइयों से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देखो, तुम ने जातियों की निन्दा सही है, इस कारण मैं अपनी बड़ी जलजलाहट से बोला हूँ
  • आराधना, स्तुति करना, और आराधना के लिए संगीत वाद्य बजाना: 1 इतिहास 25:1-6  “फिर दाऊद और सेनापतियों ने आसाप, हेमान और यदूतून के कितने पुत्रों को सेवकाई के लिये अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और झांझ बजा बजाकर नबूवत करें। और इस सेवकाई के काम करने वाले मनुष्यों की गिनती यह थी: अर्थात आसाप के पुत्रों में से तो जक्कूर, योसेप, नतन्याह और अशरेला, आसाप के ये पुत्र आसाप ही की आज्ञा में थे, जो राजा की आज्ञा के अनुसार नबूवत करता था। फिर यदूतून के पुत्रों में से गदल्याह, सरीयशायाह, हसब्याह, मत्तित्याह, ये ही छ: अपने पिता यदूतून की आज्ञा में हो कर जो यहोवा का धन्यवाद और स्तुति कर कर के नबूवत करता था, वीणा बजाते थे। और हेमान के पुत्रों में से, मुक्किय्याह, मत्तन्याह, लज्जीएल, शबूएल, यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीआता, गिद्दलती, रोममतीएजेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत। परमेश्वर की प्रतिज्ञानुकूल जो उसका नाम बढ़ाने की थी, ये सब हेमान के पुत्र थे जो राजा का दर्शी था; क्योंकि परमेश्वर ने हेमान को चौदह बेटे और तीन बेटियां दीं थीं। ये सब यहोवा के भवन में गाने के लिये अपने अपने पिता के आधीन रह कर, परमेश्वर के भवन, की सेवकाई में झांझ, सारंगी और वीणा बजाते थे। और आसाप, यदूतून और हेमान राजा के आधीन रहते थे
  • किसी गुप्त या अनजानी बात को बताना: लूका 22:64 “और उस की आंखे ढांपकर उस से पूछा, कि भविष्यवाणी कर के बता कि तुझे किसने मारा” - प्रभु यीशु मसीह को पकड़ने के बाद उसका का ठट्ठा करते समय उससे उपहास करते हुए पूछना।  

साथ ही ध्यान कीजिए कि बाइबल में भविष्यद्वक्ताओं और उनकी बातों के उदाहरणों के आधार पर यह भी प्रकट और स्पष्ट है कि परमेश्वर द्वारा नियुक्त भविष्यद्वक्ता की कही हर बात भीभविष्यवाणीनहीं होती थी। बाइबल मेंभविष्यवाणीकेवल उसे ही कहा गया है जो परमेश्वर के उस भविष्यद्वक्ता ने परमेश्वर के कहे पर और उसकी ओर से कहा है। कई बार भविष्यद्वक्ताओं ने अपनी भावनाएं और विचार भी व्यक्त किए, किन्तु उन सभी बातों कोभविष्यवाणीनहीं कहा गया है। और न ही यह अनिवार्य है कि परमेश्वर का नियुक्त भविष्यद्वक्ता यदि कुछ कहेगा, तो परमेश्वर उसकी हर बात को मानने और पूरा करने के लिए बाध्य है। इन बातों का एक अच्छा उदाहरण है 2 शमूएल 7 अध्याय में दाऊद द्वारा परमेश्वर के लिए भवन बनवाने की लालसा रखना, उसे व्यक्त करना, और नातान नबी द्वारा दाऊद की इस इच्छा का अनुमोदन करना। किन्तु परमेश्वर ने दाऊद और नातान दोनों ही की इस बात को अस्वीकार कर दिया, यद्यपि वे दोनों उसके जन थे, उससे प्रेम करते थे, और परमेश्वर के आदर एवं महिमा के लिए कुछ करने की इच्छा रखते थे। परमेश्वर ने उन दोनों को अपने लोग, अपने नबी होने से तिरस्कार नहीं किया, किन्तु उनकी लालसा को स्वीकार करने और मानने के लिए भी परमेश्वर बाध्य नहीं बना। इसलिए हरभविष्यद्वक्ताकी हर बातभविष्यवाणीनहीं है, चाहे वह बात परमेश्वर के आदर और महिमा के लिए ही क्यों न कही गई हो; और न ही हर बात परमेश्वर की ओर से पूरी होगी, जब तक कि उसभविष्यद्वक्ताने परमेश्वर की ओर से और उसकी अधीनता में होकर वह बात न कही हो।

आज ईसाई या मसीही समाज में, विशेषकर उन समुदायों और डिनॉमिनेशंस में जो परमेश्वर पवित्र आत्मा के बारे में गलत शिक्षाएं बताते और सिखाते रहते हैं, ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपने आप कोनबीयाभविष्यद्वक्ताकहते हैं, और परमेश्वर के नाम से कुछ भी कहते रहते हैं। उनका मुख्य ध्येय अपने आप को उच्च और प्रशंसनीय बनाना तथा परमेश्वर के नाम, काम, और उसके वचन के द्वारा अपने लिए सांसारिक लाभ, संपत्ति, यश, ओहदा, आदि एकत्रित करना होता है।  यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, तो आपके लिए यह अनिवार्य है कि आप परमेश्वर के वचन की गलत समझ और गलत उपयोग से बचें। वचन की सही समझ और सही उपयोग आपके लिए आत्मिक उन्नति और आशीष का कारण होगा, किन्तु गलत समझ और गलत उपयोग बहुत हानिकारक होगा। इसलिए यदि आप किसी गलत शिक्षा अथवा धारणा में पड़े हुए हैं, तो स्थिति को जाँच-परखकर अभी समय और अवसर के रहते उससे बाहर निकल आएं, आवश्यक सुधार कर लें।

  यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी। 

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • निर्गमन 34-35      
  • मत्ती 22:23-46