कहा जाता है कि रोमी साम्राज्य के दिनों में जब कोई रोमी सेनापति युद्ध-भूमि से विजयी होकर लौटता था तो उसके सम्मान में उसकी घर-वापसी पर एक बड़ा जलूस निकाला जाता था जिसमें उसके सैनिक तथा उसके द्वारा बंदी बनाकर लाए गए पराजित लोग उसकी विजय के प्रमाण के रूप में होते थे। जलूस के मार्ग के किनारों पर खड़े लोग सेनापति की जय-जयकार के नारे लगाते थे और अपने नायक का अभिनन्दन करते थे। वह सेनापति एक रथ पर स्वार होकर चलता था। सेनापति का अहम कहीं अनावश्यक रीति से फूल ना जाए, इसलिए उसके रथ में उसके साथ एक ग़ुलाम भी खड़ा रहता तो जो सेनापति से लगातार कहता रहता था, "आप भी एक मरणहार मनुष्य ही हैं।"
सफलता हमें विनाशकारी अहंकार में ढ़केल सकती है, हमारे मनों को फुला कर हम से हमारी वास्तविकता को नज़रंदाज़ करवा सकती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में हमें अहंकार के खतरों से सचेत करते हुए नम्र होकर परमेश्वर के साथ चलते रहने की शिक्षा दी; याकूब ने लिखा, "वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है" (याकूब 4:6)। याकूब के इस कथन की मुख्य बात है उसके द्वारा प्रयुक्त शब्द "अनुग्रह"। इससे बढ़कर कुछ और नहीं है; केवल प्रभु परमेश्वर ही है जो धन्यवाद और प्रशंसा के योग्य है - विशेषकर उस अनुग्रह के लिए जो उसने हमारे प्रति किया है, हम पर बहुतायत से उण्डेला है।
हमारी उपलब्धियाँ, सफलताएं, महानता, चरित्र आदि संसार की दृष्टि में चाहे कितना भी अच्छा और प्रशंसनीय हो, वह सब केवल प्रभु परमेश्वर के उस अनुग्र्ह के कारण ही संभव हो सका जो उसने हम पर किया और जिसके अन्तर्गत यह सब कर पाने की योग्यता तथा क्षमता हमको प्रदान करी है। यह परमेश्वर का अनुग्रह ही है कि उसने प्रभु यीशु में होकर हमारे पापों की क्षमा और उसके साथ हमारे मेल-मिलाप का मार्ग तैयार करके दिया, हमें अनन्त विनाश से बचने का मार्ग बनाकर दिया।
क्या आपने प्रभु परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करके अपने अनन्त भविष्य को सुनिश्चित कर लिया है? - बिल क्राउडर
परमेश्वर का अनुग्रह उसका असीम प्रेम है जो हमारे प्रति उसकी अनन्त भलाई में प्रकट होता है।
हे नवयुवकों, तुम भी प्राचीनों के आधीन रहो, वरन तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का साम्हना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है। - 1 पतरस 5:5
बाइबल पाठ: याकूब 4:6-17
James 4:6 वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
James 4:7 इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।
James 4:8 परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।
James 4:9 दुखी होओ, और शोक करा, और रोओ: तुम्हारी हंसी शोक में और तुम्हारा आनन्द उदासी में बदल जाए।
James 4:10 प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।
James 4:11 हे भाइयों, एक दूसरे की बदनामी न करो, जो अपने भाई की बदनामी करता है, या भाई पर दोष लगाता है, वह व्यवस्था की बदनामी करता है, और व्यवस्था पर दोष लगाता है; और यदि तू व्यवस्था पर दोष लगाता है, तो तू व्यवस्था पर चलने वाला नहीं, पर उस पर हाकिम ठहरा।
James 4:12 व्यवस्था देने वाला और हाकिम तो एक ही है, जिसे बचाने और नाश करने की सामर्थ है; तू कौन है, जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाता है?
James 4:13 तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जा कर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार कर के लाभ उठाएंगे।
James 4:14 और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
James 4:15 इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे।
James 4:16 पर अब तुम अपनी ड़ींग पर घमण्ड करते हो; ऐसा सब घमण्ड बुरा होता है।
James 4:17 इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।
एक साल में बाइबल:
- अय्युब 30-31
- प्रेरितों 13:26-52