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गुरुवार, 6 जुलाई 2023

Miscellaneous Questions / कुछ प्रश्न – 42i – Examples from Old Testament / पुराने नियम के उदाहरण

क्या बाइबल के अनुसार, क्या मसीही कलीसियाओं में स्त्रियों को पुलपिट से प्रचार करने और पास्टर की भूमिका निभाने की अनुमति है? 

भाग 9 – पुराने नियम की स्त्रियों के उदाहरणों का विश्लेषण

 

    आज से हम बाइबल में दिए गए स्त्रियों द्वारा सेवकाई के उदाहरणों को देखना आरंभ करेंगे। इन उदाहरणों पर विचार करते समय कृपया पिछले लेख की बात को ध्यान रखिए कि जिन स्त्रियों का उल्लेख आया है वे कभी भी मंदिर अथवा आराधनालय से सेवकाई नहीं करती थीं, उन्होंने कभी कहीं प्रचार नहीं किया और, और न ही परमेश्वर द्वारा उन्हें दिए गए इस वरदान के आधार पर कभी अपने आप को याजक या उसके समान जताने का प्रयास किया। हम आज पुराने नियम से दिए जाने वाले तीन स्त्रियों के उदाहरणों को देखते हैं और बाइबल में दी गई जानकारी के अनुसार विश्लेषण करते हैं।


    पुराने नियम में न्यायियों की पुस्तक से दबोरा का उदाहरण लिया जाता है (न्यायियों 4 अध्याय)। न्यायियों 4:4-5 देखिए; यहाँ पर दबोरा को “नबिया” या “भविष्यद्वक्ता” कहा गया है। उसकी सेवकाई तथा सेवकाई के स्थान को भी बताया गया है, कि वह आराधनालय में प्रचार नहीं करती थी, वह खजूर के नीचे बैठ कर, जो लोग उसके पास आते थे, उन्हीं का न्याय करती थी। ध्यान कीजिए वह केवल लोगों का न्याय करती थी, अर्थात केवल उन्हें सही-गलत के बारे में बताती थी, कहीं प्रचार नहीं करती थी। इस बात पर भी ध्यान कीजिए कि वह न्याय करने भी लोगों के पास नहीं जाती थी, न ही उन्हें बुलाती थी, या अपना ढिंढोरा पीटती थी। जो लोग स्वयं ही उसके पास अपनी बात को लेकर आते थे, उन्हें ही सही-गलत बता कर उनका न्याय किया करती थी। न तो वह याजक थी, और न ही वह प्रचारक थी। इसलिए बाइबल में दिए गए उसके वर्णन के आधार पर उसे स्त्री-प्रचारक होने के उदाहरण के समान प्रयोग करना, अपनी स्वार्थ-सिद्धी के लिए परमेश्वर के वचन का दुरुपयोग करना है।


    एक दूसरा नाम जो लिया जाता है वह है मूसा की बहन मरियम का; उसे भी निर्गमन 15:20 में “नबिया” या “भविष्यद्वक्ता” कहा गया है। लेकिन उसकी किसी भी प्रकार की किसी प्रचारक या याजक समान सेवकाई का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। उसे “नबिया” या “भविष्यद्वक्ता” कहे जाने के साथ जो एकमात्र कार्य उसने किया, वह था इस्राएल के मिस्र से निकलकर लाल समुद्र पार करने के बाद अन्य स्त्रियों के साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति और आराधना करना (निर्गमन 15:20-21)। इसके अतिरिक्त मरियम का जो उल्लेख है वह शिशु मूसा की देखभाल के लिए उसकी माँ को धाई होने के लिए लाना (निर्गमन 2:7-10), जहाँ उसका नाम भी नहीं लिया गया है; और फिर गिनती 12 अध्याय में नकारात्मक रीति से मूसा के विरुद्ध बोलने और दण्ड पाने का है (गिनती 12:1-15)। फिर गिनती 20:1 में उसकी मृत्यु का उल्लेख है, गिनती 26:59 में उसके मूसा के परिवार का होने का उल्लेख है, और व्यवस्थाविवरण 24:9 में उसे उदाहरण बनाकर इस्राएलियों को बुराई करने से सचेत रहने के लिए कहे जाने का उल्लेख है। कहीं पर भी मरियम द्वारा किए गए किसी प्रचार का कोई उल्लेख नहीं है, और न ही उसके द्वारा किसी याजकीय सेवकाई के किए जाने का कोई उल्लेख है। यहाँ तक कि जब मूसा ने अपनी सहायता के लिए लोगों को नियुक्त किया, तो उनमें भी उसका या किसी अन्य स्त्री के होने का कोई उल्लेख नहीं है, केवल पुरुष ही नियुक्त किए गए थे (निर्गमन 18:13-26)। इसलिए बाइबल में उसके विषय दी गई इन बातों के समक्ष विचार कीजिए कि मरियम को स्त्रियों के प्रचारक होने को सही ठहराने के उदाहरण के लिए किस आधार पर उपयोग किया जा सकता है?


    पुराने नियम की एक और “नबिया” या “भविष्यद्वक्ता” जिसका नाम लिया जाता है, वह है हुल्दा, जिसका उल्लेख एक ही बात के लिए दो स्थानों पर आया है – 2 राजाओं 22:14 और 2 इतिहास 34:22 में। ये दोनों ही उल्लेख राजा योशिय्याह द्वारा इस्राएलियों में आत्मिक जागृति लाने और मंदिर को ठीक करवाने के समय की एक घटना के हैं, जब राजा ने अपने दूतों को हुल्दा के पास परमेश्वर की इच्छा जानने के लिए भेजा। एक बार फिर ध्यान कीजिए कि हुल्दा कोई प्रचारक नहीं थी, न ही मंदिर या आराधनालय से सेवकाई करती थी, और न ही किसी याजक की भूमिका निभाती थी। बाइबल में उसके विषय दी गई जानकारी के अनुसार उसने भी आगे बढ़कर, या स्वयं सामने आकर कोई बात नहीं की। जब राजा ने अपने दूतों को उसके पास भेजा, तब उसने उन्हें, उनके प्रश्न के अनुसार, जो उसे परमेश्वर से प्राप्त हुआ वह बात बता दी (2 राजाओं 22:15-20; 2 इतिहास 34:23-28)। बाइबल में हुल्दा का बस इतना ही उल्लेख है। अब जैसा मरियम के लिए, वैसे ही हुल्दा के लिए भी वही प्रश्न उठता है, जब कहीं पर भी हुल्दा द्वारा किए गए किसी प्रचार का कोई उल्लेख नहीं है, और न ही उसके द्वारा किसी याजकीय सेवकाई के किए जाने का कोई उल्लेख है, तो फिर बाइबल में उसके विषय दी गई इन बातों के समक्ष विचार कीजिए कि उसे स्त्रियों के प्रचारक होने को सही ठहराने के उदाहरण के लिए किस आधार पर उपयोग किया जा सकता है?


    कुल मिलाकर पुराने नियम से दावे के साथ उपयोग किए जाने वाले इन उदाहरणों का एक ही निष्कर्ष है, कि ये सारे दावे झूठे हैं, निराधार हैं। बाइबल में दी गई जानकारी के आधार पर पुराने नियम की किसी भी “नबिया” या “भविष्यद्वक्ता” को इस तर्क के समर्थन में उपयोग नहीं किया जा सकता है कि स्त्रियों को प्रचारक या याजक होने की अनुमति है। यह कहना, और उन स्त्रियों के उदाहरण को इस प्रकार से बिगाड़ कर उपयोग करना सर्वथा अनुचित है, अस्वीकार्य है, और बाइबल के साथ खिलवाड़ करना है।


    यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु, मैं अपने पापों के लिए पश्चातापी हूँ, उनके लिए आप से क्षमा माँगता हूँ। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मुझे और मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।” सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 


- क्रमशः 

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According to the Bible, Do Women Have the Permission to Serve as Pastors and Preach from the Pulpit in the Church?


Part 9 – Analysis of Examples of Women of the Old Testament

 

    From today we will start looking at the examples of the ministries of women in the Bible. While considering these examples, please do keep in mind the things that we saw in the previous article, the women who have been mentioned, have never served from the Temple or a Synagogue, they have never preached any sermon, and neither have they, on the basis of this God given gift, ever tried to show themselves off as a Priest or someone like a Priest. Today we will consider examples of three women given in the Old Testament, and analyze their ministries based on the information given about them in the Bible.


    From the Old Testament, one of the examples given is of Deborah (Judges chapter 4). Look at Judges 4:4-5; here Deborah has been called a prophetess. Her ministry and the place from where she carried it out has also been stated. It is not that she preached from a Synagogue, but she used to sit under a Palm tree, and judged those who came to her with their problems; she would only judge them, i.e., tell them the right and the wrong about what they had come to her for. Also note that she did not go to the people, nor did she call or invite people to her, nor advertised about her ministry. The one’s who came to her on their own, she would judge them, tell them about their right or wrong. She was neither a Priest, nor was she a preacher. Therefore, on the basis of this description about her and her ministry, how can she be considered an example of being a women-preacher? Doing so and using her to prove this notion is to misinterpret and misuse God’s Word for selfish reasons.


    A second name that is often taken is of Miriam, the sister of Moses; she has also bene called a prophetess in Exodus 15:20. But there is no mention of any ministry like that of a Priest or of a preacher for her. After calling her a prophetess, the one and only thing that has been mentioned about her is that after the Israelites had crossed the Red sea, she along with other women praised and worshipped the Lord God (Exodus 15:20-21). Besides this the other mentions of Miriam in God’s Word are when she proposed that Moses’s mother be brought to nurse the infant Moses (Exodus 2:7-10), and here even her name has not been mentioned; and then in Numbers chapter 12, she has been punished for speaking against Moses (Numbers 12:1-15). In Numbers 20:1, her death has been mentioned, and then in Numbers 24:9 she is shown as part of Moses’s family. Finally in Deuteronomy 24:9 she has been shown as an example to warn Israelites against speaking evil of others. There is no mention of any preaching or message given by Miriam anywhere in the Bible, nor is there any mention of any Priest like ministry she ever did. Even when Moses appointed people to help him judge the issues of the Israelites, neither she nor any other woman was appointed for this task, only men were chosen for this work (Exodus 18:13-26). Therefore, in light of the things written in the Bible about her, ponder and see whether she can at all be used as an example to justify women being preachers?


    Another prophetess of the Old Testament, whose name is also often used is Huldah, and she has been mentioned at two places for just one incidence – in 2 Kings 22:14 and 2 Chronicles 34:22. Both of these mentions are about King Josiah trying to bring a spiritual revival in the Israelites and repair the Temple. At that time, the King sent his emissaries to Huldah, to learn the will of God. Once again, take note that Huldah was not a preacher, nor did she carry out her ministry from the Temple or a Synagogue, nor did she serve as a Priest. According to the information given about her in the Bible, she did not herself volunteer any information, nor did she present herself first-hand to say anything to anybody. When the King sent his emissaries, all she did was answer their question according to what God told her to say (2 Kings 22:15-20; 2 Chronicles 34:23-28). That is the only mention and information about Huldah in the Bible. Now, as for Miriam, similarly for Huldah too, the same question comes up, when here is no mention of any preaching done by Huldah, nor is there any mention of any Priestly service ever been done by her, then on the basis of the information given about her in the Bible, ponder and decide whether it is at all correct to use her as an example to justify women preachers and Pastors?


    All in all, the only conclusion that can be drawn from these Old Testament examples that are claimed to justify women preachers in the Church is that all these claims are baseless and false. On the basis of the information provided in the Bible, none of the prophetesses of the Old Testament can be used to affirm the notion that women can be preachers or Pastors. To make this claim is to misinterpret and misuse the examples of these women, something that is inappropriate, unacceptable, and being very casual with God’s Word the Bible.


    If you have not yet accepted the discipleship of the Lord, make your decision in favor of the Lord Jesus now to ensure your eternal life and heavenly blessings. Where there is obedience to the Lord, where there is respect and obedience to His Word, there is also the blessing and protection of the Lord. Repenting of your sins, and asking the Lord Jesus for forgiveness of your sins, voluntarily and sincerely, surrendering yourself to Him - is the only way to salvation and heavenly life. You only have to say a short but sincere prayer to the Lord Jesus Christ willingly and with a penitent heart, and at the same time completely commit and submit your life to Him. You can also make this prayer and submission in words something like, “Lord Jesus, I am sorry for my sins and repent of them. I thank you for taking my sins upon yourself, paying for them through your life.  Because of them you died on the cross in my place, were buried, and you rose again from the grave on the third day for my salvation, and today you are the living Lord God and have freely provided to me the forgiveness, and redemption from my sins, through faith in you. Please forgive my sins, take me under your care, and make me your disciple. I submit my life into your hands." Your one prayer from a sincere and committed heart will make your present and future life, in this world and in the hereafter, heavenly and blessed for eternity.

 


- To Be Continued

 

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